धन के अभाव मे मनुष्य की स्थिति एवं मानव व्यापार का इतिहासिक प्रमाण । राजा हरीशचंदृ की सच्ची कहानी ।
हरीशचंदृ अयोध्या का राजा था । जो महा दानी के नाम से प्रशिद्ध है । एक ऋषि ने छल से हरशचंदृ का सारा राज्य दान मे ले लिया और हरीशचंदृ के ऊपर कुछ धन का कर्ज भी मढ दिया ।
इस स्थिति मे हरीशचंदृ को अपना राज्य छोडकर ' अपनी पत्नी और बच्चे के साथ काशी जाना पडा । एवं ऋषि का बाकी धन का कर्ज चुकाने के लिए ' काशी के बाजार मे अपनी पत्नी तारा को बैच दिया ' जिस आदमी ने तारा को खरीदा था वह आदमी हरीशचंदृ के पुत्र को भी अपने साथ यह कहते हुए ले गया कि बछडा गाय के साथ ही जाता है ।पत्नी एवं बच्चे को बैचने के बाद भी जव कर्ज चुकता नही हुआ तो फिर हरीशचंदृ ने अपने आप को भी एक सूदृ के हाथो बैच कर ऋषि का रिण चुकाया । जिस आदमी ने हरीशचंदृ को खरीदा था वह आदमी काशी के मरघट का मालिक था ।और उसी मरघट मे हरीशचंदृ शव जलने का काम करता था । अपने मालिक के आदेश पर शव जलाने का कर वसूली करता था ।
इतिहास से अगर शिक्षा और प्रेरणा ही लेना है तो यह शिक्षा लो कि _एसी स्थिति होती है मनुष्य की धन के अभाव मे जहाँ एक राजा अपने पत्नी बच्चों को बैचने पर मजबूर हो गया 'और एक सूदृ का दास बन गया ।
{पुराने समय मे मानव व्यापार होता था ' आदमीऔ की मंडियॉ लगती थी 'जहाँ दास खरीदे बैचे जाते थे । राम राज्य मे भी दास खरीने बैचने की कुप्रथा थी }
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हरीशचंदृ अयोध्या का राजा था । जो महा दानी के नाम से प्रशिद्ध है । एक ऋषि ने छल से हरशचंदृ का सारा राज्य दान मे ले लिया और हरीशचंदृ के ऊपर कुछ धन का कर्ज भी मढ दिया ।
इस स्थिति मे हरीशचंदृ को अपना राज्य छोडकर ' अपनी पत्नी और बच्चे के साथ काशी जाना पडा । एवं ऋषि का बाकी धन का कर्ज चुकाने के लिए ' काशी के बाजार मे अपनी पत्नी तारा को बैच दिया ' जिस आदमी ने तारा को खरीदा था वह आदमी हरीशचंदृ के पुत्र को भी अपने साथ यह कहते हुए ले गया कि बछडा गाय के साथ ही जाता है ।पत्नी एवं बच्चे को बैचने के बाद भी जव कर्ज चुकता नही हुआ तो फिर हरीशचंदृ ने अपने आप को भी एक सूदृ के हाथो बैच कर ऋषि का रिण चुकाया । जिस आदमी ने हरीशचंदृ को खरीदा था वह आदमी काशी के मरघट का मालिक था ।और उसी मरघट मे हरीशचंदृ शव जलने का काम करता था । अपने मालिक के आदेश पर शव जलाने का कर वसूली करता था ।
इतिहास से अगर शिक्षा और प्रेरणा ही लेना है तो यह शिक्षा लो कि _एसी स्थिति होती है मनुष्य की धन के अभाव मे जहाँ एक राजा अपने पत्नी बच्चों को बैचने पर मजबूर हो गया 'और एक सूदृ का दास बन गया ।
{पुराने समय मे मानव व्यापार होता था ' आदमीऔ की मंडियॉ लगती थी 'जहाँ दास खरीदे बैचे जाते थे । राम राज्य मे भी दास खरीने बैचने की कुप्रथा थी }
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