मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

काश अगर मे दर्पण होता ।

काश अगर मे दर्पण होता ' सबको मेरा सर्मपण होता ।

         मेरा कोई रंग न होता ' मेरा कोई रूप न होता
        मे एक खाली चोखटा होता । काश  अगर____

                         बाजार मे दुकान पर बिकता 'मकान मे दीवार पर लगता
                         कोरा काँच का तुकडा होता 'काश  अगर ________
                                       

                                             सुंदरी देखतीं मुझमे अपनी सूरत 'मे देखता उनमे अपनी मूरत
                                             एसा खुशनशीव होता । काश अगर ______________



                                                                   मुझमे अपना चहरा देखता हर सक्श ' मे खीचता उनका अक्श
                                                                   एसा नक्शा नफीज़ होता ।काश अगर ________________


सुहागिन के श्रृंगार का 'दुल्हन के उपहार का
मे सत्रहाबा सामान होता । काश अगर ____________


                             भले बुरे सब मुखडे देखता ओर दिखाता ' काले गोरे मे भेद न करता
                               सच्चाई का सवूत होता । काश अगर_____________
                               
                                                         ठोकर से टूटकर तुकडो मे बिखर जाता ' फिर भी सूरत पूरी दिखलाता
                                                             बदले का कोई भाव ना होता । काश अगर मे दर्पण होता ।
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रविवार, 18 दिसंबर 2016

ग्रामीण विकास मे स्कूल व पंचायतो की भूमिका ।

केंद्र व राज्य सरकारे ग्रामीण विकास के लिए बहुत प्रयत्नशील है । सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए अनेक योजनाए संचालित की है । फिर भी गॉवो का विकास बहुत धीमी गती से हो रहा है । अंतिम छोर पर खडे गरीब गॉव के मजदूर तक सरकारी योजनाओ का लाभ ना के बरावर ही पहुच पा रहा है ।
ग्रामीण जन जीवन और जीवन शैली ।
देश दुनिया मे इतना विकाश होने पर भी आज ग्रामीण जन  आज दो हजार पुरानी जीवन शेली मे जी रहे है । कच्चे मकान ' मिट्टी के चुल्हे चोके '  चिराग ' चक्की ' ओखली ' अलाव सबकुछ वही पुराना है ।पुराने जीवन मुल्यो पर  आधारित है गॉव का जीवन । कृषि एवं पशूपालन के सहारे ही चलतीं है गॉव की जिंदगीयां ' ग्रामीण क्षेत्रो का वाहरी परिवेश भले ही आधूनिक दिखता है । पर भीतर से गॉव का जन जीवन अंधकार और  अंधविश्वास से भरा है । पुराने रीति रिवाज ' पुरानी भाषा बोलियां ' पुराना धर्म और परंपराए ग्रामीण जीवन मे जड जमाए हुए है । सही मायने मे ते ग्रामीण जन जीवन मे नये आधूनिक समाज का जन्म ही नही हो रहा है ।
ग्रामीण शासकीय स्कूल _ शिक्षा का अभाव गॉवो के विकास मे सबसे बडी बाधा है । दिहाती इलाकों मे सरकारी शिक्षा व्यावस्था मे बहुत सुधार की जरूरत है । शिक्षको पर कडे नियम लागू होने के साथ ही सरकारी स्कूल जल्द ही डिजिटल होने चाहिए यह  आज के समय की माँग है ।सरकारी स्कूलो के छात्र  आज भी गधो की तरह बस्ते का बोझ ढो रहे हे ' जवकि आज समाज हर क्षेत्र मे अॉनलाइन होता जा रहा है ।और  आज की सरकारी शिक्षा इस मामले मे पीछे चल रही है ।शिक्षा मे आज वर्तमान  आगे है और देश का भविष्य बच्चे डिजिटल शिक्षा मे पीछे चल रहे है ।
शिक्षा का व्यापार नही होना चाहिए ' और न ही शिक्षक रोजी कमाने या वेतन पाने के लिए शिक्षा दे ।शिक्षा सेवा और दान भाव से प्रदान की जानी चाहिए ।
ग्राम पंचायते _ग्रामीण विकाश मे पंचायत की अहम भूमिका होती है । पर  इस मामले मे ग्राम पंचायते असफल है । गॉव पंचायते सशक् होना चाहिए ।एवं डिजिटल सुविधाओं से लेश होनी चाहिए ।पंचायतो के असहयोग के कारण ही आज गॉव विकाश मे पीछे चल रहे है । सरकार सरपंच पद के लिए पिछडी जातियो के उम्मीदवारो को प्राथमिकता दे रही है जो लोग  अपना और  अपने परिवार का विकाश नही कर सके ' उन लोगो से गॉव के विकास की आशा कैसे की जा सकती है । जो लोग खुद गंदगी मे रहते है वह ' स्वछ भारत  अभियान ' मे क्या सहयोग देगे । जव तक ग्राम पंचायतो मे अनपढ गवार सरपंच रहेगे तव तक  गॉवो का विकास असभव है ।
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शनिवार, 17 दिसंबर 2016

डिजिटल लेनदेन पर करोडो रू इनाम देगी सरकार ।

ग्रामीण  इलाके मे डिजिटल भुगतान को बढावा देने के लिए ' भारत सरकार ने 15\12\2016 को दो बडी इनामी योजनाओ की घोषणा की है । यह योजनाए 25 दिसम्बर से लागू होगी और 14 अप्रैल तक चलेगी । इस 100 दिन की अवधि मे डिजिटल लेनदेन करने वले ग्रामीण जनो को रोजाना सरकार 15 लाख रू इनाम देगी ।
भाग्यशाली ग्राहक योजना _ इस योजना के अंतर्गत जो गॉव के लोग चार तरीको से डिजिटल भुगतान करेगे इनमे रूपे कार्ड' यूपीआई एप ' यू एस एस डी ' आधार समर्थित भुगतान सामिल है । इन तरीको से 50 रू से लेकर 3000 रू तक के डिजिटल भुगतान करने वालो को ही इनाम मिलेगा । पूरे भारत के ग्रामीण  इलाको के 15 हजार लोगो का चयन होगा रोजाना 100 दिन तक जिनमे से हर  एक को हजार हजार रू इनाम मे दिये जाएगे । इसके अलावा हर सप्ताह सरकार लकी ड्रा निकालेगी जिसमे 7000 विजेताओ का चयन कर  उन्हें पाँच हजार  एवं दस हजार के इनाम दिये जाएगे । यह योजना केवल ग्रामीण क्षेत्रो के लिए ह है 'जिसमे विक्रेताओ एवं सरकारी एजेसियो को किया जाने वाला डिजिटल पेंमेंट ही शामिल होगा । इनाम की रकम सीधे विजेताओ के बैक खातो मे जमा होगी । इस योजना के अंतर्गत एक ग्राहक तीन बार तक  इनाम ले सकेगा ।
डिजिधन व्यापार योजना _ यह योजना व्यापारीओ के लिए है । इसमे  डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले व्यापारी एवं दुकानदारो मे से कुछ व्यापारीओ का चयन करेगी राष्ट्रीय  भुगतान निगम ' जिनहे 50_50 हजार रूपये के इनाम दिये जाएगे ।
मेगा इनामो की घोषणा - मेगा विजेताओं की घोषणा 14 अप्रैल 2016 को अंबेडकर जयंती के दिन होगी । जिसमे पहला पुरुस्कार " 1 करोड रूपये का दिया जाएगा । दूशरा पुरुस्कार 50 लाख रूपये का दिया जाएगा । तीशरा पुरुस्कार 25 लाख रूपये देय है ।
इन  इनामी योजनाओ पर सरकार अनुमानित 3 अरव रूपये से अधिक खर्च कर रही है । यह योजना गॉव के लोगो के लिए आम के आम  और गूठली के भी दाम दे रही है । तो फिर देर किस बात की आज ही सीखिए डिजिटल भुगतान के तरीके और हो जाईए तैयार  इनाम जीतने के लिए ।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजन _ यह योजना आज से देश मे लागू होगी । कालाधन से प्राप्राप्त आय  इस योजना मे जमा होगी और  इसी धन से इस योजना का संचालन होगा ।
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सोमवार, 12 दिसंबर 2016

नए सामुदायिक रेडियो स्टेशनो को 90% अनुदान ।

केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 10 दिसंबर 2016 को ' नए सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोलने बालो को बडे अनुदान की घोसणा की है ।जिसमे पूर्व उत्तर प्रदेशो के लिए 90% एवं अन्य प्रदेशो मे 75% अनुदान सरकार देगी ।
सामुदायिक रेडियो क्या है ।
सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी मे 'कम्यूनिटि रेडियो ' कहा जाता है ।यह रेडियो सेवा आकाशवाणी ' एवं एफएम चैनल के बाद तीसरे नं की रेडियो सेवा है । सामुदायिक रेडियो के प्रशारण का दायरा सीमित होता है । सामुदायिक रेडियो की स्थापना लाभ कमाना नही है ।वल्कि सामुदायिक रेडियो शिक्षा और ज्ञान देने पर  आधारित होते है ।सामुदायिक रेडियो एसे समुदाय और संस्थाओ के दुवारा संचालित होते है जो जनहित मे कार्य करते है ।जैसे शिक्षण संस्थान ' स्यंम सेवी संगठन 'कृषि विज्ञान केंद्र आदि जो कृषि स्वास्थ्य शिक्षा आदि जन कल्याण के लिए काम करते है ।
सामुदायिक रेडियो का आरंभ ।
अमेरिका मे सामुदायिक रेडियो का आरंभ 1940 मे हुआ ।और ब्रटेन मे इसकी शुरूवात 1960 मे हुई ।
भारत मे पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन 1995 मे खुला था । जिसे चिन्नईं के अन्ना विश्वविधालय ने शुरू किया था । आज भारत मे लगभग 150 सामुदायिक रेडिये स्टेशन है ।
अपना सामुदायिक रडियो स्टेशन कैसे शुरू करै ।
देश के गांव कस्बे मे कोई भी संगठन संस्था जो यूनियन एक्ट के तहत रजिस्टर हो वह  अपना सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोल सकती है । इसके लिए सूचना एवं प्रशारण मंत्रालय लाइसेंस देता है । सामुदायिक रेडियो शुरू करने के लिए संवंधित मंत्रालय को अॉनलाइन  आवेदन भी किया जा सकता है । इसका आवेदन शुल्क 2500₹ है । आवेदन पर विचार करने के बाद सूचना एवं प्रशारण मंत्रालय सामुदाय को लाइसेंस देता है । इसके बाद सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना की कम से कम लागत दो लाख  आती है । इसमे पुराने उपकरण भी लगाए जा सकते है । अब तो सरकार  इस पर 90% तक  अनुदान दे रही है तो समुदाय का केवल 50 हजार तक ही खर्च होगा ।  यह रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिए अधिक स्थान की भी जरूरत नही पडती इसे एक कमरे से ही संचालित किया जा सकता है । इसमे एनटीना का विशेष महत्व होता है । यह  एनटीना 15 से 30 मीटर तक  ऊचा लगता है । सामुदायाक रेडियो स्टेशन मे 100बाट के ट्रास्मीटर से लेकर 250बाट तक के ट्रास्मीटर लगाने की अनुमति होती है । जो 15 किलोमीटर के दायरे तक प्रशारण देता है ।
सामुदायिक रेडियो से कार्यक्रम प्रशारण की अनुमति ।
सामुदायिक रेडियो पर प्रशारित किये जाने वाले कार्यक्रम स्थानीय भाषा मे समुदाय या संस्था ही तैयार करती है । जो सूचना ' शिक्षा 'ज्ञान पर  आधारित होते है । इसमे स्थानीय लोककलॉ और स्थानीय लोगो की रूचि के अनुसार मनोरंजन के कार्यक्रम भी देने की अनुमति होती है । एक घंटे के कार्यक्रम मे पॉच मिनट विज्ञापन भी दिये जा सकते है । पर प्रायोजित कार्यक्रम देने की अनुमति नही होती और ना समाचार दिये जा सकते है । पर  अव सूचना एवं प्रशारण मत्रालय दूरर्दशन ' आकाशवाणी ' एवं प्रिंट मिडिया के लिए नई नीति बनाने पर विचार कर रहा है । जिसमे सभी संचार माध्यमो मे सुधार के साथ सुविधाए भी दी जाएगी ।
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शनिवार, 10 दिसंबर 2016

डिजिटल मनी का आवाहन ।

देश मे अभी नोटबंदी का हू हल्ला थमा नही की भारत सरकार ने डिजिटल मनी का आवाहन कर दिया । नगदी रहित लेनदेन का मतलव है 'डिजिटल मनी 'यनी अब लोगो को नगदी रखने की जरूरत नही है ।इसके स्थान पर केवल रूपयो की संख्या पे करने का अधिकार लोगो को अपने पास रखना है ।वस्तू खरीद और सेवा के भुगतान के रूप मे यह  अधिकार किसी को भी दिया जा सकता है ।एवं लिया भी जा सकता है । डिजिटल मनी का उपयोग पारदर्शी सरल  और सुरक्षित तरीका है । इस तरीके से लोग घर बैठे दुनिया के किसी भी स्थान पर रूपयो का लेनदेन  आधा मिनट मे कर सकते है। डिजिटल मनी के चलन से देश की अर्थव्यावस्था वेग गती से चलेगी 'और देश भी इसी गती से विकास के पथ पर  आगे बढेगा । डिजिटल भुगतान के चलन से लोगो को नगदी के बोझ से मुक्ति मिलेगी 'साथ हीनगद मुद्रा के रखरखाव  और  उसकी सुरक्षा आदि से भी निजात मिलेगी । कुलमिलाकर देश मे डिजिटल मनी के चलन से लोगो को फायदा ही फायदा है । लोगो को डिजिटल मनी से डरने की जगह  इसका स्वागत करना चाहिए ।और डिजिटल भुगतान के तरीको को सीखकर  इन्हे जलन मे लाना चाहिए ।
डिजिटल मनी का रूपरंग _डिजिटल मनी का कोई रंग रूप नही है ।यह  अदृश्य शक्ति की तरह है । पर यह काम सारे करेगी । नगद मनी से भी जल्दी ।आने वाले समय मे नगदी का चलन घटकर नाम मात्र रह जाएगा । और नगदी नोटो के दर्शन बामुशकिल होगो । जो पुराने लोग नोटो की पूजा करते है उन्हें नोट तस्वीर मे जडवाकर रखना पडेगा ।क्योंकि डिजिटल मनी तो हवा मे रहेगी जो दिखाई नही देगी । केवल  उसकी संख्या का पता रहेगा की हमारे पास  इतने रूपये है । और  इनहे हम जहाँ चाहे वहाँ खर्च कर सकते हे । यह हमे अधिकार है । तो लोगो को चाहिए की उनहे मनी के रूप रंग से क्या लेना देना 'और  उसे छूने से भी क्या फायदा है । मनी से काम होना चाहिए ' जो डिजिटल मनी कर ही रही है । और क्या चाहिए । तो फिर बोलो हमारे साथ _ डिजिटल मनी 'माता तेरी विजय हो ।
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चरोटा का बहूउपयोगी पौधा ।

चरोटा सीजल पीनेसी कुल का पौधा है ।इसका वैज्ञानिक नाम केशिया टोरा है । इसे चकोडा और पुवाड भी कहते है ।विदेशो मे इसे 'इंडियन लेवरनस ' के नाम से जाना जाता है ।
निर्यात के लिए प्रतिबंधित है चरोटा ' निर्यात के लिए प्रतिबंधित लगभग 50 पौधे एसे है जिनहे महानिदेशक विदेश वयापार दुवार  इन पौधो के व्यापार और निर्यात की अनुमति तभी होगी जव  इनहे खेती करके पैदा किया जाए ।
चरोटा भारत के अधिकांश प्रदेशो मे पाया जाता है ।इसके पौधे बरसाती मोषम मे जंगलो और खाली मैदानो मे भारी उगते । यह पौधा बिलकुल मैथी के पौधे के समान होता है । चरोटा के पौधे पर पीले रंग के फूल लगते है 'इसकी लंबी फलियॉ होती है जिनमे मैथी जैसे बीज निकलते है ।
चरोटा बहूउपयोगी पौधा है । जो मनुष्य के लिए कुदरत की अनमोल देन है । जिसके निम्नलिखित उपयोग है ।

  1. चरोटा के बीज की गिरी का उपयोग कॉफी बनाने मे होता है ।इसके बीज कडवे होने के कारण कॉफी का स्वाद बढाने मे सहायक होते है ।
  2. चरोटा के बीज मे पाए जाने वाले गोद नुमा पदार्थ से पान मशाले बनाए जाते है ।और यह गम बनाने मे भी उपयोग होता है ।
  3. चरोटा बीज पाऊडर का स्तमाल  अगरबत्ती बनाने मे बहुत होता है ।
  4. चरोटा मे पाए जाने वाले अम्लो का उपयोग साबुन आदि सौदर्य प्रशाधन बनाने मे होता है ।
  5. डाई एवं नील निर्माता भी चरोटा का उपयोग कच्चे माल मे करते है ।
  6. चरोटा चर्म रोगो की कारगर  औषधि है ।इसके बीजो से दाद खाज खुजली एवं कुष्ट रोग की दबाए बनाई जाती है ।🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

गुरुवार, 8 दिसंबर 2016

सेन्ट्रल बैंक की एक महाभृष्ट साखा ।

हम आपको सेन्ट्रल बैंक अॉफ  इंडिया की एक  एसी साखा की जानकारी दे रहे है । जिसके बारे मे जानकर  आपको आश्चर्य होगा की देश मे इस तरह की बैके भी है ।
सेन्ट्रल बैक की यह साखा मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की सुल्तानपुर तहसील के पास गॉव  'ईटखेडी ' मे स्थित है ।इस बैंक ब्रांच के अधिकंश ग्राहक  अनपढ गोड  आदिवासी है जो वन  अंचल के ग्रामीण है ।इसलिए यह बैंक  इन लोगो का भरपूर  शोषण कर रही है ।इस बैक मे लोगो को बैठने तक की कोई उचित व्यावस्था तक नही है ।लोग बैक के बाहर धूप मे खडे रहते है उपर से बैक वाले इन लोगो कू साथ बदतामीजी भरा बरताव करते है ।चपरासी से लेकर बीसी और केशियर यहा तक की बैक मेनेजर भी भृष्ट है ।इस बैंक मे लोगो का कोई भी काम बगेर रिस्वत लिए नही किया जाता है ।यहाँ तक तो ठीक ही है पर  इस बैंक के कुछ खातेदार तो एसे है जिनहे उनका खाता नं तक पता नही है 'बैक वालो ने जानबूझकर  इन लोगो को उनका खाता नं नही दिया है पासबुक देने की बात तै दूर है ।इह तरह के ग्राहको मे अधिकतर बृधा पेशन भोगी है । जिनकी पेशन का सारा रुपया बैंक कर्मचारी डकार रहे है ।बृध्दजन  अपनी पेंशन लेने बैंक जाते है तो बैक वाले उनहे सो या पचास रुपए देकर  उनसे अगुठा लगवा लेते है । या कह देते है की आभीआपका पैसा नही आया है ।बैंड के वीसी है गॉव के लोगो की सुविधा के लिए पर यह भी बैंक वालो की मिली भगत से भृष्टाचार कर रहे है । और लोगो की मुसीवत बने है ।
उधर सरकार डिजिटल मनी लेनदेन की बात कर रही है । जहाँ लोग नगद मनी बैक से लेने मे असमर्थ है । वे क्या जाने डिजिटल लेनदेन के बारे मे 'यह क्या है और कैसे होता है ।
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मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

जनधन खातो मे रूपये जमा करेगी सरकार ।

जन धन खातो मे सरकार रूपये जमा करेगी । यह सपना सजोए बैठी है भारत की गरीब जनता 'क्योंकि लोकसभा चुनावो के दोरान BJP ने भारत की जनता से एसा कहा था कि हमारी सरकार आने पर हम विदेशी बैंकों मे जमा भारत का काला धन बापस लाएगे और हर भारत वासी को 15_15 लाख रूपये देगे । इस लालच मे आकर भारत की जनता ने BJP को भारी वोट दिये थे । और केंद्र मे भजापा की सरकार बनी मोदी PM बने । इसके बाद PM मोदी ने जब जन धन योजना चलाई तो लोगो को यह भरोषा और पक्का हो गया की अब सरकार गरीबो को धन लाभ देने वाली है इसलिए जन धन योजन मे लोगो के खाते खुलवाए जा रहे है । और गरीबो ने जनधन योजना मे भारी मात्रा मे खाते खुलवाकर रिकार्ड बना दिया । अब जब विदेशी काला धन भी भारत मे वापस  आ गया और नोटबंदी से देश का काला धन भी ऊपर  आ गया जिससे सरकार के पास  आय कर के रूप मे भी काफी धन  आया है । अब लोगो को पक्का यकीन है की अब भारत सरकार गरीब लोगो के जनधन खातो मे रूपये जरूर जमा करेगी । चाय पान की दुकानो और गॉव के चोवारो पर यह चर्चा हो रही है । कोई कह रहा है की 50000 रू जनधन खातो मे आएंगे ' तो कोई 15_15 हजार रूपये बता रहा है । लोगों का कहना है की नोटबंदी से परेशान गरीब लोगो के लिए सरकार कुछ ना कुछ तो जरूर ही करेगी । 15 लाख ना सही तो कम से कम 15_15 हजार रूपये तो जन धन खातो मे सरकार जरूर ही जमा करेगी ।भरोषा रखो सरकार देगी पैसा देर है अंधेर नही है ' अब सायद नए साल मे देगी सरकार यह तोहफा जनता को ।
पढेलिखे लोग भी इस बात की पुष्टि कर रहे है । मीडिया पर भी कुछ  इस तरह की खबरे आ रही है ।उधर PM मोदी भी बार बार भारत की गरीब जनता के हित की बात कर रहे है ' जिससे इस बात के संकेत मिल रहे है ।
पर  आभी तक भारत सरकार की तरफ से इस तरह की कोई स्पष्ट खबर नही आई है की सरकार जन धन खातो मे रूपये जमा करने वाली है ।
यदि एसा होता है तो जीरो वेलेंस वाले जन धन खाता धरको को ही इसका लाभ मिलेगा । एवं गरीब परिवारो के एक ही मुखिया सदस्य के खाते मे रूपये जमा कर सकती है सरकार । पर फिर भी अधिकांश जन धन खाता धारकों को इसका लाभ मिलेगा । जो भी हो यह तो आने बाला समय ही बताएगा । पर यह यकीन के साथ कहा जा सकता है की सरकार गरीबो के हित मे उनहे लाभ पहुंचाने के लिए कुछ ना कुछ कदम तो जरूर उठाएगी ।
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सोमवार, 5 दिसंबर 2016

मोवाइल से पेमेंट करने के आसान तरीके ।

नोटबंदी के बाद भारत सरकार ने देश मे मुद्रा रहित लेनदेन के चलन को बढावा देने के लिए प्रयासरत है ।आज हर काम  अॉनलाइन होते जा रहे है । एसे मे डिजिटन मनी का चलन भी जरूरी है ।मुद्रा रहित लेनदेन बेहद  आसान है ।वस्तुएं और सेवाए लेने के बदले मे नगद रूपयो के स्थान पर क्रेडिट कार्ड और डेविट कार्ड से पेमेंट करने का चलन बहुत तेजी से बढ रहा है ।
📱 मोवाइल बैंकिंग _ यह मोवाइल से रूपये के लेनदेन का तरीका है ।जिससे हम  अपने बैक खाते मे जमा रूपये  घर बैठे किसी दूशरे ब्यक्ति के बैक खाते मे भेज सकते है ।मोवाइल से रूपये ट्रास्फर करने के प्रमुख्य तीन तरीके इस प्रकार है 1. USSD  सेवा 
2.UPIऐप
3. E _ वॉलेट
Ussd सेवा _ नेशनल यूनीफीड ussd प्लेटफार्म ' यह मोवाइल से रूपये भेजने का सबसे आसान तरीका है । जैसे हम  अपने मोवाइल का वैलेंस  आदि देखते है बिलकुल  उसी तरह से पैसे भेजने का तरीका है ।सबसे पहले अपने बैक खाते मे रजिस्टर मो . नंबर से *99# डायल करे और कॉल का बटन दबाए ।अब  एक सदेश  आता है जिसे ओके करना होता है इसके बाद दुशरे संदेश मे अपने बैक का नाम भरकर सेड करना होता है ' तीसरे संदेश मे सात विकल्प आते है पहले नं पर बैक बेलेंस चेक करने का विकल्प होता है ' चोथा विकल्प फंड ट्रास्फर का होता है ।इनमे से जो चाहे उस विकल्प का नं संदेश के नीचे दिये खाली स्थान मे भरे ओर सेड करे । इस तरह दिये गए निर्देशो का पालन  जल्दी जल्दी करना होता है । इस तरह नियमो के अनुसार ussd सेवा के जरिए हम रूपये ट्रास्फर भी कर सकते है और  घर बैठे अपना बैंक वेलेंस चेक भी कर सकते है यह बहुत  आसान है ।
ई_वॉलेट _ मोवाइल प्रीपेड वॉलेट  ऐप ' इस सेवा से अॉनलाइन पेमेंट करने के लिए हमे सबसे पहले अपने मोवाइल मे वॉलेट  एप डाउनलोड करना होता है ।यह  एप अलग  अलग प्रकार के होते है जिनमे से हमे अपनी सुविधा के अनुसार  एप चुनकर लोड करना होता है ।इसके बाद वॉलेट  एप पर  अपने ईमेल वा पासवर्ड के उपयोग से साइन अप करना होता है ' इसके बाद वॉलेट  एप से से रूपये का केशलेश पेमेंट करना आसान है ।
एयरटेल मनी _ एयरटेल मनी भी एक  एसा ही वॉलेड प्रीपेड है ।यदि हम  अपने मोवाइल मे भारतिय  एयरटेल का सिम कार्ड उपयोग करते है तो इसमे एयरटेल मनी खाता बनाकर  उसमे मनी लोड कराए और केशलेश पेमेंट करे ।पर  इस खाते से केश निकाला नही जा सकता । एयरटेल मनी खाते मे जमा धनराशी का उपयोग  अपने या किसी दुशरे के बैक खाते मे ट्रास्फर किया जा सकता है । इससे विल पेमेंट ' अॉनलाइन सॉपिंग ' मोवाइल रीचार्ज आदि का पेमेंट किया जा सकता हे है ।इस विषय मे और  अधिक जानकारी के लिए एयरटेल के कस्टमर केयर पर कॉल किया जा सकता है ।
UPI ऐप _ यूनीफीड पेमेंटस  इंटरफेस ' ऐप यह  ऐप केवल मोवाइल को सपोट करता है 'और  इस  ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करना होता है ।इसके बाद  इस  ऐप को अपने बैक खाते से जोडना होता है' फिर  इस  ऐप पर  अपनी आईडी बनाई जाती है ।एवं मोवाइल पिन जेनरेट करना होता है ।और  इसे अपने आधार नंवर से भी जोडना होता है ।इसके बाद UPI ऐप से 50₹ से लेकर  एक लाख रूपये तक या इससे भी आधिक का मनी ट्रास्फर किया जा सकता है ।
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शनिवार, 26 नवंबर 2016

भारत मे नोटबंदी का प्रभाव ।

नोटबदी 11नवम्बर 2016
भारत सरकार का हजार  और पाँच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद करने का फैसला आने के बाद देश मे बडी उधल पुथल मची है ।मुद्रा के आभाव मे समाज की दोड मानो थम सी गई है । बाजारों मे खरीदारी कम हो रही है । 11 नवंबर से ही हर दिन समाचार पत्रो ' न्यूज चैनलो एवं आकाशवाणी समाचारो मे नोटबंदी हेडलाइन बन कर छाई ।उधर कॉग्रेस  एवं विपछी दल सरकार के इस फैसले को बापस लेने की मॉग पर  अडे है ' और  इसका बिरोध कर रहे है । इस मुद्दे पर सदन मे रोज हंगामा हो रहा है । 17 नवंबर से तो सदन चलना ही बंद है और  अब 28 नवम्बर चक सदन की कार्यवाही स्थगित है ।
हालाकि सरकार का नोटबंदी के कदम का फैसला देश हित मे है ।एवं जनत ने इसका स्वागत किया है । जनता की राय मे भी 90% लोगो ने सरकार के समर्थन मे वोट किया है । क्योंकि नोटबंदी से निम्न लाभ होने वाले है । जैसे _

  1. नोटबंदी से देश मे नकली नोटो का चलन बंद होगा ।
  2. आतंकबाद व तस्करी पर रोक लगेगी ।
  3. कालाधन सामने आने से सरकार को अधिक इंकमटेक्स मिलेगा ।
  4. नगदी की कमी से महगाई घटेगी ।
  5. डिजिटन मनी का चलन बढेगा ।
  6. अपराध और भृष्टाचार कम होगा ।
  7. देश की आर्थिक स्थित मजबूत होगी ।
  8. मुद्रा की कमी से गरीवो का खर्च कम होगा ' उपर से सरकारी धन की मदद मिलने से गरीबी कम होगी ।
  9. गरीब  और  अमीर का फासला कम होने से समाज सतुलित बनेगा ।
  10. विशेष प्रकारके नए नोटो के चलन से लूटपाट जैसी अपराधी घटनाए कम होगी ।
  11. इस डिजिटल युग मे भारत भी दुनिया के साथ कदम मिलाता हुआ आगे बढेगा और विकाश करेगा ।
नोटबंदी का यह बदलाव  आज के समय की माग है ।यह युग डिजिटल युग है । इसमे नगद मुद्रा की नही ' वल्कि डिजिटल मनी के चलन की जरूरत है 'जो समाज के लिए फायदेमंद है ।💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲

शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

निराकार के चित्रकार ।

कहा जाता है की जहाँ न पहुचे रवि वहां पहुचे कवि ' उसीतरह निराकार को भी आकार देता है चित्रकार । चित्रकार  अपनी कल्पना शक्ति से अदृश्य वस्तुओं का भी चित्र बना कर  उसे समझा देते है । उदाहरण के लिए किसी चित्रकार ने समय का चित्र वनाया है । समय  एक अदृश्य शक्ति है । पर चित्रकार ने उसे भी एक रूप दिया । इसी तरह के बहुत सारे चित्र है जैसे भारत माता का चित्र ' इंसाफ की देवी का चित्र और सभी हिंदू देवी देवताओं के चित्र चित्रकारो की कल्पना के ही रूप है ।
चित्रकार पिकासो - पिकासो के चित्रो की शैली तो सभी चित्रकारो से अलग है । पिकासो के चित्रो को देखने पर सिर चकरा जाता है । एक हाथ  उठाते हुए आदमी के चित्र मे अनेक हाथ दिखते है । वाह क्या कलाकारी है ।भारतिय  चित्रकार वासुदेव एस गायतोडे की एक पेंटिंग करीब 30 करोड रूपए मे बिकी थी ।भारत के मुख्य चित्रकारो मे -चित्रकार मोहिती ' चित्रकार राजा रवि वर्मा' चित्रकार मकबूल फिदा हुसेन 'चित्रकार शिवाजी तुपे आदि नाम है ।
अब बात कारटूनकारो की _ कारटूनिस्ट भी कमाल के जादूगर होते है । एसे एसे रूप पेस करते है जिनकी आम लोग कल्पना भी नही कर सकते 'मिक्की माऊस ' को ही देखो ।भारत के फेमस कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण जिनका हाल ही मे दिहात हो गया । उनहोने चाचा चोधरी के कॉमिक्सो मे सावू और चाचा चोधरी के काल्पनिक पात्रो को जन्म दिया ।
आज काजल कुमार भी एक  उभरते कारटूनकार है जिनके कार्टून भी खूव पसंद किये जा रहे है । काजल कुमार राजनेताओ के कार्टून खूव बनाते है जो व्यंग आत्मक होते है जिन्हें देखकर बडी हसी आती है । कार्टूनिस्टो की भी एक  अपनी अलग ही कलाँ है ।
इसाफ की देवी 
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सोमवार, 21 नवंबर 2016

भोजन का रहष्य ।

भोजन आदमी की पहली जरूरत है ।ईश्वर चाहता तो वह मनुष्यों को बगेर भोजन के मी जिला सकता था जैसा की सांडा जानवर हवा पीकर जीता है ।पर  ईश्वर ने अपने सबसे उत्तम प्राणी आदमी को भी कुदरत के संचालन मे भागीदार बनाया । आदमी सोचता है की वह भोजन करता है ।जवकी यह सच नही है भूख कुदरती पैदा होती है और भोजन भी कुदरत ही कराती है ।आदमी को 12 घंटे के लिए भोजन  उधार देती है कुदरत फिर बापस ले लेती है । आदमी को केवल मुह मे भोजन के जीभ से छूने का सुखद  अहसास होता है जिसे म स्वाद कहते है ।
मनुष्य भी अन्य पशु पक्षीयो की तरह कुदरत का ही काम करता है वह पेड पौधों के लिए खाद  और कॉर्बनडाइ अॉक्साइड बनाता है । मैने पढा है की एक राजा हुआ था जो केवल स्वाद के लिए ही भोजन खाता था वह दिन भर कुछ ना कुछ स्वादिष्ट चीजे खाता ही रहता था और फिर  औषधिया खाकर  उलटी कर देता था ।वह जल्दी मर गया था ।आदमी को भोजन भी मारता है और भूख भी मारती है । इसलिए आदमी को केवल जीने के लिए भोजन करना चाहिए नाकी भोजन करने के लिए जीना चाहिए ।
आम तोर पर भोजन तीन प्रकार के होते है । सात्विक ' राजसिक  और तामसिक भोजन ' सात्विक भोजन फलाहार होता है । राजसिक भोजन मे छप्पन प्रकार के भोज  आते है । तामसिक भोजन मे लहसुन ' प्याज 'और गरम ' चटपटे 'कडबे स्वाद बाले भोजन आते है ।
कुदरत ने आदमी के लिए साखाहार मे विभिन्न प्रकर की चीजे एक से बढकर  एक  अलग  अलग स्वाद मे पैदा की है ।फिर भी ना जाने क्यों आदमी माशाहार करता है शायद  आदमी बिछिप्त है ।क्योंकि माशाहार तो भिष्टा की श्रेणी मे आता है । ना उसमे स्वाद है । माशाहार मे स्वाद पैदा करने के लिए भी शाखाहारी मशाले डाले जाते है । माशाहार के विषय पर हमने रिसर्च किया और बडे बडे विदवानो के विचार जाने बहुत खोज बीन की सभी जगह माशाहार को अनुचित ही माना गया है । हॉ इस बिषय मे एक बात जरूर मिली की अगर  आदमी को कई दिनो तक शाखाहारी भोजन खाने को ना मिले और  एसा लगने लगे की वस  अब जान निकली तो फिर इस स्थित मे मासाहार करना उचित माना गया है । या फिर अपने आप मरे हुए जीव को भी खाया जा साकता है ।किसी भी जीव को मारना या मारकर खाना पाप की श्रेणी मे आता है । आदमी की तरह ही हर जीव जन्तू को इस दुनिया मे जीने का अधिकार है फिर  उनका यह  अधिकार आदमी किस हक से छीनता है । हॉ यदि आदमी एक भी जीव को पैदा करके दिखाए तो शायद उस जीव को  मारने का अधिकार उसे मिल सकता है ।
अंडा खाना मुरगी का रजस्रव खाना है ।शुरू के आदमियों ने मुर्गे को रात मे समय का पता बताने के लिए पाला होगा क्योंकि उस समय घडी तो थी नही ।और मुरगा सुवह से दो घंटे पहले एक निस्चित समय पर रोज बोलता है । इसलिए मुरगी पालन का आरंभ हुआ होगा । पर  आज मुरगी पालन माशारार के लिए होता है ।
मछली का खेल _ मछली पानी मे बहुत सुन्दर दिखाईदेती है उसे पकडने को मन करता है । पुराने समय मे मछली पकडने का खेल मनोरजन के लिए खेला जाता रहा होगा । फिर बाद मे लोगो ने खेल के दोरान पकडी हुई मछलियो का उपयोग खाने के लिए करना आरंभ किया होगा जो अब भी जारी है ।
वैज्ञानिक मानते है की मनुषय की आंत  और दांत दशाखाहार के लिए बने है पर फिर भी आदमी उनका दुर  उपयोग कर रहा है ।
आज दुनिया मे हर जीव जंतू को खाने वाले लोग मोजूद है । चीटे की चटनी ' मेडक का अचार ' सॉप की सबजी '  कीडे मकोडे तक खाने वाले लोग भी संसार मे है ।
माशाहारी आदमी मे शाखाहारी के मुकावले दया का भाव कम होता है ।जैसा खाओ अन बैसा बने मन ।

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शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

नरेंद्र मोदी 'भारत भाग्य विधाता है ।

नरेंद्र मोदी _आजादी के बाद नरेंद्र मोदी भारत के एकमात्र एसे प्रधानमंत्री है ' जिन्हें अगर भगवान कहा जाए तो शायद गलत नहीँ होगा । देश हित मे जितना काम पिछली सरकारो ने पिछले 65 सालो मे नहीं किया 'उससे भी जादा काम मोदी सरकार ने महज ढाई साल मे कर दिखाया है । जी . एस .टी. ' कालाधन बापसी ' सर्जीकल स्ट्राइक ' इन सभी कामो से देश की 90% जनता मोदी सरकार से खुश है 'और नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रही है ।
नरेंद्र मोदी ने अपने अभी तक के कार्यकाल मे जो सबसे बडा काम देश हित मे किया है 'वह है 'नोट बंदी '  नोट बंदी करना कोई छोटा काम नही है 'मुद्रा समाज की रगों मे दोडता हुआ खून होता है जिसे बंद करने से समाज मे हाहाकार की स्थित उत्पंन हो सकती है । देश के अर्थशास्त्री भी यह कह रहे हे की इतना बडा कदम शाहसी प्रधानमंत्री ही उठा सकता है । नोट बंदी ' से होनेवाली कठिनाईयो केबावजूद भी देश की जनता ने नरेंद्र मोदी के इस फेसले का स्वागत किया है ।क्योंकि आनेवाले साल मे इससे देश को बडा लाभ होगा ।
जिन कामो के बारे मे पिछली सरकारो ने सोचा तक नही था ' देश हित मे वह काम नरेंद्र मोदी सरकार कर रही है ।जिससे प्रभावित होकर देश की जनता नरेंद्र मोदी की सराहना कर रही है ।वाह क्या बात है 'प्रधानमंत्री हो तो नरेंद्र मोदी जैसा ।अपने कारनामो की बदोलत  आज नरेंद्र मोदी लोगो के दिलों पर छा रहे है । दुनिया के देश भी नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री की वजह से भारत की तरफ  आकृशित हो रहे है ।
नरेंद्र मोदी ' नामक सितारा काश प्रधानमंत्री के रूप मे भारत की धरती पर पहले चमका होता तो आज देश की तकदीर  और तस्वीर कुछ  और ही होती ।पर  अब भी कुछ नही बिगडा है देर  आए दुरुस्त  आए ।यदि यह  आदमी अगली पंचवर्षी मे भी भारत का प्रधानमंत्री रहे और  उसकी सरकार देश हित मे एसी तरह से काम करती रहे तो भारत तेजी से विकाश करते हुए दुनिया मे पहले नंबर पर पहुंच जाएगा । इसमे कोई शक नही की मोदी सरकार के आने के बाद  एक नए भारत का उदय हुआ है ।नये भारत के निर्माण मे मोदी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है । और वे भारत को विश्व गुरू बना कर ही रहेगे ।
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गुरुवार, 17 नवंबर 2016

बच्चे पढाई मे तेज कैसे बने ।

बच्चे कल का भविष्य होते है और हर माता पिता चाहते है की उनके बच्चे पढे आगे बढे एवं पढ लिखकर बडे आदमी बने । बच्चे पढाई मे तेज बने इसके लिए बच्चो और  उनके अभिभावकों को कुछ बातो पर  अमल करना जरूरी है ।जैसे _

  • बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूरी तरह से बिकसित हो जाने के बाद ही उन्हें पढाना शुरू करना चाहिए । कुछ माता पिता अपने बच्चो को कम  आयू मे ही पढाना शुरू कर देते है जिससे बच्चे आगे जा कर पढाई मे कमजोर पड जाते है ।
  • बृम्ही बूटी _ बृम्ही आयूर्वेद मे दिमाग बढाने की सबसे उत्तम औषधि मानी जाती है ।इसका स्वाद कडवा होता है इसलिए इसे दूध मे मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का दिमाग तेज हो जाता है ।
  • बच्चो को बार बार पढने के लिए नही कहना चाहिए । क्योंकि बार बार यह बात दोहराने से इस  आदेश का अशर कम हो जाता है और फिर बच्चे सुनते ही नही है ' सोचते है की मम्मी तो वस  एसे ही चिल्लाती रहती है ।
  • बच्चों के सभी कामो का टाइम टेविल एक तख्ती पर लिख कर  उनके पढाई वाले कमरे की दीवार पर लगाना चाहिए ' जिसमे बच्चो के सुवह  उठने से रात सोने तक के सभी कामो का समय फिक्स होना चाहिए ।जैसे _ सुवह 6 बजे सोकर  उठना ' और 7बजे तक पढना ' 7 से 7:30 तक चाय नास्ता ' आधे घंटे खेलना '8 से 9 बजे तक कोचिग ' 9 से 10 बजे तक खाना नहाना 10बजे स्कूल जाना । फिर शाम 4 बजे स्कूल से आने के बाद 5 बजे तक खेलना '5 से 6बजे तक होम वर्क करना ' 6 से 7 बजे तक पूजा मे भाग लेना ' 7 से 8 बजे तक खाना पीना '8 से10 बजे तक टीवी देखना और 10 बजे सोना ।इस तरह की समय सारणी के अनुसार बच्चे अपने सभी काम  उत्साह के साथ समय पर करते है और पढाई मे आगे रहते है ।
  • सुवह नीद से जागते ही बिस्तर मे ही पढाई करने से पढाई मे मन भी लगता है और  अध्ययन की हुई बाते याद भी रहती है क्योंकि इस समय दिमाग ताजा रहता है ।यही समय पढाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है ।
  • बार बार पढकर रटटू तोते की तरह रटने को पढाई नही कहा जाता । पढाई करने का मतलव होता है की किसी भी पाठ को एक या दोबार ध्यान से पढकर समझ लेना और फिर  उसे हमेशा याद नही रखना पडता वल्की अच्छी तरह से समझ मे आ जाने के बाद वह पाठ हमेशा याद रहता है ।
  • बच्चो को कभी भी शीर्ष आशन नही करना चाहिए और नाही लेटकर पढना चाहिए एसा करने से दिमाग कमजोर होता है ।
  • बच्चों को हमेशा एकांत  और साफ स्थान पर  आसन याने दरी बगेराह बिछाकर  उसपर बैठकर ही पढना चाहिए।नंगी जमीन पर बैठकर पढने से सारी पढाई जमीन मे चली जाती है एसा हमारे अध्यापको का कहना था ।
  • बच्चे अपने पढाई वाले स्थान पर बुद्धि की देवी माता सरस्वती का चित्र लगाकर रखे और नहाने के बाद सुवह हाथ जोडकर माता से ज्ञान का वर मागे । सरस्वती के भंडार की बडी अपूरम बात 'ज्यो ज्यो खरचे त्यो त्यो बढे बिन खरचे घट जाए ।💁👵👬💃📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📖📰📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕

बुधवार, 9 नवंबर 2016

हजार पॉच सौ के नोट बंद ।

भ्रष्टाचार ' काला धन  और जाली नोटो की रोकथाम  करने के लिए भारत सरकार ने 9 नवंबर 2016 से देश मे हजार  और पॉच सौ के नोट का चलन बंद कर दिया है । पर फिर भी सरकारी अस्पताल ' दबा की दुकान ' किराना दुकान ' पेट्रोल पंप '  पर  एवं रेल टिकट ' सरकारी बस टिकट ' हबाई जहाज टिकट आदि कुछ स्थानो पर 11 नवंबर की आधी रात तक  इन नोटो का उपयोग हो सकेगा । इसके बाद हजार  और पॉच सौ के नोट बैको और पोस्ट अॉफिसो मे 30 दिसंबर 2016 तक जमा होगे । जो लोग किन्ही कारणो से 30 दिसंबर तक  अपने हजार पॉच सौ के पुराने नोट बैक मे जमा नहीं कर पाएगे उनहे फिर  अपने परिचय पत्र दिखाकर बैक मे पुराने नोट जमा करने का अंतिम समय मार्च2017 तक दिया गया है ।पर लेनदेन मे हजार  और पॉच सौ के नोट का उपयोग 9 नवंबर से ही कानूनी बद है ।

भ्रष्टाचार के मामले मे भारत दुनिया मे आज 76 वे नम्बर पर है । एवं भारत मे आज जाली नोटो का चलन  आधे से भी अधिक है । यह हजार पॉच सौ के जाली नोट भारत मे पडोसी मुल्क पकस्तान से आए है जिनहे घुसपेठियो ने भारत मे चलाया है । यह जाली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे है । इन्हीं सब कारणो से भारत सरकार ने अपनी मुद्रा व्यवस्था मे सुधार करने के लिए देश मे हजार  और पॉच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद कर दिया है । इनके स्थान पर नये रूप रंग के हजार ' दो हजार ' और पॉच सौ के नये नोट सरकार जल्द ही जारी करेगी ।
टालस्टाय का विचार _ टालस्टाय का मत था की दुनिया मे मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । क्योंकि सभी उपदृव की जड मुद्रा ही है । इस मत से गॉधीजी भी सहमत थे और वह चाहते थे की भारत मे भी पहले जैसी वस्तु विनियम बिधि लागू होना चाहिए । मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । पर काश  एसा करना संभव होता तो दुनिया स्वर्ग बन जाती ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

बेहरा बनने के लाभ ।

👂🚿 समाज मे कुछ होशियार लोग अपने कानो की विकलांगता का झूठा प्रमाण  पत्र डॉक्टरो से बनवा लेते है । क्योंकि डॉक्टर के पास कानो की विकलांगता पता करने का कोई कारगर  उपाय नही होता एसे मे वह मरीज के कानो मे एक  आवाज आने वली मशीन लगाकर मरीजों से ही पूछते है की कुछ सूनाई दे रहा है तो मरीज झूठ बोल देता है की नही कुछ नही सुनाई दे रहा है और डॉक्टर को मूर्ख बनाकर  उससे कान का विकलांग प्रमाण - पत्र बनवा लेते है ।यदि डॉक्टर को मरीज पर शक भी होता है तो उसे रिस्वत देकर भी डॉक्टर से यह प्रमाण पत्र बनवा लिया जाता है ।और फिर इस प्रमाण का उपयोग न्यायलय  और सरकारी योजनाओ का लाभ उठाने मे किया जाता है
समाज मे भी यह नकली बेहरे अपने बहरेपन का नाटक करके लोगो को खूब बेबक्कूफ बनाते है । यह  अपने फायदे की बाते तो सुन लेते है पर  अपने नुकसान की बाते अनसुनी करते है ।यदि इन बहरो पर किसी को शक भी होता है और वह पूछता है की आपको सुनाई देता है ' इस पर यह लोग कहते है की हॉ एक कान मे थोडा सुनाई देता है ।
इन नकली बहरो को असली बेहरा समझकर लोग  इनके सामने ही इनकी अच्छाई और बुराई की बातें करते है ।और यह बहरे इसका पूरा लाभ उठाते है जैसे _ निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाए ' बिन पानी बिन सावूना निरमल करें सुभाय '
इन नकली बहरो को अपने बेहरेपन के ढोग के कारण कभी कभी बडे राज़ की बाते भी पता चल जाती है जो बहुत लाभदायक होतीं है ।
🙉 बुरा मत सुनो 🙉

शनिवार, 5 नवंबर 2016

जंगल का भाग्य उदय ।

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🌳🌲🌴🌲पिछले दशकों मे जंगलों को बचाने के लिए भारत मे बहुत प्रयास किए गए ।यहाँ तक की चिप्पू आंदोलन तक चले जिनमे लोग पेड़ो को कटने से बचाने के लिए पैडो से चिपक जाते थे । पर  असफलता ही हाथ लगी और जंगल अधाधुंध कटते रहे ।क्योंकि उस समय ग्रामीण जन जंगलो पर ही निरभर होते थे  । उनके अधिकंश काम लकड़ी से ही पुरे होते थे ।
लकड़ी की काठी और काठी का घोडा _जैसे कृषि यंत्र हल ' बक्खर ' बैलगाडी ' आदि लकडी से ही बनते थे ।गाँव मे मकान भी लकडी से ही बनते थे ।फनीचर  और घर की बहुत सी वस्तुएं लकडी की ही उपयोग होतीं थी । मकानो के चारो तरफ  और खलिहानो की बागुड भी लकडी व कॉटेदार झाडियो से ही होतीं थी । चुल्हा जलाने मे भी लकडी का ही उपयोग होता था ।यहॉ तक की लोग दॉत साफ करने के लिए भी लकडी की दतून का उपयोग करते थे ।
बदलाव की बेला _अब गांव के जन जीवन मे भी समय के साथ बदलाव  आया है । अब कृषि के काम ट्रेक्टर से होते है । मकान पक्के बनने लगे है । बागुड की जगह तार फेंशिंग होने लगीं हैं ।लकडी के फर्नीचर और खिडकी दरवाजो एवं लकडी की सभी वस्तुओ की जगह  अब लोहे और प्लास्टिक के सामानो ने ले ली है ।लकडी के चुल्हो की जगह  अब गेस चुल्हे आ गए है । दतून की जगह  अब लोग बाबा रामदेव के मंजन से दॉत साफ कर रहे है ।
कागज  उधोग मे बॉस की लकडी की भारी खपत होती है जो अव कागज के घटते उपयोग के साथ बहुत घट जाएगी ।
जंगल मे मंगल _ दिन प्रति लकडी की घटती उपयोगिता को देखते हुए ' अव यह कहा जा सकता है की जंगलो के भाग्य उदय हो रहे है । और वह दिन दूर नही जब भारत के जंगल भी अफ्रीका के जंगलो की तरह घने होगें ' अब जंगल काटने वाले लक्कड चोर रहे और न ही लकडहारे बचे है । अव  एसा सुहावना समय है जंगलो के लिए जिसमे जंगल दिन दूने और रात चौगनी बढोत्री करेगे और जंगल मे मंगल होगा ।

बुधवार, 2 नवंबर 2016

मोवाइल सेट दस साल कैसे चलाए ।

🚪 मोवाइल फोन सेट 🚪
एक जमाना था जव सदेश भेजने के लिए कबूतर का उपयोग किया जाता था ।फिर वह दौर  आया जव संदेश पत्र डॉक से भेजे जाते थे ' डॉक से भेजे गए संदेश का जवाब आने मे दो सप्ताह तक का समय लगता था । आज हमारी खुशकिस्मती है कि अब हमारे हाथ मे विज्ञान ने मोवाइल नामक  एसा यंत्र दिया है जिससे हम दुनिया के किसी भी कोने मे रहने वाले अपने अजीज से सीधे बात कर सकते है । और परदेश मे बसने बाले अपने प्रियजनो को वीडियो कॉल करके प्रत्यक्ष देख सकते है । विज्ञान की देन ' मोवाइल ' मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ।
मोवाइल की कीमत_ आज बाजार मे 500 रू  मे भी मोवाइल मिल जाता है । पर  एक  अच्छा स्मार्ट मोवाइल फोन सेट बाजार मे 8 से 10 हजार रूपये के आसपास मिलता है । याने की एक आम  आदमी की महिने भर की कमाई के बराबर  एक नये मोवाइल की कीमत होती है ।
मोवाइल  आज हमारे जीवन का एक  अहम हिस्सा बन गया है और हर  आदमी का काम  इसके बिना नही चलता है ।पर  कोई भी मोवाइल सेट लापरवाही से चलाने पर  दो या चार महिने से जादा नहीं चलता और खराब हो जाता है फिर  उस सेट को कचडे मे ही फेंकना पडता है । नया मोवाइल लेने के लिए एक माह का वेतन खर्च करना पडता है ।
अगर मोवाइल फोन सेट का सही रखरखाव और  उसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो एक मोवाइल सेट दस साल से भी अधिक चलता है ।आइए जाने कैसे ?
1.पहली सावधानी मोवाइल जमीन या फर्स पर कभी भी नही गिनरा चाहिए ।
2.अपना मोवाइल कभी भी किसी दूशरे के हाथ मे नही देना चाहिए ।
3.बच्चों को गेट खेलने या छोटे बच्चों को गाना सुनाकर रोने से चुप करने के लिए भी मोवाइल देना उचित नही है ।
4.मोवाइल सेट नमी के प्रतिसंवेदनशील होता है इसलिए नम स्थान पर नही रखना चाहिए ' और ना गीले हाथो से मोवाइल पकडना चाहिए ।
5 अधिक गरम जगह जैसे खुली धूप  आदि गरम जगहो पर जादा देर तक मोवाइल रखा रहने पर  उसकी बैटरी फटने का डर होता है ।
6 मोवाइल की स्क्रीन हमेशा कार्टन के कपडे से ही साफ करना चाहिए इससे स्क्रीन पर खरौच नही पडते है ।
7 मोवाइल कभी भी रात भर या जरूरत से जादा समय तक चार्ज पर लगा नही छोडना चाहिए और ना कभी फुल चार्ज करना चाहिए 5% कम ही चार्ज करना चाहिए । बैटरी पूरी डिस चार्ज नही होने दे इससे पहले ही चार्ज पर लगाए । इन सावधानीयो से बैटरी लंबे समय तक चलतीं हैं ।
8 चार्ज पर लगा होने पर  नही चलाना चाहिए । वह गरम रहता है ' चलाने पर  और गरम हो जाता है ' जिससे उसकी कार्यक्षमता कम होती है ।
9. मोवाइल सेट मे खराबी आने पर उसकी कंपनी के रिपयरिंग सेंटर पर ही ठीक करवाना उचित होता है ।

" मोवाइल के प्रति सावधानी हटी ' की दुर्घटना घटी"

मंगलवार, 1 नवंबर 2016

कर्कस पत्नी को कैसे सहें ।

कोयल का रूप भले ही काला होता है पर  उसका कुहू कुहू का मीठा स्वर कर्णप्रिय होता है । वही कुछ सुन्दर रूप वाली औरतें होती है ' जिनका स्वभाव कर्कस होता है एसी औरतो का कर्कस स्वर सुनकर सामने बाले आदमी के माथे पर बल पड जाते है और दिमाग का पारा चढ जाता है ' कर्कस वाणी के बॉण सीने मे जहर मे बुझे बॉणो की तरह लगते है ।एसी नारीयो के बचन दूशरे लोग तो यह सोचकर सहन कर लेते है की _तुल्सी इस संसार मे तरह तरह के लोग है सबसे हिल मिल चलो नदी नाव का संजोग है । पर  उन लोगो का क्या हाल होता होगा जो लोग कर्कस  औरतों के पती होते है ' आखिर वह लोग  इन  औरतो के साथ कैसे जीवन जीते होगे ' शायद यही सोचकर की _ किसी को मुकम्ल जहाँ नहीं मिलता ' किसी को जमीं नही मिलती तो किसी को आसमां नही मिलता " ।
सुकरात की पत्नी_ सुकरात की पत्नी बहुत कर्कस स्वभाव की औरत थी । दिन भर मेंडक की तरह टर्राती ही रहती थी । सुकरात  उसकी बातो पर ध्यान ही नही देते थे । सुकरात से मिलने आने वाले कई लोगों ने सुकरात से कहा_की आप  अपनी पत्नी को कैसे सहते है ' आप  इसे छोड क्यों नही देते । इस बात पर सुकरात कहते थे की नही वह  उनका मनोरंजन है ।
लेखक की पत्नी _ एक लेखक की पत्नी ने उस लेखक की पांडूलिपी जानबूझ कर चुल्हे मे जला दी । इस बात पर  उस महान लेखक ने अपनी पत्नी से कुछ भी नही कहा और तुरंत  अपनी कलम कागज लेकर दूशरी लिपी तैयार करने मे जुट गया ' कुछ दिन की मेहनत के बाद  उस लेखक ने वही दूशरी पांडू लिपी तैयार कर ली ।इसके बाद वह पत्नी अपने किए पर बहुत पछताई और  उसने जीवन मे फिर कभी एसा ना करने की कशम भी खाई ' और लेखक के काम मे उसकी मदद भी करने लगी थी ।
हम  अपने समाज मे एसी कर्कम  पत्नीओ को भी देखते है वह जो भी बोलतीं है ऊँटपटाँग  और गाली गलोच के साथ ही बोलतीं है । जिस पर  उनके पती कहते है_अरी भागवान शुभ -शुभ बोल ।
एसी वांणी बोलिए मन का आपा खोए '
औरन को शीतल करें आपहु शीतल होए " _ रहीम 
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।