रविवार, 9 अक्तूबर 2016

डिप्रेशन के शिकार लोग ।

इस शहर मे हर शख्स परेशान सा क्यों है ।

बच्चे संसार का भविष्य ।

बच्चे प्यारे क्यों होते है ?
बच्चे इंसानी हो या पशू पक्षियों के बच्चे सभी बच्चे बहुत प्यारे लगते है । पहले केवल नौ ही रस थे  बाद मे सूरदास ने  एक  और रस की खोज की ' वात्सल्य रस ' यह रस सूरदास को कृष्ण के बाल रूप से मिला था ।
बच्चे सभी को प्यारे होते है । मॉ बच्चों को सबसे जादा प्यार करती है ।इससे भी अधिक प्यार बच्चों को उनके दादा दादी करते है । यह कुदरत का नियम है संसार चलाने के लिए ।जब जहाँ जो जरूरत होती है उसका पूरा इंतजाम कुदरती होता है । बच्चे के दुनिया मे आते ही माँ के स्तन मे उसके लिए दूध  आ जाता है । अगर बच्चो मे मोह ना होता तो दुनिया की कोई भी माँ अपने बच्चों को दूथ नही पिलाती और बच्चे पैदा होते ही मर जाया करते जिसके कारण संसार चलना कठिन था । इसलिए बच्चे ईश्वर का मोहनी रूप होते है ।क्योंकि बाल रूप मे बच्चे असहाय और  अवोध होते है ओर  उनहे इस समय संसार मे जीने के लिए सहारे की जरूरत होती है जो मोह बस माँ करती है । जव बच्चा कुछ बडा होता है तो उसे शिक्षा की जरूरत होती है वह सीखना चाहता है । इसलिए ही बच्चे दादा दादी से कहानी सूनाने की जिद करते है ।दादा दादी भी मोह बस बच्चों को कहानी के माध्यम से शिक्षा देते है । ओर  अपनी आप बीती बच्चों को सुनाते है । जो उन्होने जीवन मे सीखा अनुभव किया वह बच्चे को बताते है । दुनिया के अच्छे बुरे का ज्ञान कराते है ।
पर जैसे जैसे बच्चे बडे होते है उन पर सबका प्यार कम होता जाता है । चिडियाँ के बच्चों की तरह चिडियाँ के बच्चे भी जव  उडना सीख जाते है और खुद ही दाना खोज कर चुगने लगते है तब चिडिया के बच्चे घोसला छोड कर फूर्र हो जाते है ।
बदला कुदरती कानून 
आज पुरुष के मुकावले स्त्रियों की संख्या का अनुपात बहुत कम है ।जिसे देखते हुए समाज  और सरकार मिल कर बेटी बचाओ आंदोलन चला रहे है । वही कुदरत ने भी अपने कानून मे बदलाव किया है संतुलन बनाने के लिए ' अब लडको से जादा लडकीयाँ पेदा हो रही है । लोग लडका पैदा होने के इंतजार मे गर्भ निरोध नही कराते और हर वार लडकी ही होती है दो तीन लडकियों के बाद फिर कही जाकर  आखिरी मे लडको के जन्म होते है ।
उदाहरण_पालतू पशुओ मे भैंस की जरूरत दूध के लिए जादा होती है । इसलिए कुदरत भी मादा भैंस को ही अधिक जन्म देती है । जबकी भैसा (पडा) बहुत कम पैदा होते है उनमे से भी बहुत मर जाते है क्योंकि उनकी जरूरत भी नही होती है ।सौ भैंसो के अनुपात मे बडी मुश्किल से दो या चार भैसा पाए जाते है । यह कुदरत का ही कमाल है ।
मन चाही सूरत का बच्चा पैदा कर सकती है माँ !

महारानी अवंतीबाई लोधी

वीरंगना रानी अवंतीबाई
प्रथम आजादी की लडाई की वीरंगना रानी अवंतीबाई लोधी ' रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गाबती की श्रेणी मे आती है ।पर  उन्हें बहुत कम लोग ही जानते है । इसका कारण  है की अवंती रानी को इतिहास मे संमान नही मिला ।लेकिन पिछ्ले दशको मे खोजी लेखको ने इतिहास के बिखरे पन्नों से रानी अवंतीबाई लोधी का इतिहास  इकट्ठा किया और रानी को समाज के सामने प्रकाशित किया है । मध्य प्रदेश के जवलपुर  आदि शहरो मे स्मारक के रूप मे रानी अवंतीबाई की प्रतिमाए स्थापित हुई है । भरतिय डॉक विभाग ने भी सन 2001 मे रानी अवंतीबाई लोधी के नाम पर डाक टिकिट  जारी किया था ।  मध्य प्रदेश् के शिक्षा पाठय क्रम मे भी  रानी अवंतीबाई लोधी पर  पाठ  जोडागया है ।
रानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 1831 मे मध्य प्रदेश के सिवनी जिले मे मनकेडी गाव के जमीदार जुझार सिह के घर हुआ था । उनका विवाह रामगढ (मडला ) रियासत के राजकुमार बिक्रम सिंह के साथ हुआ था । जव बिक्रम  सिंह राजा बने  तो वह धार्मिक प्रवृती के होने के कारण  अपना  समय पूजा पाठ मे अधिक लगाते थे एसी स्थित मे रानी ही राज्य सभालतीं थी उनके दो पुत्र थे ।
सन1952 मे अंग्रेजो ने. कोर्ट अॉफ  अवर्डस ' कानून के तहत राजा बिक्रम को पागल और बच्चों को नाबालिग घोसित कर रामगढ रियासत पर अधिकार करने लगे जिसका रानी ने बिरोध किया ।1954 के आसपास राजा विक्रम की स्वभाविकमृत्यू हो गई ।
सन 1858 मे अग्रेजो ने युद्ध करके रामगढ का किला पर कब्जा कर लिया ।रानी अवंतीबाई ने पढोसी राजाओ के पास शरण ले ली और जमीदारो एवं पढोसी राजाओ के साथ मिलकर  अंग्रेजो के बिरुध 'देवहागढ' युध किया । इस युद्ध मे रानी अपनी तलवार से अंत तक  अंग्रेजो को काटती रही ।रानी घोडे पर बैठकर लड रही थी ।यह युद्ध एक पखवाडा चला पर रानी ने हार नही मानी जव रानी के पास गिने चुने सेनिक ही बचे तब रानी ने समझ लिया कि अब जरूर  अंग्रेज  उसे बंदी बना लेगे । इससे पहले की रानी को दुश्मन बंदी बनाते ' रानी अवंतीबाई ने अपनी ही तलवार से वीर गती पा ली ।
मध्य प्रदेश के मंडला मे नारायणगंज के पास रानी अवंतीबाई लोधी का किला आज भी है । जो रामगढ का किला के नाम से जाना जाता है । उस समय रामगढ रियासत का विस्तार अमरकंटक तक था । अब  इस राज का बहुत सा भाग नर्मदा नदी पर बने बरगी बॉध के पानी मे डूव जाता है । 
मध्य प्रदेश सरकार इस किले को पर्यटन स्थल  का स्थान बनाकर बहुत सी बिदेशी मुद्रा कमा सकती है  । क्योंकि इस किले के पास बरगी डेम का पानी होने से इस किले की सुंदता को चार चॉद लग जाएगे ।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2016

लोकगीत गायक: देशराज पटैरिया ।

बुंदेलखंडी लोकगीत संम्राट देशराज पटेरिया का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के गॉव 'तिटानी ' मे हुआ । वह  अपनी यूवा अवस्था से ही अपने अस पडोस के गॉवो मे भजन कीरतन के कार्यक्रम करते रहते थे ।उनकी सुरीली आवाज के कारण लोगो को उनका गायन पसंद आता था । देशराज ने अपने गुरु अमरनाथ से लोकगीत गायन सीखा । सन 1976 मे देशराज ने बुंदेलखंडी लोकगीत गाना आरंभ किया । इसके बाद  उनके गीतो और भजनो का प्रशारण  आकाशवाणी छतरपुर से होने लगा । और फिर कन्हैया केसिट कंपनी ने उनके गीतो के रिकार्ड केसिट के रूप मे बाजार मे उतारे तो कन्हैया केसिट धढल्ले से बिकने लगे ।और देशराज पटैरिया अपने गीतो को ले कर पूरे भारत मे छा गये ।

आज देशराज पटैरिया बूढे हो चुके है पर  उनकी आवाज मे अभी भी जादू है । पर  अब वह बहुत कम स्टेज सो करते है ।फिर भी नवरात्र के समय  उनके पास सेकडो आफर  आते है ।आज देशराज छतरपुर मे रहते है ' उनहे छतरपुर मे कन्हैया केसिट वालो ने मकान उपहार मे दिया है ।उनका एक मकान भोपाल मे भी है जहाँ वे कभी कभार ही रहते है ।दूरदर्शन भोपाल से उनके कार्यक्रम प्रशारित होते रहते है । उनके हर स्टेज सो मे भारी भीड जमा होती है ।यूपी और मध्य प्रदेश मे तो लोग देशराज के लोकगीतों के दीवाने है ।उन्के कार्यक्रम मे मैने खुद लंगडो को नाचते देखा है । उनका हरदोल चरित्र भजन सुन कर पत्थर दिल लोग भी रौ पडते है । और  उनके लोकगीत सुनकर बूढे भी जवान हो जाते है ' उनके चुटकुले सुनकर रोतेहुए भी हसने लगते है । देशराज के लोकगीत फिल्मी गीतों को भी पीछे छोड देते है । देशराज पटैरिया ने अपने 50 साल के गायकी के सफर मे लगभग दो सौ भजन  और बुन्देली गीत गाये है । वह सभी सुपर हिट रहे है ।

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार ।

इस समय भारत के बाजारों मे विदेशी वस्तुओं की भारी भीड है ' खासकर चाइना की वस्तुओं की भारत के बाजार मे रोजाना अनुमानित 10778 डालर की बिक्री होती है ।चीन हर साल भारत मे लगभग 62 अरब डालर की वस्तुओं का निर्यात करता है ।जवकि भारत चीन को कुल 12 अरब डालर का निर्यात करता है । भारत एक बहुत बडा बाजार है और  आज भारत के बाजार मे चीन के माल की भरमार है ।made in china  के बने सामानो मे सबसे जादा इलेक्ट्रॉनिक आइटम है जैसे _ टेवलेट ' मोबाइल ' लैपटॉप ' टीवी ' टार्च ' झालर बाली लाइटें आदि ।अन्य वस्तुओं मे चाइना के बने कपड़े 'जूते और साथ ही गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति भारत मे बहुत पसंद की जाती है । यह सभी चीनी वस्तुएं भारत की वस्तुओं से काफी सस्ती होती है ' पर यह चीजे घटिया क्वालिटी की होने के कारण जल्दी ही खराव हो जाती है ।भारत मे चीनी माल की कोई गेरंटी बारंटी नही दी जाती ।
चीन पाकिस्तान का पक्छधर है '  इसलिए भारत के लोग चीन से नाराज़ है और  उसे सवक सिखाने के लिए चीन की वस्तुओं के बहिष्कार की मुहीम चलाले पर विचार कर रहे है । क्योंकि चीन को चोट पहुँचाने का यह  एक कारगर  उपाय है ।
विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से स्वदेशी को बढावा मिलेगा ।आगामी सालो मे मेक  इन  इंडिया के माध्यम से यह वस्तुए भारत मे ही बनने लगेगी । जिससे रोजगार के अवसर  अधिक पैदा होगे ।स्वदेशी अपनाने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी । और देश का विकास होगा ।देश का पैसा देश मे ही रहेगा ।
                                         ⌚        MADE IN INDIA👗👕👜

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2016

भारत विरोधी बयान ।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरील ने कल  एक विडियो संदेश मे देश के खिलाफ ब्यान दिया 'की भारत सरकार को 'सर्जीकल स्टाइक ' का सबूत देना चाहिए ।उनहे सेना पर भरोसा नही ' एसा कह कर केजरीवाल पाकिस्तान को भारत पर सवाल उठाने का मोका दे रहे है जो सरासर देश हित मे नही है ।

संजय निरूपम _आज कॉग्रेस के एक नेता सजय निरूपम ने भी एसा ही देशद्रोही ब्यान टयूटर पर दिया है । उनका कहना है कि यह ' सर्जीकल स्टाइक ' फर्जी है । सरकार  इसका सबूत दिखाए ।

सलमान खान _ पिछले दिनो अभिनेता सलमान खान ने भी देश के बिरोध मे कहा था की पाक कलाकार आतंकबादी नही है ' पर  इसका सबूत नही दिया था  जवकी उन्हें देश पर मरने बाले सैनिको का दुख होना चाहिए था पर नही ' इससे जादा दुख  उन्हें विदेशी कलाकारो के जाने का हुआ ।
इन देशद्रोही ब्यानबाजो को सबक सिखाए सरकार चाहे वह मुख्य मंत्री हो या फिर कोई नाचने गाने बाला फिल्म कलाकार ।
देश  आतंकबाद से लड रहा है ' आए दिन सेना के जवान मर रहे है ।और  एसी स्थित मे लोग जो मुह मे आता है बोल देते है ' शर्म की बात है ।
 कपिल मिश्रा _ दिल्ली के एक कार्यक्रम के दोरान केजरीवाल के जल मंत्री का विवादित बयान? उन्होंने महबूबा मुख्ती से पूछा की क्या बुढानवानी आतंकी था या नही ?
ओमपुरी ःअभिनेता ओमपुरी ३ अक्टूबर को एक टीवी सो के दोरान शराव के नशे मे शहीद सैनिको के बारे मे कहने लगे की मरते है तो सेना मे जाते ही क्यों है ।ओम के इस ब्यान पर देश भर मे लोगो ने ओमपुरी के उपर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की बात कही 'एक दो जगह  उनके खिलाफ शिकायत भी लिखाई है । इस बात से घवरा कर  ओमपुरी 4 अक्टूबर को दिनभर मिडिया के सामने हाथ जोडकर बार बार माफी माग कर शरमिंदा हूए ।

चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन ।

पेंटर  एम एफ हुसैन के नाम से जाना जाने बाले चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन का जन्म 15 सितंवर ?1915 मे भारत के महाराष्ट्रपंढरपुर मे हुआ था ।मॉ के दिहांत के बाद हुसैन अपने बालिद के साथ  इंदोर जले गए जहाँ उन्होने स्कूली पढाई की । हुसैन शोकिया तोर पर प्राकृतिक दृश्य बनाते थे । 1935 मे हुसेन बंबई चले गए और पैसे कमाने के लिए छोटे मोटे काम करने लगे ' पर  उनका मन तो कुछ  और ही नय करना चाहता था ।हुसेन ने कुछ कलाकर  एवं चित्रकारो के साथ मिल कर  एक  आर्ट ग्रुप बनाया ' उनकी पहली चित्र प्रदर्शनी ' सुनेहरा ससार ' बम्बे आर्ट सोसाइटी मे प्रदर्शत हुई ।
इसके बाद हुसैन ने एक घॉस के मैदान की सबसे बडे आकार की पेंटिंग बनाकर  अपना नाम गिनिज बुक मे खिला लिया ।  उनकी कार पर गोपियो के चित्र बने थे । जिसे देखकर कोई भी कह सकता था की यह किसी चित्रकार की कार है ।

एम  एफ हुसैन पहली बार प्रकाश मे अए जब  उनकी चित्र प्रदर्शनी ज्यूरिख मे लगी थी । इसके बाद  उनकी प्रदर्शनी अमेरिका यूरोप  और  अन्य देशो मे भी लगी । उनकी एक पेंटिंग 16 लाख डॉलर मे बिकी थी ' अब हुसेन  बीसवीं सदी के सबसे महगे भारतिय चित्रकार बन गए थे । भारत सरकार ने एम  एफ हुसैन को 1955 मे पदमश्री और 1991 मे पदमविभूषण पुरुस्कार से नवाजा था ।
मकबूल फिदा हुसैन का एक रूप फिल्म निर्देशक का भी था ' 1967 मे उनकी फिल्म ' थ्रू दा अॉइज  अॉफ  ए पेंटर ' आई ।फिर  उनकी फिल्म ' गजगामनी ' आई जिसमे अभिनेत्री माधुरी दीक्षित थी ' इसके बाद हूसेन ने दो तीन फिल्म और बनाई ।
मकबूल फिदा हुसेन को सुर्खीयो मे आने की महारथ थी ' इस कला मे हुसेन बहुत निपुण थे  ।वह बडी बडी हस्तियों के साथ नजर  आते थे ।सन 1971 के साओ पावलो कार्यकृम मे हुसेन साहब को मशहूर चित्रकार पिकासो के साथ  आमंत्रित किया गया था । उस समय  एक संस्था ने एम  एफ हुसैन को दुनिया के सबसे अधिक फेमस मुसलमानों की सूची मे सामिल किया था ।
विबाद 
1996 मे मकबूल हुसैन पर हिन्दु देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाने का आरोप लगा ' जिसमे उनके खिलाप न्यायालय मे सौ के लगभग मामले दर्ज हुए थे । पर हुसेन खजुराहो के मंदिर का तर्क देकर किसी भी तरह बच निकले थे 
इसके बाद हुसेन  एक बार फिर समाचार पत्रो मे छपे जब  उन्होंने अभिनेत्री माधुरी के नंगे चित्र बनाने की घोषणा कर दी ।
2006 मे मकबूल फिदा हुसेन पर फिर  एक बार भारत माता का नग्न चित्र बनाने का आरोप लगा ' इस मामले से बचने के लिए आखिर हुसेन को भारत छोडना पडा और वह लदन चले गए ' फिर  उन्हें कतर की नागरिकता मिलगई  2011 तक चित्रकार  एम  एफ हुसैन ' कतर देश मे रहे । 9जून2011 को  लंदन के एक  अस्पताल मे दिल का दोरा पडने से मकबूल फिदा हुसेन की मोत हो गई । उनके बनाए गए चित्र  पिकासो की तरह कुछ हटके होते थे  इसलिए वह बिवादो मे आ जाते थे । एम  एफ हुसैन को भारत का पिकासो कहा जाता है । आज भी कलॉ के संसार मे एम  एफ हुसेन को याद किया जाता है

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।