शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

निराकार के चित्रकार ।

कहा जाता है की जहाँ न पहुचे रवि वहां पहुचे कवि ' उसीतरह निराकार को भी आकार देता है चित्रकार । चित्रकार  अपनी कल्पना शक्ति से अदृश्य वस्तुओं का भी चित्र बना कर  उसे समझा देते है । उदाहरण के लिए किसी चित्रकार ने समय का चित्र वनाया है । समय  एक अदृश्य शक्ति है । पर चित्रकार ने उसे भी एक रूप दिया । इसी तरह के बहुत सारे चित्र है जैसे भारत माता का चित्र ' इंसाफ की देवी का चित्र और सभी हिंदू देवी देवताओं के चित्र चित्रकारो की कल्पना के ही रूप है ।
चित्रकार पिकासो - पिकासो के चित्रो की शैली तो सभी चित्रकारो से अलग है । पिकासो के चित्रो को देखने पर सिर चकरा जाता है । एक हाथ  उठाते हुए आदमी के चित्र मे अनेक हाथ दिखते है । वाह क्या कलाकारी है ।भारतिय  चित्रकार वासुदेव एस गायतोडे की एक पेंटिंग करीब 30 करोड रूपए मे बिकी थी ।भारत के मुख्य चित्रकारो मे -चित्रकार मोहिती ' चित्रकार राजा रवि वर्मा' चित्रकार मकबूल फिदा हुसेन 'चित्रकार शिवाजी तुपे आदि नाम है ।
अब बात कारटूनकारो की _ कारटूनिस्ट भी कमाल के जादूगर होते है । एसे एसे रूप पेस करते है जिनकी आम लोग कल्पना भी नही कर सकते 'मिक्की माऊस ' को ही देखो ।भारत के फेमस कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण जिनका हाल ही मे दिहात हो गया । उनहोने चाचा चोधरी के कॉमिक्सो मे सावू और चाचा चोधरी के काल्पनिक पात्रो को जन्म दिया ।
आज काजल कुमार भी एक  उभरते कारटूनकार है जिनके कार्टून भी खूव पसंद किये जा रहे है । काजल कुमार राजनेताओ के कार्टून खूव बनाते है जो व्यंग आत्मक होते है जिन्हें देखकर बडी हसी आती है । कार्टूनिस्टो की भी एक  अपनी अलग ही कलाँ है ।
इसाफ की देवी 
💙💜💖💗💟💙💜💖💗💟💙💜💖💗💟💝💗💖💟💜💙💙💜💗💖💟💝💛💚💙💙💚💛💚💙

सोमवार, 21 नवंबर 2016

भोजन का रहष्य ।

भोजन आदमी की पहली जरूरत है ।ईश्वर चाहता तो वह मनुष्यों को बगेर भोजन के मी जिला सकता था जैसा की सांडा जानवर हवा पीकर जीता है ।पर  ईश्वर ने अपने सबसे उत्तम प्राणी आदमी को भी कुदरत के संचालन मे भागीदार बनाया । आदमी सोचता है की वह भोजन करता है ।जवकी यह सच नही है भूख कुदरती पैदा होती है और भोजन भी कुदरत ही कराती है ।आदमी को 12 घंटे के लिए भोजन  उधार देती है कुदरत फिर बापस ले लेती है । आदमी को केवल मुह मे भोजन के जीभ से छूने का सुखद  अहसास होता है जिसे म स्वाद कहते है ।
मनुष्य भी अन्य पशु पक्षीयो की तरह कुदरत का ही काम करता है वह पेड पौधों के लिए खाद  और कॉर्बनडाइ अॉक्साइड बनाता है । मैने पढा है की एक राजा हुआ था जो केवल स्वाद के लिए ही भोजन खाता था वह दिन भर कुछ ना कुछ स्वादिष्ट चीजे खाता ही रहता था और फिर  औषधिया खाकर  उलटी कर देता था ।वह जल्दी मर गया था ।आदमी को भोजन भी मारता है और भूख भी मारती है । इसलिए आदमी को केवल जीने के लिए भोजन करना चाहिए नाकी भोजन करने के लिए जीना चाहिए ।
आम तोर पर भोजन तीन प्रकार के होते है । सात्विक ' राजसिक  और तामसिक भोजन ' सात्विक भोजन फलाहार होता है । राजसिक भोजन मे छप्पन प्रकार के भोज  आते है । तामसिक भोजन मे लहसुन ' प्याज 'और गरम ' चटपटे 'कडबे स्वाद बाले भोजन आते है ।
कुदरत ने आदमी के लिए साखाहार मे विभिन्न प्रकर की चीजे एक से बढकर  एक  अलग  अलग स्वाद मे पैदा की है ।फिर भी ना जाने क्यों आदमी माशाहार करता है शायद  आदमी बिछिप्त है ।क्योंकि माशाहार तो भिष्टा की श्रेणी मे आता है । ना उसमे स्वाद है । माशाहार मे स्वाद पैदा करने के लिए भी शाखाहारी मशाले डाले जाते है । माशाहार के विषय पर हमने रिसर्च किया और बडे बडे विदवानो के विचार जाने बहुत खोज बीन की सभी जगह माशाहार को अनुचित ही माना गया है । हॉ इस बिषय मे एक बात जरूर मिली की अगर  आदमी को कई दिनो तक शाखाहारी भोजन खाने को ना मिले और  एसा लगने लगे की वस  अब जान निकली तो फिर इस स्थित मे मासाहार करना उचित माना गया है । या फिर अपने आप मरे हुए जीव को भी खाया जा साकता है ।किसी भी जीव को मारना या मारकर खाना पाप की श्रेणी मे आता है । आदमी की तरह ही हर जीव जन्तू को इस दुनिया मे जीने का अधिकार है फिर  उनका यह  अधिकार आदमी किस हक से छीनता है । हॉ यदि आदमी एक भी जीव को पैदा करके दिखाए तो शायद उस जीव को  मारने का अधिकार उसे मिल सकता है ।
अंडा खाना मुरगी का रजस्रव खाना है ।शुरू के आदमियों ने मुर्गे को रात मे समय का पता बताने के लिए पाला होगा क्योंकि उस समय घडी तो थी नही ।और मुरगा सुवह से दो घंटे पहले एक निस्चित समय पर रोज बोलता है । इसलिए मुरगी पालन का आरंभ हुआ होगा । पर  आज मुरगी पालन माशारार के लिए होता है ।
मछली का खेल _ मछली पानी मे बहुत सुन्दर दिखाईदेती है उसे पकडने को मन करता है । पुराने समय मे मछली पकडने का खेल मनोरजन के लिए खेला जाता रहा होगा । फिर बाद मे लोगो ने खेल के दोरान पकडी हुई मछलियो का उपयोग खाने के लिए करना आरंभ किया होगा जो अब भी जारी है ।
वैज्ञानिक मानते है की मनुषय की आंत  और दांत दशाखाहार के लिए बने है पर फिर भी आदमी उनका दुर  उपयोग कर रहा है ।
आज दुनिया मे हर जीव जंतू को खाने वाले लोग मोजूद है । चीटे की चटनी ' मेडक का अचार ' सॉप की सबजी '  कीडे मकोडे तक खाने वाले लोग भी संसार मे है ।
माशाहारी आदमी मे शाखाहारी के मुकावले दया का भाव कम होता है ।जैसा खाओ अन बैसा बने मन ।

🍓🍍🍒🍈🍉🍐🍆🍅🍄🍎🍏🍊🍓🍍🍉🍈🍄🍅🍆🍏🍎🍊🍋🍎🍈🍓🍄🍅🍇🍆🍅🍄🍓🍓🍈🍉🍄🍅🍆🍇🍆🍅🍄

शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

नरेंद्र मोदी 'भारत भाग्य विधाता है ।

नरेंद्र मोदी _आजादी के बाद नरेंद्र मोदी भारत के एकमात्र एसे प्रधानमंत्री है ' जिन्हें अगर भगवान कहा जाए तो शायद गलत नहीँ होगा । देश हित मे जितना काम पिछली सरकारो ने पिछले 65 सालो मे नहीं किया 'उससे भी जादा काम मोदी सरकार ने महज ढाई साल मे कर दिखाया है । जी . एस .टी. ' कालाधन बापसी ' सर्जीकल स्ट्राइक ' इन सभी कामो से देश की 90% जनता मोदी सरकार से खुश है 'और नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रही है ।
नरेंद्र मोदी ने अपने अभी तक के कार्यकाल मे जो सबसे बडा काम देश हित मे किया है 'वह है 'नोट बंदी '  नोट बंदी करना कोई छोटा काम नही है 'मुद्रा समाज की रगों मे दोडता हुआ खून होता है जिसे बंद करने से समाज मे हाहाकार की स्थित उत्पंन हो सकती है । देश के अर्थशास्त्री भी यह कह रहे हे की इतना बडा कदम शाहसी प्रधानमंत्री ही उठा सकता है । नोट बंदी ' से होनेवाली कठिनाईयो केबावजूद भी देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के इस फेसले का स्वागत किया है ।क्योंकि आनेवाले साल मे इससे देश को बडा लाभ होगा ।
जिन कामो के बारे मे पिछली सरकारो ने सोचा तक नही था ' देश हित मे वह काम नरेंद्र मोदी सरकार कर रही है ।जिससे प्रभावित होकर देश की जनता नरेंद्र मोदी की सराहना कर रही है ।वाह क्या बात है 'प्रधानमंत्री हो तो नरेंद्र मोदी जैसा ।अपने कारनामो की बदोलत  आज नरेंद्र मोदी लोगो के दिलों पर छा रहे है । दुनिया के देश भी नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री की वजह से भारत की तरफ  आकृशित हो रहे है ।
नरेंद्र मोदी ' नामक सितारा काश प्रधानमंत्री के रूप मे भारत की धरती पर पहले चमका होता तो आज देश की तकदीर  और तस्वीर कुछ  और ही होती ।पर  अब भी कुछ नही बिगडा है देर  आए दुरुस्त  आए ।यदि यह  आदमी अगली पंचवर्षी मे भी भारत का प्रधानमंत्री रहे और  उसकी सरकार देश हित मे एसी तरह से काम करती रहे तो भारत तेजी से विकाश करते हुए दुनिया मे पहले नंबर पर पहुंच जाएगा । इसमे कोई शक नही की मोदी सरकार के आने के बाद  एक नए भारत का उदय हुआ है ।नये भारत के निर्माण मे मोदी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है । और वे भारत को विश्व गुरू बना कर ही रहेगे ।
🙌🙆👪👌👏👏👏👏👏👏👏👏👏📆📢⛺🎡📊🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

गुरुवार, 17 नवंबर 2016

बच्चे पढाई मे तेज कैसे बने ।

बच्चे कल का भविष्य होते है और हर माता पिता चाहते है की उनके बच्चे पढे आगे बढे एवं पढ लिखकर बडे आदमी बने । बच्चे पढाई मे तेज बने इसके लिए बच्चो और  उनके अभिभावकों को कुछ बातो पर  अमल करना जरूरी है ।जैसे _

  • बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूरी तरह से बिकसित हो जाने के बाद ही उन्हें पढाना शुरू करना चाहिए । कुछ माता पिता अपने बच्चो को कम  आयू मे ही पढाना शुरू कर देते है जिससे बच्चे आगे जा कर पढाई मे कमजोर पड जाते है ।
  • बृम्ही बूटी _ बृम्ही आयूर्वेद मे दिमाग बढाने की सबसे उत्तम औषधि मानी जाती है ।इसका स्वाद कडवा होता है इसलिए इसे दूध मे मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का दिमाग तेज हो जाता है ।
  • बच्चो को बार बार पढने के लिए नही कहना चाहिए । क्योंकि बार बार यह बात दोहराने से इस  आदेश का अशर कम हो जाता है और फिर बच्चे सुनते ही नही है ' सोचते है की मम्मी तो वस  एसे ही चिल्लाती रहती है ।
  • बच्चों के सभी कामो का टाइम टेविल एक तख्ती पर लिख कर  उनके पढाई वाले कमरे की दीवार पर लगाना चाहिए ' जिसमे बच्चो के सुवह  उठने से रात सोने तक के सभी कामो का समय फिक्स होना चाहिए ।जैसे _ सुवह 6 बजे सोकर  उठना ' और 7बजे तक पढना ' 7 से 7:30 तक चाय नास्ता ' आधे घंटे खेलना '8 से 9 बजे तक कोचिग ' 9 से 10 बजे तक खाना नहाना 10बजे स्कूल जाना । फिर शाम 4 बजे स्कूल से आने के बाद 5 बजे तक खेलना '5 से 6बजे तक होम वर्क करना ' 6 से 7 बजे तक पूजा मे भाग लेना ' 7 से 8 बजे तक खाना पीना '8 से10 बजे तक टीवी देखना और 10 बजे सोना ।इस तरह की समय सारणी के अनुसार बच्चे अपने सभी काम  उत्साह के साथ समय पर करते है और पढाई मे आगे रहते है ।
  • सुवह नीद से जागते ही बिस्तर मे ही पढाई करने से पढाई मे मन भी लगता है और  अध्ययन की हुई बाते याद भी रहती है क्योंकि इस समय दिमाग ताजा रहता है ।यही समय पढाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है ।
  • बार बार पढकर रटटू तोते की तरह रटने को पढाई नही कहा जाता । पढाई करने का मतलव होता है की किसी भी पाठ को एक या दोबार ध्यान से पढकर समझ लेना और फिर  उसे हमेशा याद नही रखना पडता वल्की अच्छी तरह से समझ मे आ जाने के बाद वह पाठ हमेशा याद रहता है ।
  • बच्चो को कभी भी शीर्ष आशन नही करना चाहिए और नाही लेटकर पढना चाहिए एसा करने से दिमाग कमजोर होता है ।
  • बच्चों को हमेशा एकांत  और साफ स्थान पर  आसन याने दरी बगेराह बिछाकर  उसपर बैठकर ही पढना चाहिए।नंगी जमीन पर बैठकर पढने से सारी पढाई जमीन मे चली जाती है एसा हमारे अध्यापको का कहना था ।
  • बच्चे अपने पढाई वाले स्थान पर बुद्धि की देवी माता सरस्वती का चित्र लगाकर रखे और नहाने के बाद सुवह हाथ जोडकर माता से ज्ञान का वर मागे । सरस्वती के भंडार की बडी अपूरम बात 'ज्यो ज्यो खरचे त्यो त्यो बढे बिन खरचे घट जाए ।💁👵👬💃📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📖📰📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕

बुधवार, 9 नवंबर 2016

हजार पॉच सौ के नोट बंद ।

भ्रष्टाचार ' काला धन  और जाली नोटो की रोकथाम  करने के लिए भारत सरकार ने 9 नवंबर 2016 से देश मे हजार  और पॉच सौ के नोट का चलन बंद कर दिया है । पर फिर भी सरकारी अस्पताल ' दबा की दुकान ' किराना दुकान ' पेट्रोल पंप '  पर  एवं रेल टिकट ' सरकारी बस टिकट ' हबाई जहाज टिकट आदि कुछ स्थानो पर 11 नवंबर की आधी रात तक  इन नोटो का उपयोग हो सकेगा । इसके बाद हजार  और पॉच सौ के नोट बैको और पोस्ट अॉफिसो मे 30 दिसंबर 2016 तक जमा होगे । जो लोग किन्ही कारणो से 30 दिसंबर तक  अपने हजार पॉच सौ के पुराने नोट बैक मे जमा नहीं कर पाएगे उनहे फिर  अपने परिचय पत्र दिखाकर बैक मे पुराने नोट जमा करने का अंतिम समय मार्च2017 तक दिया गया है ।पर लेनदेन मे हजार  और पॉच सौ के नोट का उपयोग 9 नवंबर से ही कानूनी बद है ।

भ्रष्टाचार के मामले मे भारत दुनिया मे आज 76 वे नम्बर पर है । एवं भारत मे आज जाली नोटो का चलन  आधे से भी अधिक है । यह हजार पॉच सौ के जाली नोट भारत मे पडोसी मुल्क पकस्तान से आए है जिनहे घुसपेठियो ने भारत मे चलाया है । यह जाली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे है । इन्हीं सब कारणो से भारत सरकार ने अपनी मुद्रा व्यवस्था मे सुधार करने के लिए देश मे हजार  और पॉच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद कर दिया है । इनके स्थान पर नये रूप रंग के हजार ' दो हजार ' और पॉच सौ के नये नोट सरकार जल्द ही जारी करेगी ।
टालस्टाय का विचार _ टालस्टाय का मत था की दुनिया मे मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । क्योंकि सभी उपदृव की जड मुद्रा ही है । इस मत से गॉधीजी भी सहमत थे और वह चाहते थे की भारत मे भी पहले जैसी वस्तु विनियम बिधि लागू होना चाहिए । मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । पर काश  एसा करना संभव होता तो दुनिया स्वर्ग बन जाती ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

बेहरा बनने के लाभ ।

👂🚿 समाज मे कुछ होशियार लोग अपने कानो की विकलांगता का झूठा प्रमाण  पत्र डॉक्टरो से बनवा लेते है । क्योंकि डॉक्टर के पास कानो की विकलांगता पता करने का कोई कारगर  उपाय नही होता एसे मे वह मरीज के कानो मे एक  आवाज आने वली मशीन लगाकर मरीजों से ही पूछते है की कुछ सूनाई दे रहा है तो मरीज झूठ बोल देता है की नही कुछ नही सुनाई दे रहा है और डॉक्टर को मूर्ख बनाकर  उससे कान का विकलांग प्रमाण - पत्र बनवा लेते है ।यदि डॉक्टर को मरीज पर शक भी होता है तो उसे रिस्वत देकर भी डॉक्टर से यह प्रमाण पत्र बनवा लिया जाता है ।और फिर इस प्रमाण का उपयोग न्यायलय  और सरकारी योजनाओ का लाभ उठाने मे किया जाता है
समाज मे भी यह नकली बेहरे अपने बहरेपन का नाटक करके लोगो को खूब बेबक्कूफ बनाते है । यह  अपने फायदे की बाते तो सुन लेते है पर  अपने नुकसान की बाते अनसुनी करते है ।यदि इन बहरो पर किसी को शक भी होता है और वह पूछता है की आपको सुनाई देता है ' इस पर यह लोग कहते है की हॉ एक कान मे थोडा सुनाई देता है ।
इन नकली बहरो को असली बेहरा समझकर लोग  इनके सामने ही इनकी अच्छाई और बुराई की बातें करते है ।और यह बहरे इसका पूरा लाभ उठाते है जैसे _ निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाए ' बिन पानी बिन सावूना निरमल करें सुभाय '
इन नकली बहरो को अपने बेहरेपन के ढोग के कारण कभी कभी बडे राज़ की बाते भी पता चल जाती है जो बहुत लाभदायक होतीं है ।
🙉 बुरा मत सुनो 🙉

शनिवार, 5 नवंबर 2016

जंगल का भाग्य उदय ।

🌲🌳🌲🌳
🌳🌲🌴🌲पिछले दशकों मे जंगलों को बचाने के लिए भारत मे बहुत प्रयास किए गए ।यहाँ तक की चिप्पू आंदोलन तक चले जिनमे लोग पेड़ो को कटने से बचाने के लिए पैडो से चिपक जाते थे । पर  असफलता ही हाथ लगी और जंगल अधाधुंध कटते रहे ।क्योंकि उस समय ग्रामीण जन जंगलो पर ही निरभर होते थे  । उनके अधिकंश काम लकड़ी से ही पुरे होते थे ।
लकड़ी की काठी और काठी का घोडा _जैसे कृषि यंत्र हल ' बक्खर ' बैलगाडी ' आदि लकडी से ही बनते थे ।गाँव मे मकान भी लकडी से ही बनते थे ।फनीचर  और घर की बहुत सी वस्तुएं लकडी की ही उपयोग होतीं थी । मकानो के चारो तरफ  और खलिहानो की बागुड भी लकडी व कॉटेदार झाडियो से ही होतीं थी । चुल्हा जलाने मे भी लकडी का ही उपयोग होता था ।यहॉ तक की लोग दॉत साफ करने के लिए भी लकडी की दतून का उपयोग करते थे ।
बदलाव की बेला _अब गांव के जन जीवन मे भी समय के साथ बदलाव  आया है । अब कृषि के काम ट्रेक्टर से होते है । मकान पक्के बनने लगे है । बागुड की जगह तार फेंशिंग होने लगीं हैं ।लकडी के फर्नीचर और खिडकी दरवाजो एवं लकडी की सभी वस्तुओ की जगह  अब लोहे और प्लास्टिक के सामानो ने ले ली है ।लकडी के चुल्हो की जगह  अब गेस चुल्हे आ गए है । दतून की जगह  अब लोग बाबा रामदेव के मंजन से दॉत साफ कर रहे है ।
कागज  उधोग मे बॉस की लकडी की भारी खपत होती है जो अव कागज के घटते उपयोग के साथ बहुत घट जाएगी ।
जंगल मे मंगल _ दिन प्रति लकडी की घटती उपयोगिता को देखते हुए ' अव यह कहा जा सकता है की जंगलो के भाग्य उदय हो रहे है । और वह दिन दूर नही जब भारत के जंगल भी अफ्रीका के जंगलो की तरह घने होगें ' अब जंगल काटने वाले लक्कड चोर रहे और न ही लकडहारे बचे है । अव  एसा सुहावना समय है जंगलो के लिए जिसमे जंगल दिन दूने और रात चौगनी बढोत्री करेगे और जंगल मे मंगल होगा ।

बुधवार, 2 नवंबर 2016

मोवाइल सेट दस साल कैसे चलाए ।

🚪 मोवाइल फोन सेट 🚪
एक जमाना था जव सदेश भेजने के लिए कबूतर का उपयोग किया जाता था ।फिर वह दौर  आया जव संदेश पत्र डॉक से भेजे जाते थे ' डॉक से भेजे गए संदेश का जवाब आने मे दो सप्ताह तक का समय लगता था । आज हमारी खुशकिस्मती है कि अब हमारे हाथ मे विज्ञान ने मोवाइल नामक  एसा यंत्र दिया है जिससे हम दुनिया के किसी भी कोने मे रहने वाले अपने अजीज से सीधे बात कर सकते है । और परदेश मे बसने बाले अपने प्रियजनो को वीडियो कॉल करके प्रत्यक्ष देख सकते है । विज्ञान की देन ' मोवाइल ' मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ।
मोवाइल की कीमत_ आज बाजार मे 500 रू  मे भी मोवाइल मिल जाता है । पर  एक  अच्छा स्मार्ट मोवाइल फोन सेट बाजार मे 8 से 10 हजार रूपये के आसपास मिलता है । याने की एक आम  आदमी की महिने भर की कमाई के बराबर  एक नये मोवाइल की कीमत होती है ।
मोवाइल  आज हमारे जीवन का एक  अहम हिस्सा बन गया है और हर  आदमी का काम  इसके बिना नही चलता है ।पर  कोई भी मोवाइल सेट लापरवाही से चलाने पर  दो या चार महिने से जादा नहीं चलता और खराब हो जाता है फिर  उस सेट को कचडे मे ही फेंकना पडता है । नया मोवाइल लेने के लिए एक माह का वेतन खर्च करना पडता है ।
अगर मोवाइल फोन सेट का सही रखरखाव और  उसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो एक मोवाइल सेट दस साल से भी अधिक चलता है ।आइए जाने कैसे ?
1.पहली सावधानी मोवाइल जमीन या फर्स पर कभी भी नही गिनरा चाहिए ।
2.अपना मोवाइल कभी भी किसी दूशरे के हाथ मे नही देना चाहिए ।
3.बच्चों को गेट खेलने या छोटे बच्चों को गाना सुनाकर रोने से चुप करने के लिए भी मोवाइल देना उचित नही है ।
4.मोवाइल सेट नमी के प्रतिसंवेदनशील होता है इसलिए नम स्थान पर नही रखना चाहिए ' और ना गीले हाथो से मोवाइल पकडना चाहिए ।
5 अधिक गरम जगह जैसे खुली धूप  आदि गरम जगहो पर जादा देर तक मोवाइल रखा रहने पर  उसकी बैटरी फटने का डर होता है ।
6 मोवाइल की स्क्रीन हमेशा कार्टन के कपडे से ही साफ करना चाहिए इससे स्क्रीन पर खरौच नही पडते है ।
7 मोवाइल कभी भी रात भर या जरूरत से जादा समय तक चार्ज पर लगा नही छोडना चाहिए और ना कभी फुल चार्ज करना चाहिए 5% कम ही चार्ज करना चाहिए । बैटरी पूरी डिस चार्ज नही होने दे इससे पहले ही चार्ज पर लगाए । इन सावधानीयो से बैटरी लंबे समय तक चलतीं हैं ।
8 चार्ज पर लगा होने पर  नही चलाना चाहिए । वह गरम रहता है ' चलाने पर  और गरम हो जाता है ' जिससे उसकी कार्यक्षमता कम होती है ।
9. मोवाइल सेट मे खराबी आने पर उसकी कंपनी के रिपयरिंग सेंटर पर ही ठीक करवाना उचित होता है ।

" मोवाइल के प्रति सावधानी हटी ' की दुर्घटना घटी"

मंगलवार, 1 नवंबर 2016

कर्कस पत्नी को कैसे सहें ।

कोयल का रूप भले ही काला होता है पर  उसका कुहू कुहू का मीठा स्वर कर्णप्रिय होता है । वही कुछ सुन्दर रूप वाली औरतें होती है ' जिनका स्वभाव कर्कस होता है एसी औरतो का कर्कस स्वर सुनकर सामने बाले आदमी के माथे पर बल पड जाते है और दिमाग का पारा चढ जाता है ' कर्कस वाणी के बॉण सीने मे जहर मे बुझे बॉणो की तरह लगते है ।एसी नारीयो के बचन दूशरे लोग तो यह सोचकर सहन कर लेते है की _तुल्सी इस संसार मे तरह तरह के लोग है सबसे हिल मिल चलो नदी नाव का संजोग है । पर  उन लोगो का क्या हाल होता होगा जो लोग कर्कस  औरतों के पती होते है ' आखिर वह लोग  इन  औरतो के साथ कैसे जीवन जीते होगे ' शायद यही सोचकर की _ किसी को मुकम्ल जहाँ नहीं मिलता ' किसी को जमीं नही मिलती तो किसी को आसमां नही मिलता " ।
सुकरात की पत्नी_ सुकरात की पत्नी बहुत कर्कस स्वभाव की औरत थी । दिन भर मेंडक की तरह टर्राती ही रहती थी । सुकरात  उसकी बातो पर ध्यान ही नही देते थे । सुकरात से मिलने आने वाले कई लोगों ने सुकरात से कहा_की आप  अपनी पत्नी को कैसे सहते है ' आप  इसे छोड क्यों नही देते । इस बात पर सुकरात कहते थे की नही वह  उनका मनोरंजन है ।
लेखक की पत्नी _ एक लेखक की पत्नी ने उस लेखक की पांडूलिपी जानबूझ कर चुल्हे मे जला दी । इस बात पर  उस महान लेखक ने अपनी पत्नी से कुछ भी नही कहा और तुरंत  अपनी कलम कागज लेकर दूशरी लिपी तैयार करने मे जुट गया ' कुछ दिन की मेहनत के बाद  उस लेखक ने वही दूशरी पांडू लिपी तैयार कर ली ।इसके बाद वह पत्नी अपने किए पर बहुत पछताई और  उसने जीवन मे फिर कभी एसा ना करने की कशम भी खाई ' और लेखक के काम मे उसकी मदद भी करने लगी थी ।
हम  अपने समाज मे एसी कर्कम  पत्नीओ को भी देखते है वह जो भी बोलतीं है ऊँटपटाँग  और गाली गलोच के साथ ही बोलतीं है । जिस पर  उनके पती कहते है_अरी भागवान शुभ -शुभ बोल ।
एसी वांणी बोलिए मन का आपा खोए '
औरन को शीतल करें आपहु शीतल होए " _ रहीम 
📣📢📣📢📣📢📢📢📢📢📢📣📣📢

सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

बैंक 'स्विफ्ट कोड ' की पूरी जानकारी ।

स्विफ्ट कोड " क्या है ? इसे कैसे और कहाँ से प्राप्त के करें ? 
इस विषय की पूरी जानकारी नीचे दी जा रही है । 
बैक खाते का एक कोड होता है । IFSC कोड जिसके बारे मे सभी जानते है । यह कोड हर बैक ब्रांच का अलग होता है ।यह कोड  एक ही देश के अंदर एक बैक से दूशरी बैक के खाते मे रुपये भेजने के लिए उपयोग होता है । ifsc code का फुल फार्म ' इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम ' है ।
स्विफ्ट कोड swift code : यह कोड  एक देश से दूशरे देश की बैको के खाते मे मुद्रा ट्रांस्फर करने के लिए उपयोगी होता है । पर भारत मे हर बैक ब्रांच का अपना स्विफ्ट कोड नही होता है ।बडी बडी बैको जैसे sbi आदि के एक प्रदेश मे दो या चार शहरो की बैंको के ही यह कोड होते है । कुछ बैक जैसे icici बैक  आदि के तो एक प्रदेश मे केवल  एक ही शहर का स्विफ्ट कोड होता है । किसी भी बैक का स्विफ्ट कोड  उस प्रदेश मे उस बैक की किसी भी शाखा के खाते मे विदेशी धन डलवाने के लिए उपयोग किया जा सकता है ।
स्विफ्ट कोड ' पता करना _ इंडिया मे विदेशी मुद्रा अपने बैक खाते मे ट्रांस्फर करवाने वालो को इस 'स्विफ्ट कोड ' नामक मुशीवत की जरूरत पडती है । खास कर  इंडियन ब्लॉगरों को अपने बैक खाते मे गूगल एडसेंस का पेमेट पाने के लिए यह कोड जरूरी होता है । अपनी बैक शाखा का स्विफ्ट कोड जानने के लिए उस बैक के टोल फ्री कस्टमर केयर पर कॉल करके पता किया जा सकता है । यदि यहाँ से भी समश्या का हल ना हो तो फिर गूगल देवता की शरण मे जाओ इंटरनेट पर  एसी बहुत साइट है जो इंडिया के ही नही पूरी दुनिया की बैकों के स्विफ्ट कोड  उपलब्ध करातीं है ।
बैंकों के स्विफ्ट कोड पता करने के लिए एक बहुत अच्छी वेबसाइट है जिस पर यह कोड खोजना बहुत सरल है । इस साइट का लिंक  और होम पेज का फोटो हम नीचे दे रहे है ' पर यह साइट खोलने से पहले इसके बारे मे समझ ले क्योंकि आखिर विदेशी मुद्रा पाने का सवाल है ।
www.ifscswiftcodes.com यह साइट खोले ' होम पेज अने पर उसमे उपर स्विफ्ट कोड पर क्लिक करें ' अब आपके सामने जो पेज होगा उसमे एक बॉक्स होगा जिसमे चार छोटे बॉक्स होगें । उनमे से पहले बॉक्स पर क्लिक करें 'अब आपके सामने कंटरी लिस्ट होगी जिसमे से आपको अपना देश चुन कर स्लेक्ट करना है इसी तरह दूशरे बॉक्स मे अपनी बैक का नाम चुने ' तीशरे बॉक्स मे अपना प्रदेश चुने ' अब अंतिम चोथे बॉक्स मे आपको सिटी चुनना है ।जव आप इस बॉक्स पर क्लिक करेगे तो आपके सामने एक लिस्ट होगी जिसमे कुछ शहरो के नाम होगे ' एक शहर का एक नाम भी हो सकता है ' जहाँ तक इस लिस्ट मे आपके शहर का नाम नही होगा जहाँ आपका बैंक खाता है ' पर आपको चिंता करने की जरूरत नही है । अपने शहर के पास बाले शहर के नाम पर क्लिक करे ' लिस्ट मे एक ही शरह का नाम हो तो उसी पर क्लिक करे ' अब आपके सामने उस सिटी की कुछ बैंक शाखाओ के नाम होगे 'जिनमें से किसी भी एक पर क्लिक करें । अब आपके सामने नीचे बाले बडे बॉक्स मे पहले नं पर उस शाखा का स्विफ्ट कोड लिखा आएगा और भी उस शाखा की पूरी जानकारी इसमे से यह स्विफ्ट कोड ' नोट करैं 'और उस कंटरी को भेजें जहाँ से आपका पैसा आने वाला है । एक प्रदेश मे आपनी बैंक की किसी भी शाखा का स्विफ्ट कोड अपने खाते के लिए उपयोग किया जा सकता है ।

रविवार, 30 अक्तूबर 2016

मध्य भारत की दीपावली ।

🌋 दीपावली 🌋
दीपावली हिन्दू धर्म के लोगो का सबसे बडा त्योहार है । यह त्योहार पूरे भारत मे अलग  अलग मान्यताओं  और रीती रिवाजो के साथ मनाया जाता है । आईए हम  आपको मध्य भारत के ग्रामीण  अंचलो मे मनाए जाने वाले दीवाली के त्योहार के बारे मे बताते है ।
दशहरे के बाद से इस त्योहार की तैयारी शुरू हो जाती है । घरो की साफ सफाई ' छवाई पुताई के साथ ही घर की सभी बस्तुए धो पोछ कर साफ सुथरी की जातीं है । खराब चीजे कबाडियों को बैच दी जातीं है । घरों की पूरी सजावट के बाद नये शिरे से घरों मे वस्तुएं जमाईं जाती है जैसे नया जीवन शुरू किया जा रहा है ।
दीवाली के बाजार _ दीपावली से पहले लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजारों का अपना महत्व होता है ।जो लोग कभी भी बाजार नही जाते वह लोग भी खासतोर पर दीवाली के बाजारों मे वस्तुए खरीदते देखे जाते है ।क्या गरीब  और क्या अमीर सभी लोग  इन बाजारो मे दिल खोल कर पैसा खर्च करते है और खूब सामान खरीदते है 'सामान भी क्या? रंग पेंट ' फुलझडी पटाखे ' मोर पंख ' दिया ' लक्ष्मी की मूर्ती ' सजावट के सामान 'और खाने पीने की वस्तुएं  आदि की इन बाजारो मे बहुत बिकवाली होती है । भारी भीड के साथ ही इन बाजारों की रोनक देखते ही बनती है ।
धन तेरस _ इस दिन धातु खरीदने का खास महत्व होता है ।  इसलिए लोग पीतल ' स्टील ' ताँवे के बर्तन  इस दिन खरीदते है । हर कोई कुछ ना कुछ धातु की चीज जरूर खरीदता है ।
छोटी दीपावली _  दीवाली के एक दिन पहले होती है छोटी दीपावली इस दिन हिन्दू लोग  अपनी गाय को नहलाकर  उसके सींघ रंगते है फिर गले मे घटी माला और गजरा पहनाकर ' उसके सिर पर मोर पंख बॉधते है ।इस दिन सजी धजी गाये पूरी 'कामधेनू ' ' लगतीं है । शाम को गाय की पूजा होती है ।
🎆 दीपावली🎆 कर्तिक की अमावश्या का दिन  और रात खास होते हैं । इस दिन दीपावली होती है । दिन मे धन की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुवेर भगवन की पूजा की जाती है साथ ही घरों मे मिठाईयॉ और पकवान बनाए खाए जाते है । लोगो का एक दुशरे के यहाँ निमंत्रण होता है । महमानो को पकवान जिवाए जाते है ।सारे दिन हर्ष उल्लास के साथ दीपावली मनाई जाती है ।
दीपावली की रात _ यह अमावश्या की रात होती है पर  इस रात मे पूनम से भी आधिक चकाचोंध होती है ।हर घर का कोन कोना दियो और झालरो की रंगीन रोशनी से रोशन होता है । एसा लगता है जैसे स्वर्ग जमीन पर  आया है इस रात मे दीवाली मनाने के लिए ।
फुलझडी पटाखे _ बच्चे उछलकूद करते हुए फुलझडियॉ जला रहे होते है ' तो कुछ बच्चे रंगीन चिंगारी बाली चक्री चला रहे होते है । आसमान मे जाकर फूटने वाले पटाखे और जमीन पर बम पटाखो का धूम धडाका चारों तरफ शोर ही शोर पटाखो की गूज मे मदमस्त लोग दीवाली की पूरी रात पटाखे  जलाते है ।
गोर्वधन पूजा _ दूशरे दिन घर के आंगनो मे गोवर की पहाडी बनाई जाती है जिस पर पौधे लगाकर  उसे सजाया जाता है ।इसके बाद  उसकी पूजा होती है ।
भाई दूज _ दीवाली के तीशरे दिन भाई दूज का त्योहार होता है ।इस दिन बहने अपने भाईयो को अपने यहाँ निमंत्रण पर बुलाती है और  उनहे खीर पूडी खिलातीं है ' वहीं भाई भी अपनी बहनो को भेट मे नये वस्त्र रुपये आदि देते है । इसी के साथ समाप्त होता है मध्य भारत की दीपावली का त्योहार ।
___________________________________________________________________________

शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

अंतरिक्ष मे जीवन की खोज ।

बृहमांड मे केवल  एक हमारी पृथ्वी ही जीवित गृह नहीं है । अंतरिक्ष मे और भी गृह है जहाँ हमारे जैसी ही इंसानी दुनिया हैं । यह बात अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी मानती है । खगोल वैज्ञानिक ' और बडे बडे विचारक भी इस मत से सहमत है । पौराणिक कथाओं मे भी दूशरे लोको के बारे मे लेख है ।
एलियन  और  उडनतश्तरी
अनेक बार  आसमान मे उडनतश्तरी देखे जाने की खबरे आईं है ।पृथ्वी पर  एलियंस देखे गए है जो किसी दूशरे गृह से आते है ।एलियनो के फोटो भी खीचे जा चुके है जो एलियन होने के सबूत है ।
रेडियो संदेश _🌐 अनेक बार पृथ्वी पर  एसे रेडियो संदेश भी पहचाने गए है जो अंतरिक्ष के किसी दूशरे गृह से पृथ्वी पर भेजे गये थे । उन गृहो से पृथ्वी पर  आने वाले रेडियो संदेश पृथ्वी तक पहुचने मे बहुत प्रकाश बर्ष का समय लगता है ।
बृहमाण्ड _ इस शब्द का मतलव है जो फेलता ही गया हो और जिसका कोई आदि अंत ना हो । अंतरिक्ष मे दुरी मापन का पैमाना प्रकाश बर्ष होता है ।क्योंकि किरण की गती सबसे तेज है । एक सेकंड मे किरण लगभग डेढ लाख मील की दूरी तय करती है । सूरज से हमारी पृथ्वी पर किरणे पहुचने मे अठ मिनट लगते है । एक साल मे प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसे एक प्रकाश बर्ष माना जाता है । वैज्ञानिकों ने एसे तारे भी खोजे है जहां से किरण चली थी जव पृथ्वी बनी नही थी और वह किरण  अभी भी पृथ्वी तक नही पहुची है जवकी आज पृथ्वी को बने हुए लगभग ४अरब साल हो गए है । इसी से अनुमान लगाया जा सकता है की अंतरिक्ष कितना अनंत है । अंतरिक्ष मे हमारे सौर मंडल जैसे अनेकों सौर मंडल है जिनमे अनेक सूरज चंदा और पृथ्वी है । एसा वैज्ञानिक मानते है ।
अंतरिक्ष मे जीवन की खोज !
आज हमारा विज्ञान भी बहुत आगे पहुच गया है अंतरिक्ष मे गृहो की कक्षा मे अनेकों उपगृह स्थापित किए जा चुके है और यह सिलसिला जारी है । अव वह दिन दूर नही जव अंतरिक्ष मे हमारी पृथ्वी की तरह ही दूशरे इंसानी दुनियां  के गृह खोज लिए जाएगे और उनसे संपर्क स्थापित कर लिया जाएगा । आज तक की जानकारी से यह अनुमान लगता है की एलियनस की दुनिया का विज्ञान हमारे विज्ञान से बहुत आगे हो सकता है ।खेर यह तो आने वाला समय ही बताएगा की हकीकत क्या है ?
मंगल गृह पर जीवन संभव है !
 मंगल पर जीवन संभव है इस बात की घोसणा वैज्ञानिकों ने बहुत बार की है । पर इस बात को हकीकत का रूप देने मे समय लग रहा है । पिछले दिनो अमेरिका ने तो यह घोसणा कर दी थी की वह अगले साल मगल पर पर्यटको को ले जाने बाला है ।पर अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जो उपगृह मंगल की कक्षा मे भेजा था वह फेल हो गया और  जानकारी के अभाव के कारण यह यात्रा भी रद्द हो गई ।
महान विचारक ओशो ने एक बार अपने प्रवचन मे कहा था की इक्कीसवी सदी तक अंतरिक्ष के किसी ना किसी गृह पर जीवन खोज लिया जाएगा । और अव ओशो की यह बात जल्द ही सच साबित होने बाली है । भले ही मंगल पर पृथ्वी जैसी  दुनिया बसाना संभव न हो पर मंगल का पर्यटन स्थल बनना तो सौ% तय है ।

बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

ग्रामीण भारत की तस्वीर ।

गांव की माटी की सुगंध _ मिट्टी  की दीवार के उपर लकड़ी और बॉस के जाल का छप्पर जिसके उपर मिट्टी के पक्के कवेलूओ की कतारो से बने मकानों का समूह गांव होता है । खडिया मिट्टी से पुते घर ' गोवर से लिपे अॉगन के कोने मै तुलसी का पौधा सोभायमान होता है । गांव की गलियों  चौवारो पर खेलते हुए बच्चे चिडियो से  चहचहाते है । सुवह सुवह  गांव के पनघट पर पानी भरती हुई स्त्रिया रंग बिरंगी साडियो मे तितलियो के झुंड के समान दिखती है ।
🍚 खान पान _  मिट्टी के चुल्हो पर लकडी की आग मे पकी रोटियां और गोवर के उवलो के अंगारे पर सिकी बाटियो के स्वाद का तो कहना ही क्या वस खाते ही जाओ । त्योहार पर बनाने वाली गांव की मिठाईयां बहुत मीठी होती है ' इनमे शक्कर ही शक्कर होती है । गांव के लोग चाय भी बहुत मीठी पीते है ' इतना मीठा खाने पर भी वे सुगर की बीमारी का शिकार नही होते क्योंकि वह श्रम का काम करतू है जिससे चीनी हजम हो जाती है ।
धर्मिकता_ गांव के लोग बहुत धार्मिक  प्रवृती के होते है । एक दुशरे से मिलते हुए राम _ राम  कहते हुए  देखे जाते है । कुछ गांवो मे सुवह राम नाम की प्रभात फेरिया निकलती है । मंगलवार  और शनिवार की रात गांव के मंदिर पर भजन कीर्तन होते है ।
☕ स्वागत _ गांव मे महमान को आज भी भगवान समझा जाता है ' उसका स्वागत चाय ' पान ' सुपाडी के साथ किया जाता है । महमानो कै भोजन मे खीर पूडी खिलाईं जातीं हैं ।

शहरों की चकाचौंध  और शोरगुल से दूर शांत दिहाती दुनिया  की ताजी हवा आदि । गाव के जन जीवन का लुफ्त कुछ निराला ही है । जो स्वाद जीभ चखती है उसे कान सुनकर  अनुभव नही कर सकते ' जो जीता है गांव की जन्नत का जीवन वही जानता है ।
👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳👳

सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

समय के रूप रंग ।

समय ⌚
समय बहुत रहष्य मय कृया है । समय का असली रूप स्थर है ।दूशरे रूप मे मानव निर्मित  और प्राकृतिक समय चलायमान है । जो गोलाकार घूम रहा है । वर्तमान बीत जाने पर भूतकाल बन जाता है ' और फिर  अतीत ही रूप बदल कर भविष्य बन कर  आ जाता हैब जब से मनुष्य ने समय को पहचान है तभी से समय मुल्यवान समझा जाने लगा । फिर समय नापने के लिए घडी का अविष्कार हुआ । समय का चित्र बनाया गया '  इस चित्र मे समय मानव रूप मे पंखो बाला आकाश मे उडता हुआ दिखाया गया है और समय का मुह बालों से ढका हुआ है । इसका मतलव है की समय  अपना चेहरा छिपा कर  उडता है ।
समय का एक चक्कर एक साल मे पूरा होता है ।और  इसके बाद समय मे कुछ नया घटित नही होता फिर वही शुरू हो जाता है । जो पिछले साल हुआ था । उदाहरण के लिए जैसे पिछले साल बारिश के मोषम मे जिस दिन त्योहार था और  आकाश मे काले वादल थे 'प्राकृतिक  और मानव निर्मित  दोनो ही माहोल ठीक बैसे ही होगे जो पिछले साल थे ।
24 घंटे के चक्कर मे आदमी घडी के साथ घूमता है और हर दिन वही वही काम करता है जो उसने पिछले दिन किया था ।
आदमी के लिए समय का महत्व ।
मनुष्य के जीवन का समय बहुत अनमोल है । वर्तमान का हर छण बेशुमार कीमती है और पकडने लायक है । मनुष्य समय से पीढित प्राणी है उसके समय का स्केल जन्म से शुरू होता है और मृत्यु पर खत्म हो जाता है ' इस बीच  आदमी को जो समय मिलता है 'वह किसी भी तरह गूजारने के लिए नही है ' वल्की कुछ नया सृजन काम करने के लिए है ।
आदमी की आयु का अधिकार समय तो शरीरिक जरूरतो जैसे सोना ' खाना' पीना 'आदि मे नष्ट हो जाता है कुछ समय लोगों से मिलने जुलने मे चला जाता है कुछ समय टी वी खा जाती है । जीवन मे काम का समय बहुत कम होता है ।इसलिए समय के एक छण का भी भरपूर उपयोग करना चाहिए । जो लोग समय के मामले मे कजूस होते है सही मायने मे वही लोग चतुर  और होशियार है । एसे लोग दूशरो को धन देना पसंद करते है ' लेकिन समय देने के मामले मे बहुत बहाने बनाते है । क्योंकि वह जानते है की खोया हुआ धन दूवारा मिल सकता है पर खोया हुआ एक छण भी दुवारा लोट कर नही आता है ।
समय की चाल_  24 घंटे मे एक ही स्थान हर पल  अपना रूप बदलता है  पृ कृतिक समय । जबकी मानव के समय के कुछ छणो का समूह  एक समान ही चलता है ' फिर  अचानक दूशरे रंग रूप के छण  आ जाते है जो कुछ देर  अपना रंग दिखाते है ' फिर समय मे बदलाव  आ जाता है । पर सूरज के प्रकाश का रंग रूप हर दिन वैसा ही रहता है । एसा दिन कभी नही आता जिस दिन सूरज से हरा या गुलावी पृकाश निकलता हो  ।

सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

रावण का प्रतीक 'दशहरा ।

😈😈😈😈😈👹😈😈😈😈
  द   श  ह   र   ।   र   ।   व    ण
रावण जैसा महामानव वलबान  और बुद्धीमान पुरुष कोई दुशरा पैदा नही हूआ ।और शायद  आगे होग भी नही ।रावण  उस युग का सर्व संपन्न राजा था । उसके पास सोने का महल  और वायूयान (पुष्पक )था ।उस समय रावण ने लंका मे जो विकाश किया उसके निशान  आज भी श्रीलंका मे है ।वहा एक भव्य मंदिर है शिव का जो रावण ने ही बनबाया था । महापंडित रावण राजनीती मे भी बहुत निपुण था ।रावण  एक वीर योद्धा था वीरो की यही पहचान है की वह झुकते नही है भले ही टूट जाए । रावण ने 'रावण सहिता 'नामक ग्रंथ  की रचना की थी  जो आज भी है ।रावण भविष्य ज्ञाता भी था जो उसके साथ हुआ वह सब  उसने पहले ही जान लिया था ।पर  उसके पास राम से युद्ध करने के अलावा और कोई विकल्प नही था अगर रावण  अन्य कोई विकल्प  अपनाता तो आज भारत मे दशहरा नही मनाया जाता ।  बुराई पर  अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा राम के साथ रावण की भी याद दिलाता है ।रावण भले ही बुराई का पात्र है । पर  उसके बिना रामायण अधूरी है । रावण गलत नही था वह  अलग था ।
दशहरा का मतलव है दस + सहरे यानी की दस सिर ' पर  इसका यह मतलव नही है की रावण के दस शिर थे ।नही इसका अर्थ है की दस बुद्धिमान  आदमीयों के बराबर ज्ञान रावण के एक ही सिर मे था ।यह दस सिर वाले रावण के चित्र यही समझाने के लिए उदाहरण है ।पर लोगो ने लकीर का फकीर बना दिया । हाँ यह हो सकता है की रावण मायावी था और  उसने कभी एकाध बार माया से अपना दस सिर बाला रूप बनाया होगा । पर वास्तविक सिर तो रावण का एक ही था ।
पर यह सच है की रावण का शरीर बहुत विशाल था ।एसा होना सोभाविक है । क्योंकि उस युग मे मनुष्यों के शरीर भी पूरे विकशित होते थे 'उस समय के इतिहास मे कही कही यह प्रमाण मिलते है की उस युग मे लोग 20 फिट तक लवे कद को होते थे ।और फिर रावण तो माशाहारी था तो उसका शरीर तो विशाल होगा ही । उस युग मे मनुष्यों की आयू भी बहुत लंबी होती थी हजार साल तक भी आदमी जीता था । पर  आज तक  अमर कोई भी नही हुआ रावण भी नही । जो पैदा होता है उसका मरना भी पक्का होता है ।

नं.1एंकर नीलम शर्मा ।

नीलम शर्मा📺
डी डी न्यूज चैनल की एंकर नीलम शर्मा ' जो की एक वरिष्ठ समाचार वाचक  और प्रस्तुतकर्ता है । वह डी डी न्यूज पर सन1995 से कार्यरत है ।उन्हें सन 2010 मे महिलाओ की एक संस्था ' आधी आवादी ' ने 'वूमन  एचीवर्स अवार्ड ' से सम्मानित किया है । नीलम  एक कुशल समाचार वाचक है उनकी साफ दमदार  आवाज लोगो को बहुत भाती है ।नीलम को अपने 21 साल के कार्यकाल मे कभी भी न्यूज चैनल पर कुर्ती सलवार मे नही देखा गया ' वह हमेशा भारत के पारंपरिक लिवाज साडी ब्लाऊज मे नजर  आती है ' माथे पर बिंदी गले मे मंगलसूत्र यही उनकी पहचान है । नीलम  अपने अलग  अदाज़ मे समाचार वाचन या इंटरव्यू लेती देखी जाती है । कार्यक्रम ' चर्चा मे ' को लेकर नीलम बहुत लोकप्रिय है । उनकी लोकप्रिता को देखते हुए उन्हें नं. वन  एंकर कहना शायद गलत नही होगा ।
नीलम शर्मा  डी डी न्यूज चैनल की पहचान है ।

चीनी धर्म ताओ और लाओत्से ।

चीन के त्चयु प्रदेश मे 605ईशा पूर्व लाओत्से नाम के आदमी का जन्म हुआ था । वह  एक सरकरी लाइब्रेरी मे काम करता था 'जहाँ उसने 40 साल तक काम किया । लाओत्से अपने जीवन मे बहुत ही कम बोला वह मोन जादा रहता था । कृष्ण और राम की ही तरह महाज्ञानी था लाओत्से पर  उसके पीछे कोई बडा धर्म नही बना क्योंकि उसका संदेश बहुत अलग है । लाओत्से कहता है _मे उसका नाम नही जानता 'वह 'तत'है उसे पाने के लिए कुछ करना नही है वस शून्य हो जाना है । लाओत्से पिंगलो पहाड पर जाना चाहता था अपने आप को बरफ मे गलाने के लिए पर लोग  उसे नही जाने देते थे । बताया गया है की एक यात्रा के दैरान जव लाओत्से 'क्वानयिन' के एक चुंगी नाके से गुजर रहा था तब वहां के अधिकारी ने उसे रोका और कर देने को कहा तो लाओत्से ने कहा की मेरे पास पैसे तो है नही ' लेकिन  अधिकारी ने कहा नही एसे नही जाने देगे कुछ ना कुछ तो दैना ही होगा । तब लाओत्से ने उस उस  अधिकारी को अपना ज्ञान दिया  जो उस  अधिकारी ने तीन दिन तक लिखा ' फिर लाओत्से को बासर जाने दिया।
उस  अधिकारी का नाम च्युंगत्सी था  जिसने लाओत्से के बोध बचनो को लिखा था । यह बोध बचन  आज चीन मे 'ताओ ते चिंग ' जो चीन के ताओ धर्म का ग्रंध है के  रूप मे उपलब्ध है ।इस किताव का पहल बोध बचन है की _ जिस रास्ते के बारे मे बात की जा सके वह रास्ता सनातन नही है ।ताओ पहले चीन का दर्शन था बाद मे धर्म बन गया । इसका सारा ईनाम  उस नाके के अधिकारी को देना चाहिए जिसने ज्ञान की इस संपत्ति को लुप्त होने से बचा लिया बरना आज कोई लाओत्से को नही जानता और न चीन मे ताओ धर्म होता और नाही ताओ ते चिग नाम की कोई किताव होती ।



                ताओ  ते   चिंग  और लाओत्से
 

सुर्खीयो मे 'तारिक फतेह ।

पिछले कुछ दिनो से पाकिस्तानी लेखक तारिक फतेह  भारत के न्यूज चैनलो पर नजर आ रहे है ।वह पाकिस्तान के खिलाफ आग  उगल रहे है ।और पाक की पोल खोलते हुए वहाँ के हुक्मरानो पर खूव व्यंग बॉण छोड रहे है । उनका कहना है की वह सच बोलते है ।उन्हें किसी का डर नही है । इन दिनो तारिक साहव भी मकबूल फादा हुसैन की तर्ज पर खूव सुरखी वटोर रहे है । वह बलूचिस्तान के पक्षधर है । उनके विचारो मे भारत के प्रति प्रेम है और पाकिस्तान के प्रति नफरत है । फतेह साहव नरेंद्र मोदी की बहुत तारीफ करते है ' वे लालवहादुर शास्त्री के भी फैन है । उन्हें पाक के बारे मे जो भी कहना होता है उसे बगेर लाग लपेट के दो टूक शब्दों मे कहते है ।
एक  इंटरव्यू के दोरान किसी ने तारिक से कहा की _क्या पाक मे छूपे दाऊद को घर मे घुस कर मारना चाहिए ? इसके  उत्तर मे तारिक फतेह ने कहा की आपको मारने की क्या जरूरत है ' वही के किसी आदमी को दस का नोट दो वह मार देगा । 67वर्षीय तारिक फतेह  इन दिनो भारत मे बतोर महमान है ।

तारिक फतेह  एक लेखक के रूप मे जाने जाते है । उनका जन्म पाकिस्तान के कराची शहर मे 1949 मे हुआ ।उन्होंने अपने जीवन का बहुत समय साऊदी अरब  और कनाडा मे विताया है । पाकिस्तान की व्यावस्था पर बिरोधी ब्यानो के लिए 'फतेह साहव  इस समय खूव फेमस हो रहै है ।वह बलोचिस्तान को भारत मे मिलाने पर भी जोर दे रहे है ' जो बिलकुल सही है । तारिक फतेह का हसमुख मिजाज  और  उनके क्रांतीकारी विचार लोगो को बहुत प्रभावित करते है ।सच्चाई को उजागर करने बाले एसे लोग बहुत कम होते है ।

रविवार, 9 अक्तूबर 2016

डिप्रेशन के शिकार लोग ।

इस शहर मे हर शख्स परेशान सा क्यों है ।

बच्चे संसार का भविष्य ।

बच्चे प्यारे क्यों होते है ?
बच्चे इंसानी हो या पशू पक्षियों के बच्चे सभी बच्चे बहुत प्यारे लगते है । पहले केवल नौ ही रस थे  बाद मे सूरदास ने  एक  और रस की खोज की ' वात्सल्य रस ' यह रस सूरदास को कृष्ण के बाल रूप से मिला था ।
बच्चे सभी को प्यारे होते है । मॉ बच्चों को सबसे जादा प्यार करती है ।इससे भी अधिक प्यार बच्चों को उनके दादा दादी करते है । यह कुदरत का नियम है संसार चलाने के लिए ।जब जहाँ जो जरूरत होती है उसका पूरा इंतजाम कुदरती होता है । बच्चे के दुनिया मे आते ही माँ के स्तन मे उसके लिए दूध  आ जाता है । अगर बच्चो मे मोह ना होता तो दुनिया की कोई भी माँ अपने बच्चों को दूथ नही पिलाती और बच्चे पैदा होते ही मर जाया करते जिसके कारण संसार चलना कठिन था । इसलिए बच्चे ईश्वर का मोहनी रूप होते है ।क्योंकि बाल रूप मे बच्चे असहाय और  अवोध होते है ओर  उनहे इस समय संसार मे जीने के लिए सहारे की जरूरत होती है जो मोह बस माँ करती है । जव बच्चा कुछ बडा होता है तो उसे शिक्षा की जरूरत होती है वह सीखना चाहता है । इसलिए ही बच्चे दादा दादी से कहानी सूनाने की जिद करते है ।दादा दादी भी मोह बस बच्चों को कहानी के माध्यम से शिक्षा देते है । ओर  अपनी आप बीती बच्चों को सुनाते है । जो उन्होने जीवन मे सीखा अनुभव किया वह बच्चे को बताते है । दुनिया के अच्छे बुरे का ज्ञान कराते है ।
पर जैसे जैसे बच्चे बडे होते है उन पर सबका प्यार कम होता जाता है । चिडियाँ के बच्चों की तरह चिडियाँ के बच्चे भी जव  उडना सीख जाते है और खुद ही दाना खोज कर चुगने लगते है तब चिडिया के बच्चे घोसला छोड कर फूर्र हो जाते है ।
बदला कुदरती कानून 
आज पुरुष के मुकावले स्त्रियों की संख्या का अनुपात बहुत कम है ।जिसे देखते हुए समाज  और सरकार मिल कर बेटी बचाओ आंदोलन चला रहे है । वही कुदरत ने भी अपने कानून मे बदलाव किया है संतुलन बनाने के लिए ' अब लडको से जादा लडकीयाँ पेदा हो रही है । लोग लडका पैदा होने के इंतजार मे गर्भ निरोध नही कराते और हर वार लडकी ही होती है दो तीन लडकियों के बाद फिर कही जाकर  आखिरी मे लडको के जन्म होते है ।
उदाहरण_पालतू पशुओ मे भैंस की जरूरत दूध के लिए जादा होती है । इसलिए कुदरत भी मादा भैंस को ही अधिक जन्म देती है । जबकी भैसा (पडा) बहुत कम पैदा होते है उनमे से भी बहुत मर जाते है क्योंकि उनकी जरूरत भी नही होती है ।सौ भैंसो के अनुपात मे बडी मुश्किल से दो या चार भैसा पाए जाते है । यह कुदरत का ही कमाल है ।
मन चाही सूरत का बच्चा पैदा कर सकती है माँ !

महारानी अवंतीबाई लोधी

वीरंगना रानी अवंतीबाई
प्रथम आजादी की लडाई की वीरंगना रानी अवंतीबाई लोधी ' रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गाबती की श्रेणी मे आती है ।पर  उन्हें बहुत कम लोग ही जानते है । इसका कारण  है की अवंती रानी को इतिहास मे संमान नही मिला ।लेकिन पिछ्ले दशको मे खोजी लेखको ने इतिहास के बिखरे पन्नों से रानी अवंतीबाई लोधी का इतिहास  इकट्ठा किया और रानी को समाज के सामने प्रकाशित किया है । मध्य प्रदेश के जवलपुर  आदि शहरो मे स्मारक के रूप मे रानी अवंतीबाई की प्रतिमाए स्थापित हुई है । भरतिय डॉक विभाग ने भी सन 2001 मे रानी अवंतीबाई लोधी के नाम पर डाक टिकिट  जारी किया था ।  मध्य प्रदेश् के शिक्षा पाठय क्रम मे भी  रानी अवंतीबाई लोधी पर  पाठ  जोडागया है ।
रानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 1831 मे मध्य प्रदेश के सिवनी जिले मे मनकेडी गाव के जमीदार जुझार सिह के घर हुआ था । उनका विवाह रामगढ (मडला ) रियासत के राजकुमार बिक्रम सिंह के साथ हुआ था । जव बिक्रम  सिंह राजा बने  तो वह धार्मिक प्रवृती के होने के कारण  अपना  समय पूजा पाठ मे अधिक लगाते थे एसी स्थित मे रानी ही राज्य सभालतीं थी उनके दो पुत्र थे ।
सन1952 मे अंग्रेजो ने. कोर्ट अॉफ  अवर्डस ' कानून के तहत राजा बिक्रम को पागल और बच्चों को नाबालिग घोसित कर रामगढ रियासत पर अधिकार करने लगे जिसका रानी ने बिरोध किया ।1954 के आसपास राजा विक्रम की स्वभाविकमृत्यू हो गई ।
सन 1858 मे अग्रेजो ने युद्ध करके रामगढ का किला पर कब्जा कर लिया ।रानी अवंतीबाई ने पढोसी राजाओ के पास शरण ले ली और जमीदारो एवं पढोसी राजाओ के साथ मिलकर  अंग्रेजो के बिरुध 'देवहागढ' युध किया । इस युद्ध मे रानी अपनी तलवार से अंत तक  अंग्रेजो को काटती रही ।रानी घोडे पर बैठकर लड रही थी ।यह युद्ध एक पखवाडा चला पर रानी ने हार नही मानी जव रानी के पास गिने चुने सेनिक ही बचे तब रानी ने समझ लिया कि अब जरूर  अंग्रेज  उसे बंदी बना लेगे । इससे पहले की रानी को दुश्मन बंदी बनाते ' रानी अवंतीबाई ने अपनी ही तलवार से वीर गती पा ली ।
मध्य प्रदेश के मंडला मे नारायणगंज के पास रानी अवंतीबाई लोधी का किला आज भी है । जो रामगढ का किला के नाम से जाना जाता है । उस समय रामगढ रियासत का विस्तार अमरकंटक तक था । अब  इस राज का बहुत सा भाग नर्मदा नदी पर बने बरगी बॉध के पानी मे डूव जाता है । 
मध्य प्रदेश सरकार इस किले को पर्यटन स्थल  का स्थान बनाकर बहुत सी बिदेशी मुद्रा कमा सकती है  । क्योंकि इस किले के पास बरगी डेम का पानी होने से इस किले की सुंदता को चार चॉद लग जाएगे ।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2016

लोकगीत गायक: देशराज पटैरिया ।

बुंदेलखंडी लोकगीत संम्राट देशराज पटेरिया का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के गॉव 'तिटानी ' मे हुआ । वह  अपनी यूवा अवस्था से ही अपने अस पडोस के गॉवो मे भजन कीरतन के कार्यक्रम करते रहते थे ।उनकी सुरीली आवाज के कारण लोगो को उनका गायन पसंद आता था । देशराज ने अपने गुरु अमरनाथ से लोकगीत गायन सीखा । सन 1976 मे देशराज ने बुंदेलखंडी लोकगीत गाना आरंभ किया । इसके बाद  उनके गीतो और भजनो का प्रशारण  आकाशवाणी छतरपुर से होने लगा । और फिर कन्हैया केसिट कंपनी ने उनके गीतो के रिकार्ड केसिट के रूप मे बाजार मे उतारे तो कन्हैया केसिट धढल्ले से बिकने लगे ।और देशराज पटैरिया अपने गीतो को ले कर पूरे भारत मे छा गये ।

आज देशराज पटैरिया बूढे हो चुके है पर  उनकी आवाज मे अभी भी जादू है । पर  अब वह बहुत कम स्टेज सो करते है ।फिर भी नवरात्र के समय  उनके पास सेकडो आफर  आते है ।आज देशराज छतरपुर मे रहते है ' उनहे छतरपुर मे कन्हैया केसिट वालो ने मकान उपहार मे दिया है ।उनका एक मकान भोपाल मे भी है जहाँ वे कभी कभार ही रहते है ।दूरदर्शन भोपाल से उनके कार्यक्रम प्रशारित होते रहते है । उनके हर स्टेज सो मे भारी भीड जमा होती है ।यूपी और मध्य प्रदेश मे तो लोग देशराज के लोकगीतों के दीवाने है ।उन्के कार्यक्रम मे मैने खुद लंगडो को नाचते देखा है । उनका हरदोल चरित्र भजन सुन कर पत्थर दिल लोग भी रौ पडते है । और  उनके लोकगीत सुनकर बूढे भी जवान हो जाते है ' उनके चुटकुले सुनकर रोतेहुए भी हसने लगते है । देशराज के लोकगीत फिल्मी गीतों को भी पीछे छोड देते है । देशराज पटैरिया ने अपने 50 साल के गायकी के सफर मे लगभग दो सौ भजन  और बुन्देली गीत गाये है । वह सभी सुपर हिट रहे है ।

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार ।

इस समय भारत के बाजारों मे विदेशी वस्तुओं की भारी भीड है ' खासकर चाइना की वस्तुओं की भारत के बाजार मे रोजाना अनुमानित 10778 डालर की बिक्री होती है ।चीन हर साल भारत मे लगभग 62 अरब डालर की वस्तुओं का निर्यात करता है ।जवकि भारत चीन को कुल 12 अरब डालर का निर्यात करता है । भारत एक बहुत बडा बाजार है और  आज भारत के बाजार मे चीन के माल की भरमार है ।made in china  के बने सामानो मे सबसे जादा इलेक्ट्रॉनिक आइटम है जैसे _ टेवलेट ' मोबाइल ' लैपटॉप ' टीवी ' टार्च ' झालर बाली लाइटें आदि ।अन्य वस्तुओं मे चाइना के बने कपड़े 'जूते और साथ ही गणेश और लक्ष्मी की मूर्ति भारत मे बहुत पसंद की जाती है । यह सभी चीनी वस्तुएं भारत की वस्तुओं से काफी सस्ती होती है ' पर यह चीजे घटिया क्वालिटी की होने के कारण जल्दी ही खराव हो जाती है ।भारत मे चीनी माल की कोई गेरंटी बारंटी नही दी जाती ।
चीन पाकिस्तान का पक्छधर है '  इसलिए भारत के लोग चीन से नाराज़ है और  उसे सवक सिखाने के लिए चीन की वस्तुओं के बहिष्कार की मुहीम चलाले पर विचार कर रहे है । क्योंकि चीन को चोट पहुँचाने का यह  एक कारगर  उपाय है ।
विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से स्वदेशी को बढावा मिलेगा ।आगामी सालो मे मेक  इन  इंडिया के माध्यम से यह वस्तुए भारत मे ही बनने लगेगी । जिससे रोजगार के अवसर  अधिक पैदा होगे ।स्वदेशी अपनाने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी । और देश का विकास होगा ।देश का पैसा देश मे ही रहेगा ।
                                         ⌚        MADE IN INDIA👗👕👜

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2016

भारत विरोधी बयान ।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरील ने कल  एक विडियो संदेश मे देश के खिलाफ ब्यान दिया 'की भारत सरकार को 'सर्जीकल स्टाइक ' का सबूत देना चाहिए ।उनहे सेना पर भरोसा नही ' एसा कह कर केजरीवाल पाकिस्तान को भारत पर सवाल उठाने का मोका दे रहे है जो सरासर देश हित मे नही है ।

संजय निरूपम _आज कॉग्रेस के एक नेता सजय निरूपम ने भी एसा ही देशद्रोही ब्यान टयूटर पर दिया है । उनका कहना है कि यह ' सर्जीकल स्टाइक ' फर्जी है । सरकार  इसका सबूत दिखाए ।

सलमान खान _ पिछले दिनो अभिनेता सलमान खान ने भी देश के बिरोध मे कहा था की पाक कलाकार आतंकबादी नही है ' पर  इसका सबूत नही दिया था  जवकी उन्हें देश पर मरने बाले सैनिको का दुख होना चाहिए था पर नही ' इससे जादा दुख  उन्हें विदेशी कलाकारो के जाने का हुआ ।
इन देशद्रोही ब्यानबाजो को सबक सिखाए सरकार चाहे वह मुख्य मंत्री हो या फिर कोई नाचने गाने बाला फिल्म कलाकार ।
देश  आतंकबाद से लड रहा है ' आए दिन सेना के जवान मर रहे है ।और  एसी स्थित मे लोग जो मुह मे आता है बोल देते है ' शर्म की बात है ।
 कपिल मिश्रा _ दिल्ली के एक कार्यक्रम के दोरान केजरीवाल के जल मंत्री का विवादित बयान? उन्होंने महबूबा मुख्ती से पूछा की क्या बुढानवानी आतंकी था या नही ?
ओमपुरी ःअभिनेता ओमपुरी ३ अक्टूबर को एक टीवी सो के दोरान शराव के नशे मे शहीद सैनिको के बारे मे कहने लगे की मरते है तो सेना मे जाते ही क्यों है ।ओम के इस ब्यान पर देश भर मे लोगो ने ओमपुरी के उपर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की बात कही 'एक दो जगह  उनके खिलाफ शिकायत भी लिखाई है । इस बात से घवरा कर  ओमपुरी 4 अक्टूबर को दिनभर मिडिया के सामने हाथ जोडकर बार बार माफी माग कर शरमिंदा हूए ।

चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन ।

पेंटर  एम एफ हुसैन के नाम से जाना जाने बाले चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन का जन्म 15 सितंवर ?1915 मे भारत के महाराष्ट्रपंढरपुर मे हुआ था ।मॉ के दिहांत के बाद हुसैन अपने बालिद के साथ  इंदोर जले गए जहाँ उन्होने स्कूली पढाई की । हुसैन शोकिया तोर पर प्राकृतिक दृश्य बनाते थे । 1935 मे हुसेन बंबई चले गए और पैसे कमाने के लिए छोटे मोटे काम करने लगे ' पर  उनका मन तो कुछ  और ही नय करना चाहता था ।हुसेन ने कुछ कलाकर  एवं चित्रकारो के साथ मिल कर  एक  आर्ट ग्रुप बनाया ' उनकी पहली चित्र प्रदर्शनी ' सुनेहरा ससार ' बम्बे आर्ट सोसाइटी मे प्रदर्शत हुई ।
इसके बाद हुसैन ने एक घॉस के मैदान की सबसे बडे आकार की पेंटिंग बनाकर  अपना नाम गिनिज बुक मे खिला लिया ।  उनकी कार पर गोपियो के चित्र बने थे । जिसे देखकर कोई भी कह सकता था की यह किसी चित्रकार की कार है ।

एम  एफ हुसैन पहली बार प्रकाश मे अए जब  उनकी चित्र प्रदर्शनी ज्यूरिख मे लगी थी । इसके बाद  उनकी प्रदर्शनी अमेरिका यूरोप  और  अन्य देशो मे भी लगी । उनकी एक पेंटिंग 16 लाख डॉलर मे बिकी थी ' अब हुसेन  बीसवीं सदी के सबसे महगे भारतिय चित्रकार बन गए थे । भारत सरकार ने एम  एफ हुसैन को 1955 मे पदमश्री और 1991 मे पदमविभूषण पुरुस्कार से नवाजा था ।
मकबूल फिदा हुसैन का एक रूप फिल्म निर्देशक का भी था ' 1967 मे उनकी फिल्म ' थ्रू दा अॉइज  अॉफ  ए पेंटर ' आई ।फिर  उनकी फिल्म ' गजगामनी ' आई जिसमे अभिनेत्री माधुरी दीक्षित थी ' इसके बाद हूसेन ने दो तीन फिल्म और बनाई ।
मकबूल फिदा हुसेन को सुर्खीयो मे आने की महारथ थी ' इस कला मे हुसेन बहुत निपुण थे  ।वह बडी बडी हस्तियों के साथ नजर  आते थे ।सन 1971 के साओ पावलो कार्यकृम मे हुसेन साहब को मशहूर चित्रकार पिकासो के साथ  आमंत्रित किया गया था । उस समय  एक संस्था ने एम  एफ हुसैन को दुनिया के सबसे अधिक फेमस मुसलमानों की सूची मे सामिल किया था ।
विबाद 
1996 मे मकबूल हुसैन पर हिन्दु देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाने का आरोप लगा ' जिसमे उनके खिलाप न्यायालय मे सौ के लगभग मामले दर्ज हुए थे । पर हुसेन खजुराहो के मंदिर का तर्क देकर किसी भी तरह बच निकले थे 
इसके बाद हुसेन  एक बार फिर समाचार पत्रो मे छपे जब  उन्होंने अभिनेत्री माधुरी के नंगे चित्र बनाने की घोषणा कर दी ।
2006 मे मकबूल फिदा हुसेन पर फिर  एक बार भारत माता का नग्न चित्र बनाने का आरोप लगा ' इस मामले से बचने के लिए आखिर हुसेन को भारत छोडना पडा और वह लदन चले गए ' फिर  उन्हें कतर की नागरिकता मिलगई  2011 तक चित्रकार  एम  एफ हुसैन ' कतर देश मे रहे । 9जून2011 को  लंदन के एक  अस्पताल मे दिल का दोरा पडने से मकबूल फिदा हुसेन की मोत हो गई । उनके बनाए गए चित्र  पिकासो की तरह कुछ हटके होते थे  इसलिए वह बिवादो मे आ जाते थे । एम  एफ हुसैन को भारत का पिकासो कहा जाता है । आज भी कलॉ के संसार मे एम  एफ हुसेन को याद किया जाता है

सोमवार, 3 अक्तूबर 2016

अमिताभ बचचन का एड लोकप्रिय ।

इन दिनो टीवी चेनलो पर दिखाया जाने बाला टाटा स्कइ सेट  अप बॉक्स का विज्ञापन बच्चो और महिलायो को खूब भा रहा है । क्योंकि इस  एड मे अमिताभ कठपुतली का नाच दिखा रहे है ।
अमिताभ बच्चन के एड की लोकप्रियता से पता चलता है की भारत मे "नरेन्द्र मोदी " के बाद सबसे अधिक जाना जाने बाला अगर कोई है ' तो वह  अमिताभ बच्चन हैं । अमिताभ बच्चन को भारत की 75% के लगभग जनता पहचानती है ।
अमिताभ बच्चन का संछिप्त परिचय _
अमिताभ बच्चन का जन्म स्थान बनारस है ' उनके पिता कवि हरिबंश राय बच्चन थे ' इस समय  अमित  अपने परिवार के साथ मायानगरी मुम्बई के बॉद्रा मे रहते है । उनकी पत्नी जया बच्चन झीलों की नगरी भोपाल की है ' जो कभी झील के कमल की तरह खिलती हुई अदाकारा थी अब राजनीत मे है । उनके बेटे अभिषेक बच्चन भी अभितेता है । बहू एशवरिया राय जो एक समय दुनिया की सबसे सुन्दर स्त्रियों मे गिनी जाती  थी  और  अच्छी अभिनेत्रियों मे भी ' अमित की पोती आराध्या है ।
अमिताभ बच्चन  आध्यात्मिक विषय मे भी रूची रखते है । वे ओशो से बहुत प्रभावित है ।एक जमाने मे अमिताभ भारत के भूतपूर्व प्रधान मंत्री राजीवगाँधी के अच्छे मित्र थे  ' उनकी दोस्ती अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के साथ भी गहरी रही है ।उसी दोर मे इस जोडी की फिल्म दोस्ताना आई थी । अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्मों मे सबसे लोकप्रिय फिलमे दीवार ' शहनशाह ' शोले ' कुली ' आज का अरजुन ' बागवान प्रमुख है ।
अमिताभ बच्चन  इटरनेट पर भी एक ब्लॉगर है उनका ब्लॉग इग्लिश मे है ।अमिताभ बच्चन की सबसे बडी विशेषता यह है की इस दोर की पीडी भी उन्हें उतना ही पसंद परती है ' जितनी पुरानी पीढी करती थी और करती है ।

अमिताभ बच्चन को एड मे देखकर  एक 80 साल का बूढा कहता है _ अरे यह बूढा अभी भी नाच रहा है !

लव मेरिज ।

love 💏
प्रेम करना पाप नही है । पर प्रेमी के साथ शादी करना जरूरी नही है ।

नवरात्र मे ध्वनि प्रदूषण ।

नवदूर्गा  के आते ही ध्वनि प्रदूषण तेज हो जाता है ।जो दस दिन तक लोगों की रातों की नीद हराम करता है ।  हर झाँकी पर लाऊडस्पीकर लगे होते है जिन पर दिन रात भनन के रिकॉर्ड बजते है ।जिनसे निकलने वाली तेज ध्वनि तरंगों के कारण लोगों का ध्यान भटकता है 'विचार विषय का शोध नही कर पाता ' जिससे लोगों को काम काज के निर्णय लेने मे कठिनाई होती है । लोगों को आपसी संवाद मे भी बाधा महसूस होती है । झॉकियो पर लगे माइक की तेज  आवाज से बच्चों की पढाई भी बहुत प्रभावित होती है । कुछ दुर्गा झॉकी पर तो बडे बडे डी जे साऊड बजते है ' जिनसे निकलने बाली तेज  आवाज कान फोडती है । इस  आवाज का असर नवजात बच्चों के कान पर बहुत घातक हो सकता है ।
रवरात्र मे होने वाले ध्वनि शोरगुल के बिरोध मे आवाज उठाने पर स्थानिय दुर्गा उत्सव समीतियॉ चढ बेठती है ' उनका कहना होता है की हमारी आस्था पर ठेस पहुचाई जा रही है ।
पर धर्म की आड मे रात दिन लगातार तेज  आवाज मे माइक बजाने की मनमानी सरासर गलत है । इस विषय पर कडे नियम  कानून  लागू होने की जरूरत है । नियम  अनुसार रह झॉकी पर सुवह शाम  एक  एक घंटे पूजा आरती के समय पर ही माइक बजना एलाऊड होना चाहिए । सही मायने मे वही धार्मिक कार्यक्रम सही होता है जिससे दूशरो को असुबिधा नही होना चाहिए ।
          
                                       🌹🌹   "जय दुर्गे ' जय  अम्बे "🌹🌹

सोमवार, 26 सितंबर 2016

बुन्देली कवि ईसुरी ।

लोक कवि ईसुरी का जन्म सन 1841 को युपी के जिला झासी की माऊरानी पुर तेहसील मे मेढकी नामक गॉव मे हूआ था । ईसुरी वृहम्ण जाती के थे । उनके पिता जमीदार के याहॉ काम करते थे । ईसुरी को पढाने का बहुत प्रयास किया उनके पिता और मामा ने पर  ईसुरी का मन पढने मे नही लगा और वे अनपढ ही रहे ।ईसुरी खेतो की रखवाली का काम करते थे ' एवं खेतो की मेडो पर  एकांत मे बैठे बैठे मन ही मन कविता गढते फिर लोगो को सुनाते उनकी कविताए सुन कर लोग बहुत खुश होते ।ईसुरी की प्रेम रस की कविताए स्थानिय बुनदेलखंडी भाषा मे होती थी ।ईसुरी से प्रभावित होकर  उनके शिष्य बने ' धीरज पंडा ' जो ईसुर की कविता को लेखाकित करते थे ।उसी भाषा मे जयो की त्यो बुन्देली मेलिखते थे ।{बुन्देली भाषा बहुत प्यारी भाषा है अगर  इस भाषा मे कोई गाली भी देता है तो वह भी मीठी लगती है ।एक कवि  ने कहा है _ एसी प्यारी लगत बुन्देली ' जैसी कोई नार नवेली ।}
ईसुरी मुंशी प्रेमचंद्र की भाती जन जीवन पर  आधारित रचनाए लिखते थे ।और वे अपने जीवन पर भी कविता बनाते थे ।ईसुरी का विवाह श्यामबाई के साथ हुआ ' फिर  उनके यहाँ तीन लडकियों का जन्म हुआ ' अपने जीवन के इस पायदान पर  ईसुरी ने एक कविता तैयार की_ जब से सिर पर परी गृहस्ती ' ईसुर भूल गये सब मस्ती ।
ईसुरी की कविता से प्रभावित होकर छतरपुर के राजा ने ईसुरी के दरबारी कवि बनाने का संदेश भेजा जिसे ईसुरी ने स्वीकार नही किया ' और जवाब मे एक कविता लिख भेजी की ईसुरी को चाकरी पसंद नही है ।जब  उनकी पत्नी का दिहांत हो गया ' तो ईसुरी दूशरे गॉव मे रहने लगे जहाँ उनहे एक रंगरेजन से प्यार हो गया ।
इसमे दोराय हैं कोई कहता है की ईसुरी की प्रेमिका ' रजऊ ' उनकी काल्पनिक प्रेमिका थी जो उनकी कविताओं की पात्र थी । हकीकत जोभी हो ईसुर जाने ।सन 1909 मे ईसुरी का  दिहांत हो गया ।इसके कुछ समय बाद बुंदेलखंड की नचनारीओ ने अपने नाच के दोरान  ईसुरी की कविताए गाना शुरू किया जिससे ईसुरी का नाम दूर दूर तक जाना जाने लगा ।
इसके बाथ  ईसुरी की कविताए होली के अवसर पर फाग के नाम से गाने का चलन चला जो आज भी कायम है ।अब  ईसुरी की फागो के बिना होली के रंग फीके लगते है ।क्योंकि उनकी प्रेमरस भरी कविताए मन को छू जाती है ।ईसुरी की कविता फाग के नाम से प्रशिध है ।और  ईसुरी आज भी लोगो के दिल मे बसे है ।
ईसुरी की कविता की पंक्तियाँ _ 
ऐगर बैठ लेओ कछू कानें ' काम जनम भर रानें " 
सबसौ लागो रातु जियत भर ' जा नईं कभऊँबढानें " 
करियो काम घरी भर रै के ' बिगर कछू नईं जानें " 
इ धंधे के बीच  ईसुरी ' करत करत मर जाने ।
एसे थे बुंदेलखंड के कवि ईसुरी ।

शनिवार, 24 सितंबर 2016

केसिट बेचने बाला बना बना 'डायरेक्टर ।

मधुर भंडारकर 
यह सफलता की कहानी एक  एसे लडके की है जिसका बच्पन संघर्ष मे बीता ' फिर भी उसने अपने लक्ष्य को पा कर ही दम लिया । 26 अगस्त 1968 मे मायानगरी मुम्बई के उपनगर खार के एक गरीब परिवार मे जन्मे मधुर भंडारकर ।
मधुर जब  स्कूल मे पढ रहे थे ' उसी दोरान  उनके परिवार की आर्थिक दशा किन्हीं कारणों से बिगड़ गई । और मधुर को अपनी पढाई छोडकर काम धंधा करना पडा जिससे उनके परिवार का खर्च चल चल सके ' मधुर साइकिल से घर घर जा कर वीडियो केसिट बेचने का काम करने लगे । इस काम के दौरान वे फिल्म स्टारो के घर पर भी केसिट देने जाते थे ' उस समय के सुपर स्टार मिथुन  के घर भी मधुर केसिट पहुचाते थे ।
मधुर बच्पन से ही मेघावी थे एवं उन्हें फिल्म देखने का भी सोक था ' मधुर के मधुर संबंध फिल्मों से जुडे लोगों  के साथ थे ' इस फिल्मी माहौल मे रहने के कारण  एक डायरेक्टर ने मधुर को सहायक के तोर पर काम पर रख लिया । इस काम के दौरान मधुर ने फिल्म डायरेक्शन मे बहुत कुछ सीखा । इसके बाद मधुर को रामगोपाल बर्मा की फिल्म रगीला मे एक छोटा सा रोल मिला जिसे मधुर ने निभाया । फिर मधुर को एक  और डायरेक्टर के साथ सहायक डायरेकटर के रूप मे काम करने का मोका मिला ।
चाँदनी बार 'फिल्म
सन 2001मे मधुर के डायरेक्शन मे बनी फिल्म चाँदनी बार  आई । जिसमे मधुर के निर्देशन को काफी सराहना मिली ।और  उन्हें राष्ट्रीय पुरुस्कार से भी संम्मानित किया गया । फिल्म 'चाँदनी बार ' से प्रकाश मे आए इक्कीसबी सदी के श्रेष्ठ निर्देशक मधुर भंडारकर । इसके बाद मधुर के डायरेक्शन मे जो फिल्में बनी वे भी बहुत सफल रही । उनके डायरेक्शन मे बनी फिल्मों मे  सत्ता ' आन मेन  एट वर्क ' पेज 3 ' कॉरपोरेट ' टैफिक सिग्नल ' फेशन 'जेल ' दिल तो बच्चा है जी '  प्रमुख्य है ।उन्की ये सभी फिल्मे बहुत सफल रही । मधुर भंडारकर को  सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरुस्कार भी मिला है । पटकथा लेखक  और फिल्म निर्देशक  मधुर भंडारकर  एक प्रशिद्ध हस्ती है ।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

एक रुपया बंद होगा ।

भारत की मुद्रा का एक रुपया का सिक्का  अब जल्दी ही बंद होने बाला है ।वह  इसलिए कि अब  एक रुपये मे मिलता ही क्या है । अब  एक रुपये की जरूरत नाम मात्र के लिए ही रह  गई है । यह  अनुमान लग रहा है कि 2017के अंत तक देश मे एक रुपये का चलन पूरी तरह से बंद हो जाएगा ।
एक रुपया मुल्य की चंद वस्तुएं ।
माचिस ' टॉफी ' पान का पत्ता ' शेम्पो शेशै ' खाने का चूना पाऊज ' छोटी सूई ' आदि ।
एक रुपया बंद होने पर भिखारियो को लाभ होगा ' फिर  उन्हे भीख मे सीधे दो रुपये ही मिलेगे ।
एक रुपया बंद होने पर सबसे जादा लाभ  उन वस्तुओं के निर्माताओ को होगा जो वस्तुएं आज  एक रुपये मे बिक रही है ' क्योंकि फिर  इन वस्तुओ की कीमत दुगनी यानी दो रुपये हो जाएगी ।✌✌
🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝
Seetamni@gmail. com

गुरुवार, 22 सितंबर 2016

मच्छर भगाने की घरेलू दबाई ।

मुफ्त मे मच्छरो से बचने का सबसे सरल  उपाय ।
मलेरिया ' डेंगू ' चिकिनगुया जैसी घातक बीमारियां फेलाने बाला मचछर ' आदमी का सबसे बडा दुश्मन है ।
इससे बचने के लिए हमे ना जाने क्या क्य  उपाय करने पडते है । कॉयल जलाना ' क्रीम ' लगाना ' पंखा और मच्छर दानी मे सोना आदि । इन सभी उपायों के बाद भी मच्छरों से बचना कठिन होता है ।
मच्छर की घरेलू दबा बनाना ।
यह दबा बनाने का तरीका यह है _ सरसों के तेल मे नीम की पत्तियों को आग पर पकाने के बाद तेल को ठंडा होने पर ' छानकर शीशी मे भर ले । बस तैयार है मच्छर भगाने की दबाई ।
इस तेल की मालिश शारीर पर करने के बाद मच्छर काटना तो दूर पास भी नही आते ' इस तेल का सबसे बडा दूशरा फायदा यह है की इससे अन्य त्वचा रोग भी नही होते जैसे दाद ' खाज ' खुजली ' फुन्सी आदि । गुप्त अंगो की पसीने बाली खुजली का तो यह तेल  आजमाया हुआ राम बॉण  इलाज है ।क्योंकि इसमे नीम जो है ।इस तेल का शरीर पर कोई हानिकारक असर नही पडता ।
मच्छरों से बचने का यह घरेलू नुस्खा 'एक  आजमाया हुआ कारगर  उपाय है ' और वह भी बगेर पैसा का जिससे कॉयल पर  खर्च होने बाले रुपये भी बचते है ।
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
Seetamni@gmail. com

धोती पर संकट के बादल ।

भारतिय पुरुष परिधान 'धोती कुरता और रूमाल ' अब लुप्त होने की कगार पर खडे है । पिछले दो तीन दशक से भारतीय संस्कृति के पहनावे पर पाश्चात्य संस्कृति के बढते चलन के कारण धोती खोती जा रही है । आज का युवा जीन्स पहनना अधिक पसंद कर रहा है । शहरों मे तो बूढे स्त्री पुरुष भी जीन्स टीसर्ट पहने अधिक देखे जाते है ।केवल गांव मे ही 60 साल से जादा आयु के लोग धोती कुरता पहनते है ' इन बूढो के समाप्त होते ही धोती गांव से भी विदा हो जाएगी । पर कुरता रहेगा क्योंकि कुरते ने जीन्स के साथ रिस्ता बना लिया है । साफा का तो पता ही नही कब गले से गिर गया । आने बाले 30 साल बाद धोती बाले लोग केवल फोटो मे ही देखे जाएगे ।
स्वदेशी कार्यक्रम
एक फिल्म का बहुत सुन्दर केरेक्टर है ' स्वदेशी पर जो कुछ  इस प्रकार है _ स्वदेशी कार्यक्रम मे मंच पर  एक मंत्री भाषण देता है स्वदेशी पर  इसी बीच  एक जीन्स टी सर्ट बाला लडका मंच पर  आता है और मत्री के हाथ से माइक बोलता है की मे आपकी बात का समरथन करते हुए ' अभी इसी वक्त  इन विदेशी कपडो का बहिस्कार करता हू ' यह कहते हुए यूवक  अपने जीन्स टी सर्ट उतार कर फेक देता है ' जिस पर लोग तालियाँ बजाते  है ' तालियो की गडगडाहट खत्म होने पर फिर वह यूवक यह कहते हुए अपने अंडरवियर की तरफ हाथ बढाता है की यह भी विदेशी है ' स्वदेशी तो चड्डी है ' और मे इसका भी बहिस्कार करता हू ' यह सुनकर जनता नहीSs  नहीSs  चिल्लाकर भागने लगे ।
🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌🙌

Seetamni@gmail. com

बुधवार, 21 सितंबर 2016

उज्जैन की छटा मे लगे चार चाँद ।

उज्जैन शहर भारत का सबसे पुराना एतिहासिक शहर है । इसका पुराना नाम 'उजेनी ' था ।भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ सांदीप मुनी से विध्या अधयन किया था । यह स्थान आज भी है जो सांदीपनी आश्रम के नाम से जाना जाता है ।

उज्जैन शहर का रामायण मे भी उल्लेख है ।कागभुशुण्डि गरूड संवाद ' मे कागभुशुण्डि गरुड को 27कल्प पहले के अपने एक जन्म की कथा सुनाते हु कहते है की _ उस समय के कलयुग मे मेरा जन्म अवध मे हुआ था । जव  अवध मे अकाल पडा तो मे 'उजेनी नगरी चलागया और वहाँ मेने कुछ संपत्ति पाई ।फिर मे वही रहकर शिव भक्ति करने लागा ।
इस संवाद से पता चलता है की उज्जैन कितने कल्प पुराना शहर है ।
उज्जैन अभी भी सुनदर शहर है । पर  अब  अति सुन्दर हो जाएगा । हाल ही मे सरकार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट जारी की है । जिसमे  मध्य प्रदेश को दो शहर शामिल है । उन्मे से एक  उज्जैन भी है ।  और  अब  जब  उज्जैन स्मार्ट सिटी बन जाएगा तो उसकी छटा मे चार चाँद लग जाएगे ।
उज्जैन के एक राजा हुए थे । बिकृमादित्य ' उन्होंने ही बिकृम संवत सन चलाया था । राजा बिक्रम  आदित्य का सिहासन  आज भी मोजूद है जो अब क्षति ग्रहस्त है ।
महाकाल ' की नगरी उज्जैन का महाकालेश्वर मदिर भगवान शिव के बारह ज्योत्रिलिंगो मे से एक है ।इसलिए यहाँ हर बारह बरष बाद सिंहस्थ मेला लगता है ।उज्जैन मे सबसे जादा शिव के मंदिर है ।यहाँ की क्षिप्रा नदी भी पावन नदियों मे से एक है ।
उज्जैन ने अतीत की अनेक मानव सभ्यताओ को अपने मे जिया है ।यह शहर साक्षी है मानव के सबसे पुराने इतिहास का ' इसने समय के कितने उतार चढाव देखे होगे 'कभी उज्जैन शहर भी दिल्ली जैसा विशाल और विकसित शहर रहा होगा ।सुन्दर भी होगा ।अब फिर समय चक्र उज्जैन को  एक सुन्दर शहर के रूप मे बनाकर भविष्य मे ला रहा है ।

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

चोकीगढ के किले मे 'पारसमणी' है !

चोकीगढ का किला _यह किला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले मे भोपाल जवलपूर राजमार्ग पर बाडी के 'बारना डेम ' मे एक पहाड़ पर बना है । कले पर जाने के लिए कोई सुगम रास्ता नही है । यह पहाड़ तीन तरफ से पानी मे घिरा है । केवल पूरव दिशा से किले के पहाड़ पर  एक पगडंडी जाती है । जो जंगल से होकर जाती है और यहाँ जंगली जानवरो का खतरा भी होता है । इसलिए इस किले पर बहुत कम लोग ही जाते है ।और यह किला सुनसान बीराने मे होने के कारण गुमनाम है । किले पर कोई पर्यटक नही जाते ' यहाँ केवल खोजी ' लोभी लोग ही जाते है ।
पर अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस किले को पर्यटन स्थल बनाने का निश्चय किया है ' और किले पर जाने के लिए रोड बनाने का भी आस्वासन दिया है । अब जल्दी ही चोकीगढ का किला प्रकाश मे आने बाला है ।
किले का इतिहास _यह किला सोलहवी सदी के आसपास का बना है ।यहाँ गोड बंश के राजा राज करते थे ।इस राज घराने के लोग  आज भी मोजूद है । टीकमशाह  और रज्जाक शाह दो भाई है जो सेमरी गाँव मे रहते है ।वह बताते है की देश गुलाम होने के बाद इस भाग पर भोपाल रियासत के नबाव का शासन था । यह नबाव  अभिनेता शेफ  अली खान के पूर्वज थे ।
पारसमणी_यहाँ का राजा किसानों सेकर के रूप मे लोहा लेता था 'जिसे वह सोने मे बदल लेता था ।क्योंकि उसके पास पारसमणी जो थी ।एक हमले के दोरान जब किले पर दुश्मन ने कब्ज़ा कर लिया ' तब यहाँ की रानी उस पारसमणी को लेकर बाउडी मे कुद कर मर गई । यह बाउडी किले के मुख्य दरवाजे के नीचे है । इसे माँनागन कहते है ।बताया जाता है की आज भी इसी माँनागन बाउडी मे है पारसमणी ।
जिसे ढुडने के लिए नबावी शासन मे नबाव ने इस बाउडी पर पानी खाली करने के लिए बडे बडे वाटर पंप रखवाए थे ।यह पंप आठ दिन तक लगातार चले पर बाउडी का पानी खत्म नही हुआ ' और बाउडी से विशालकाय सर्प बाहर निकलने लगे जिनहे देखकर नबाव के आदमी पंप चलते छोडकर भाग खडे हुए । और नबाव मणी खोजने मे सफल नही हो पाया ।
चोकीगढ के किले के तहखाने मे खजाना '
किले के तलघरे मे खजाना होने की बात भी कही जाती है । जो लोग  इस किले के तहखाने मे होकर  आए है वह बताते है की बहा भीतर कुछ नरकंकाल पडे है ।वहाँ भीतर  एक कक्ष भी है जिसका रहष्मय दरबाजा है ।इस कक्ष भे हमेशा उजाला रहता है ।और  इस तहखाने मे बडी भूलभुलाईया है जिससे इसमे भीतर जाने के बाद खजाना तो छोडो बाहर निकलना कठिन होता है ।और यहाँ बडा भयानक लगता है । इसी तहखाने के बंद कमरे मे खजाना होने की बात स्थानीय लोग बताते है ।
😁😁😁😈😈😈😤😤😤😇😇😇
Seetamni@gmail. com

सोमवार, 19 सितंबर 2016

अभिनेता ऋषिकपूर अवार्ड से सम्मानित हुए ।

प्रेम कुदरत के दुवारा मनुषय को दिया गया अनुपम  उपहार है । प्रेम की घटना हर मनुष्य के साथ घटती है । प्रेम  आत्म की प्यास है । प्रेम के बिना संसार सूना है । प्रेम मय जीवन स्वर्ग के समान है ।
अभिनेता ऋषि कपूर को मिला ' जयांटस  इंटरनेशनल  अवार्ड '
 भारतिय फिल्म जगत मे प्रेम  आधारित विषयों पर बनी  फिलमो मे कपूर परिवार के कलाकारो का पुराने समय से बहुत योगदान रहा है । पर पिछली सरकारो ने  कपूर परिवार को अबतक किसी अवार्ड से पुरूषकृत नही किया था । कपूर परिवार के सम्मान को लेकर  ऋषि कपूर मे पिछली सरकारों के प्रति कुन्ठा थी ।और  इसी वजह से उन्होंने एक बार यह वयान दिया था की _ सरकारी इमारते क्या किसी के बॉप की है जो उनके नाम राजनेताओ के नाम पर रखे है ।
पर  अब  इस बात की कमी को वर्तमान सरकार ने  पूरा कर दिया । कल मीडिया मे ऋषि कपूर को अवार्ड से सम्मानित होने का समाचार  आने पर ऋषि कपूर के चाहने बालो मे भी खुशी की लहर दोड  गई ।

कपूर घराना पहले पाक वाले हिस्से मे रहता था ।बटवारे के बाद कपूर परिवार माया नगरी मुम्बई मे आ कर बस गया ।
प्रमुख्य कपूर अभिनेता ।
कपूर परिवार के मुख्य अभिनेता अभिनेत्रियो मे ' राजकपूर ' शशिकपूर ' शम्मी कपूर ' दादा मुनि ' अनिलकपूर ' शक्तिकपूर ' ऋषिकपूर ' रणबीर कपूर ' करिश्मा कपूर ' करीना कपूर आदि के नाम मुख्य है ।
ऋषि कपूर अभनीत सुपरहिट फिल्मे है ।
बाबी ' चाँदनी ' नागिन ' बंजारन ' 'बडे घर की बेटी ' प्रेम रोग ' हिना ' आदि ।इन फिल्मों मे ऋषि कपूर का अभियान बहुत सराहनिय रहा है ।
कपूर परिवार के अभिनेताओ की सबसे बडी विषेसता यह रही की ' किसी भी कपूर अभिनेता ने अपने अभिनय की प्रशिद्धी का उपयोग राजनीती मे नही किया ।
💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💑💏💑💑💑💑💑

शनिवार, 17 सितंबर 2016

पित्रो को पानी देने का बिधान ।

हिंदू परंपरा मे क्वॉर मास के कृष्ण पक्ष का पखवाडा पित्रो को सर्मपित है ।यह पाख कडवे दिनों के रूप मे याद किया जाता है ।इस पाख मे हिंदू धर्म के लोग  अपने पुरखो को नदी नालो मे जाकर स्नान करते हुए जल  अर्पण करते है ' और  घर पर पुरखो के नाम से काग 'कुत्तो को खीर पकवान खिलाते है ।
यह सब देखकर मेरे मन मे प्रश्न  उठता है कि सावन भादो की भारी बरसा के बाद भी पुरखे प्यासे कैसे रह जाते है ' शायद वे संतान के हाथ का ही पानी पीते हो । या फिर यह पित्र पाख  उन लोगो के लिए हो जो लोग  अपने जिंदा मॉ बाप की सेबा नही कर पाते और  उनके मॉ बाप भूखे प्यासे ही मर जाते है ।जिसका पश्चाताप करने के लिए लोग  इस पाख मे अपने पुरखो को खिलाते पिलाते है । और  अपनी आत्मा को संती देते है ।
हिंदू सस्कृति मे आदमी की मृत्यु के बाद  उसकी आत्म की शंती के इतने बिधान है कि यदि सभी बिधानो को नियम  अनुसार दान पुन्य भोज से पूरा किया जाय तो उस परिवार की सारी जमापूजी और पेत्रिक संपत्ति मरने वाले के उपर ही ही खर्च हो जाएगी ।
आदमी के अंतिम संस्कार के बाद ' गंगा मे अस्थि बिसर्जन ' मृत्यु भोज '  छहमासी भोज ' श्राद  आदि ।
मृत्यु भोज
मैने सुना है की एक मृत्यु भोज के दोरान जव लोग पाडाल मे भोजन कर रहे थे उसी समय मरने बाला आदमी प्रकट हो गया और लोगो से पूछने लगा भाई कैसी बनी है मिठाई रायता स्वादिष्ट है या नही ' यह देख सुनकर लोग भूत भूत चिल्लाकर भागने लगे और देखते ही देखते पंडाल खाली हो गया । और फिर वह  आदमी भी गायव हो गया ।
आत्म की शंती के बिधानो की सच्चाई ।
जीवन  एक जलते हुए दिये के समान है ।जिसमे शरीर दिया है और  आत्म ज्योति है । आदमी के मरने के बाद मिट्टी का दिया जमीन पर ही पडा रह जाता है और ज्योति रूपी आत्मा आकाश मे बिलीन हो जाती है । मृत्यु के बाद  अंतिम संस्कार का बिधान तो सर्व मान्य है । इसके बाद मृत आत्मा की शंति के लिए किये जाने बाले सभी कर्मकांड व्यर्थ है । क्योंकि इनका कुछ भी असर मृत आत्मा पर नही होता  । यह सब तो पंडित पुरोहितो ने झूठा प्रपंच रचा है ' यह  एक सडियंत्र है  जिसमे लोगो को मूर्ख बनाकर  उनसे दान पुन्य भोज  आदि करवाकर  उनहे लूटा जाता है ' और  उनकी धन संपत्ति बरबाद कराई जाती है । 
💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀👽

शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी ।

अब आएगे उपभोक्ताओं के अच्छे दिन ।
पिछले सप्ताह भारत सरकार ने अधिसूचना जारी की है जिसमे बताया गया है कि अब जल्दी ही सरकार एक  एसा कानून ला रही है ।जिसमे सरकार तय करेगी वस्तुओं की कीमत ' जिसमे खुदरा बाजार की वस्तुएं सरकार के निस्चित किये गरे रेट पर ही बिकेगी ' और MRP रेट खत्म हो जाएगा ।इस नियम के लागू होने पर कोई भी कंपनी ' व्यापारी ' अथवा दुकानदार  इस नियम का उलंघन करेगा तो उसे पॉच हजार रूपये का जुर्माना देना होगा ।इस कानून के आने से देश मे कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी ।एवं महगाई कम होगी ।
आज बाजार मे यह हो रहा है की खुल्ली वस्तुएं जैसे खादय वस्तुएं दाले अदि वस्तुओं के मुल्य की तुलना मे ' कंपनियों की पेकिंग वाली ब्रांडेड वस्तुऔ के MRP रेट 40% तक  अधिक पाए जा रहे है । खुल्ली और पेकिंग बाली वस्तुओं के रेट मे भारी अंतर को देखते हुए ' सरकार का यह कदम सराहनिय है ।जो उपभोक्ताओं के हितो मे है ।अंदाजा यह लगता है की यह कानून GST के लागू होने से पहले ही लागू होगा ।
दुनिया की आर्थिक प्रणालीयॉ ।
संसार के अलग  अलग देशो मे तीन तरह की अर्थव्यवस्थाऔ का चलन है ।
समाजवाद_ इस व्यवस्था मे संपूर्ण संसाधनो पर सरकार का नियंत्रण और स्वामित्व होता है ।
पूजीवाद _ इस व्यवस्था मे देश के उत्पत्ती के साधनो पर व्यक्तियो का मलिकाना हक होता है । जैसे अमरीका मे पूजीवादी अर्थव्यवस्था अपनाई जा रही है ।
मिश्रित अर्थव्यावस्था _ इस  अर्थिक व्यवस्था मे  देश के ससाधनो पर सरकार  और व्यक्ति दोनो का मिलाजुला स्वामित्व होता है । भारत देश मे यही व्यवस्था अपनाई गई है ।
इसमे मुल्य तंत्र के संचालन को सरकार जनता के हितो के लिए ' अपनी कीमत नीति के तहत नियंत्रित करती है । इस व्यवस्था मे मुल्य तंत्र एक सीमा तक ही क्रियाशील रहता है ।
सीतामनी ए जीमेल डॉट कॉम

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।