सोमवार, 28 दिसंबर 2015

सोना बनाने की तकनीक ।

सोना
इस जगत मे मनुष्य के लिए कुछ भी करना संभव है ।भारत प्राचीन काल से ही खोज के मामले मे विश्व मे आगे रहा है । जव भारत को सोने की चिडिया कहा जाता था उस समय भारत मे अटूट सोना था।आज भी भारत मे सोने के खजाने है ।पर  इतना सोना भारत मे आया कहॉ से होगा ।जरूर उस समय भारत मे सोना बनाने की कृतिम तकनीके विकसित रही होगी ।जिनसे सोना बनाया जाता होगा ।
सोना बनाने की प्राकृतिक बिधि -इस बिधि की जानकारी कुछ  इस प्रकार मिलती है कि सोना मिट्टी या सुन्हरी रेत' जो कही कही जमीन पर पाई जाती है ' जिसमे सोने के कण होते है ।एसी रेत या मिटटी से प्रक्रियाओं के दुआरा सोने के कण  अलग करके सोना बनाया जाता है । टनो मिटटी साफ करने पर  एकाध तोला सोना बनता है ।
दूशरी सताब्दी मे जन्मे रसायनाचार्य नागार्जुन रचित पुस्तक 'रसरत्नाकर' मे रसायनो के प्रयोग से धातुओं को दूसरी धातुओं मे बदलने की बिधियॉ बताई गई है । जिनमें बिभिन्न धातुओं को सोना' चॉदी' रजत' मे बदलने का भी उल्लेख मिलता है । कुछ  और ग्रंथो मे भी सोना बनाने संबंधी जानकारीयॉ मिलतीं है ।लेकिन पुरानी संस्कृत भाषा मे श्लोक होने से शब्दों का सही सही अर्थ निकाना कठिन है । मोटे अर्थ मे सोना बनाने की आधी अधूरी कुछ  इस प्रकार मिलती है ।जिसमें_ पारा ' गंधक ' और किन्हीं रसायन को आग मे तपाया जाता है ।और पारे को ठोस करने की कोशिश की जाती है ' जिसमे रसायन पारे को उडने से रोकते है और गंधक पारे को आपना पीला रंग देता है ।
वैज्ञानिकों दुआरा भी एसी पुष्टि की जाती है कि रसायनो के प्रयोग से धातुओं मे परिबर्तन करना संभव है ।जो भी हो पर यह कृयाए काफी कठिन और जटिल होती है ' जिनहे करने मे पूरा जीवन भी गुजर सकता है । और कूछ लोगो के बारे मे एसे प्रमाण भी मिलते है जिन्होंने सोना बनाने के चक्कर मे अपना पूरा जीवन ही खपा दिया फिर भी सफल नही हुए ।





पुराने लेखों मे पारस पत्थर का भी उल्लेख मिलता है ।कि इस पत्थर से लोहे को सोने मे बदला जाता है ।पर यह पत्थर क्या होता है कैसा होता है । इस विषय मे स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती ' कोई कहता है कि हिमालय मे पाया जाने वाला सफेद पत्थर ही पारस होता है ।पारस शब्द पारद यनि पारा से बना है ।इसलिए 'पारस पत्थर' पारे का ही ठोस रूप होना चाहिए ।

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बुधवार, 23 दिसंबर 2015

खरीददारी की सावधानीयॉ ।

बाजार मे खरीदारी करते समय ग्राहको को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखते हुए ' बस्तुए खरीदना चाहिए ।जो ग्राहक के हित मे है और  उसे हानी से बचातीं है ।
  • आज बाजार मे लोकल नकली बस्तुए ' दुकानदारो दुआरा अधिक बैची जाती है ।क्योंकि इन पर  अधिक मुनाफा मिलता है ।इसलिये वस्तु के पेकिट पर निर्माता कंपनी का पूरा पता देखकर ही वस्तुए खरीदना चाहिए । निर्माता कंपनी के आधे अधूरे पते बाली वस्तुएं लोकल और नकली होती है ।
  • वस्तु के बजन की मात्रा पर संदेह होने पर ' वस्तु को तुलना चाहिए ।फिर भी संतुष्ट न होने पर बस्तू को घर पर तोल कर देखना चाहिए ।कम होने पर सिकायत करना चाहिए ।
  • एम.आर.पी. रेट से कुछ कम मूल्य पर ही वस्तुएं खरीदना चाहिए।क्योंकि वस्तुओं को MRP Rs. से कम रेट पर ही बैचने का नियम है ।
  • वस्तुओं के पेकिट पर  अंकित वस्तु की उत्पादन तिथि और समाप्ति तिथि देखकर ही बस्तुए खरीदना चाहिए ।खास कर दबाए खरीदते समय  इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • खुल्ली बस्तुए ' जैसे- अनाज' दाले ' शक्कर ' चावला आदि जो पेकिंग मे नहीं आती । इन चीजों मे मिलावट की संभावना होती है । अतः ग्राहक को खुल्ली वस्तु की जॉच करनी चाहिए ' की  उसमे मिलावट तो नही है ।
  • दुकानदार से वस्तुओं का पक्का विल जरूर लेना चाहिए । पक्के विल मे दुकान के नाम पते के साथ टिन नं ' विल नं ' प्रिंट रहता है । सादे कागज़ एवं लेटर पैड बाला विल नकली विल माना जाता है ।
  • कुछ वस्तुओं के साथ कंपनीयॉ डिस्काउंट या उपहार देती है । जिसे दुकानदार छुपा लेते है । ग्राहक को दुकानदार से इसकी मॉग करना चाहिए ।यह  उसका अधिकार है ।
  • खरीदारी के उपरांत विल के टोटल  और बस्तुऔ  की संख्या की जॉच करना भी बहुत जरूरी है । कभी -कभी विल के टोटल मे गलती निकलती है और कभी कोई वस्तु भी विल मे जादा जुड जाती है । एसा गलती से या जानबूझ कर भी दुकानदार दुआरा किया जाता है ।
  • अपनी गाड़ी में डीजल पैटोल भरवाते समय  ग्राहक को मीटर की रीडिंग पर नजर रखते हुए रीडिंग की शुरूवात  और  अंत देखते रहना चाहिए । कभी कभी टेंक के कर्मचारी ग्रहक को चकमा देकर  उसे ठग लेते है ।
  • रसोई गैस सिलेंडर लेते समय ग्राहक को यह जरूर देखना चाहिए कि सिलेंडर कहीं लीक तो नही है । सिलेंडर लीक होने पर  उसे तुरंत बदलना चाहिए ।
           
         उपभोक्ताओं को अॉनलाइन सिकायत करने हेतु www.core.nic
.in पर लॉगिन करना चाहिए ।

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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

अमीर किसान की कहानी ।

रसएक गॉव मे  एक किसान रहता था । उसके पास चार बीघा जमीन थी ।जिस पर वह खेती करता था ।सूखी जमीन होने से वह साल मे एक ही बरसात की फसल  उगा पाता था ।और वह गरीबी दुखहाली मे अपना जीवन यापन करता था ।यही हाल  उसके पडोसी किसानो का था ।
इस किसान ने अपने खेत के कोने मे एक तालाव बनवाया '' और फिर खेत मे पानी की व्यवस्था होने पर वह  उसी खेत मे एक साल मे चार फसलें लेने लगा ।एवं तालाव का पानी पडोसी किसानों को भी बेचने लगा । इसके बाद  इस किसान ने तालाब मे मछलियों को पालने का काम भी शुरू कर दिया। इसके साथ ही उसने पशु पालन के रूप मे कुछ भैंसै भी खरीद ली ' जो खेत का खरपत्वार खाती और तालाब का पानी पीकर मस्त रहती ।किसान इनका दूध बेचता ।इनके गोबर को खाद के रूप मे खेत मे डालने से फसल भी अच्छी पेदावार देती । अब  अकेला किसान इतने काम करने मे अपने आप को असमर्थ महसूस करने लगा ।इसलिए उसने अपना गॉव का मकान बैच कर ' खेत पर ही घर बना लिया ।और  अपने परिवार सहित खेत पर ही रहने लगा ।अब  उसके परिवार के लोग भी कामों मे उसका हाथ बटाने लगे ।अब  इस किसान ने खेत मे तालाब के पास कुछ जगह पर सब्जियां उगाने का काम भी आरंभ कर दिया । जिससे घर का सबजी का खर्च चलने के साथ ' सब्जियों के बिकृय से आय भी होती ।
अब  इस किसान के सामने सबसे बडी परेशानी यह थी की वह मवेशियो से खेती की रक्षा कैसे करे । और फिर  उसने अपने खेत की चारो मेंडो पर फलदार पेड़ लगाए ' दो साल बाद पेड कुछ बडे होने पर ' पेडो के सहारे खेत के चारो ओर कॉटेदार तार खींच दिया । अब किसान को खेत की सुरक्षा के साथ ही पेडो के फलों से भी अतिरिक्त आय होने लगी ।और  अब  इस किसान ने खेती के साथ होने बाले सभी सहायक धंधे आरंभ कर लिए । अब यह किसान दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करने लगा ।और देखते ही देखते कुछ ही बर्षो मे एक  अमीर आदमी बन गया ।


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गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

जागरूकता से खरीददारी ।धन बचत ।

मित्रो हमारी आय का बहुत बडा हिस्सा बस्तुओ की खरीद पर व्याय होता है ।जैसे _खादय समान 'कपडे 'बतृन' वाहन 'आदि और न जाने क्या -क्या ।आज हमारी हर छोटी बडी जरूरत का सामान बाजार मे उपलब्ध है। जब हमे जिस वस्तू की जरूरत होती है 'हम  उस वस्तू को तुरंत बाजार से खरीद लाते है ।और  उसका उपयोग करने के बाद  अगले दिन  उस वस्तू को भूल जाते है ।क्योकि वह वस्तू दूसरे दिन हमारी नजर मे पुरानी हो जाती है ।
पर क्या आपने कभी यह  आकलन किया है ।कि हम जो वस्तुए खरीदते है ।उनका हम  पूर  उपयोग  भी कर पाते है 'या नही ।  क्या हमारे पैसे का सही स्तमाल हुआ या नही ।
यह जानने के लिज  आप एक लिस्ट बनाए । माह की एक तारीख से तीस तारीख तक हर रोज  आपके घर मे जो भी वस्तू  खरीद कर लाई जाए उसे आप  इस लिस्ट मे नोट करते जाए ।अब  एक महिने बाद  आप  इस लिस्ट को जँचे 'आप पाएगे कि उन वस्तुओ मे से लगभग 50% वस्तुए बेकार सावित हुई 'जिनका आप पूरा उपयोग नही कर पाए । आपका पैसा पानी मे गया । इस लिस्ट मे बेकार पाई पाई गई वस्तूओ मे अधिक वस्तुए वह होगी ' जो बच्चो के दुआरा या महिलाओ के दुआरा खरीदी गई थी । क्योकि महिलाए और बच्चे खरीद फरोखत मे कच्चे होते है ।उनहे पैसे की अहमियत पता नही होती है'  क्योकि वह कमाते नही है ।इस बात को समदने के लिए 'आपने वह कहानी जरूर ही पढी होगी _एक बाप  अपने बेटे को एक रुपया देकर 'उससे कहता हे -जा इसे कुए मे फेक  आ 'बेटा फेक  आता है 'फिर बाप कहता है 'एक रुपया कमा कर लाओ 'तब बेटा अपनी मँ से एक रुपया ला कर बाप से कहता है-मे यह ले आया ।बाप फिर बेटे से कहता है -जा इसे कुए मे फेक  आ । बेटा एसा ही करता है ।दुशरे दिन बाप पत्नी को मायके भेज देता है ।और फिर बेटे से कहता है -आज तुम दो रुपये कमा कर लाओ नही तो शाम को तुमहे खना नही मिलेगा और पटाई होगी । आज बेटा सचमुच दो रुपये कमा कर ले आता है और  अपने बाप को दिखाता है ।बाप फिर कहता है -कुए मे फेक  आ 'लेकिन बेटा इस बार  एसा नही करता 'और बाप से कहता है -यह दो रुपये कमाने मे मेरी कमर टूट गई और  आप कुए मे फिकवा रहे है । नही   फेकूगा ।यह सुनकर बाप खुश होत है 'और बेटे को साबासी देता है ।
सॉपिंग के टिप्स
(1) बच्चो व महिलाओ के साथ  जा कर खरीददारी कराए ।
(2)M R P  से भी कम रेट पर वस्तुए खरीदे ।
(3)  गारंटी वारंटी के साथ वस्तू का पक्का विल दुकनदार से लेना न भूले ।
(4)अपनी पसंद से सामान खरीदे 'दुकानदार की न माने 'वह कहेगा_हय सामान  उससे भी बढिया है 'घटिया हो तो बापस कर जाना 'क्या हमने आपको कभी घटिया माल दिया नही न ।घर की बात है  आदि कहकर वह  आपको उल्लू बना देगा ।
(5) चतुराई से मोल भाव करे ।सबसे पहले वस्तू पसंद करे 'फिर कीमत पूछे 'दुकनदार रेट बताएग 'दुवारा पूछे _सही सही  बताईए या फिक्स बताए 'वह  आप से कहेगा आच्छा कितना दोगे 'पर  अभी आप  अपनी बात न बताए 'बरना ठगा जाएगे'' अब वह दुबारा कुछ कम रेट वताएगा ।अब  आपकी बारी है उसके बताए रेट से आधा कीमत लगा कर खडे हो जाए और फिर  आखरी कीमत लगा कर चलते बने । अब दुकनदार  असलियत पर आ जाएगा ।
(6) आज  अॉनलाइन सॉपिंग लाभ का सोदा है। घर बैठे सामान खरीदना 'और डिजिटल मनी से पेमेंट करना इसमे समय  और धन की बचत होती है। पर पूरी जनकारी लेने के बाद ।
(7)मोल करे तलबार का पडी रहन दे म्यान _यनी पेकिट की चमक दमक नही अपितू वस्तू की गुणबत्ता देखे ।
(8) कपडा खरीदने के लिये सबसे करगर रम बाण टिप्स_जब सुबह दुकनदार  अगरबत्ती लगा कर दुकान पर बेठे' ' तभी आप पहले गाहक बन कर पहुचे 'और कपडा पसंद करे 'फिर कीमत पूछे ' जबाव सुनकर 'कहे महगी है हम नही ले पाएगे और बापस  आने लगे । तब वह  आपसे कहेगा 'आप पहले गाहक है आप भगबान है । बोनी न बिगाडे ।और  आपको 100% सच रेट बताएगा' और खरीद रेट से केवल 10 या 5 रुपये ही जादा लेगा  ।
अजी दुकानदार को छोडो 'झूठ का धंधा करने बाले बकील भी सुबह  अपने पहले क्लाइट से एक बार सच  जरुर बोलते है । इनके अपने उसूल होते है ।जिनका हमे लाभ  उठाना चाहिए ।
जय सुभ_लाभ ।
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सबसे मेहगे मेवा की खोज ।

एक भारतीय दुर्लभ मेवा ।
उच्च कोटि के भारतीय मिष्ठानो मे प्रयोग किया जाने वाला एक बिशेष प्रकार का मेवा होता है ।जो महगे स्वीटस  आइटम एवं आइसक्रीम आदि मे सिर्फ आधा तुकडा ही देखने को मिल्ता है । यह मेवा दिखने मे भूरे रंग का ' कॉटे जैसा होता है । इसका स्वाद कसेला होता है । इसे मिठाई यो मे देखकर ब्यक्ति  आश्चर्य मे पड जाते है और सोचते है ।आखिर यह है क्या चीज फिर सोचते है । शायद कोई विदेशी बहुत मेहगा मेवा होगा ।और लोगो को भ्रमित करने के लिए ही इस मेवे का उपयोग मिष्ठानो मे किया जाता है । यह मेवा स्वाद मे भले ही कसेला होता है । पर  इसमे औषधीय गुण भी होते है ।
आम तोर पर व्यापारी इस मेवे को ऊची किस्म का ' चिलगोजा ' बताते है । पर यह चिलगोजा नही होता है ' क्योंकि चिलगोजा चीड के पेड के फल की गिरी को कहते है जो  आकार मे इससे मोटी एवं पूरी साबुत बिजी होती है ।
यह विशेष प्रकार का नया मेवा  है ' इसका बाजार भाव 2000रू प्रति किलो के लगभग होता है ।दरशल यह मेवा कुछ  और नहीं वल्कि अर्जुन के पेड के फल की गिरी है ।यह पेड भारत मे बिहार एवं मध्य प्रदेश मे नदियों और नालों के किनारे सबसे जादा पाया जाने वाला पेड है । जो 15 प्रजातियों मे पाया जाता है । इस पेड का बीज बहुत ही मजबूत होता है जिससे गिरी निकालना बहुत कठिन कार्य होता है । इसलिए इसे काटने पर गिरी भी साथ मे कट जाती है । काटने के आलावा गिरी निकालने का कोई उपाय नही होता है । यह काम काफी कठिन और जटिल होता है । एक फल मे एक ही गिरी पाई जाती है । अधिकंश फल खाली निकलते है जिनहे काटने की मेहनत बेकार ही जाती है । इन्ही सब कारणों से इस मेवा का उत्पादन कम होता है  एवं माग जादा' इसलिए यह मेवा मेहगा होता है । अगर भबिश्य मे  इस बीज से गिरी निकाने की कोई नई तरकीब निकाल ली जाएगी । तभी यह बहूमुल्य मेवा प्रचलन एवं प्रकाश मे आएगा ।

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शनिवार, 12 दिसंबर 2015

कृषि एवं व्यापार संबंधी हिंदी वेबसाइटे ।

रोजगार'व्यापार' नोकरी और खेती बाडी की जानकारीयो का खजाना हिंदी भाषा मे पढने हेतु नीचे लिंको पर क्लिक करें ।
आर्थिक एवं करियर की जानकारीयो के साथ ही व्यापार जगत के समाचार'रोजगार समाचार और खेती किसानी की जानकारी हिंदी भाषा मे है । 🎆 शुभ लाभ की प्रस्तुति ।🎆








इस लेख मे व्यापारी और किसान भाईयो के लिए हिंदी की कुछ चुनिंदा वेबसाइटों के लिंक  और पते दिए जा रहे है ।
जहाँ खेती और व्यापार से संबंधित जानकारीयॉ हिंदी भाषा मे उपलब्ध है ।

खेती से जुडी हिंदी वेबसाइटे
1~कृषि एवं पशुपालनwww.indg.in/agriculture/agriculture/hindi/

2~कृषि सेवाwww.krishisewa.com

3~इंडिया वाटर पोर्टलhindi. indiawaterportal. org

4~म. प्र.कृषिwww.mpkrishi.org

5~ यू.पी.कृषिagriculture. up.nic.in

6~कृषि मिशनkrishimis.in

7~म.पृ. शासनwww.mphorticulture.gpv.in

8~झरखंड कृषिwww.jharkhand. gov.in

9~नावार्डwww.nabard.org

10~हिंदी इंटरनेटwww.hindiinternet.com/kisan
व्यापार संबंधित हिंदी वेबसाईटे
1~मनी मंत्रmoney mantra.net.in
2~नफा नुकसानwww.nafanuksan.com
3~मोल तोलwww.moltol.in/hindi
4~मनी भास्करm.money. bhaskar. com
5~विजनस भास्करepaper. businessbhaskar. com
6~रोजगार समाचारwww.rojgaar smachrhindi.in
7~ औलेक्सwww.olx.in/hindi/i2
8~हिंखोजwww.dir.hinkhoj.com
9~पैसा बाजारwww.paisa bazaar. com
कृषि और व्यापार संबंधित हिंदी ब्लॉग
1~सीतामणीseetamni.blogspot. in
2~खेती किसानीkheti-kisani.blogspot. com
3~समाज दर्पणaanjana.blogspot. in
4~सोदा बाजारsaudabazaar.blogspot. in
उधयमी हेल्पलाइन भारत सरकार 18001806763 टोल फ्री पर जानकारी पाएं ।

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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

वित्त संबंधी पुरानी कहावते ।

आर्थिक विषय पर पूर्वजो का शोध पुरानी कहावते । शुभ लाभ की प्रस्तुती ।
(1) बाप भला न भैया' सबसे भला रूपाइया । (2) सस्ता रोए बार बार ' मेहगा रोए एक बार । (3) खेती करें बंजी जाए ' दो मे से एक न पाए । (4) बंद मुटठी लाख की 'खुली मुटठी खाक की । (5) जिंदा हाथी लाख का ' मरा सबा लाख का । (6) पैसा न धेला ' बहू चली मेला । (7) हाथ न कोडी ' नाक छिदान दोडी । (8) नौ नगद ना तेरह उधार । (9) चोखा लेना ' चोखा देना । (10) लेना एक न देना दो । (11) आज नगद ' कल उधार । (12) पैसा फेको ' तमाशा देखो । (13) आम के आम ' गुठली के दाम । (14) जो दिखता है ' वो बिकता है । (15) गरीब की लुगाई ' सब की भोजाई । (16) खरचा रूपया ' अठन्नी आय । (17) घर की आधी भली ' बाहर की पूरी बुरी । (18) हेल्थ इज दा बेल्थ ।(अंग्रेजी कहावत) (19) धरती खोदे धन मिले ' मित्र मिले परदेश । (20) जो देन जानता है ' वो लेना भी जानता है । (21) धर का दाम खोटा ' परखईंया को दोष । (22) कठिन चाकरी ' भीख निकाम । (23) पहला सुख निरोगी काया ' दुजा सुख घर मे माया । (24) कुछ पाने के लिए ' कुछ खोना पडता है । (24) जैसा काम ' बैसा दाम । (25) पैसे की कदर है ' बाकी सब गदर है

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मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

अमीरी के लोभ मे लुटते है लोग ।











यदि किसी आदमी से सौ रूपये मागे जाते है ' तो वह देने से मना कर देता है  । और  अगर  आदमी को  लाखो रूपये के फायदे की कोई झूटी तरकीब का विश्वास देकर ' हजार रू भी मागे जाए तो  25%  लोग देने को तैयार हो जाते है ।
क्योकि हर  आदमी धन पाना चाहता है ।  आदमी की इस कमजोरी का फायदा  उठाते है कुछ जायदा होशियार लोग । जो  तंत्र ' मंत्र ' यंत्र ' टोटको आदि से लोगो को अमीर होने का झूठा भरोसा दे कर ' उनसे खूब पैसा एठते है । इस प्रकार की ठगी के धंधे आज खूब फल फूल रहै है । जिनमे कोई हनुमान यंत्र बैच रह है ' तो कोई कुबेर कुंजी बैच रहा है । कोई बरकत लॉकिट तो कोई धन बर्षा यंत्र बैच रहा है । कोई गुरू फाइल बना रहा है ' तो कोई बाबा कऊए को खीर खिलाने का उपाय बता रहा है । और कोई बास्तू शास्त्री घर पर मनी प्लांट की बेल से धन पाने का तरीका बता रहा है ।
बडे दुख की बात है कि आज के इस बेज्ञानिक युग मे भी लोग  इन  अंधविश्वासो के चक्कर मे पड रहे है और  अपनी मेहनत का पैसा  इन धातुओं के तुकडो पर खराब करते है । जो सरासर झूठ होते है । अगर  इन सभी धन देने बाले  यंत्रों को आदमी अपने गले मे लटका कर हाथ पर हाथ रखकर बैठा रहे और कुछ भी काम धंधा न करे ।  और फिर  इन यंत्रों के दुआरा धन  आए ' तब माना जाएगा कि इनमे शक्ति है । बरना यह सब बकवास एवं बेकार की बातें है ।
मेरे पडोसी के यहाँ पॉच साल से मनी प्लॉट की बेल लगी है । आज तक  उसमे मनी फलने की बात तो दूर  एक फूटी कोडी तक नही फली है ।
बगेर कर्म के कुछ भी नही पाया जा सकता है ।

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सोमवार, 7 दिसंबर 2015

जीवन मे काम धंधे का महत्व ।




सारी दुनिया के संपूर्ण ज्ञान सार यह है कि _ भोजन मुफ्त मे नही मिलता "  इसलिए मनुष्य को अपने जीवन मे कुछ न कुछ काम धंधा करना अनिवार्य होता है ।

कर्म  प्रधान विश्व कर राखा' जो जस करे सो तस फल चाखा ।
अर्थात - संसार मे कर्म  ही सबसे बडा माना गया है । जो आदमी जैसा काम करता है ' उसे उसका बैसा ही फल मिलता है ।
काम का फल नही छुटता फल मिलना तो अटल है । क्योकि  कर्म  से फल बधा होता है । इस संसार मे  सबकुछ है 'परंतू  बिना करम किए कुछ भी पाना असंभव है ।
एक बिचारक ने कहा है _ आदमी का दिमाग जिन चीजों को सोच सकता है ' आदमी उन चीजों को पा भी सकता है ।

                      " अपना हाथ जगन्नाथ "
युवक को अपने 18 साल का होने पर  अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लेना चाहिए । कि उसे अपने  जीवन मे क्या करना है ।  अपनी रुचि और  इक्छा के अनुसार मनपसंद काम धंधे का चुनाव करना उचित होता है ।  जिसमे मॉता पिता को भी अपने युवा बच्चों  के उपर काम के विषय मे अपना निर्णय नही थोपना चाहिए । कि उनहे डॉ  बनाना है या पायलट बनाना है । क्योंकि इसके दुष्परिणाम सामने आते है । कुछ मॉ बाप बच्चों को अपने आदेश  से काम धंधा करवाते है । जिससे युवा अपने रूचि बाले काम धंधे न कर पाने से कुठित होकर हिसक प्रवृति के बन जाते है । उदाहरण के लिए हिटलर  अपने बच्चन मे चित्रकार बनना चाहता था पर  उसके मॉ बाप ने उसे नही बनने दिया । फिर बडा होकर हिटलर ने जो किया उसे दुनिया जानती है । विश्व युद्ध ।

आज की युवा पीढ़ी आलसी स्वभाव की है  जो शारीरिक श्रम के काम करना कम पसंद करती है । आराम के या दिमाग से काम करना अधिक पसंद करती है । जिसमे आज की शिक्षा का दोष है ।  कुछ युवा अपनी शिक्षा पूरी करने के उपरांत यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद  अपने जीवन का लक्ष्य बनाते है और  फिर कामकाज करना आरंभ करते है ।
और कुछ युवा एसे निठल्ले होते है जो कुछ भी काम धंधा नही करते और  अपने बाप की कमाई पर ही रंगरलियॉ  मनाते रहते है । एसे युवा अपनी शादी होने के कुछ दिन बाद ही लाइन पर  आते है एवं फिर  अॉखे खुलने पर ही काम धंधे का मार्ग अपनाते है । जो जादा सफल नही बन पाते । क्योंकि यह लोग बाढ  आने के बाद नदी पार करना शुरू करते है जिसमें बहने के चान्स जादा रहते है । पार लगने के बहूत कम ।

दुनिया मे कुछ लोग  एसे भी होते है जो मुफ्त मे कडी मेहनत का काम करना भी पसंद करते है ।
उदाहरण :  मुझे बाजार मे लोहे की दुकान पर  एक 70 साल का बूढा मिला जो मुफ्त मे लोहा उठाने का काम करता था । और वह  रिटायर्ड पुलिस अॉफीसर था जो समय पास करने और शरीर की कसरत के लिए यह काम करता था ।
सोना उठाने का काम होता तो भी ठीक था ' पर लोहे का काम ' और एक धन संपन पुलिस आधिकारी ' वह भी मुफ्त मे ' है न  अचरज की बात ' पर दुनिया मे पागलो की कमी नही है मित्रों  एक ढुडो हजार मिलते है ।

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समय रूकने के प्रमाण एवं चमत्कार ।

🚁 ⛅ 🚠 पोराणिक कथाओं मे एसे और भी प्रमाण मिलते है । जो सच है या झूठ यह तो हम नही कह सकते पर हम  अपने अनुसार समय की व्याख्या जरूर कर सकते है । जो हमे आभास होता है । जैसे  समय हम सभी इंसानों के कभी कभी अचरज मय  और चमत्कारी सा लगता है । जैसे कि सयम का हर छण नबीन होना ' कभी कभार समय का एक सेकिंड सदियों सा लगता है ' और कभी एक साल भी एक दिन के बराबर लगता है ।  इस पूरे वृहमाण्ड मे मनुष्य ही एक  एसा प्राणी है जो समय से पीडित है । बाकी सभी जीवो के लिए समय का कोई महत्व नही है ।
समय की हकीकत तो यह है '  समय' शब्द के अर्थ  से  उजागर हो रही है ' जैसे _ सम+ य = समय ा  याने कि समय  सम है ' स्थर है । न कही जाता है और न कही से आता है । स्थर रहते हुए ही इलेक्ट्रॉन की तरह गोल घुमता हुआ गतिशील पृतीत होता है ।
ओशो के अनुसार _ मनुष्य के जन्म मृत्यु के पार समय मापन का कोई उपाय नही होता है । समय स्केल आदमी के जन्म के साथ शुरू होता है एवं मृत्यु के साथ समाप्त । फिर भी  आसली समय हमेशा रहता है ।
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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

दुकानों की बिक्री बढाने के तरीके ।

color">दुकानों की बिक्री बढाने के उपाय और भारी लाभ कमाए ।
सॉपिंग सेंटर के काउंटर पर सुंदर महिलाऔ को बैठी देखकर ' सॉपिंग करने ग्राहक अधिक आते है ।

सॉपिंग सर्बिस सेंटरो या दुकानों किसी भी सेबा व्वसाय को चलाने के लिए उस पर ग्राहको का आना बहुत जरूरी है । बाजार का हर दुकानदार यही चाहत है कि उसके सॉप पर अधिक से अधिक ग्राहक आए और उसकी सेबा या बस्तुए खरीदें ' जिससे वह अधिक लाभ कमाए । इस उद्देश्य को लेकर दुकानदार अपनी तरफ से हर वह तरीका अपनाते है ' जिससे उनकी ग्राहकी बढे और जादा माल बिके । बाजारों मे दुकाने दुल्हन की तरह सजी 'रंगीन लाइट मे झिलमिलाती रहती है । दूकानदार ग्राहको को आकृशित करने के बिभिन्न उपाय करते है । जैसे_ ग्राहको को बैठने की उत्तम गद्देदार व्यवस्था करना ' तो कोई अपने सॉप पर आने वाले हर ग्राहक को चाय पिलाता है ' कुछ कपडे आदि की दुकानों पर सामान के साथ कपडे के थेले मुफ्त मे दिये जाते है । पर इन उपायों से ग्राहको पर कोई बिशेष प्रभाव नही पडता इन उपायो को आम बात समझा जाता है । दुकानों पर ग्राहकों की संख्या मे बढोत्री करने के लिए कुछ खास उपायों करने की जरूरत होती है । जो नीचे दिए जा रहे है । ∆ दुकान पर ग्राहक की जरूरत का सभ सामान उपलब्ध होना चाहिए । ग्राहक खली निराश होकर नही लोटना चहिए । वरना वह फिर वह कभी दुकान पर नही आता है । ∆सेबा प्रदाताओ को ग्राहको के सुझावों के अनुसार अपनी सेबा को बेहतर बनाना चाहिए । ∆ ग्राहक लाने के लिए दुकानदार को कमीशन पर एजेंट रखना चाहिए । जिस तरह दिल्ली मुम्बई के बाजारों मे एजेंटों को ग्राहक लाने पर कमीशन दिया जाता है । ∆ अपने सॉपिंग सेंटर या सेबा संस्थान के मेन काउंटर पर सुन्दर महिलाओं को बिठाया जाना चाहिए । यह ग्राहको को लुभाने का बहुत ही कारगर उपाय है । ∆अपनी दुकान पर आने वाले हर ग्राहक से मधुर व्वहार करने के साथ ही उससे विनम्रता पूर्वक कहना चाहिए कि अगर आपको हमारी सेबा एवं हमारा व्वहार अच्छा लगा हो तो कृपया दो और लोगों से हमारे बारे मे जरूर कहना । ग्राहक बढाने का यह एक राम बॉण उपाय है । ∆दुकान के बाहर मनमोहक सुगंध फेलाना चाहिए । सुगंध के प्रभाव से देवत भी वशीभूत हो जाते है । फिर तो ग्राहक मनुष्य होता है वह इससे कैसे वच सकता है ।

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गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

खेतों मे प्लास्टिक कचरे का खतरा ।

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खेतों की मिट्टी मे प्लास्टिक पोलेथिन(पन्नी) से होने वाले नुक्सान का खतरा दिन प्रति बढता ही जा रहा है। खासकर गॉव शहरो के आसपास की जमीनों पर यह प्लास्टिक कच्डा बहुत तेजी से जमा हो रहा है । समय रहते इस कच्डे से जमीनों को बचाने के उपाय नही किए गए तो आने बाले समय मे आबादी के पास वाले खेतो मे फसलें उगाना असंभव हो जाएगा ।  क्योकि यह प्लास्टिक मिट्टी मे दबने पर बहुत सालो तक नष्ट नही होता  एवं पानी को मिट्टी मे रिसने से र रोकता है और जहाँ जहाँ मिट्टी मे प्लास्टिक पोलेथिने होती है ' वहाँ फसलो के पौधे अपनी जडे जमीन मे न जमा पाने के कारण सूख जाते है ।
अपने खेतो को प्लास्टिक कचडे से बचाने हेतु ' किसानों को निम्न  उपाय करना चाहिए । जैसे _
[1]  खेतों की सतह पर पाई जाने वाली पोलेथिन पन्नियो को  एक  एक करके बिनवाने के बाद संग्रह करके जला दे ' प्लास्टिक को जलाने पर भी इससे जहरीली गैसे निकलती है । पर  इसके अलावा  और कोई उपाय भी तो नही है ।
प्लास्टिक कच्डे का निपटारा करने के बाद ही किसानो को अपना खेत बखरना चाहिए जिससे प्लास्टिक जमीन मे ना दब पाए ।
[2]   खेतो मे खाद बीज कीटनाशक आदि का उपयोग करने के बाद  इनके खाली पेकिट खेत मे इधर  उधर नही छोडे । बल्कि इनहे एक जगह  इकटठा करके नष्ट करना चाहिए ।
[3]  खेतो मे प्लास्टिक कच्डा फेकने बालो पर नजर रखने के साथ ही उन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए ।

[4]  खेतों मे प्लास्टिक बोरियो का उपयोग पानी रोकने के लिए होता है ' एवं टेरीकाट कपडे का उपयोग कागभगोडा बनाने के लिए किया जाता है । उपयोग के बाद  इनका निपटारा करना चाहिए । टेरीकॉट कपडे और प्लास्टिक बोरियॉ तो जमीन मे दबने पर दो चार फिट जमीन को खराब करते है ।

[5] अक्सर गॉवो मे यह पाया जाता है कि किसानों के घर की महिलाएँ ' पशू  मबेशियो की  सार बखरी का  गोवर  जिस कूडे के ढेर पर फेकती है ' वे उसी ढेर पर  अपने घर का कच्डा भी फेकती है जिसमे लगभग 50% प्लास्टिक कच्डा होता है । और फिर किसान इस कूडे के ढेर को अपने ट्रेकटर ट्राली मे भरकर खेतो मे डालते है । जिससे बहुत मात्रा मे प्लास्टिक खेतो मे पहुँचता है ।  जो खाद के रूप मे फायदा कम ' प्लास्टिक के कारण नुकसान जादा होता है ।
जबकि किसानों को एसा करना चाहिए कि  घर  का कूडा अलग फिकवाए । एवं  मवेशियो से पैदा होने बाला  गोवर घॉस भूसे का कच्डा  अलग ढेर पर डलवाए ' जिसका उपयोग खेतो मे खाद के रूप मे करें ।
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खेतों में प्लास्टिक कण्डे के खतरे से सावधान ।

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।