रविवार, 17 सितंबर 2017

नाम बडे और दर्शन छोटे ।

हिंदुस्तान मे हिन्दुओ के देवी देवताओ की एक बडी संख्या है । हिन्दुओं के अनुसार हिन्दु धर्म के कुल 33 करोड देबी देवता है । भारत मे मंदिरो की भी कमी नही है । हर गॉव मे दो चार मंदिर होते है । शहरो मे तो भारी लागत से बडे बडे मंदिर बनाए गए है तीर्थ स्थानो पर तो शाहर मे जितने मकान होगे उन्से कुछ ही कम मंदिर होगे । पहाड़ों की चोटियो पर मंदिर बने है । जिन्है देखने के लिए लंबी चढाई चढना पडता है ।कुछ फेमस मंदिरो के सामने तो हमेशा भारी भीड़ होती है ।जिसे देखकर लोग सोचते है अगर  इतनी संख्या मे लोग मंदिर देखने आते है तो जरूर भीतर कुछ चमत्कार होगा पर जब  भीतर जाकर देखते है तो पाते है वही साधारण सी मूर्ती है जो हमारे गॉव के मंदिर मे होती है ।मंदिर भी उसी ईंट पत्थर सीमेंट से बना है जिससे सभी मंदिर बने है ।कुल मिलाकर दूर के ढोल सुहाने होते है ।

गुरुवार, 14 सितंबर 2017

सुपरहिट गाने ।

पुराने दोर से लेकर  आज तक के सबसे सुपरहिट गाने जो दिल को छू  जाते है और हमे प्रेम की गंगा मे बहाकर प्रेम के सागर मे डूबा देते है । तो आइए हम भी डूबे  प्रीत के इस सागर मे और महसूस करे अपने अपने प्यार के अहसास को  ।

मंगलवार, 12 सितंबर 2017

बीमार पर रिस्तेदारों की मार ।

हमारे समाज मे ब्यक्ति का बीमार होना किसी गुनाह से कम नही है ! क्योंकि हमारा समाज  इसकी कडी सजा देता .है ।     आइए जाने कैसे ।
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य  और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार  आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार  आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और  इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह  उसे देखने जरूर  आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार  आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार  आदमी की तबियत  और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर  आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है  तो समझो हमारा समाज  उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत  आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर  आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर  उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक  और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
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रविवार, 16 जुलाई 2017

बोलो तो बात बने ।

चुप रहने से कुछ ना होगा ।
बोलो तो बात बने ।
मन की बात जुवा पर ना लाने कुछ ना होगा ।
मुह खोलो तो कुछ पता चले ।
अंजाम के डर से खामोस रहो तो कुछ ना होगा ।
हिम्मत से बोलो तो अंजाम मिले ।
बोलने से पहले ही मत सोचो जबाव न होगा ।
बोलकर तो देखो जबाव हॉ मिले ।
बोलने कीआजादी है बात कहना गुनाह न होगा ।
कोइ न सुने तो भी कहने मे हमारा क्या लगे ।
बात  आज ही आभी कहो कल कहने से क्या होगा ।
पता नही कल कैसी हवा चले ।
हक के मसले मे खामोसी से कुछ न होगा ।
आवाज उठाओ तो हक मिले ।
अनजान ठिकाना पुछने सकुचाने से कुछ न होगा ।
पता पूछो तो मंजिल मिले ।
मेरे लिखने से कुछ ना होगा ।
तुम पढो समझो तो बात बने ।

शनिवार, 1 जुलाई 2017

जीएटी भारत कीअर्थव्यवस्धा सुधार

एक देश एक टेेक़्स जीएसटी कानून भारत मे एक जुलाई से लागू हो गया है ।30 जून कीआधी रात कोभारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने घटी बजाकर  जीएसटी लागू किया ।

सोमवार, 19 जून 2017

कपडा कागज बैग बनाने का अवसर ।

भारत का दिल मध्य प्रदेश  अब पोलेथिन पन्नी के प्रदूषण से साफ हो रहा है । 24 मई2017 से मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  ने पन्नी के उपयोग पर रोक लगा दी है ।पन्नी का उपयोग करने बालो पर र्जुमाना लगेगा ।पन्नी की जगह कागज  और कपडे के बैग  उपयोग करने की सलाह दी जा रही है । अब पूरे भारत मे पन्नी का चलन बंद होने की पूरी संभावना है क्योंकि पोलेथीन पन्नी का प्रदूषण  अब चरम सीमा पर है । मध्यप्रदेश मे अब कागज  और कपडे के बैग की माँग बढने बाली है । यह समय कागज  और कपडे के बैग बनाने का उधोग लगाने का सुन्हरा अवसर है ।
👜 कपडा बैग बनाने का गृह उधोग बहुत कम लागत से स्थापित किया जा सकता है ।बस  इसके लिए एक सिलाई मशीन  जाहिए और सस्ते कपडे के थान ' लटठा और नेट के कपडे सस्ते पढते है । नेट का कपडा थोक मे कटनी से खरीदने पर सस्ता पढता है क्योंकि यहॉ नेट का कपडा बनता है । कपडे के बैग बनाने मे जादा झंझट भी नही है । इसकी मार्केटिग करना भी आसान होगा हर दुकानदार को इसकी जरूत पडेगी आखिर ग्राहक को किसी ना किसी थेले मे रखकर ही तो सामान देना होगा । कपडे की पोटली मे बॉधकर तो सामान दिया नही जा सकता है ' किराना बाले ' कपडे की दुकान ' सब्जी बाले सभी को कपडे के बैग रखना पढेगा अपने ग्राहको की सेवा के लिए ।

गुरुवार, 15 जून 2017

कंचन तेरी याद में ।

में जब भी कभी सुनता हू प्रेम के कहीं ' 
तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे ।

में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी '
 तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे ।

में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी ' 
तब नाइका मे तुम नजर  आती हो ' कंचन तेरी याद मे ।

में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी ' 
तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे ।

में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना ' 
मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे ।

मे पत्थर था तुम  कंचन हो पर फिर भी अभी '
पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे ।

मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह ' 
फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।

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प्रधानमंत्री आवास योजना -ग्रामीण

🏠प्रधानमंत्री आवाज योजना _ग्रामीण " संछिप्त परिचय ।
इंदिरा आवास योजना को 2016 से प्रधानमत्री आवास योजना मे पुनः गठित किया गया है ।इस योजना के तहत भारत वासियो को जो टूटे फूटे और कच्चे मकानो मे रहते है उन्हें 2022 तक पक्के मकान बनवाने का लक्ष्य है । इस योजना से बनने वाले कमान का आकार 25 वर्ग मीटर होता है ।इस  इकाई की लागत सहायता राशी 1.20 लाख  एवं 1.30 लाख है ।हितग्राही कुछ बडा मकान बनाना चाहे तो उसे 70 हजार रू लोन भी मिल सकता है । इसके आलावा हितग्राही मनरेगा से 90\95 दिन की मजदूरी पाने का भी हकदार है ।मकान के साथ शोचालय बनाने पर 12 हजार रू की राशी अलग से मिलने का नियम है । साथ ही अन्य योजनाऔ के तालमेल से पेयजल व्यवस्था ' बिजली कनेक्शन ' गैस चुल्हा आदि भी मकान के साथ मुहैया कराने का प्रयास है ।
इस योजना मे 2011 की जनगणना के आधार पर हितग्राहियो का चयन किया जा रहा है ।हितग्राही अपने ब्लॉक से स्वीकृती आदेश पा सकता है या pmyg की बेवसाइट से भी डाउनलोड कर सकता है ।लाभार्थी को स्वीकृती आदेश मिलने के 15 दिन के भीतर 40 हजार रू की पहली किस्त मिलने का नियम है 'स्वीकृति मिलने की तारीख से 12 महिने के भीतर मकान निर्माण का काम पूरा होना चाहिए ।
ग्राम पंचायत स्तर पर 'ग्राम रोजगार सहायक ' टैग होता है जो हितग्राही को मकान बनाने जानकारी देने के साथ ही उसकी सहायता करता है ।
इस योजन के लाभार्थियों के चयन का आधार s e c cटिन नं है । जो स्वीकृति आदेश पर लिखा होता है ।इस डाटावेश को अन्य कार्यक्रमो मे भी उपयोग किया जाता है ।इस विशेष योजन केतहत निर्धारित किये गए लाभार्थी वह परिवार है जिन्हें स्थाई सूची मे शामिल किया गया है ।इस योजना मे ई- सेवा प्रदायगी की दो प्रणालियॉ है । पहली आवास साफ्ट  और दूशरी आवास  एप्प है ।

सोमवार, 29 मई 2017

अमीर बनाने वाली 10किताबें ।

अमीर बनने की शिक्षा देने वाली और धनवान बनने के गुरले सूत्र सिखाने वाली दुनिया की सबसे अच्छी 10 किताबें है । इन किता की करोडो प्रतियॉ बिकी है ।यह चुनिदा किताबे है आर्थिक ज्ञान की जो दुनिया भर मे चर्चित है । इन 10 किताबों का कोर्स पढकर  इनमें बताए गए नियम के आधार पर चलकर कोई मी साधारण  आदमी अमीर बन सकता है और सफलता की बुलंदीयों पर पहुच सकता है ।क्योंकि इन किताबो मे अमीर बनने का अनमोल ज्ञान भरा है ।
अमीर बनाने वाली किताबे ।
जीत  आपकी । लेखक - शिव खेडा
इस किताव मे साकारात्मक सोच विकशित करने के बारे मे  अच्छे उदाहरणो से समझाया गया है । यह किताब  व्यक्ति को अपनी खूवी और बुराई का आइना दिखाती है । इस किताव मे हर समश्या का समाधान मिलता है । जीत  आपकी पुस्तक नेट पर पीडीएफ डाउनलोड मे मुफ्त उपलब्ध है ।
बेबीलॉन का सबसे अमीर  आदमी'।लेखक - जार्ज एस क्लासन
यह किताब बताती है की बेबीलोन का सबसे गरीव  आदमी वहाँ का सबसे अमीर  आदमी कैसे बना ।इस पुस्तक मे धन को आकृषित करने के नियम के बारे मे बताया गया है ।यह किताब वित्तिय ज्ञान देने वाली विश्व की सबसे फेमस किताव है । जो आदमी को अमीर बनाने की शक्ति देती है ।
रहष्य ( दा सीक्रेट) लेखक- रॉन्डा बर्न
यह किताब रहष्य की बातो से भरी है ।और यह  आकृषण के नियम का रहष्य  उजागर करती है । इस किताब मे धन का रहष्य भी समझाया गया है ।यह किताव सपनो को साकार करना सिखाती है । इस किताब मे बताए गए रहष्य को सीखकर व्यक्ति कुछ भी पा सकता है । यह पुस्तक नेट पर पीडीएफ डाउनलोड के लिए मुफ्त  उपलब्ध है ।इस किताव मे एक बहुत ही बडी बात लिखी है की दुनियॉ का 95% धन केवल विश्व के एक% लोगो के पास होता है ।
रिच डैड पुअर डैड ।लेखक - रोवर्ट कियोसकी
सोचिए और  अमीर बनिए ।लेखक - नेपोलियन हिल
21 वी सदी मे दोलत मंद बनने की राह । लेखक _..........
अलकेमिस्ट ।लेखक _पाउलो कोएल्हो

लोक व्योहार ।लेखक _डेल कारनेगी
बडी सोच का बडा जादू । लेखक _डेविड जे .
शक्तिमान र्वतमान ।लेखक _ एक्हार्ट तोले ।

नोट _ क्या आप जानते है की व्यक्ति की सबसे बडी संपत्ती क्या होती है ?
आदमी धन कमाता है 'धन  आदमी को नही कमा सकताहै इसलिए व्यक्ति की सबसे बडी संपत्ति व्यक्ति होते है धन नही ।

शुक्रवार, 19 मई 2017

अमीर बनाने का रास्ता ।

दुनिया मे जव भी दुनिया के सबसे अमीर लोगो की लिस्ट निकलती है तो उसमे सबसे जादा नाम  उधोगपति लोगो के ही होते है । इससे यह बात साफ होती है की अमीर बनने का रास्ता  उधोग ही है । उधोग भी हर  अदमी के उपयोग मे आने वाली वस्तुओ का लगाना चाहिए ।जहॉ तक हो सके तो वच्चो की उपयोगी चीजे खिलोने आदि और महिलाओं के सृंगार की वस्तुओ का व्वसाय  अधिक लाभदायक होता है । महिलाए और बच्चे अपने उपयोग की बस्तुए मुह मागी कीमत देकर खरीदते है उन्हें रूपए की कीमत कुछ कम पता होती है । जवकि कमाऊ पुरूष खासकर बूढे आदमी जादा चतुर होशियार  और बेईमान होते है । खरीदारी मे कंजूसी करते है । मोल भाव करते है । वस्तु कम से कम कीमत चुकाकर खरीदते है । एक  एक रूपया गिन गिन कर खर्च करते है । क्योंकि बूढे आदमीओ को दुनिया की हकीकत पता होती है और वह जानते है की धन की कीमत क्या है और धन कितनी मेहनत से कमाया जाता है ।
अव कुछ बात युवाओ की हो जाए युवा और किशोर अवस्था के लोग भी अपनी शोक पूरी करने पर  अधाधुंद पैसा उडाते है । बाप की दोलत पर खूव  एस करते है । बाप सोचता है की मेरा लडका शहर मे पढ रहा है । और  उसकी पढाई के खर्चके नाम पर खूव पैसे भजे जाते है । और बच्चे उन रूपयो का उपयोग उपनी सान सोकत पर करते है ।फेशन मे रहते है । इसलिए युवाओ की उपयोगी वस्तुए जो समय के फेशन मे होती है कपडे 'जूते ' वाइक ' मोवाइल ' आदि जैसी युवा युवतियो की उपयोगी वस्तुओं का कारोबार भी जादा लाभदाय् शिद्ध होता है ।

मंगलवार, 9 मई 2017

जीवन का रहष्य ।

मनुष्य के जीवन का राज़ यह है की मनुष्य खुद ही अपने जीवन का निर्माता और भाग्य विधाता है ।वह  अपने जीवन की जैसी कल्पना करता है उसका जीवन वैसा ही बन जाता है ।रहष्य यह है की कल्पना ही सबकुछ है ।ब्यक्ति की जैसी कल्पना या सोच होती है वह परिणाम रूप मे साकार होती है यह कुदरत का नियम है । संसार की सभी वस्तुएं कल्पना के ही रूप है । किसी विचारक का कथन है की इंसान का दिमाग जिन चीजो को सोच सकता है ' इंसान  उन्हें पा भी सकता है ।पुराणो मे कल्पबृक्ष की कथा है ' कामधेनु की कथा है ' अलादीन का चिराग कहानी है ।वैसे तो यह कहानियॉ काल्पनिक है । पर यह कहानीयाँ कल्पना की शक्ति को समझाने के लिए गढी गई थी । जैसे देवी देवता ' आत्मा परमात्मा ' ईश्वर आदि से सच्चे मन से पूरे विश्वास के साथ जो भी मागो वह मिलता है यह सच है । पर विश्वास पैदा नही होता क्योंकि देवी देवता  आत्मा परमात्मा जिन्न कामधेनु कल्पबृक्ष  ईश्वर आदि यह सब नाम  उसी असीम शक्ति के है जिसे हम वृम्हाण कहते है । जो विसाल है और  आखड है । उसे यह छोटे छोटे नाम रूप देने से वह खडित होता है और  आदमी इसमे भ्रमित होता है ।
आदमी की कल्पना वृम्हाण को प्रभावित करती है फिर इसकी प्रतिक्रिया होती है ।और वृम्हाण कल्पना को साकार कर परिणाम रूप मे उसके स्रोत पर वापस लोटा देता है । एक बार जीसस ने अपने साथियो से कहा था की तुमहे पक्का भरोषा हो जाय की वह सामने का कहाड  उडकर यहाँ आ जाएगा । तो सच मे ही वह पहाड  उडकर यहाँ आ जाएगा ।
यही तो चमत्कार है कल्पना का । इस रहष्य को रॉन्डा बर्न की पुस्तक ' दा सीक्रेट ' मे विस्तार पूर्बक बताया गया है । इस किताब का हिन्दी अनुवाद भी हुआ है ।
संसार का रहष्य ! 
उमा कहहू मे अनुभव अपना ' सत हरी भजन जगत सब सपना ।
अर्थात : शिव शिवा से अपने अनुभव की बात कहते है की उमा यह सारा जगत एक सपना है । स्वप्न सपना सोच विचार यह सव कल्पना के ही रूप है । संसार की सभी वस्तुए कल्पना के ही  साकार रूप है ।मनुष्यों का अपना व्यक्तित्व भी उनकी अपनी कल्पना का ही परिणाम है । अलवर  आइंस्टीन के मुताविक पदार्थ भी विचार का ही रूप है ।
इस विषय मे किसी ने बहुत खूव कहा है _
 सोच बदलो तो सितारे वदल जाएगे '
नज़र वदलो तो नजा़रे बदल जाएगे ।  यह सच है और यही राज़ है ।

मंगलवार, 2 मई 2017

राम जन्म भूमि पर कब बनेगा मंदिर ।

हिदुस्तान हिन्दू प्रधान देश है । हिन्दू धर्म का आधार और केंद्र राम है । रामायण हिदूओ का मुख्य धर्म ग्रंथ है ।हर हिंदू सुबह उठकर जिस राम का नाम लेता है उस भगवान राम का मंदिर राम की जन्म भूमि पर  अयोध्या मे नही है यह बडी शर्म की बात है । भारत के बाकी सब मंदिर बेकार है जब तक राम जन्म भूमी पर मंदिर नही है तब तक सभी मंदिरो का कोई मूल्य नही है ।
इतिहास गवाह है की अयोध्या मे ही राम की जन्म भूमी है ।न्यायालय ने भी फैसला कर दिया ।वहाँ पहले मंदिर था इस बात के सारे सबूत है । मुस्लिम भी मंदिर बनाने का सर्मथन कर रहे है । तो फिर मंदिर निर्माण मे देरी क्यों हो रही है । आखिर कब तक चलेगा यह मुद्दा 'कब तक होगी राम जन्म भूमि पर राजनीती ' भारत का हिंदू सरकार की तरफ देख रहा है की आखिर कब करागी सरकार राम भूमि पर मंदिर का निर्माण ' कब बनेगा मेरे राम का मंदिर । मोदी सरकार का कहना है की 2022 तक हर गरीब हिदुस्तानी को पक्का मकान बना कर देगी सरकार ' क्या करेगे भारत के गरीब इस मकान का क्योंकि उनका भगवान बेघर हो और वह पक्के मकान मे रहे यह बात नही बनेगी । इस समय सभी परिस्थितिया अनुकूल है मोदी और योगी का राज है इस समय मंदिर नही बना अयोध्या मे राम की जन्म भूमी पर तो फिर तो फिर कब बनेगा ?

सोमवार, 1 मई 2017

महुआ पेड़ का महत्व ।

वनवासी जन जीवन मे महुआ के पेड़ का बहुत महत्व है । महुआ इनके लिए आय का एक साधन है । मध्य भारत के जंगलो मे अधिक पाया जाने वाल महुए का पेड फागुन माह मे फूलता है । इसके पेडो से एक माह तक रोजाना महुआ के फूल झडते है । इन फूलो की मादक गंध से जंगल का बातावरण महकर मदमस्त हो जाता है । वनवासी लोग  इन महुआ के फूलो को हाथ से बीन कर  रोजाना इकटठा करते है । महुआ के पेड के नीचे रोज सुवह दो तीन तगाडी महुआ फूल मिलते है । वनवासी इन महुआ फूलो को सुखाकर बाजार मे कुंटलो से बेचते है । और  इनका उपयोग खाने मे भी करते है ।एवं इन फूलो से मदिरा भी बनाई जाती है ।
महुआ के फल_ गुलेदा ' जून माह मे पक जाते है जै खाने मे बहुत ही स्वादिष्ट होते है ।जगली लोग  और जंगली जानवर ही इनका स्वाद ले पाते है । शहर के लोगो ने तो महुआ फिल्म का गाना जरूर सुना होगा 'और महुआ का फूल भी देखा होगा पर  उनहे असली महुआ के फल का स्वाद शायद कभी नशीव नही हुआ होगा । क्योंकि यह फल बाजारो मे नही बिकते है । महुआ के फल की गुठली का भी व्यापार होता है इसे गुली कहते है इसका तेल निकलता है जो खाने के उपयोग मे आता है ।
महुआ नाम की एक पुरानी फिल्म है । महुआ पर स्थानीय भाषाओं मे लोकगीत भी बन है जो बहुत लोकप्रि है ।
एक लोकगीत के बोल कुछ इस प्रकार है _गोरी चढ गई पठार ' गोरी चढ गई पठार ' लेके गुटटू महुआ बीनने ।

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

गोवर से रूपये कमाए 'ग्रामीण ।

गॉव के हर घर मे दुधारू पशु जरूर पाले जाते है । पहले तो इन पशुओं के गोवर का उपयोग कंडे उवले बनाने मे होता था जो खाना पकाने के लिए चुल्हे मे जलाने के काम  आते थे । पर  अब गॉवो के घरो मे गैस चुल्हे आ जाने के कारण मवेशी का गोवर कूडे के ढेर पर फेका जाता है ।गॉव के रास्तों गली चोराहो के किनारे जगह जगह लगे यह गोवर कूडे के ढेर गॉव को गंदा करते है । गॉव को साफ सुथरा रखने और गोवर कूडे का उपयोग करने का एक मात्र  उपाय यह है की इससे बर्मी कपोस्ट गोवर की खाद बनाई जाए । इसके लिए गॉव के सभी पशुओं वाले   घरो मे पक्के ईट के टेंक बनाए जाए जिसमे पशुओं की सार वखरी का गोवर घास भूसा का कचडा जमा किया जाए जब यह टेंक फुल भर जाए तो इसमे पानी भर कर केचुए छोड दिए जाए और  ऊपर से घास से इस टेक को ढक दिया जाए । इसके बाद तीन चार माह मे खाद बनकर तैयार हो जाता है । किसानो के लिए तो सरकार गोवर की खाद बनाने के पक्की टंकी बनाने के लिए अनुदान भी दे रही है । गेर किसान भी अपने खरचे से यह टंकी वना सकते है इसमे अधिक खर्च नही लगता सिंगल  ईट की पॉच फिट  ऊची दीवार चारो तरफ बनाई जाती है इसकी लंबाई चोडाई अपने गोवर के हिसाव से जादा कम रखी जा सकती है । गोवर की खाद बनाने की बिधि भी बहुत सरल है ।
गोवर की जैविक खाद किसान खुद बनाकर  अपने खेत मे उपयोग कर सकता है जिससे रासायनिक खाद खरीदने का खरचा बचेगा । गेर किसान भी यह गोवर की खाद बनाकर किसानो को बेच कर कुछ रूपये कमा सकता है । अब  आप सोचेगे की यह खाद खरीदेगा कौन  अजी आने वाले समय मे जैविक खाद की माँग बढने की बहुत संभावनाए है ।क्योंकि रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सामने आने से अब किसान धीरे धीरे रासायनिक खेती छोडकर जैविक खेती की तरफ बढ रहे है ।जैविक खाद  और जैविक बिधि से पैदा किये गए कृषि उत्पाद गेहू ' सब्जियॉ ' फल ' दाले ' गुड  आदि बहुत मॉग है । स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग  जैविक खादय सामंग्री ढूड ढूड कर खरीदते है । और यह जैविक कृषि उत्पाद दुगनी कीमत पर बिकते है ।आज कुछ जागरूक लोग  आयुर्वेद की दबाए और  जैविक खादय पदार्थों का ही सेवन कर रहे है ।
मित्रो भविष्य  आयुर्वेद  और जैविक का ही है ।अब जल्द ही रासायनो का जमाना जाने वाला है ।इसलिए जैविक के क्षेत्र मे पेर जमाने का यह  अच्छा समय है ।

शनिवार, 1 अप्रैल 2017

स्मार्ट फोन और वाइक से अॉखो को खतरा ।

आदमी के लिए अॉखे कुदरत की आनमोल देन है ।अॉखे है तो यह सुन्दर संसार है वरना अंधेरा है ।इसलिए अॉखो के प्रति सबधान रहना बहुत जरूरी है ।इस युग मे मोवाइल  और मोटरसाइकिल  जीवन का अहम हिस्सा बन गए है इनके विना जीवन का पहिया नही चलता है । पर  इनका साबधानी से उपयोग करना ही आदमी के लिए हितकर है । नेत्र विशेषज्ञो के अनुसार वाइक  और स्मार्ट फोन लोगो की अॉखो पर धातक  असर डाल रहे है ।
स्मार्ट मोवाइल फोन का उपयोग आज बहुत हो रहा है ।जमाने की अॉख मोवाइल पर थमी है ।हर कोई अपने मोवाइल पर व्यस्त दिखता है अगर किसी से पूछो कि क्या कर रहे हो ' तोवह कहता है वाटस अप ! बहुत देर तक या देर रात तक मोवाइल पर  अॉखे लगाना हानीकारक है एसा करने से अॉखो की रोशनी कम होती है । इसलिए स्मार्ट फोन का कम या समयक  उपयोग करना चाहिए ।
वाइक का उपयोग _ नंगी अॉखो से वाइक चलाना अॉखो लिए मेहगा पडता है ।रास्ते की धूल ' धूआ 'कंकड ' मच्छर हवा अॉखो से टकराती है ।जिससे अॉख मे जलन चुभन महसूस होती है और  अॉखे लाल हो जाती है । आज  अॉखे खराव होने का सबसे बडा कारण नंगी अॉखो से वाइक चलाना ही है ।इसलिए वाइक चलाते सयम चश्मे का उपयोग करना बहुत जरूरी होता है ।
टीवी और लेपटॉप का उपयोग _ कही ना कही टीवी और लेपटॉप का पर भी लंबे समय तक  अॉखे स्थर रखना हानीकारक है । इन चीजो का उपयोग करते समय बीच बीच मे इधर  उधर देखने से भी अॉख को राहत मिलती है ।और काला या हरे रंग का चश्मा पहन कर भी इन चीजो का उपयोग करने से अॉखे सुरक्षित रहती है ।
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गुरुवार, 30 मार्च 2017

भविष्य मे खेती का रूप ।

आज परंपरागत खेती करना घाटे का सोदा शिद्ध हो रहा है । इसलिए आने वाले समय मे खेती का स्वरूप बदलेगा 'और खेती मे यह बदलाव समय की मॉग है ।
बैज्ञानिक खेती _आगामी समय मे वैज्ञानिक खेती ही लाभदायक शिद्ध होगी ।खेती वाडी के सभी काम वैज्ञानिक तरीको से होगे एवं कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से ही खेती का हर काम करना ही कृषक के लिए हितकर होगा ।
रासायन रहित खेती _आज खेती मे रासायनो के दुष्परिणाम सामने आ रहे है ।इसलिए भावी समय मे रसायन मुक्त खेती ही होगी । खेतो मे गोबर की देशी खाद 'और  आयुर्वेद कीटनाशक दवाओं का ही अधिक उपयोग होगा ।
जल प्रबंधन _ आने वाले वर्षों मे बरसा कम होने से भूमी गत जल स्तर घटेगा । इसलिए खेत का पानी खेत की जमीन मे ही रहे इसके लिए खेतो मे मेड बंधान ' सोखता गड्ढे ' तालाव  आदि के इतजाम करने होगे ।
पोली हाउस खेती _ खेती मे आने वाली सभी समश्याओ को कम करने का तरीका है पोली हाउस मे खेती करना । पोली हाऊस मे तापमन नियंत्रण करके कम पानी कम जमीन पर बारह महिने किसी भी मोषम मे कोई भी फसल लगाई जा सकती है ।और फसल  उत्पादन लिया जा सकता है । इन सुविधाओ को देखते हुए पोली हाउस खेती का दायरा वढ रहा है ।डिजिटल खेती _ रिमोट कंट्रोल से चलेगे खेतो मे ट्रेक्टर ' भारत सहित दुनिया के कुछ देशो मे यह तकनीक विकशित हो गई  है । अब कंपनीयॉ एसे ट्रेक्टर बनाने जा रही है जिसे चलाने के लिए चालक की जरूरत नही पडेगी ।इसमे काम के हिसाव से एक बार प्रोग्रामिंग सेट करने के बाद  उसे खेत मे काम करने के लिए छोड दिया जाता है और टेक्टर  खूद ही काम पूरा होने पर  अपने आप खडा हो जाता है ।
ड्रोन कीटनाशक यंत्र _ आने वाले समय मे खेतो मे कीटनाशक दवाओ का छिडकाव खेतो मे ड्रोन करेगे ।यह प्रयोग हुआ है जो सफल रहा है । हालाकी आभी तक भारत मे किसी कपनी ने यह ड्रोन कीटनाशक यंत्र बनाकर बाजार मे नह  उतारा है । पर यह जल्दी बाजार मे आएगा अभी कुछ किसानो ने खुद ही अपने काम के लिए एसे यंत्र बनाए है ।जिनसे दिनो का काम घंटो मे होता है ।और किसान  अपने खेत की मेड पर  बैठकर ड्रोन को रिमोट से खेत की फसल के ऊपर  उडाता रहता है और खेत मे दबा सिचाई होती रहती है । यह तकनीक किसानो को बहुत भा रही है ।भविष्य मे इसके लोकप्रिय होने की बहुत संभावना है ।

सी सी टीवी  केमरे से खेत की निगरानी _ अनेकों किसान  अब खेतो मे सी सी टीवी केमरे  लगवा कर घर बैठे खेत की देखरेख कर रहे है ।  आने वाले समय मे इस तकनीक से खेतो की रखवाली होगी इसमे खेत कर हमेशा एक नोकर  रखने की झंझट से छुटकारा मिल जाता है ।और नोकर के खरच से कम पैसे मे खेत की निगरानी होती है । खेत मे कही कोई गडवडी दिखने पर तुरंत वाइक से किसान खेत पर पहुज जाता है ।

रविवार, 26 मार्च 2017

सफलता पाने का मंत्र !

मंत्र _ क्या ' क्यों ' कैसे ' कब ' कितना ' !

क्या _क्या करें ' क्या काम करें । हर  आदमी के लिए जीवन जीने के लिए कुछ न कुछ काम करना तो जरूरी होता है । पर क्या काम करे ।यह निश्चित करना भी बहुत जरूरी है ।अपनी आत्मा से पूछे ।और  अपनी योग्यता 'क्षमता के अनुसार काम का चुनाव करे । यह पक्का निश्चय करे की हमे यह काम करना है । इसके बाद ही काम शुरु करे ।
क्यों _क्यों करें ।हम यह काम क्यों करना चाहते है । इससे हमे क्या मिलेगा । हम क्या पाना चाहते है । दोलत  इज्जत शोहरत ताकत मोक्ष  आदि मे से क्या हम पाना चाहते है । इस काम के पीछे हमारा उद्देशय क्या है ।क्योंकि हर काम के पीछे कोई ना कोई उद्देश्य जरूर होता है । इसलिए यह स्पस्ट होना चाहिए की इस काम के पीछे हमारा यह मकसद है और  इस मकसद के लिए हम यह कर रहे है । तभी काम करें ।
कैसे _कैसे करें । इस काम की बिधि क्या है ।इसका तरीका क्या है । यह काम कैसे होगा । यह समझने के बाद जव पूरा यकीन हो जाए की यह काम  इस तरह से होगा और मे इसे कर सकता हू । तभी वह काम करें ।
कब _ कब करें । किसी भी काम का एक समय  एक  आयु होती है ।इसलिए हय निश्चित करें की यह काम हमे कब करना है । पढाई पूरी होने के बाद या शादी के बाद या 18 साल की आयू होने पर हमे यह करना है । अपने काम का समय निश्चित करें । और  उसे याद रखे और समय  आने पर वय काम करें ।
कितना _ कितना करें । कितना काम करना है । हर काम की एक सीमा और समय  अबधि होती है । इसलिए अपने काम की एक सीमा निरधारित होनी चाहिए ।कि हमे  इतना ' यहाँ तक काम करना है । इसके बाद ही काम  आरंभ करें ।
नोट _ सफलता के इस मंत्र के इन पॉच शब्दों के उत्तर पाए अपने आप से और  उन्हें हमेशा याद रखकर काम करने पर100% सफलता मिलती है । इस मंत्र से अनेक लोगो ने सफलता के शिखर पाए है ।

शनिवार, 25 मार्च 2017

बेरी के बेर और आय के ढेर !

फरवरी महिने मे बेर का सीजन  आते ही ही बेरी के झाडो पर पके हुए बेर लद जाते है ।और बेर के पके हुए फलो की झडी लग जाती है ।गॉव दिहात मे बेरो के झाडो के नीचे पके हुए खट्टे मीठे बेर के फल बिछे रहते है और लोग  इन फलो को अपने पैरो तले कुचलते हुए इनके  उपर से निकल जाते है पर यह लोग  इनकी कीमत नही समझते है ।अगर  इन बेरो को बच्चों से रोज बिनवा कर इकट्ठा कर लिया जाए और  इनहे धूप मे सुखालिया जाए ।और फिर अॉफ सीजन मे शहर के किसी बेरो के खरीददा को बेचा जाय तो यह बेर 20 रू किलो तक बिकते है । क्योकि अॉफ सीजन मे लोग बेरो को उवाल कर खाना बहुत पसंद करते है । एक बेर के झाड से 50 से 200 किलो तक बेर पूरे सीजन मे मिलते है ।जिस ग्रामीण जन के पास पास बेरी के दो चार झाड हो वह  एक सीजन मे बेर से 10_15 हजार रुपय सहज की कमा सकता है । और बेर  उसकी  आय का एक छोटा ही सही पर जरिया बन सकता है । तो फिर देर किस बात की करे बेर  इकट्ठे ।
अगर बेर के झाड न भी हो तो इनहे बाजार से बडे आकार के बेर खरीद कर खाए और  इनकी गुठली इकटठी रख ले और बारिश शुरू होने के बाद जुलाई मे इन बीजो को माकान के पास की खाली जगह पर जमीन मे एक  इच निचे गाड दे ।इसके बाद तो यह बगेर देखभाल के ही हो जाते है और दो साल मे फल देने लगते है । बाजार मे बडे आकार के बेर के फल 50 रू किलो तक ताजे पके बिकते देखे जाते है ।
कहीं कहीं पर तो एप्पल बेर की खेती हो रही है यह बेर सेव के आकार का होता है और  इसमे गुठली नही होती है । अन  ऊपजाऊ और सूखी जमीन पर बेर की खेती लाभदायक सावित हो सकती है क्योंकि बेर के पेड को जादा पानी की जरूरत नही होती । बेर ही नही किसी भी छोटी पत्ती बाले कॉटेदार पेड पौधों को बहुत कम पानी की जरूतत पडती है ।और  इतना पानी यह पौधे हवा ओस से खीच लेते है । तभी तो सूखे रेगिस्तान मे कॉटेदार पौधे हरे भरे रहते है ।
तो है ना बेरी के बेर  आय के ढेर '🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒

भीम एप्प की पूरी जानकारी ।

भीम एप दिसंवर 2016 को जारी हुआ । तभी से हय  एप सुर्खीयो मे बना है ।और भारत मे यह  एप सबसे जादा डाऊनलोड किया जा रहा है ।और  अब भारत सरकार इसका प्रचार बडी तेजी से कर रही ।भारत मे सरकार डिजिटल मनी के लेनदेन को बढाने के लिए लोगो को भीम  एप का उपयोग करने की सलाह दे रही है ।इस  एप का नाम बाबा साहव भीम राव  अंबेडकर के नाम पर रखा गया है ।  भीम  एप  एंड्राइड मोवाइल पर काम करता है और  इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है । फ्री मे ' यह  एप हिंदी अंग्रेजी भाषा के साथ ही अन्य भरतिय भाषाओ मे भी काम करेगा । भीम  एप लगभग सभी भारतिय बैंको के लिए काम करता है ।
भीम एप को डाउनलोड करने के लिए गूगल सर्चबाक्स मे 'भीम  एप डाउनलोड 'टाइप करे और सर्चकरे आने बाले परिणामो मे से किसी भी एक पर क्लिक करे और वहाँ से यह  एप लोड करे । इसके बाद  इंसकाल करे ।फिर एप को खोले 'और मेन मेनू मे जाए ' बैंक एकाउंट स्लेक्ट करे ' अब सेट upi पिन अॉप्सन चुने 'अब  अपने atmकार्ड का छह  अंक का नं डाले समाप्ती तारीख सहित ' इसके बाद otp मिलने पर  इसे एप मे डायल करे ' अब  अपना upiपिन बनाए । इस तरह  एक बार भीम  एप पर रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद हम  अपने बैक खाते मे जमा रूपए कही भी किसी को भी घर बैठे आपने मोवाइल से इस  एप की सहायता से भेज सकते है । इसके लिए हमे सामने वाले व्यक्ति का खाता नं एप मे टाइप करना होता है और रूपयो की राशी लिखनी पडती है ।इसके बाद बटन दबाते ही हम रूपये भेज सकते है।इस  एप से हम  अपना बैंक बैलेंस भी चेक कर सकते है ।भीम  एप का उपयोग केवल  अपने ही एक बैक खाते के लिए करना सुबिधा जनक है । इस  एप से एक बार मे 10000 रू तक ट्रास्फर किए जा सकते है और  एक दिन मे जादा से जादा 20000 रू तक ट्रास्फर किए जा सकते है ।पर भविष्य मे यह संख्या बढेगी ।और भीम एप लोगो की आकांक्षा पर खरा उतरेगा । भविष्य मे यह  एप भारत के हर खाता धारक के लिए जरूरी होगा ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।