आज इंटरनेट के दौर में ऑनलाइन खरीददारी करने का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है ।इसकी कुछ विशेषताएं हैं जैसे कि घर बैठे उत्पाद पसंद करना और घर बैठे ही वस्तुओं को प्राप्त करना 'लेकिन ऑनलाइन खरीदारी में उत्पाद ऑफलाइन खरीददारी की अपेक्षा कुछ महंगे मिलते हैं ।मेरी जानकारी के अनुसार एमेजॉन फ्लिपकार्ट द ऑनलाइन वेबसाइटों पर खरीददारी करना बहुत महंगा है ।मेरी नजर में भारत में ऑनलाइन खरीददारी करने के लिए सबसे अच्छा ऑनलाइन स्टोर बिगली का है ।इस स्टोर पर हर तरह के कपड़ों के साथ अन्य प्रोडक्ट्स भी बहुत कम कीमत पर ऑनलाइन बेचे जाते हैं भोलसेल रेट परइसका शिपिंग चार्ज भी बहुत कम है sell.bigly.io
गुव्वारे 🎈💃 रबर बलून से तो सभी परिचित है जिनहे फुग्गा और गुब्बारा भी कहा जाता है । हम सभी ने अपने बचपन मे जरूर गुब्बारे खेले होगे ।गुब्बारे बच्चो की पसंद होते है ।
गुब्बारे बैचने का का काम सबसे कम लागत मेहनत का काम है । आदमी इस काम को मात्र500 रूपए की लागत से शुरू कर सकता है ।इसे करने के लिए दो चार छोटी छोटी वस्तुओं की जरूरत होती है जो कही भी स्थानीय बाजार मे आसानी से मिल जाती है ।वह है _ डंडे 2 ' हवा हेंड पंप ' गुब्बारे का पेकिट ' गुब्बारा केप पेकिट ' मेटे धागा की रोल ' बस इस काम मे इनही की जरूरत होती है ।
कैसे करै ।
ऊपर बताए गए सामान को बाजार से खीदे जो 500₹ की कघीमत मे पूरा मिल जाएगा । इसे अपने घर पर लाए और घर बैठकर दोनो डंडो को T आकार का बनाए फिर फुग्गे पंप से फुला फुला कर उनके मुह पर प्लास्टिक की केप लगाते जाए और फुग्गो को धागे से बॉधकर T डंडे पर लटकते जाए जब डंडे पर फुग्गो का झुड बन जाए तो समझे आपकी दुकान तैयार है । अब अपनी दुकान लेकर फुग्गे बैचने के लिए चल दे ।अगर साइकिल की सुविधा हो तो और वहतर होगा । क्योंकि गुब्बारे बेचने का काम फेरी लगाकर किया जाता है और साइकिल से पैदल की अपेक्षा जादा दूर तक फैरी लगार गुब्बारे बैचे जा सकते है और अधिक गुब्बारे बैचे जा सकते है । 10₹ का एक फुग्गा बिकता है दिन भर मे सौ फुग्गे तक बिक जाते है कभी कभी यह बात एक फेरी बाले ने हमे बताई जो गुब्बारे बेच रहा था ।
यह लेख पढते समय आप यही सोच रहे होगे की यह काम छोटा है नही जी हमारी सोच छोटी होती है । आज कुछ एसे उधोगपती है जिन्होंने अपना काम गुब्बारे बैचने से शुरू किया था और आज कहॉ से कहॉ पहुँच गए ।
संजय लीला भंसाली की फिल्म पदमावती का निर्माण 2016 मे शुरू हूआ । जनवरी 2017 मे जयपुर मे फिल्म की शूटिंग के दोरान सेट पर ' राजपूत करणी सेना ' ने हय कहते हुए फिल्म का बिरोध किया की इस फिल्म मे राजपूत रानी पदमावती के इतिहास को तोड मरोड कर पेश किया जा रहा है जो राजपूतो का अपमान है ।तभी से यह फिल्म विबादो मे आ गई । इस फिल्म की कहानी चित्तोड की रानी पदमावती पर आधारित है । जिसे रोमांचक ढंग से पेश किया गया है । रानी पदमावती की भूमिका मे आभिनेत्री दीपिका पादुकोण है जो रानी के रूप मे खूव जच रही है ।
इस फिल्म पर रोक लगाने के लिए सुप्रिम कोर्ट मे भी याचिका दायर की गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया । आखिरकार फिल्म पदमावती घनघोर बिरोध के बाबजूद भी पदमावत के नाम से 24 जनवरी 2018 को रिलीज हुई इस दिन भी देश भर के अलग अलग कोनो मे पदमाव का विरोध हुआ तोडफोड की खबरे भी आई ।
पर अब जल्द ही पदमावत के उपर से संकट के बादल छटेगे और फिल्म पदमावत पर सुन्हरी धूप पडेगी । क्योंकि फिल्म विबादित होने के कारण मीडिया मे सुर्खियो मे रही और लोगो की चरचा का विषय बनी इसलिए इस फिल्म का मुफ्त मे खुब प्रचार हुआ । अब हर कोई इस फिल्म को देखना चाहता है की आखिर इसमे एसा क्या है जिसकी वजह से इतना हंगामा हुआ । यह फिल्म खूव कमाई करेगी ।
सन 2001 मे आई फिल्म गदर जिसमे हिंदुस्तान पाकिस्तान का बटवारा दिखाया गया था ।इस फिल्म के कुछ सीनो पर मुसलमानो ने आपत्ति जताई थी और पदमावत की तरह ही हंगामा हुआ था पर क्या हुआ । यह फिल्म खूब चली लोगो ने इसे देखना पसंद किया ।
अब निर्माता संजय सिह राजपूत की फिल्म गदर2 आने बाली है यह फिल्म आतंकवाद पर आधारित है । अभी सेंसर बोर्ड ने पदमावत के बिरोध से डर कर फिल्म गदर 2 को अटका रखा है और हरी झंडी देने से इनकार कर दिया है ।
इस संसार मे हर आदमी को अपनी जरूरते पूरी करने के लिए मेहनत करनी पडती है । आदमी को जीवन जीने के लिए कुछ ना कुछ काम धंधा करना जरूरी होता ।जिन लोगो को धन एवं सभी सुख सुविधाए विरासत मे अपने बाप दादा से मिलती है उन्हें भी कुछ कम पर मेहनत तो जरूर करनी पडती । इस संसार मे मुफ्त मे कुछ नही मिलता हर चीज की कीमत चुकानी पडती है चाहे वह किसी भी रूप मे चुकाई जाए ।
आदमी अपनी जिंदगी चलाने के लिए दो तरह से मेहनत करते है एक शारीरिक श्रम और दूशरा दिमागी मेहनत ' अकुशल आदमी अपना जीवन यापन करने के लिए शारीरिक मेहनत मजबूरी मे करता है जिसे हम मजदूरी कहते है । या अपने जीवन का सुनहरा समय किसी को मासिक किस्तो मे बैच देता है जिसे हम नोकरी करना कहते है । शारीरिक श्रम के काम से आदमी इतनी ही कमाई कर पाता है जिससे उसकी बुनियादी जरूरते रोटी कपडा और मकान ही बामुशकिल पूरी हो पाती है । स्मार्ट बर्क _दिमागी मेहनत करना सब पसंद करते है पर जानकारी की कमी के कारण सभी लोक यह नही कर पाते ' जिन लोगो ने जीवन के शुरुआती दिनो मे मेहनत से पढाई लिखाई करके कमाई का हुनर सीखा होता है वही लोग स्मार्टवर्क करने मे सफल होते है । उदाहरण के लिए _ पुराने जमाने मे एक राजा का लडका पालकी मे बैठकर स्कूल जाता था एक दिन रास्ते मे उससे कहारो ने पूछा _तुम क्या पढते हो और इस पढाई से क्या फायदा होगा ? तो राजकुर ने कहा की मे हय सब तुम्हें नही बताऊगा क्योंकि अगर तुम यह सब सीख जाओगो ' तो आज मे तुम्हारे उपर सवार हू कल तुम मेरे उपर सवार हो जाओगे ' यही राज़ है ।
दिमागी मेहनत की ताकत शारीरिक शक्ति से कई गुना अधिक होती है । दिमागी मेहनत से बडे बडे कारोबार होते है जिनमे हजारो लाखो लोग काम करते है । दिमाग की मेहनत के बल पर लोग जरूरत से अधिक धन कमाकर बगलों मे रहते है और हबाई यात्राए करते है उनके पास सभी सुख सुविधाए .होती है वह संपन्न जीवन जीते है धरती पर ही स्वर्ग का आनंद उठाते है अपसराओ जैसी नारीओ के साथ नित्य करते है और चेन की बंसी बजाते है । क्योकी उनके पास कमाई करने का हुनर होता है जिससे रूपये उनके पीछे भागते है । कमाई _ जेब मे रूपये आना कमाई होता है । कमाई करने के अनगिनत तरीके है भीख मागना भी कमाई करने का एक तरीका है । पर मित्रो मे तुम्हें स्मार्ट तरीको के बारे मे बताने जा रहा हू ।
1.कमाई का पहला सूत्र है लोभ ' लोभ हर आदमी का पहला स्वभाविक गुण होता है । अपने प्रति या अपनी वस्तु के प्रति दुशरो मे लोभ पैदा करना और उनहे लुभाकर कमाई करना कमाई का सबसे सरल उपाय है ।उदाहरण के लिए ईनामी लॉटरी का व्यापार तो लोभ की ही बुनियाद पर खडा हुआ .है ।
2.कमाई का दूशरा उसूल है डर लोग डर के मारे धन छोड देते है सोचते है जब हम ही नही रहेगे तो फिरर यह धन बेकार है । इसीलिए तो हास्पिटिलो मे रूपया बाढ की तरह आता है ।डॉक्टरो की हाथ छूने की फीस हजार रूपया होती है । दो ग्राम की राई के दाने बराबर दबा की गोली और बूद भर दबा हजारों रूपयो तक की मिलती है ।यही तो है अधिक कमाई बाले क्षेत्र जहाँ धन की गंगा बहती है ।
3.कमाई का सबसे लाभदायक जरिया है उधोग.उधोग लगाना अमीर बनने का रास्ता है ।उधोगो मो हजालरो लोग काम करते है या हजार लोगो की ताकत का काम एक ही मशीन करती है हजार लोगो की मेहनत का अगर सो सो रूपया भी मालिक को महिने मे मिलता है तो मालिक बैठे बैठे लाख रूपया कमा लेता है ।बूद बूद से ही तो समंदर भरता है ।दुनिया मे जब भी आमीर लोगो का चुनाव होता है तो उस सूची मे सबसे जादा नाम उधोगपतीयो के होते है ।
4.कमाई का चौथा मबसे लाभदायक जरिया है मेरी नजर मे भवन निर्माण का कार्यक्षेत्र दुनिया मे जब भी कोई आदमी धन संपन्न होता है और उसके पास जरूरत से अधिक धन जमा होता है तो एसे लोग अधिकतर अलीशान भवन बनबाने मे अपना धन खर्च करते है ।या बना बनाया बगला खरीदते है । इसीलिए तो बिल्डर सबसे जादा अमीर होते है । साधारण से मकान बनाने बाले कारीगर कुछ ही साल मे अपना खुद का बगला बना लेते है । भवन निर्माण मे लगने वाले मटेरियल के बिक्रेता भी खूब कमाई करते है ।भवन निर्माण का कार्यक्षेत्र भी लाभदायक क्षेत्र है ।
हिंदुस्तान मे हिन्दुओ के देवी देवताओ की एक बडी संख्या है । हिन्दुओं के अनुसार हिन्दु धर्म के कुल 33 करोड देबी देवता है । भारत मे मंदिरो की भी कमी नही है । हर गॉव मे दो चार मंदिर होते है । शहरो मे तो भारी लागत से बडे बडे मंदिर बनाए गए है तीर्थ स्थानो पर तो शाहर मे जितने मकान होगे उन्से कुछ ही कम मंदिर होगे । पहाड़ों की चोटियो पर मंदिर बने है । जिन्है देखने के लिए लंबी चढाई चढना पडता है ।कुछ फेमस मंदिरो के सामने तो हमेशा भारी भीड़ होती है ।जिसे देखकर लोग सोचते है अगर इतनी संख्या मे लोग मंदिर देखने आते है तो जरूर भीतर कुछ चमत्कार होगा पर जब भीतर जाकर देखते है तो पाते है वही साधारण सी मूर्ती है जो हमारे गॉव के मंदिर मे होती है ।मंदिर भी उसी ईंट पत्थर सीमेंट से बना है जिससे सभी मंदिर बने है ।कुल मिलाकर दूर के ढोल सुहाने होते है ।
पुराने दोर से लेकर आज तक के सबसे सुपरहिट गाने जो दिल को छू जाते है और हमे प्रेम की गंगा मे बहाकर प्रेम के सागर मे डूबा देते है । तो आइए हम भी डूबे प्रीत के इस सागर मे और महसूस करे अपने अपने प्यार के अहसास को ।
हमारे समाज मे ब्यक्ति का बीमार होना किसी गुनाह से कम नही है ! क्योंकि हमारा समाज इसकी कडी सजा देता .है । आइए जाने कैसे ।
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह उसे देखने जरूर आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार आदमी की तबियत और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है तो समझो हमारा समाज उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
💉💊💉💊💉💊⛄⛄🗿
चुप रहने से कुछ ना होगा । बोलो तो बात बने । मन की बात जुवा पर ना लाने कुछ ना होगा । मुह खोलो तो कुछ पता चले । अंजाम के डर से खामोस रहो तो कुछ ना होगा । हिम्मत से बोलो तो अंजाम मिले । बोलने से पहले ही मत सोचो जबाव न होगा । बोलकर तो देखो जबाव हॉ मिले । बोलने कीआजादी है बात कहना गुनाह न होगा । कोइ न सुने तो भी कहने मे हमारा क्या लगे । बात आज ही आभी कहो कल कहने से क्या होगा । पता नही कल कैसी हवा चले । हक के मसले मे खामोसी से कुछ न होगा । आवाज उठाओ तो हक मिले । अनजान ठिकाना पुछने सकुचाने से कुछ न होगा । पता पूछो तो मंजिल मिले । मेरे लिखने से कुछ ना होगा ।
भारत का दिल मध्य प्रदेश अब पोलेथिन पन्नी के प्रदूषण से साफ हो रहा है । 24 मई2017 से मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पन्नी के उपयोग पर रोक लगा दी है ।पन्नी का उपयोग करने बालो पर र्जुमाना लगेगा ।पन्नी की जगह कागज और कपडे के बैग उपयोग करने की सलाह दी जा रही है । अब पूरे भारत मे पन्नी का चलन बंद होने की पूरी संभावना है क्योंकि पोलेथीन पन्नी का प्रदूषण अब चरम सीमा पर है । मध्यप्रदेश मे अब कागज और कपडे के बैग की माँग बढने बाली है । यह समय कागज और कपडे के बैग बनाने का उधोग लगाने का सुन्हरा अवसर है ।
👜 कपडा बैग बनाने का गृह उधोग बहुत कम लागत से स्थापित किया जा सकता है ।बस इसके लिए एक सिलाई मशीन जाहिए और सस्ते कपडे के थान ' लटठा और नेट के कपडे सस्ते पढते है । नेट का कपडा थोक मे कटनी से खरीदने पर सस्ता पढता है क्योंकि यहॉ नेट का कपडा बनता है । कपडे के बैग बनाने मे जादा झंझट भी नही है । इसकी मार्केटिग करना भी आसान होगा हर दुकानदार को इसकी जरूत पडेगी आखिर ग्राहक को किसी ना किसी थेले मे रखकर ही तो सामान देना होगा । कपडे की पोटली मे बॉधकर तो सामान दिया नही जा सकता है ' किराना बाले ' कपडे की दुकान ' सब्जी बाले सभी को कपडे के बैग रखना पढेगा अपने ग्राहको की सेवा के लिए ।
में जब भी कभी सुनता हू प्रेम के कहीं ' तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे । में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी ' तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे । में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी ' तब नाइका मे तुम नजर आती हो ' कंचन तेरी याद मे । में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी ' तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे । में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना ' मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे । मे पत्थर था तुम कंचन हो पर फिर भी अभी ' पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे । मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह ' फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।
🏠प्रधानमंत्री आवाज योजना _ग्रामीण " संछिप्त परिचय ।
इंदिरा आवास योजना को 2016 से प्रधानमत्री आवास योजना मे पुनः गठित किया गया है ।इस योजना के तहत भारत वासियो को जो टूटे फूटे और कच्चे मकानो मे रहते है उन्हें 2022 तक पक्के मकान बनवाने का लक्ष्य है । इस योजना से बनने वाले कमान का आकार 25 वर्ग मीटर होता है ।इस इकाई की लागत सहायता राशी 1.20 लाख एवं 1.30 लाख है ।हितग्राही कुछ बडा मकान बनाना चाहे तो उसे 70 हजार रू लोन भी मिल सकता है । इसके आलावा हितग्राही मनरेगा से 90\95 दिन की मजदूरी पाने का भी हकदार है ।मकान के साथ शोचालय बनाने पर 12 हजार रू की राशी अलग से मिलने का नियम है । साथ ही अन्य योजनाऔ के तालमेल से पेयजल व्यवस्था ' बिजली कनेक्शन ' गैस चुल्हा आदि भी मकान के साथ मुहैया कराने का प्रयास है ।
इस योजना मे 2011 की जनगणना के आधार पर हितग्राहियो का चयन किया जा रहा है ।हितग्राही अपने ब्लॉक से स्वीकृती आदेश पा सकता है या pmyg की बेवसाइट से भी डाउनलोड कर सकता है ।लाभार्थी को स्वीकृती आदेश मिलने के 15 दिन के भीतर 40 हजार रू की पहली किस्त मिलने का नियम है 'स्वीकृति मिलने की तारीख से 12 महिने के भीतर मकान निर्माण का काम पूरा होना चाहिए ।
ग्राम पंचायत स्तर पर 'ग्राम रोजगार सहायक ' टैग होता है जो हितग्राही को मकान बनाने जानकारी देने के साथ ही उसकी सहायता करता है ।
इस योजन के लाभार्थियों के चयन का आधार s e c cटिन नं है । जो स्वीकृति आदेश पर लिखा होता है ।इस डाटावेश को अन्य कार्यक्रमो मे भी उपयोग किया जाता है ।इस विशेष योजन केतहत निर्धारित किये गए लाभार्थी वह परिवार है जिन्हें स्थाई सूची मे शामिल किया गया है ।इस योजना मे ई- सेवा प्रदायगी की दो प्रणालियॉ है । पहली आवास साफ्ट और दूशरी आवास एप्प है ।
अमीर बनने की शिक्षा देने वाली और धनवान बनने के गुरले सूत्र सिखाने वाली दुनिया की सबसे अच्छी 10 किताबें है । इन किता की करोडो प्रतियॉ बिकी है ।यह चुनिदा किताबे है आर्थिक ज्ञान की जो दुनिया भर मे चर्चित है । इन 10 किताबों का कोर्स पढकर इनमें बताए गए नियम के आधार पर चलकर कोई मी साधारण आदमी अमीर बन सकता है और सफलता की बुलंदीयों पर पहुच सकताहै ।क्योंकि इन किताबो मे अमीर बनने का अनमोल ज्ञान भरा है । अमीर बनाने वाली किताबे । जीत आपकी । लेखक - शिव खेडा
इस किताव मे साकारात्मक सोच विकशित करने के बारे मे अच्छे उदाहरणो से समझाया गया है । यह किताब व्यक्ति को अपनी खूवी और बुराई का आइना दिखाती है । इस किताव मे हर समश्या का समाधान मिलता है । जीत आपकी पुस्तक नेट पर पीडीएफ डाउनलोड मे मुफ्त उपलब्ध है । बेबीलॉन का सबसे अमीर आदमी'।लेखक - जार्ज एस क्लासन
यह किताब बताती है की बेबीलोन का सबसे गरीव आदमी वहाँ का सबसे अमीर आदमी कैसे बना ।इस पुस्तक मे धन को आकृषित करने के नियम के बारे मे बताया गया है ।यह किताब वित्तिय ज्ञान देने वाली विश्व की सबसे फेमस किताव है । जो आदमी को अमीर बनाने की शक्ति देती है । रहष्य ( दा सीक्रेट) लेखक- रॉन्डा बर्न
यह किताब रहष्य की बातो से भरी है ।और यह आकृषण के नियम का रहष्य उजागर करती है । इस किताब मे धन का रहष्य भी समझाया गया है ।यह किताव सपनो को साकार करना सिखाती है । इस किताब मे बताए गए रहष्य को सीखकर व्यक्ति कुछ भी पा सकता है । यह पुस्तक नेट पर पीडीएफ डाउनलोड के लिए मुफ्त उपलब्ध है ।इस किताव मे एक बहुत ही बडी बात लिखी है की दुनियॉ का 95% धन केवल विश्व के एक% लोगो के पास होता है । रिच डैड पुअर डैड ।लेखक - रोवर्ट कियोसकी सोचिए और अमीर बनिए ।लेखक - नेपोलियन हिल 21 वी सदी मे दोलत मंद बनने की राह । लेखक _.......... अलकेमिस्ट ।लेखक _पाउलो कोएल्हो
लोक व्योहार ।लेखक _डेल कारनेगी बडी सोच का बडा जादू । लेखक _डेविड जे . शक्तिमान र्वतमान ।लेखक _ एक्हार्ट तोले ।
नोट _ क्या आप जानते है की व्यक्ति की सबसे बडी संपत्ती क्या होती है ?
आदमी धन कमाता है 'धन आदमी को नही कमा सकताहै इसलिए व्यक्ति की सबसे बडी संपत्ति व्यक्ति होते है धन नही ।
दुनिया मे जव भी दुनिया के सबसे अमीर लोगो की लिस्ट निकलती है तो उसमे सबसे जादा नाम उधोगपति लोगो के ही होते है । इससे यह बात साफ होती है की अमीर बनने का रास्ता उधोग ही है । उधोग भी हर अदमी के उपयोग मे आने वाली वस्तुओ का लगाना चाहिए ।जहॉ तक हो सके तो वच्चो की उपयोगी चीजे खिलोने आदि और महिलाओं के सृंगार की वस्तुओ का व्वसाय अधिक लाभदायक होता है । महिलाए और बच्चे अपने उपयोग की बस्तुए मुह मागी कीमत देकर खरीदते है उन्हें रूपए की कीमत कुछ कम पता होती है । जवकि कमाऊ पुरूष खासकर बूढे आदमी जादा चतुर होशियार और बेईमान होते है । खरीदारी मे कंजूसी करते है । मोल भाव करते है । वस्तु कम से कम कीमत चुकाकर खरीदते है । एक एक रूपया गिन गिन कर खर्च करते है । क्योंकि बूढे आदमीओ को दुनिया की हकीकत पता होती है और वह जानते है की धन की कीमत क्या है और धन कितनी मेहनत से कमाया जाता है ।
अव कुछ बात युवाओ की हो जाए युवा और किशोर अवस्था के लोग भी अपनी शोक पूरी करने पर अधाधुंद पैसा उडाते है । बाप की दोलत पर खूव एस करते है । बाप सोचता है की मेरा लडका शहर मे पढ रहा है । और उसकी पढाई के खर्चके नाम पर खूव पैसे भजे जाते है । और बच्चे उन रूपयो का उपयोग उपनी सान सोकत पर करते है ।फेशन मे रहते है । इसलिए युवाओ की उपयोगी वस्तुए जो समय के फेशन मे होती है कपडे 'जूते ' वाइक ' मोवाइल ' आदि जैसी युवा युवतियो की उपयोगी वस्तुओं का कारोबार भी जादा लाभदाय् शिद्ध होता है ।
मनुष्य के जीवन का राज़ यह है की मनुष्य खुद ही अपने जीवन का निर्माता और भाग्य विधाता है ।वह अपने जीवन की जैसी कल्पना करता है उसका जीवन वैसा ही बन जाता है ।रहष्य यह है की कल्पना ही सबकुछ है ।ब्यक्ति की जैसी कल्पना या सोच होती है वह परिणाम रूप मे साकार होती है यह कुदरत का नियम है । संसार की सभी वस्तुएं कल्पना के ही रूप है । किसी विचारक का कथन है की इंसान का दिमाग जिन चीजो को सोच सकता है ' इंसान उन्हें पा भी सकता है ।पुराणो मे कल्पबृक्ष की कथा है ' कामधेनु की कथा है ' अलादीन का चिराग कहानी है ।वैसे तो यह कहानियॉ काल्पनिक है । पर यह कहानीयाँ कल्पना की शक्ति को समझाने के लिए गढी गई थी । जैसे देवी देवता ' आत्मा परमात्मा ' ईश्वर आदि से सच्चे मन से पूरे विश्वास के साथ जो भी मागो वह मिलता है यह सच है । पर विश्वास पैदा नही होता क्योंकि देवी देवता आत्मा परमात्मा जिन्न कामधेनु कल्पबृक्ष ईश्वर आदि यह सब नाम उसी असीम शक्ति के है जिसे हम वृम्हाण कहते है । जो विसाल है और आखड है । उसे यह छोटे छोटे नाम रूप देने से वह खडित होता है और आदमी इसमे भ्रमित होता है ।
आदमी की कल्पना वृम्हाण को प्रभावित करती है फिर इसकी प्रतिक्रिया होती है ।और वृम्हाण कल्पना को साकार कर परिणाम रूप मे उसके स्रोत पर वापस लोटा देता है । एक बार जीसस ने अपने साथियो से कहा था की तुमहे पक्का भरोषा हो जाय की वह सामने का कहाड उडकर यहाँ आ जाएगा । तो सच मे ही वह पहाड उडकर यहाँ आ जाएगा ।
यही तो चमत्कार है कल्पना का । इस रहष्य को रॉन्डा बर्न की पुस्तक ' दा सीक्रेट ' मे विस्तार पूर्बक बताया गया है । इस किताब का हिन्दी अनुवाद भी हुआ है । संसार का रहष्य ! उमा कहहू मे अनुभव अपना ' सत हरी भजन जगत सब सपना ।
अर्थात : शिव शिवा से अपने अनुभव की बात कहते है की उमा यह सारा जगत एक सपना है । स्वप्न सपना सोच विचार यह सव कल्पना के ही रूप है । संसार की सभी वस्तुए कल्पना के ही साकार रूप है ।मनुष्यों का अपना व्यक्तित्व भी उनकी अपनी कल्पना का ही परिणाम है । अलवर आइंस्टीन के मुताविक पदार्थ भी विचार का ही रूप है ।
इस विषय मे किसी ने बहुत खूव कहा है _ सोच बदलो तो सितारे वदल जाएगे '
नज़र वदलो तो नजा़रे बदल जाएगे । यह सच है और यही राज़ है ।
हिदुस्तान हिन्दू प्रधान देश है । हिन्दू धर्म का आधार और केंद्र राम है । रामायण हिदूओ का मुख्य धर्म ग्रंथ है ।हर हिंदू सुबह उठकर जिस राम का नाम लेता है उस भगवान राम का मंदिर राम की जन्म भूमि पर अयोध्या मे नही है यह बडी शर्म की बात है । भारत के बाकी सब मंदिर बेकार है जब तक राम जन्म भूमी पर मंदिर नही है तब तक सभी मंदिरो का कोई मूल्य नही है ।
इतिहास गवाह है की अयोध्या मे ही राम की जन्म भूमी है ।न्यायालय ने भी फैसला कर दिया ।वहाँ पहले मंदिर था इस बात के सारे सबूत है । मुस्लिम भी मंदिर बनाने का सर्मथन कर रहे है । तो फिर मंदिर निर्माण मे देरी क्यों हो रही है । आखिर कब तक चलेगा यह मुद्दा 'कब तक होगी राम जन्म भूमि पर राजनीती ' भारत का हिंदू सरकार की तरफ देख रहा है की आखिर कब करागी सरकार राम भूमि पर मंदिर का निर्माण ' कब बनेगा मेरे राम का मंदिर । मोदी सरकार का कहना है की 2022 तक हर गरीब हिदुस्तानी को पक्का मकान बना कर देगी सरकार ' क्या करेगे भारत के गरीब इस मकान का क्योंकि उनका भगवान बेघर हो और वह पक्के मकान मे रहे यह बात नही बनेगी । इस समय सभी परिस्थितिया अनुकूल है मोदी और योगी का राज है इस समय मंदिर नही बना अयोध्या मे राम की जन्म भूमी पर तो फिर तो फिर कब बनेगा ?
वनवासी जन जीवन मे महुआ के पेड़ का बहुत महत्व है । महुआ इनके लिए आय का एक साधन है । मध्य भारत के जंगलो मे अधिक पाया जाने वाल महुए का पेड फागुन माह मे फूलता है । इसके पेडो से एक माह तक रोजाना महुआ के फूल झडते है । इन फूलो की मादक गंध से जंगल का बातावरण महकर मदमस्त हो जाता है । वनवासी लोग इन महुआ के फूलो को हाथ से बीन कर रोजाना इकटठा करते है । महुआ के पेड के नीचे रोज सुवह दो तीन तगाडी महुआ फूल मिलते है । वनवासी इन महुआ फूलो को सुखाकर बाजार मे कुंटलो से बेचते है । और इनका उपयोग खाने मे भी करते है ।एवं इन फूलो से मदिरा भी बनाई जाती है ।
महुआ के फल_ गुलेदा ' जून माह मे पक जाते है जै खाने मे बहुत ही स्वादिष्ट होते है ।जगली लोग और जंगली जानवर ही इनका स्वाद ले पाते है । शहर के लोगो ने तो महुआ फिल्म का गाना जरूर सुना होगा 'और महुआ का फूल भी देखा होगा पर उनहे असली महुआ के फल का स्वाद शायद कभी नशीव नही हुआ होगा । क्योंकि यह फल बाजारो मे नही बिकते है । महुआ के फल की गुठली का भी व्यापार होता है इसे गुली कहते है इसका तेल निकलता है जो खाने के उपयोग मे आता है ।
महुआ नाम की एक पुरानी फिल्म है । महुआ पर स्थानीय भाषाओं मे लोकगीत भी बन है जो बहुत लोकप्रि है ।
एक लोकगीत के बोल कुछ इस प्रकार है _गोरी चढ गई पठार ' गोरी चढ गई पठार ' लेके गुटटू महुआ बीनने ।
गॉव के हर घर मे दुधारू पशु जरूर पाले जाते है । पहले तो इन पशुओं के गोवर का उपयोग कंडे उवले बनाने मे होता था जो खाना पकाने के लिए चुल्हे मे जलाने के काम आते थे । पर अब गॉवो के घरो मे गैस चुल्हे आ जाने के कारण मवेशी का गोवर कूडे के ढेर पर फेका जाता है ।गॉव के रास्तों गली चोराहो के किनारे जगह जगह लगे यह गोवर कूडे के ढेर गॉव को गंदा करते है । गॉव को साफ सुथरा रखने और गोवर कूडे का उपयोग करने का एक मात्र उपाय यह है की इससे बर्मी कपोस्ट गोवर की खाद बनाई जाए । इसके लिए गॉव के सभी पशुओं वाले घरो मे पक्के ईट के टेंक बनाए जाए जिसमे पशुओं की सार वखरी का गोवर घास भूसा का कचडा जमा किया जाए जब यह टेंक फुल भर जाए तो इसमे पानी भर कर केचुए छोड दिए जाए और ऊपर से घास से इस टेक को ढक दिया जाए । इसके बाद तीन चार माह मे खाद बनकर तैयार हो जाता है । किसानो के लिए तो सरकार गोवर की खाद बनाने के पक्की टंकी बनाने के लिए अनुदान भी दे रही है । गेर किसान भी अपने खरचे से यह टंकी वना सकते है इसमे अधिक खर्च नही लगता सिंगल ईट की पॉच फिट ऊची दीवार चारो तरफ बनाई जाती है इसकी लंबाई चोडाई अपने गोवर के हिसाव से जादा कम रखी जा सकती है । गोवर की खाद बनाने की बिधि भी बहुत सरल है ।
गोवर की जैविक खाद किसान खुद बनाकर अपने खेत मे उपयोग कर सकता है जिससे रासायनिक खाद खरीदने का खरचा बचेगा । गेर किसान भी यह गोवर की खाद बनाकर किसानो को बेच कर कुछ रूपये कमा सकता है । अब आप सोचेगे की यह खाद खरीदेगा कौन अजी आने वाले समय मे जैविक खाद की माँग बढने की बहुत संभावनाए है ।क्योंकि रासायनिक खेती के दुष्परिणाम सामने आने से अब किसान धीरे धीरे रासायनिक खेती छोडकर जैविक खेती की तरफ बढ रहे है ।जैविक खाद और जैविक बिधि से पैदा किये गए कृषि उत्पाद गेहू ' सब्जियॉ ' फल ' दाले ' गुड आदि बहुत मॉग है । स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग जैविक खादय सामंग्री ढूड ढूड कर खरीदते है । और यह जैविक कृषि उत्पाद दुगनी कीमत पर बिकते है ।आज कुछ जागरूक लोग आयुर्वेद की दबाए और जैविक खादय पदार्थों का ही सेवन कर रहे है ।
मित्रो भविष्य आयुर्वेद और जैविक का ही है ।अब जल्द ही रासायनो का जमाना जाने वाला है ।इसलिए जैविक के क्षेत्र मे पेर जमाने का यह अच्छा समय है ।
आदमी के लिए अॉखे कुदरत की आनमोल देन है ।अॉखे है तो यह सुन्दर संसार है वरना अंधेरा है ।इसलिए अॉखो के प्रति सबधान रहना बहुत जरूरी है ।इस युग मे मोवाइल और मोटरसाइकिल जीवन का अहम हिस्सा बन गए है इनके विना जीवन का पहिया नही चलता है । पर इनका साबधानी से उपयोग करना ही आदमी के लिए हितकर है । नेत्र विशेषज्ञो के अनुसार वाइक और स्मार्ट फोन लोगो की अॉखो पर धातक असर डाल रहे है ।
स्मार्ट मोवाइल फोन का उपयोग आज बहुत हो रहा है ।जमाने की अॉख मोवाइल पर थमी है ।हर कोई अपने मोवाइल पर व्यस्त दिखता है अगर किसी से पूछो कि क्या कर रहे हो ' तोवह कहता है वाटस अप ! बहुत देर तक या देर रात तक मोवाइल पर अॉखे लगाना हानीकारक है एसा करने से अॉखो की रोशनी कम होती है । इसलिए स्मार्ट फोन का कम या समयक उपयोग करना चाहिए ।
वाइक का उपयोग _ नंगी अॉखो से वाइक चलाना अॉखो लिए मेहगा पडता है ।रास्ते की धूल ' धूआ 'कंकड ' मच्छर हवा अॉखो से टकराती है ।जिससे अॉख मे जलन चुभन महसूस होती है और अॉखे लाल हो जाती है । आज अॉखे खराव होने का सबसे बडा कारण नंगी अॉखो से वाइक चलाना ही है ।इसलिए वाइक चलाते सयम चश्मे का उपयोग करना बहुत जरूरी होता है ।
टीवी और लेपटॉप का उपयोग _ कही ना कही टीवी और लेपटॉप का पर भी लंबे समय तक अॉखे स्थर रखना हानीकारक है । इन चीजो का उपयोग करते समय बीच बीच मे इधर उधर देखने से भी अॉख को राहत मिलती है ।और काला या हरे रंग का चश्मा पहन कर भी इन चीजो का उपयोग करने से अॉखे सुरक्षित रहती है । 👀👀☝👓🚪📱📺🌈