रविवार, 1 जनवरी 2017

सबकुछ नया नया है ।

🎇 नया दिवस है नया माह है नया साल है '
हर पल नया नया है ' सबकुछ नया नया है ।

🌙नए तारे है नया चॉद है नया रवि है ' 
हर पल नया नया है '-----------------------

🌳नए पौधे है नई लता है नए पेड है ' 
हर पल नया नया है '-----------------

🌸 नई कलियॉ है नए फूल है नया पराग है ।
हर पल नया नया है '--_-_____-----------

🚣 नया नीर है नई हवा है नई धूप है 
हर पल नया नया है '------------------

🌃 नई जमी है नया गगन है नया अंतरिक्ष है ।
हर पल नया नया है '-----___----------------

🌄 नई शाम है नई रात है नई सुबह है '
हर पल नया नया है ' सबकुछ नया नया है ।
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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

असली और नकली गॉधी परिवार ।

महात्मा गांधी के परिवार के बारे मे बहुत कम लोग जानते है ।अभी भी कुछ ग्रामीण जन तो यह समझते है की महात्मा गांधी की कोई संतान ही नही थी । और कुछ लोग जिनकी पहुच  इंटरनेट तक नही है वे इंदरा गांधी को ही बापू की पुत्री समझते है ।
मोहनदास गाधी का असली परिवार ।
महात्मा गांधी यानी मोहनदास गांधी की पत्नी कस्तूरवा गांधी थी । और  उनके चार पुत्र थे 'हरीलाल गांधी ' रामदास गांधी ' देवदास गांधी 'और मणिलाल गांधी । हरीलाल महात्मा गांधी के बडे बेटे थे । जो इतिहास मे बदनाम है ।कहा जाता है की हरीलाल गाधी शराबी थे । विकीपेडिया पर हरीलाल गांधी का फोटो है जिसे देखकर यह  अंदाजा लगता है की यह  अदमी नशे मे है ।  हरीलाल  इंग्लैंड जाना चाहते थे उच्च शिक्षा के लिए और बापू की तरह ही बकील बनना चाहते थे ' पर बापू ने उन्हें एसा करने से रोका था । जिससे हरीलाल कुंठित होकर बापू के कट्टर बिरोधी हो गए । बापू भी हरीलाल को अपना पुत्र नही मानते थे । बापू ने एक पत्र मे लिखा था की हरीलाल तुम मुझे सच वताओ क्या तुम  अभी भी शराव  और व्यभिचार मे लिप्त हो यदि एसा है तो मे चाहता हू की तुम मर जाओ । हरीलाल गांधी ने भी किसी पत्र मे लिखा था " जिसे लोग राष्टपिता मानते है वेहतर होता यदि वह मेरा पिता ना होता "  हरीलाल गांधी के चरित्रहीन होने और बापू बिरोधी होने के कारण ही असली गांधी परिवार को इतिहास मे संमानपूर्ण स्थान नही मिला । और  उनके पुत्र राजनीती मे भी नही आए ।बापू के पुत्र तो अब  इस संसार मे नही रहे पर बापू के नाती पोतो मे लगभग 50 सदस्य  अभी मोजूद है ।जिनमें से अधिकार गांधी परिवार के लोग विदेशों मे है बाकि भारत के बिभिन्न शहरो मे रहते है । बापू के परिवार के सबसे जादा पहचाने जाने वाले व्यक्ति बापू के सुपुत्र तुषार गांधी है जो कभी कभी टीवी पर  आते है । तुषार गांधी मुंबई मे रहते है ।
महात्मा गांधी के परिवार के बारे मे विस्तार से पढने के लिए navbhrattimes.indiatimes.comपर जाए ।
नकली गांधी परिवार का खुलासा ।
नकली गांधी परिवार के जन्मदाता पं जवाहर लाल नेहरू थे । जिनहोने यह राजनितिक षडयंत्र रचा था । पं नेहरु की पुत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू थी जिसने फ़िरोज खान से शादी की थी और शादी के बाद  उनका नाम मेमुना बेगम हो गया था ।परंतु पं नेहरू ने अपने दामाद  और बेटी को गांधी उपनाम का जामा पहना दिया । यह नेहरु की ही चालवाजी थी भारतवासीओ को उल्लू बनाने के लिए । इस षडयंत्र के तहत भारतियो को गुमराह करके नेहरु के बाद  इंदिरा इंदिरा गांधी बनकर भारत की प्रधानमंत्री रही । उनके बाद  उनके बेटे रोबेर्तों  राजीव गांधी बनकर भारत के प्रधानमंत्री बने । इसके बाद  राजीव की पत्नी 'एंटोनिया माईनो ' जो एक  इटालियन  इसाई है । सोनिया गांधी बनकर भारत की जनता को वेबकूफ बनाया । अव रॉल राहूल गाधी बनकर लोगो को गुमराह कर रहे है । इस परिवार के सदस्यों ने गांधीजी के  उपनाम गांधी का भरपूर लाभ  उठाया और बहुत लंबे समय तक भारत पर राज किया । और भारत के लोगो को खूब  उल्लू बनाया है । विकाश के नाम पर  अपनी ही बिल्डिग  उची की है ।
नकली गांधी परिवार  एवं नेहरू के षडयंत्र के बारे मे विस्तार से जानने के लिए ' सुदेश शर्मा के फेसबुक पेज m.facebook.com पर जाए ।

गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

MP के पूर्व CM सुंदरलाल पटवा का निधन ।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को दिल का दौरा पडने से बुधवार 28 दिसंबर 2016 को उनका निधन हो गया वह 92 साल के थे ।
सुंदरलाल पटवा का जन्म 11 नवंबर 1924 मे मंदसौर जिले के कुकडेश्वर गांव मे हुआ था । 1942 मे पटवा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडे थे । इसके बाद वह संघ प्रचारक रहे । फिर वह दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ' 1998 में पहली बार  एवं 1990 से 1992 तक दो साल वह दुशरी बार मुख्यमंत्री रहे । 1997 मे सुंदरलाल पटवा दो साल  अटलविहारी की सरकार मे मंत्री पद पर रहे । बीसवीं सदी मे अटलविहारी के समकालीन नेताओं मे सुंदरलाल पटवा BJP के बहुत प्रभावशाली नेताओं मे से एक थे ।
सुंदरलाल पटवा ने मध्य प्रदेश मे अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बहुत विकास के कार्य करवाए । भोजपुर बिधानसभा क्षेत्र मे आनेवाले गोंड आदिवासीओ के साडे बारह गांव जो अति पिछडे थे उन्हें पटवा ने गोद लिए और  इन गांवो मे स्कूल वनवाए 'पक्की सडक बनवाई और  इन गांवों को विकाश की धारा से जोडा पटवा के योगदान से यह जंगली गांव प्रकाश मे आए । सुंदरलाल पटवा को साडे बारह गांव की जनता कभी भूल नही पाएगी ।

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

काश अगर मे दर्पण होता ।

काश अगर मे दर्पण होता ' सबको मेरा सर्मपण होता ।

         मेरा कोई रंग न होता ' मेरा कोई रूप न होता
        मे एक खाली चोखटा होता । काश  अगर____

                         बाजार मे दुकान पर बिकता 'मकान मे दीवार पर लगता
                         कोरा काँच का तुकडा होता 'काश  अगर ________
                                       

                                             सुंदरी देखतीं मुझमे अपनी सूरत 'मे देखता उनमे अपनी मूरत
                                             एसा खुशनशीव होता । काश अगर ______________



                                                                   मुझमे अपना चहरा देखता हर सक्श ' मे खीचता उनका अक्श
                                                                   एसा नक्शा नफीज़ होता ।काश अगर ________________


सुहागिन के श्रृंगार का 'दुल्हन के उपहार का
मे सत्रहाबा सामान होता । काश अगर ____________


                             भले बुरे सब मुखडे देखता ओर दिखाता ' काले गोरे मे भेद न करता
                               सच्चाई का सवूत होता । काश अगर_____________
                               
                                                         ठोकर से टूटकर तुकडो मे बिखर जाता ' फिर भी सूरत पूरी दिखलाता
                                                             बदले का कोई भाव ना होता । काश अगर मे दर्पण होता ।
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रविवार, 18 दिसंबर 2016

ग्रामीण विकास मे स्कूल व पंचायतो की भूमिका ।

केंद्र व राज्य सरकारे ग्रामीण विकास के लिए बहुत प्रयत्नशील है । सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए अनेक योजनाए संचालित की है । फिर भी गॉवो का विकास बहुत धीमी गती से हो रहा है । अंतिम छोर पर खडे गरीब गॉव के मजदूर तक सरकारी योजनाओ का लाभ ना के बरावर ही पहुच पा रहा है ।
ग्रामीण जन जीवन और जीवन शैली ।
देश दुनिया मे इतना विकाश होने पर भी आज ग्रामीण जन  आज दो हजार पुरानी जीवन शेली मे जी रहे है । कच्चे मकान ' मिट्टी के चुल्हे चोके '  चिराग ' चक्की ' ओखली ' अलाव सबकुछ वही पुराना है ।पुराने जीवन मुल्यो पर  आधारित है गॉव का जीवन । कृषि एवं पशूपालन के सहारे ही चलतीं है गॉव की जिंदगीयां ' ग्रामीण क्षेत्रो का वाहरी परिवेश भले ही आधूनिक दिखता है । पर भीतर से गॉव का जन जीवन अंधकार और  अंधविश्वास से भरा है । पुराने रीति रिवाज ' पुरानी भाषा बोलियां ' पुराना धर्म और परंपराए ग्रामीण जीवन मे जड जमाए हुए है । सही मायने मे ते ग्रामीण जन जीवन मे नये आधूनिक समाज का जन्म ही नही हो रहा है ।
ग्रामीण शासकीय स्कूल _ शिक्षा का अभाव गॉवो के विकास मे सबसे बडी बाधा है । दिहाती इलाकों मे सरकारी शिक्षा व्यावस्था मे बहुत सुधार की जरूरत है । शिक्षको पर कडे नियम लागू होने के साथ ही सरकारी स्कूल जल्द ही डिजिटल होने चाहिए यह  आज के समय की माँग है ।सरकारी स्कूलो के छात्र  आज भी गधो की तरह बस्ते का बोझ ढो रहे हे ' जवकि आज समाज हर क्षेत्र मे अॉनलाइन होता जा रहा है ।और  आज की सरकारी शिक्षा इस मामले मे पीछे चल रही है ।शिक्षा मे आज वर्तमान  आगे है और देश का भविष्य बच्चे डिजिटल शिक्षा मे पीछे चल रहे है ।
शिक्षा का व्यापार नही होना चाहिए ' और न ही शिक्षक रोजी कमाने या वेतन पाने के लिए शिक्षा दे ।शिक्षा सेवा और दान भाव से प्रदान की जानी चाहिए ।
ग्राम पंचायते _ग्रामीण विकाश मे पंचायत की अहम भूमिका होती है । पर  इस मामले मे ग्राम पंचायते असफल है । गॉव पंचायते सशक् होना चाहिए ।एवं डिजिटल सुविधाओं से लेश होनी चाहिए ।पंचायतो के असहयोग के कारण ही आज गॉव विकाश मे पीछे चल रहे है । सरकार सरपंच पद के लिए पिछडी जातियो के उम्मीदवारो को प्राथमिकता दे रही है जो लोग  अपना और  अपने परिवार का विकाश नही कर सके ' उन लोगो से गॉव के विकास की आशा कैसे की जा सकती है । जो लोग खुद गंदगी मे रहते है वह ' स्वछ भारत  अभियान ' मे क्या सहयोग देगे । जव तक ग्राम पंचायतो मे अनपढ गवार सरपंच रहेगे तव तक  गॉवो का विकास असभव है ।
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शनिवार, 17 दिसंबर 2016

डिजिटल लेनदेन पर करोडो रू इनाम देगी सरकार ।

ग्रामीण  इलाके मे डिजिटल भुगतान को बढावा देने के लिए ' भारत सरकार ने 15\12\2016 को दो बडी इनामी योजनाओ की घोषणा की है । यह योजनाए 25 दिसम्बर से लागू होगी और 14 अप्रैल तक चलेगी । इस 100 दिन की अवधि मे डिजिटल लेनदेन करने वले ग्रामीण जनो को रोजाना सरकार 15 लाख रू इनाम देगी ।
भाग्यशाली ग्राहक योजना _ इस योजना के अंतर्गत जो गॉव के लोग चार तरीको से डिजिटल भुगतान करेगे इनमे रूपे कार्ड' यूपीआई एप ' यू एस एस डी ' आधार समर्थित भुगतान सामिल है । इन तरीको से 50 रू से लेकर 3000 रू तक के डिजिटल भुगतान करने वालो को ही इनाम मिलेगा । पूरे भारत के ग्रामीण  इलाको के 15 हजार लोगो का चयन होगा रोजाना 100 दिन तक जिनमे से हर  एक को हजार हजार रू इनाम मे दिये जाएगे । इसके अलावा हर सप्ताह सरकार लकी ड्रा निकालेगी जिसमे 7000 विजेताओ का चयन कर  उन्हें पाँच हजार  एवं दस हजार के इनाम दिये जाएगे । यह योजना केवल ग्रामीण क्षेत्रो के लिए ह है 'जिसमे विक्रेताओ एवं सरकारी एजेसियो को किया जाने वाला डिजिटल पेंमेंट ही शामिल होगा । इनाम की रकम सीधे विजेताओ के बैक खातो मे जमा होगी । इस योजना के अंतर्गत एक ग्राहक तीन बार तक  इनाम ले सकेगा ।
डिजिधन व्यापार योजना _ यह योजना व्यापारीओ के लिए है । इसमे  डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले व्यापारी एवं दुकानदारो मे से कुछ व्यापारीओ का चयन करेगी राष्ट्रीय  भुगतान निगम ' जिनहे 50_50 हजार रूपये के इनाम दिये जाएगे ।
मेगा इनामो की घोषणा - मेगा विजेताओं की घोषणा 14 अप्रैल 2016 को अंबेडकर जयंती के दिन होगी । जिसमे पहला पुरुस्कार " 1 करोड रूपये का दिया जाएगा । दूशरा पुरुस्कार 50 लाख रूपये का दिया जाएगा । तीशरा पुरुस्कार 25 लाख रूपये देय है ।
इन  इनामी योजनाओ पर सरकार अनुमानित 3 अरव रूपये से अधिक खर्च कर रही है । यह योजना गॉव के लोगो के लिए आम के आम  और गूठली के भी दाम दे रही है । तो फिर देर किस बात की आज ही सीखिए डिजिटल भुगतान के तरीके और हो जाईए तैयार  इनाम जीतने के लिए ।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजन _ यह योजना आज से देश मे लागू होगी । कालाधन से प्राप्राप्त आय  इस योजना मे जमा होगी और  इसी धन से इस योजना का संचालन होगा ।
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सोमवार, 12 दिसंबर 2016

नए सामुदायिक रेडियो स्टेशनो को 90% अनुदान ।

केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 10 दिसंबर 2016 को ' नए सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोलने बालो को बडे अनुदान की घोसणा की है ।जिसमे पूर्व उत्तर प्रदेशो के लिए 90% एवं अन्य प्रदेशो मे 75% अनुदान सरकार देगी ।
सामुदायिक रेडियो क्या है ।
सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी मे 'कम्यूनिटि रेडियो ' कहा जाता है ।यह रेडियो सेवा आकाशवाणी ' एवं एफएम चैनल के बाद तीसरे नं की रेडियो सेवा है । सामुदायिक रेडियो के प्रशारण का दायरा सीमित होता है । सामुदायिक रेडियो की स्थापना लाभ कमाना नही है ।वल्कि सामुदायिक रेडियो शिक्षा और ज्ञान देने पर  आधारित होते है ।सामुदायिक रेडियो एसे समुदाय और संस्थाओ के दुवारा संचालित होते है जो जनहित मे कार्य करते है ।जैसे शिक्षण संस्थान ' स्यंम सेवी संगठन 'कृषि विज्ञान केंद्र आदि जो कृषि स्वास्थ्य शिक्षा आदि जन कल्याण के लिए काम करते है ।
सामुदायिक रेडियो का आरंभ ।
अमेरिका मे सामुदायिक रेडियो का आरंभ 1940 मे हुआ ।और ब्रटेन मे इसकी शुरूवात 1960 मे हुई ।
भारत मे पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन 1995 मे खुला था । जिसे चिन्नईं के अन्ना विश्वविधालय ने शुरू किया था । आज भारत मे लगभग 150 सामुदायिक रेडिये स्टेशन है ।
अपना सामुदायिक रडियो स्टेशन कैसे शुरू करै ।
देश के गांव कस्बे मे कोई भी संगठन संस्था जो यूनियन एक्ट के तहत रजिस्टर हो वह  अपना सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोल सकती है । इसके लिए सूचना एवं प्रशारण मंत्रालय लाइसेंस देता है । सामुदायिक रेडियो शुरू करने के लिए संवंधित मंत्रालय को अॉनलाइन  आवेदन भी किया जा सकता है । इसका आवेदन शुल्क 2500₹ है । आवेदन पर विचार करने के बाद सूचना एवं प्रशारण मंत्रालय सामुदाय को लाइसेंस देता है । इसके बाद सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना की कम से कम लागत दो लाख  आती है । इसमे पुराने उपकरण भी लगाए जा सकते है । अब तो सरकार  इस पर 90% तक  अनुदान दे रही है तो समुदाय का केवल 50 हजार तक ही खर्च होगा ।  यह रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिए अधिक स्थान की भी जरूरत नही पडती इसे एक कमरे से ही संचालित किया जा सकता है । इसमे एनटीना का विशेष महत्व होता है । यह  एनटीना 15 से 30 मीटर तक  ऊचा लगता है । सामुदायाक रेडियो स्टेशन मे 100बाट के ट्रास्मीटर से लेकर 250बाट तक के ट्रास्मीटर लगाने की अनुमति होती है । जो 15 किलोमीटर के दायरे तक प्रशारण देता है ।
सामुदायिक रेडियो से कार्यक्रम प्रशारण की अनुमति ।
सामुदायिक रेडियो पर प्रशारित किये जाने वाले कार्यक्रम स्थानीय भाषा मे समुदाय या संस्था ही तैयार करती है । जो सूचना ' शिक्षा 'ज्ञान पर  आधारित होते है । इसमे स्थानीय लोककलॉ और स्थानीय लोगो की रूचि के अनुसार मनोरंजन के कार्यक्रम भी देने की अनुमति होती है । एक घंटे के कार्यक्रम मे पॉच मिनट विज्ञापन भी दिये जा सकते है । पर प्रायोजित कार्यक्रम देने की अनुमति नही होती और ना समाचार दिये जा सकते है । पर  अव सूचना एवं प्रशारण मत्रालय दूरर्दशन ' आकाशवाणी ' एवं प्रिंट मिडिया के लिए नई नीति बनाने पर विचार कर रहा है । जिसमे सभी संचार माध्यमो मे सुधार के साथ सुविधाए भी दी जाएगी ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।