दुकान चलाने का फंडा -दुकान चलाने के आम तरीको से जितनी कमाई होती है ।उससे दुगनी कमाई इस फंडा से होती है । हर दुकानदार यही चाहता है की उसे अपनी दुकान से आधिक से अधिक आय हो पर कैसे ?
एक गॉव मे रोड पर बस स्टाफ के पास एक बडी किराना स्टोर है जहाँ स्टेशनरी अदि सामान भी मिलता है ।वहाँ पर लिखा है "कृपया ग्राहक छुट्टे रुपये दे " एक यात्रा के दोरान मे उस दुकान पर पहुचा ओर मेने वहॉ से एक लीडपेन खरीदा और दुकानदार को बीस रुपये का नोट दिया 'तो वह दुकानदार कहने लगा भैया छुट्टा नही है आप एक पेन और ले लीजिए आप के बीस रुपए पूरे हो जाएगे । तब मेने एक पेन और खरीद लिया । मे कुछ देर उस दुकान पर रुका और मेने देखा की हर अजनवी ग्राहक के साथ एसा ही किया जा रहा था । एक वस्तू खरीदने पर वह दुकानदार छुट्टे रुपये ना होने के वहाने से लोगो को दो वस्तुए बेच रहा था । पर उसी गांव के स्थानीय लोगो के साथ एसा नही करता था वह दुकानदार क्योकि वह उसके नियमित ग्राहक थे ।मेरे सामने उसी गांव की एक लडकी ने उस दूकान से दस रुपए के चॉकलेट खरीदे और बीस का नोट दिया तो दुकानदार ने उस लडकी को तुरंत दस का नोट वापस कर दिया ।यह देखकर मुझसे रहा नही गया ' और मेने दुकानदार से कहा - आप अभी तो कह रहे थे की दस का नोट छुट्टा नही है ' छुट्टे रुपयो के वहाने से जायदा सामान बेचने का आपका यह तरीका सही नही है ' आप तो अजनवी ग्राहको को ब्लेकमेल करते है ।
मेरी बात सुनकर वह दुकानदार मुस्कुराते हुए बोला _ भैया हमारे लिए तो ग्राहक भगवान के बराबर होता है ' और हम किसी भी ग्राहक को परेशान नही करते बल्कि उनकी सेवा करते है ।और छुट्टे रुपयो को लेकर वहस ना हो इसलिए हमने पहले से ही यह लिखा है कि "कृपया ग्राहक छुट्टे रुपए दे " यदि ग्राहक के पास छुट्टे रुपये नही है तो वह हमसे सामान न खरीदे ' और अगर किसी को मामान लेना जरूरी है तो फिर वह हमसे एक वस्तु एस्ट्रा खरीदे । इसमे गलत क्या है । यह तो हमारी धंधा करने की नीति है ।और मजवूरी का लाभ लेना ही तो धंधे का उसूल होता है । तो हम तो धंधा कर रहे है ।आपको और कुछ कहना है यदि नही तो अब आप जा सकते है । यह सुनकर मे चलता बना ।और अब मेरी समझ मे आया की यह दुकानदार भी ठीक ही तो कह रहा है ' यह तो अपना अपना धंधा करने और अधिक रुपये कमाने का तरीका है । इस तरीके से बह दुकानदार दुगना सामान बेचकर दुगना मुनाफा कमाता है ।फिर भी वह दुकान धडल्ले से चलती है । यही है दुकान चलाने का नायाब फंडा जो चाहे अपनाए ।
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एक गॉव मे रोड पर बस स्टाफ के पास एक बडी किराना स्टोर है जहाँ स्टेशनरी अदि सामान भी मिलता है ।वहाँ पर लिखा है "कृपया ग्राहक छुट्टे रुपये दे " एक यात्रा के दोरान मे उस दुकान पर पहुचा ओर मेने वहॉ से एक लीडपेन खरीदा और दुकानदार को बीस रुपये का नोट दिया 'तो वह दुकानदार कहने लगा भैया छुट्टा नही है आप एक पेन और ले लीजिए आप के बीस रुपए पूरे हो जाएगे । तब मेने एक पेन और खरीद लिया । मे कुछ देर उस दुकान पर रुका और मेने देखा की हर अजनवी ग्राहक के साथ एसा ही किया जा रहा था । एक वस्तू खरीदने पर वह दुकानदार छुट्टे रुपये ना होने के वहाने से लोगो को दो वस्तुए बेच रहा था । पर उसी गांव के स्थानीय लोगो के साथ एसा नही करता था वह दुकानदार क्योकि वह उसके नियमित ग्राहक थे ।मेरे सामने उसी गांव की एक लडकी ने उस दूकान से दस रुपए के चॉकलेट खरीदे और बीस का नोट दिया तो दुकानदार ने उस लडकी को तुरंत दस का नोट वापस कर दिया ।यह देखकर मुझसे रहा नही गया ' और मेने दुकानदार से कहा - आप अभी तो कह रहे थे की दस का नोट छुट्टा नही है ' छुट्टे रुपयो के वहाने से जायदा सामान बेचने का आपका यह तरीका सही नही है ' आप तो अजनवी ग्राहको को ब्लेकमेल करते है ।
मेरी बात सुनकर वह दुकानदार मुस्कुराते हुए बोला _ भैया हमारे लिए तो ग्राहक भगवान के बराबर होता है ' और हम किसी भी ग्राहक को परेशान नही करते बल्कि उनकी सेवा करते है ।और छुट्टे रुपयो को लेकर वहस ना हो इसलिए हमने पहले से ही यह लिखा है कि "कृपया ग्राहक छुट्टे रुपए दे " यदि ग्राहक के पास छुट्टे रुपये नही है तो वह हमसे सामान न खरीदे ' और अगर किसी को मामान लेना जरूरी है तो फिर वह हमसे एक वस्तु एस्ट्रा खरीदे । इसमे गलत क्या है । यह तो हमारी धंधा करने की नीति है ।और मजवूरी का लाभ लेना ही तो धंधे का उसूल होता है । तो हम तो धंधा कर रहे है ।आपको और कुछ कहना है यदि नही तो अब आप जा सकते है । यह सुनकर मे चलता बना ।और अब मेरी समझ मे आया की यह दुकानदार भी ठीक ही तो कह रहा है ' यह तो अपना अपना धंधा करने और अधिक रुपये कमाने का तरीका है । इस तरीके से बह दुकानदार दुगना सामान बेचकर दुगना मुनाफा कमाता है ।फिर भी वह दुकान धडल्ले से चलती है । यही है दुकान चलाने का नायाब फंडा जो चाहे अपनाए ।
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