भ्रष्टाचार ' काला धन और जाली नोटो की रोकथाम करने के लिए भारत सरकार ने 9 नवंबर 2016 से देश मे हजार और पॉच सौ के नोट का चलन बंद कर दिया है । पर फिर भी सरकारी अस्पताल ' दबा की दुकान ' किराना दुकान ' पेट्रोल पंप ' पर एवं रेल टिकट ' सरकारी बस टिकट ' हबाई जहाज टिकट आदि कुछ स्थानो पर 11 नवंबर की आधी रात तक इन नोटो का उपयोग हो सकेगा । इसके बाद हजार और पॉच सौ के नोट बैको और पोस्ट अॉफिसो मे 30 दिसंबर 2016 तक जमा होगे । जो लोग किन्ही कारणो से 30 दिसंबर तक अपने हजार पॉच सौ के पुराने नोट बैक मे जमा नहीं कर पाएगे उनहे फिर अपने परिचय पत्र दिखाकर बैक मे पुराने नोट जमा करने का अंतिम समय मार्च2017 तक दिया गया है ।पर लेनदेन मे हजार और पॉच सौ के नोट का उपयोग 9 नवंबर से ही कानूनी बद है ।
भ्रष्टाचार के मामले मे भारत दुनिया मे आज 76 वे नम्बर पर है । एवं भारत मे आज जाली नोटो का चलन आधे से भी अधिक है । यह हजार पॉच सौ के जाली नोट भारत मे पडोसी मुल्क पकस्तान से आए है जिनहे घुसपेठियो ने भारत मे चलाया है । यह जाली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे है । इन्हीं सब कारणो से भारत सरकार ने अपनी मुद्रा व्यवस्था मे सुधार करने के लिए देश मे हजार और पॉच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद कर दिया है । इनके स्थान पर नये रूप रंग के हजार ' दो हजार ' और पॉच सौ के नये नोट सरकार जल्द ही जारी करेगी ।
टालस्टाय का विचार _ टालस्टाय का मत था की दुनिया मे मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । क्योंकि सभी उपदृव की जड मुद्रा ही है । इस मत से गॉधीजी भी सहमत थे और वह चाहते थे की भारत मे भी पहले जैसी वस्तु विनियम बिधि लागू होना चाहिए । मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । पर काश एसा करना संभव होता तो दुनिया स्वर्ग बन जाती ।
भ्रष्टाचार के मामले मे भारत दुनिया मे आज 76 वे नम्बर पर है । एवं भारत मे आज जाली नोटो का चलन आधे से भी अधिक है । यह हजार पॉच सौ के जाली नोट भारत मे पडोसी मुल्क पकस्तान से आए है जिनहे घुसपेठियो ने भारत मे चलाया है । यह जाली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे है । इन्हीं सब कारणो से भारत सरकार ने अपनी मुद्रा व्यवस्था मे सुधार करने के लिए देश मे हजार और पॉच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद कर दिया है । इनके स्थान पर नये रूप रंग के हजार ' दो हजार ' और पॉच सौ के नये नोट सरकार जल्द ही जारी करेगी ।
टालस्टाय का विचार _ टालस्टाय का मत था की दुनिया मे मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । क्योंकि सभी उपदृव की जड मुद्रा ही है । इस मत से गॉधीजी भी सहमत थे और वह चाहते थे की भारत मे भी पहले जैसी वस्तु विनियम बिधि लागू होना चाहिए । मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । पर काश एसा करना संभव होता तो दुनिया स्वर्ग बन जाती ।