रविवार, 13 मार्च 2016

डिजिटल प्रोडक्ट एन्ड डिजिटल विज़नस ।

आज  इस डिजिटल युग मे जहाँ हर काम अॉनलाइन हो रहे है । तब फिर डिजिटल विज़नस करना ही आज  सबसे अच्छा होगा । डिजिटल का अर्थ है की न कोई सीमा और न कोई बंधन दुनिया के किसी भी कोने मे बैठा ग्राहक डिजिटल उत्पाद को एक सेकंड मे खरीद कर  अॉनलाइन पेमेंट भी कर सकता है ।
डिजिटल प्रोडक्ट ।
सबसे वेस्ट प्रोडक्ट डिजिटल प्रोडक्ट ही है । इन उत्पादों की सबसे बडी खूबी यह है कि इन्हे एक बार बनाने के बाद  असंख्य लोगों को बेंचा जा सकता    है और फिर भी यह  उत्पाद हजारों साल तक खत्म नहीं होते । एवं व्यवस्थापक की अनुमति के बिना कोई इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है और ना चुरा सकता है । इन मे सडने गलने या जंग लगने का भी खतरा नही होता । डिजिटल उत्पादों का एक  और बडा फायदा यह है की इन्हे कंप्यूटर की मदद से सॉफ्टवेयर दुवारा कंट्रोल करके ग्राहक के पास उत्पाद होने पर भी इसमें बदलाव किया जा सकता है ।
बहुत से एसे डिजिटल उत्पाद है जिन्हें कोई भी कंप्यूटर की जानकारी रखने बाला आदमी आसानी से बना सकता है । जैसे_ फोटो ' आडियो ' विडियो ' गेम ' एप्स ' वेबसाइट ' ई_बुक आदि ।
डिजिटल विज़नस 
डिजिटल सामान या सेवाओं का व्यापार विकसित करना आज वल्ड वाइड वेब और गूगल की वजह से बहुत आसान है ।डिजिटल उत्पाद बनाने एवं इन्हे अॉनलाइन बेचने का व्यापार आज भारत मे शुरुआती दोर मे है । अब डिजिटल इंडिया आने के बाद इसके विस्तार की अपार संभावना है । इसलिये आज  इस क्षेत्र मे पेर जमाने का अच्छा अवसर है ।
आज बहुत से थोडी सी सूझबूझ बाले लोग  अपने अपने विडियो बनाकर यु -टयुव पर  अपलोड करके कमाई कर रहे है ।
💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻      यदि आप  इंटरनेट पर  अपनी वेबसाइट या मुफ्त ब्लॉग बनाना चाहते है ' तो आप  इस विषय मे जानकारी लेने या सहायता के लिए हमसे संपर्क कर सकते है 📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲      +09752066004 .पर seetamni@Gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शनिवार, 12 मार्च 2016

योगिक खेती से धरती उगलेगी सोना ।

🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌽यह बात तो प्रमाणित है कि पेड पौधे सजीव होते है । माना की पौधों मे मनुष्य जितनी प्रकट  आत्म नही होती फिर भी पौधे संवेदनशील होते है । इसका जीता जागता उदाहरण लाजवंती का पौधा है  जो हाथ लगाने पर डर कर  अपनी पत्तियों को सिकोड लेता है ।
भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने बीसवीं सदी के आरंभ मे पेड पौधों की संवेदनशीलता को प्रमाणित किया था । जगदीश चंद्र बसु के अनुसार पैड पौधे सुख ' दुख 'दर्द 'डर ' खुशी आदि संवेदनाओ को मानव एवं पशुओं जितना ही महसूस करते है । इस सत्य को भारत के रिशि मुनियों ने दुआपुर युग मे ही जान लिया था । तभी से पेड़ पौधों सम्मान देने के लिए । पेड़ पौधों की पूजा अर्चना की प्रथा का आरंभ हुआ जो आज भी बरकरार है । आज भी तुलसी बट पीपल आदि पेड़ पौधों की पूजा होती है ।
योगिक खेती क्या है ?
शाश्रवत योगिक खेती की इस नई पद्धति की खोज 'प्रजापिता बृहम्कुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय संस्था ने की है ।
बिधि_बीजों को बोने से पहले एक कमरे मे रखकर किसान को वहाँ बैठकर  ध्यान लगना होता है ' एवं ध्यान के माध्यम से ईश्वर की उर्जा को बीज मे भरने का उपाय किया जाता है । फिर इन बीजों को हस्ते गाते हुए खुशी खुशी खेत मे बो दिया जाता है । इसके बाद पौधे कुछ बडे होने पर महिलाएं गीत गाते हुए पौधों की निदाई गुराई करतीं  है एवं पौधों पर अपने बच्चों की तरह प्यार दुलार लुटाती है ।
किसान रोज सुबह सुबह खेत मे लोभान या धूप आथवा गूगल  जलाकर सुगंध फैलाते है । और फसल पर अपनी प्रेम भरी नजर डालते है ।अतः खेत मे घूम फिरकर पौधों पर हाथ फेरते हुए पौधों को प्यार बाँटते है । खेतों मे मधुर कर्णप्रिय संगीत वजाया जाता है । इन सभी क्रिया कलापो के दुवारा  भावना एवं ध्वनि तरंगों से पौधों पर साकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव  डाला जाता है । जिससे परिणाम स्वरूप पौधे प्रसन्न होकर खूब फूलते फलते है । और किसान को भरपूर पैदावार देते है 

नोट_ उपरोक्त लेख कोई मजाक नही है ।योगिक खेती के अनेक प्रयोग हुए है । जिनके परिणाम से अब यह प्रमाणित हो चुका है कि योगिक खेती से पैदावार बढने की बात सोलह  आना सत्य है ।🍇🍅🍇🍅🍆🍇🍆🍅🍇🍆🍅🍇🍆🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱
Seetamni@Gmail. com
***********************************************

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

नौकरों से काम लेने का तरीका ।

नौकर घरेलू हो या अॉफिस कार्यालय मे काम करने बाले सरकारी नौकर  इनसे अच्छा काम कराने के लिए मालिक को इनसे मधुर संबंध रखना चाहिए ।एवं प्यार भरा व्वहार करना चाहिए ।और हमेश खुश रखना चाहिए ।नौकर से कोई गलती अथवा नुक्सान होने पर भी कटू बचन बोलने की जगह प्यार से समझाना ही उचित है । क्योंकि आखिर यह लोग भी तो हमारी ही तरह  इंसान है और गलतियां इंसान से ही होती है ।

नौकर जब तक कम को अपना समझकर नही करेगा तब तक काम बेहतर नही हो सकता है ।इसलिये नौकरौ को अपने पन का एहसास देना जरूरी है ।नौकर को डरा धमाका कर काम कराने का तरीका हानिकारक हो सकता है ।एसा करने से नौकर मालिक के खिलाफ हो सकता है और  उसके दिमाग मे टेंशन पैदा होता है जिससे रचनात्मक काम करने की छमता कम होती है । फिर वह समय पास करने या केबल रोज कमाने के लिए ही काम करता है। यानी आय जाए मालिक का पेमेंट से काम ।      💃💁
बही दुशरी तरफ नौकर पर  आँख बंद करके यकीन भी नही करना चाहिए ।आखिर नौकर तो नौकर ही होता है । क्या पता कब लालच मे आकर गडबड कर दे ।मीडिया मे एसी अपराधी घटनाएं देखने सुन्ने मे आती है जिनमें घर के नौकर का ही काम होता है ।आब  आप सोचते होगे यह क्या पहेली है नौकर को अपना भी समझो और उस पर यकीन भी मत करो ।यही तो है नौकर से काम लेने का फंडा आइए इसे हम  एक  उदाहरण से समझते है ।
उदाहरण_ एक नौकर ने अपने मालिक से पूछा - सेठजी आप मुझ पर यकीन नही करते ।
मालिक बोला -अरे पगले कैसी बात कर रहा है अगर हमे तुझ पर भरोसा न होता तो हम तुझे घर की चाँबियो के साथ ही तिजोरी की चाँबी क्यों देते ? यह सुनकर नौकर ने कहा - तो फिर यह चाबी तिजोरी मे लगती क्यों नही है !

🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌼🌻🌹🌹

Seetamni@Gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

धन की तीन गतियाँ ।

~~~~मानव की पृबृति सुख की है ।धन सुख का ही रूप है ।धन स्वामी का सच्चा सेवक है ।इसलिये संसार मे प्राय: सभी धन चाहते है । और जीवन भर धन संगृह करते रहते है । एसे लोग जीवन जीते नही है अपितु जीने की तैयारी ही करते रहते है ।इनके विचार या सपने कुछ  एसे होते है कि अभी क्या जीना ' जब तक सभी कलो का इंतजाम पूरा न हो जाए । फिर सुख चेन से जीवन जिएगें ।यह पूर्णिमा का सपना सजोए रहते है जो कभी किसी का पूरा नही हुआ ।सिकंदर का भी नही । तो फिर हम  आप की औकात ही क्या है ।
धन बुरा नही है ' धन से अच्छा इस दुनिया मे कुछ भी नहीं है । जो कथा कथित लोग  धन को छोडने या दान करने की सलाह देते है ।और भोले भाले लोगो को गुमराह करके सुदामा और हरीशचंदृ बनाने को कहते है । वे खुद धन के लोभी होते है ।
दौलत कमाना अच्छी बात है ।आखिर आदमी जीवन मे धन नही कमाएगा तो और करेगा भी क्या? जीवन का कुछ न कुछ मकसद तो होना ही चाहिए ।पर हर काम की एक सीमा होती है ।एवं अति हर चीज़ की बुरी होती है । व्यक्ति यह भूल जाता है । धन तो समुद्र के खारे पानी को पीने जैसा है ' जितना पियो उतनी ही जादा प्यास बढती है ।
धन की अधिकता होने पर धन का सदुपयोग होना बहुत जरूरी है वरना धन  अपने आप ही समाप्त होने लगता है ।धन की तीन प्रमुख्य गति होतीं है ।
पहली दान _  धन की पहली सबसे उत्तम गति दान है । दान का अर्थ है दुसरो को उपयोग के लिए धन देना । दान करने से धन घटता नही है अपितु दुगना चौगना होकर वापस आता है बसर्ते सुपात्र को ही दान दिया गया हो ।
दुशरी भोग_ धन की दुशरी मध्यम गति है भोग । धन का उपयोग अपने सुख सुविधा या एस  आराम के लिए करना और जिदगी को भरपूर सुख से जीना ।
तीसरी नाश_ धन की तीसरी गति होती है नाश जो सबसे नीच है । धन गतिशील होने के कारण  उपरोक्त दोनो गति से रास्ता न मिलने पर स्यम ही नष्ट होने का रास्ता खोज लेता है ।
Seetamni@Gmail. com

💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

करोडपति भिखारी !

यह एक एसे भिखारी का किस्सा है ' जिसके पास करोड़ों की धन संपत्ति होते हुए भी वह भीख मॉगता है । इस भिखारी के पास  अपना खुद का एक  अलीशान होटल भी है 'जिसका यह मेनेजर भी है । पर  इस  आदमी का भीख मॉगने का उसूल है । वह प्रतिदिन सुबह एक बार किसी न किसी व्यक्ति से भीख जरूर मागता है ।उसकी इस हरकत से होटल के सभी कर्मचारी नफरत करते है । और कहते है कि सर  आप  इस होटल के मेनेजर है ' और  आपको भीख मॉगने मे शर्म नही आती " यह सुनकर मेनेजर मुस्कुराते हुये कहता है _ की वह  एक जमाने मे भिखारी ही था ' और वह  अपने उस दिन को भूलना नही चाहता ' एवं उसे हमेशा धन की अहमियत का अहसास रहे । इसलिए वह दिन एक बार भीख जरूर मॉगता है । उसका कहना है की मे आज जो कुछ भी हू ' अपने इसी उसूल की वजह से हू ।
अब जब भिखारीयो की बात चल ही रही है तो एक  और लखपति भिखारी का वाकया सुनो _ पुरानी बात है किसी मंदिर के दरवाजे पर बैठकर  एक भिखारी भीख मगता था । जब वह भिखारी मरा तो लोगों ने उसका संस्कार कर दिया । और  उसके सामान को एक बॉस मे लटका कर फेकने के लिए ले जाने लगे ' तभी उस सामना मे से कुछ सिक्के गिरे ' जिनहे देखकर बॉस को जोर से हिला दिया गया तो उस भिखारी के सामान से और सिक्के बरसने लगे ' इसके बाद लोगों ने उस  सामान को बारीकी से देखा तो उसमे कुछ नोट भी निकले । जव  इन सभी नोट एवं सिक्कों की गिनती हुई तब पता चला की यह एक लाख  के लगभग थे ।जिनहे सरकारी खजाने मे जमा कराया गया था ।
Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

बिजनेस जमीन का सदा लाभदायक ।

समय के साथ ही बढता है 'धरती का मोल !
संसार की सभी वस्तुओं मे ' जमीन एक  एसी अचल संपत्ति है । जिसका भाव हमेशा बढता ही रहता है । क्योंकि जमीन का क्षेत्रफल स्थायी है ' जिसे माग के अनुसार बढाया नहीं जा सकता है ।जनसंख्या की लगातार वृद्धि होने के साथ ही उपयोग के लिए जमीन कम पडना सोभाविक है । और जिसके कारण जमीन की माग हमेशा बरकरार रहती है । चाहे आवास  के लिए हो या खेती के लिए या फिर कारखाने लगाने के लिए जमीन की माग हो । और भूमि का मूल्य हमेशा बढता ही रहता है ।
जमीन के कारोबार मे हमेशा लाभ !
जमीन के गणित को समझने वाले व्यापारी जमीनो के व्यापार मे हमेशा ही खूब मुनाफा कमाते है । एसे व्यापारी नगरों या महानगरों से कुछ दूरी पर बंजर जमीने सस्ते रेट पर खरीदते है । एवं कुछ साल बाद जमीन का भाव बढने पर यह लोग  जमीन को आवास के लिए तुकडो मे बेचते है । लेकिन  जमीन खरीदने से पहले यह लोग उस नगर की जनसंख्या वृद्धि आदि के अॉकडो से यह  अॉकलन कर लेते है कि कितने साल मे शहर इस जमीन की दूरी तय कर लेगा और  उस समय  इस जमीन का अनुमति भाव क्या होगा । यानी की मनी चौगनी होगी की आठ गुनी । 
जमीन के दलाल मालामाल ।
जमीन के व्यापार मे क्रेता बिक्रेता को आपस मे मिलाकर जमीनो का सौदा करवाने वाले लोकल दलाल भी खूव कमाई करते है । यह लोग जमीन का सोदा कराने पर दोनो पक्षों से कुछ प्रतिशत कमीशन लेते है । यह धंधा आज  एक  अधिक लाभ कमाने बाले धंधे के रूप मे उभरा है ।  क्योंकि इसमें जादा कुछ लागत मेहनत नहीं है ।इसके लिए वस  इतना करना होता है कि शहरों और गॉवो मे संपर्क स्थापित करना होता है 'वह भी घर बैठे मोबाइल पर ।इसके बाद तो महिने भर मे एकाध करोड़ों का सौदा मिल ही जाता है । जिसमें दोनो पार्टी से 2% कमीशन मिलने पर भी चार लाख रूपया माशिक कमाई है ।
पर जमीन के कृय बिकृय मे पंजीकृत दलाल का ही सहयोग लेना उचित होता है । क्योंकि रजिस्टर्ड दलाल अधिक विश्वसनीय होता है ।
Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

रविवार, 14 फ़रवरी 2016

व्यापार मे लाभदायक प्रकृतिक वस्तुएं ।

प्राकृतिक वस्तुओं को पैदा होने मे समय लगता है । एवं कुछ कुदरती वस्तुओं की पैदावार सीमित है ।जिसके कारण  इन वस्तुओं का हमशा अभाव ही बना रहता है ।अर्थशास्त्र के नियम अनुसार _जिन वस्तुओं का अभाव होता है ' उन वस्तुओं की मांग अधिक होती है । एवं वस्तु का भाव ( मूल्य) भी ऊचा रहता है ।
प्राकृतिक वस्तुओं के व्यापार मे सबसे बडी सुविधा यह है 'कि इन वस्तुओं के बाजार मे प्रतिस्पर्धा बहुत कम है ।जवकी मानव निर्मित वस्तुओं का उत्पादन  उपयोग की तुलना मे अधिक होने से बाजार मे बहुत स्पर्धा है । क्योंकि जो असली वस्तु कुदरती रूप से छह माह मे तैयार होती है ' वही कृत्रिम वस्तु इंडस्ट्री मे रसायनो और मशीनों से 24 घंटे मे तैयार हो जाती है । मानव निर्मित वस्तुएं पैदा करना सरल हो गया है । बेचना कुछ कठिन हो गया ।
अॉकडो के मुताबिक वर्तमान मे नेचुरल  उत्पादो की तरफ  उपभोक्ताओं का रूझान दिन प्रति वढ रहा है ।रसायन मुक्त खाद्यान्न आदि की माग वढ रही है ।
व्यापार मे लाभदायक कुछ प्राकृतिक वस्तुएं जैसे _
दुर्लभ जडी बूटी ' मेवा ' दूध ' शहद ' रेशम ' चमडा ' फूल ' फल ' बीज ' मशरूम ' जेविक खाद ' आदि
Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।