शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

एक रुपया बंद होगा ।

भारत की मुद्रा का एक रुपया का सिक्का  अब जल्दी ही बंद होने बाला है ।वह  इसलिए कि अब  एक रुपये मे मिलता ही क्या है । अब  एक रुपये की जरूरत नाम मात्र के लिए ही रह  गई है । यह  अनुमान लग रहा है कि 2017के अंत तक देश मे एक रुपये का चलन पूरी तरह से बंद हो जाएगा ।
एक रुपया मुल्य की चंद वस्तुएं ।
माचिस ' टॉफी ' पान का पत्ता ' शेम्पो शेशै ' खाने का चूना पाऊज ' छोटी सूई ' आदि ।
एक रुपया बंद होने पर भिखारियो को लाभ होगा ' फिर  उन्हे भीख मे सीधे दो रुपये ही मिलेगे ।
एक रुपया बंद होने पर सबसे जादा लाभ  उन वस्तुओं के निर्माताओ को होगा जो वस्तुएं आज  एक रुपये मे बिक रही है ' क्योंकि फिर  इन वस्तुओ की कीमत दुगनी यानी दो रुपये हो जाएगी ।✌✌
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गुरुवार, 22 सितंबर 2016

मच्छर भगाने की घरेलू दबाई ।

मुफ्त मे मच्छरो से बचने का सबसे सरल  उपाय ।
मलेरिया ' डेंगू ' चिकिनगुया जैसी घातक बीमारियां फेलाने बाला मचछर ' आदमी का सबसे बडा दुश्मन है ।
इससे बचने के लिए हमे ना जाने क्या क्य  उपाय करने पडते है । कॉयल जलाना ' क्रीम ' लगाना ' पंखा और मच्छर दानी मे सोना आदि । इन सभी उपायों के बाद भी मच्छरों से बचना कठिन होता है ।
मच्छर की घरेलू दबा बनाना ।
यह दबा बनाने का तरीका यह है _ सरसों के तेल मे नीम की पत्तियों को आग पर पकाने के बाद तेल को ठंडा होने पर ' छानकर शीशी मे भर ले । बस तैयार है मच्छर भगाने की दबाई ।
इस तेल की मालिश शारीर पर करने के बाद मच्छर काटना तो दूर पास भी नही आते ' इस तेल का सबसे बडा दूशरा फायदा यह है की इससे अन्य त्वचा रोग भी नही होते जैसे दाद ' खाज ' खुजली ' फुन्सी आदि । गुप्त अंगो की पसीने बाली खुजली का तो यह तेल  आजमाया हुआ राम बॉण  इलाज है ।क्योंकि इसमे नीम जो है ।इस तेल का शरीर पर कोई हानिकारक असर नही पडता ।
मच्छरों से बचने का यह घरेलू नुस्खा 'एक  आजमाया हुआ कारगर  उपाय है ' और वह भी बगेर पैसा का जिससे कॉयल पर  खर्च होने बाले रुपये भी बचते है ।
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धोती पर संकट के बादल ।

भारतिय पुरुष परिधान 'धोती कुरता और रूमाल ' अब लुप्त होने की कगार पर खडे है । पिछले दो तीन दशक से भारतीय संस्कृति के पहनावे पर पाश्चात्य संस्कृति के बढते चलन के कारण धोती खोती जा रही है । आज का युवा जीन्स पहनना अधिक पसंद कर रहा है । शहरों मे तो बूढे स्त्री पुरुष भी जीन्स टीसर्ट पहने अधिक देखे जाते है ।केवल गांव मे ही 60 साल से जादा आयु के लोग धोती कुरता पहनते है ' इन बूढो के समाप्त होते ही धोती गांव से भी विदा हो जाएगी । पर कुरता रहेगा क्योंकि कुरते ने जीन्स के साथ रिस्ता बना लिया है । साफा का तो पता ही नही कब गले से गिर गया । आने बाले 30 साल बाद धोती बाले लोग केवल फोटो मे ही देखे जाएगे ।
स्वदेशी कार्यक्रम
एक फिल्म का बहुत सुन्दर केरेक्टर है ' स्वदेशी पर जो कुछ  इस प्रकार है _ स्वदेशी कार्यक्रम मे मंच पर  एक मंत्री भाषण देता है स्वदेशी पर  इसी बीच  एक जीन्स टी सर्ट बाला लडका मंच पर  आता है और मत्री के हाथ से माइक बोलता है की मे आपकी बात का समरथन करते हुए ' अभी इसी वक्त  इन विदेशी कपडो का बहिस्कार करता हू ' यह कहते हुए यूवक  अपने जीन्स टी सर्ट उतार कर फेक देता है ' जिस पर लोग तालियाँ बजाते  है ' तालियो की गडगडाहट खत्म होने पर फिर वह यूवक यह कहते हुए अपने अंडरवियर की तरफ हाथ बढाता है की यह भी विदेशी है ' स्वदेशी तो चड्डी है ' और मे इसका भी बहिस्कार करता हू ' यह सुनकर जनता नहीSs  नहीSs  चिल्लाकर भागने लगे ।
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बुधवार, 21 सितंबर 2016

उज्जैन की छटा मे लगे चार चाँद ।

उज्जैन शहर भारत का सबसे पुराना एतिहासिक शहर है । इसका पुराना नाम 'उजेनी ' था ।भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ सांदीप मुनी से विध्या अधयन किया था । यह स्थान आज भी है जो सांदीपनी आश्रम के नाम से जाना जाता है ।

उज्जैन शहर का रामायण मे भी उल्लेख है ।कागभुशुण्डि गरूड संवाद ' मे कागभुशुण्डि गरुड को 27कल्प पहले के अपने एक जन्म की कथा सुनाते हु कहते है की _ उस समय के कलयुग मे मेरा जन्म अवध मे हुआ था । जव  अवध मे अकाल पडा तो मे 'उजेनी नगरी चलागया और वहाँ मेने कुछ संपत्ति पाई ।फिर मे वही रहकर शिव भक्ति करने लागा ।
इस संवाद से पता चलता है की उज्जैन कितने कल्प पुराना शहर है ।
उज्जैन अभी भी सुनदर शहर है । पर  अब  अति सुन्दर हो जाएगा । हाल ही मे सरकार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट जारी की है । जिसमे  मध्य प्रदेश को दो शहर शामिल है । उन्मे से एक  उज्जैन भी है ।  और  अब  जब  उज्जैन स्मार्ट सिटी बन जाएगा तो उसकी छटा मे चार चाँद लग जाएगे ।
उज्जैन के एक राजा हुए थे । बिकृमादित्य ' उन्होंने ही बिकृम संवत सन चलाया था । राजा बिक्रम  आदित्य का सिहासन  आज भी मोजूद है जो अब क्षति ग्रहस्त है ।
महाकाल ' की नगरी उज्जैन का महाकालेश्वर मदिर भगवान शिव के बारह ज्योत्रिलिंगो मे से एक है ।इसलिए यहाँ हर बारह बरष बाद सिंहस्थ मेला लगता है ।उज्जैन मे सबसे जादा शिव के मंदिर है ।यहाँ की क्षिप्रा नदी भी पावन नदियों मे से एक है ।
उज्जैन ने अतीत की अनेक मानव सभ्यताओ को अपने मे जिया है ।यह शहर साक्षी है मानव के सबसे पुराने इतिहास का ' इसने समय के कितने उतार चढाव देखे होगे 'कभी उज्जैन शहर भी दिल्ली जैसा विशाल और विकसित शहर रहा होगा ।सुन्दर भी होगा ।अब फिर समय चक्र उज्जैन को  एक सुन्दर शहर के रूप मे बनाकर भविष्य मे ला रहा है ।

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

चोकीगढ के किले मे 'पारसमणी' है !

चोकीगढ का किला _यह किला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले मे भोपाल जवलपूर राजमार्ग पर बाडी के 'बारना डेम ' मे एक पहाड़ पर बना है । कले पर जाने के लिए कोई सुगम रास्ता नही है । यह पहाड़ तीन तरफ से पानी मे घिरा है । केवल पूरव दिशा से किले के पहाड़ पर  एक पगडंडी जाती है । जो जंगल से होकर जाती है और यहाँ जंगली जानवरो का खतरा भी होता है । इसलिए इस किले पर बहुत कम लोग ही जाते है ।और यह किला सुनसान बीराने मे होने के कारण गुमनाम है । किले पर कोई पर्यटक नही जाते ' यहाँ केवल खोजी ' लोभी लोग ही जाते है ।
पर अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस किले को पर्यटन स्थल बनाने का निश्चय किया है ' और किले पर जाने के लिए रोड बनाने का भी आस्वासन दिया है । अब जल्दी ही चोकीगढ का किला प्रकाश मे आने बाला है ।
किले का इतिहास _यह किला सोलहवी सदी के आसपास का बना है ।यहाँ गोड बंश के राजा राज करते थे ।इस राज घराने के लोग  आज भी मोजूद है । टीकमशाह  और रज्जाक शाह दो भाई है जो सेमरी गाँव मे रहते है ।वह बताते है की देश गुलाम होने के बाद इस भाग पर भोपाल रियासत के नबाव का शासन था । यह नबाव  अभिनेता शेफ  अली खान के पूर्वज थे ।
पारसमणी_यहाँ का राजा किसानों सेकर के रूप मे लोहा लेता था 'जिसे वह सोने मे बदल लेता था ।क्योंकि उसके पास पारसमणी जो थी ।एक हमले के दोरान जब किले पर दुश्मन ने कब्ज़ा कर लिया ' तब यहाँ की रानी उस पारसमणी को लेकर बाउडी मे कुद कर मर गई । यह बाउडी किले के मुख्य दरवाजे के नीचे है । इसे माँनागन कहते है ।बताया जाता है की आज भी इसी माँनागन बाउडी मे है पारसमणी ।
जिसे ढुडने के लिए नबावी शासन मे नबाव ने इस बाउडी पर पानी खाली करने के लिए बडे बडे वाटर पंप रखवाए थे ।यह पंप आठ दिन तक लगातार चले पर बाउडी का पानी खत्म नही हुआ ' और बाउडी से विशालकाय सर्प बाहर निकलने लगे जिनहे देखकर नबाव के आदमी पंप चलते छोडकर भाग खडे हुए । और नबाव मणी खोजने मे सफल नही हो पाया ।
चोकीगढ के किले के तहखाने मे खजाना '
किले के तलघरे मे खजाना होने की बात भी कही जाती है । जो लोग  इस किले के तहखाने मे होकर  आए है वह बताते है की बहा भीतर कुछ नरकंकाल पडे है ।वहाँ भीतर  एक कक्ष भी है जिसका रहष्मय दरबाजा है ।इस कक्ष भे हमेशा उजाला रहता है ।और  इस तहखाने मे बडी भूलभुलाईया है जिससे इसमे भीतर जाने के बाद खजाना तो छोडो बाहर निकलना कठिन होता है ।और यहाँ बडा भयानक लगता है । इसी तहखाने के बंद कमरे मे खजाना होने की बात स्थानीय लोग बताते है ।
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सोमवार, 19 सितंबर 2016

अभिनेता ऋषिकपूर अवार्ड से सम्मानित हुए ।

प्रेम कुदरत के दुवारा मनुषय को दिया गया अनुपम  उपहार है । प्रेम की घटना हर मनुष्य के साथ घटती है । प्रेम  आत्म की प्यास है । प्रेम के बिना संसार सूना है । प्रेम मय जीवन स्वर्ग के समान है ।
अभिनेता ऋषि कपूर को मिला ' जयांटस  इंटरनेशनल  अवार्ड '
 भारतिय फिल्म जगत मे प्रेम  आधारित विषयों पर बनी  फिलमो मे कपूर परिवार के कलाकारो का पुराने समय से बहुत योगदान रहा है । पर पिछली सरकारो ने  कपूर परिवार को अबतक किसी अवार्ड से पुरूषकृत नही किया था । कपूर परिवार के सम्मान को लेकर  ऋषि कपूर मे पिछली सरकारों के प्रति कुन्ठा थी ।और  इसी वजह से उन्होंने एक बार यह वयान दिया था की _ सरकारी इमारते क्या किसी के बॉप की है जो उनके नाम राजनेताओ के नाम पर रखे है ।
पर  अब  इस बात की कमी को वर्तमान सरकार ने  पूरा कर दिया । कल मीडिया मे ऋषि कपूर को अवार्ड से सम्मानित होने का समाचार  आने पर ऋषि कपूर के चाहने बालो मे भी खुशी की लहर दोड  गई ।

कपूर घराना पहले पाक वाले हिस्से मे रहता था ।बटवारे के बाद कपूर परिवार माया नगरी मुम्बई मे आ कर बस गया ।
प्रमुख्य कपूर अभिनेता ।
कपूर परिवार के मुख्य अभिनेता अभिनेत्रियो मे ' राजकपूर ' शशिकपूर ' शम्मी कपूर ' दादा मुनि ' अनिलकपूर ' शक्तिकपूर ' ऋषिकपूर ' रणबीर कपूर ' करिश्मा कपूर ' करीना कपूर आदि के नाम मुख्य है ।
ऋषि कपूर अभनीत सुपरहिट फिल्मे है ।
बाबी ' चाँदनी ' नागिन ' बंजारन ' 'बडे घर की बेटी ' प्रेम रोग ' हिना ' आदि ।इन फिल्मों मे ऋषि कपूर का अभियान बहुत सराहनिय रहा है ।
कपूर परिवार के अभिनेताओ की सबसे बडी विषेसता यह रही की ' किसी भी कपूर अभिनेता ने अपने अभिनय की प्रशिद्धी का उपयोग राजनीती मे नही किया ।
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शनिवार, 17 सितंबर 2016

पित्रो को पानी देने का बिधान ।

हिंदू परंपरा मे क्वॉर मास के कृष्ण पक्ष का पखवाडा पित्रो को सर्मपित है ।यह पाख कडवे दिनों के रूप मे याद किया जाता है ।इस पाख मे हिंदू धर्म के लोग  अपने पुरखो को नदी नालो मे जाकर स्नान करते हुए जल  अर्पण करते है ' और  घर पर पुरखो के नाम से काग 'कुत्तो को खीर पकवान खिलाते है ।
यह सब देखकर मेरे मन मे प्रश्न  उठता है कि सावन भादो की भारी बरसा के बाद भी पुरखे प्यासे कैसे रह जाते है ' शायद वे संतान के हाथ का ही पानी पीते हो । या फिर यह पित्र पाख  उन लोगो के लिए हो जो लोग  अपने जिंदा मॉ बाप की सेबा नही कर पाते और  उनके मॉ बाप भूखे प्यासे ही मर जाते है ।जिसका पश्चाताप करने के लिए लोग  इस पाख मे अपने पुरखो को खिलाते पिलाते है । और  अपनी आत्मा को संती देते है ।
हिंदू सस्कृति मे आदमी की मृत्यु के बाद  उसकी आत्म की शंती के इतने बिधान है कि यदि सभी बिधानो को नियम  अनुसार दान पुन्य भोज से पूरा किया जाय तो उस परिवार की सारी जमापूजी और पेत्रिक संपत्ति मरने वाले के उपर ही ही खर्च हो जाएगी ।
आदमी के अंतिम संस्कार के बाद ' गंगा मे अस्थि बिसर्जन ' मृत्यु भोज '  छहमासी भोज ' श्राद  आदि ।
मृत्यु भोज
मैने सुना है की एक मृत्यु भोज के दोरान जव लोग पाडाल मे भोजन कर रहे थे उसी समय मरने बाला आदमी प्रकट हो गया और लोगो से पूछने लगा भाई कैसी बनी है मिठाई रायता स्वादिष्ट है या नही ' यह देख सुनकर लोग भूत भूत चिल्लाकर भागने लगे और देखते ही देखते पंडाल खाली हो गया । और फिर वह  आदमी भी गायव हो गया ।
आत्म की शंती के बिधानो की सच्चाई ।
जीवन  एक जलते हुए दिये के समान है ।जिसमे शरीर दिया है और  आत्म ज्योति है । आदमी के मरने के बाद मिट्टी का दिया जमीन पर ही पडा रह जाता है और ज्योति रूपी आत्मा आकाश मे बिलीन हो जाती है । मृत्यु के बाद  अंतिम संस्कार का बिधान तो सर्व मान्य है । इसके बाद मृत आत्मा की शंति के लिए किये जाने बाले सभी कर्मकांड व्यर्थ है । क्योंकि इनका कुछ भी असर मृत आत्मा पर नही होता  । यह सब तो पंडित पुरोहितो ने झूठा प्रपंच रचा है ' यह  एक सडियंत्र है  जिसमे लोगो को मूर्ख बनाकर  उनसे दान पुन्य भोज  आदि करवाकर  उनहे लूटा जाता है ' और  उनकी धन संपत्ति बरबाद कराई जाती है । 
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शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी ।

अब आएगे उपभोक्ताओं के अच्छे दिन ।
पिछले सप्ताह भारत सरकार ने अधिसूचना जारी की है जिसमे बताया गया है कि अब जल्दी ही सरकार एक  एसा कानून ला रही है ।जिसमे सरकार तय करेगी वस्तुओं की कीमत ' जिसमे खुदरा बाजार की वस्तुएं सरकार के निस्चित किये गरे रेट पर ही बिकेगी ' और MRP रेट खत्म हो जाएगा ।इस नियम के लागू होने पर कोई भी कंपनी ' व्यापारी ' अथवा दुकानदार  इस नियम का उलंघन करेगा तो उसे पॉच हजार रूपये का जुर्माना देना होगा ।इस कानून के आने से देश मे कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी ।एवं महगाई कम होगी ।
आज बाजार मे यह हो रहा है की खुल्ली वस्तुएं जैसे खादय वस्तुएं दाले अदि वस्तुओं के मुल्य की तुलना मे ' कंपनियों की पेकिंग वाली ब्रांडेड वस्तुऔ के MRP रेट 40% तक  अधिक पाए जा रहे है । खुल्ली और पेकिंग बाली वस्तुओं के रेट मे भारी अंतर को देखते हुए ' सरकार का यह कदम सराहनिय है ।जो उपभोक्ताओं के हितो मे है ।अंदाजा यह लगता है की यह कानून GST के लागू होने से पहले ही लागू होगा ।
दुनिया की आर्थिक प्रणालीयॉ ।
संसार के अलग  अलग देशो मे तीन तरह की अर्थव्यवस्थाऔ का चलन है ।
समाजवाद_ इस व्यवस्था मे संपूर्ण संसाधनो पर सरकार का नियंत्रण और स्वामित्व होता है ।
पूजीवाद _ इस व्यवस्था मे देश के उत्पत्ती के साधनो पर व्यक्तियो का मलिकाना हक होता है । जैसे अमरीका मे पूजीवादी अर्थव्यवस्था अपनाई जा रही है ।
मिश्रित अर्थव्यावस्था _ इस  अर्थिक व्यवस्था मे  देश के ससाधनो पर सरकार  और व्यक्ति दोनो का मिलाजुला स्वामित्व होता है । भारत देश मे यही व्यवस्था अपनाई गई है ।
इसमे मुल्य तंत्र के संचालन को सरकार जनता के हितो के लिए ' अपनी कीमत नीति के तहत नियंत्रित करती है । इस व्यवस्था मे मुल्य तंत्र एक सीमा तक ही क्रियाशील रहता है ।
सीतामनी ए जीमेल डॉट कॉम

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

झूठी दबा का कमाल ।

झूठी दबाओ के चमत्कार देखिए ।
एक बार डॉक्टरों ने एक ही बीमारी के सौ रोगियों पर  एक प्रयोग किया ।50 रोगियो को सही दबा दी गई और 50 रोगियो को रंगीन पानी दिया गया ।इस बारे मे रोगियो को कुछ भी पता नही था की किसको क्या दिया गया है ।इस प्रयोग का आश्चर्य जनक परिणाम यह सामने आया कि जितने रोगी दबा से ठीक हूए ' उतने ही रोगी सादे रंगीन पानी से ठीक हुए ।
शराब छुडाने की झूठी दबा ।
एक सज्जन है जो शराब छूडाने गेरंटेड दबाई देते है ।इसकी फीस वे दस हजार रूपये लेते है ।क्योकि दबा 100% फायदेमंद है ।इसके सबूत के तोर पर  उन सज्जन के पास एक लिस्ट है जिसमे दबा से ठीक होने बालो के नाम पते मोजूद है । लेकिन दबा देने से पहले वह सज्जन शराबी से लिखवाकर यह पकका प्रमाण लेते है की मे अपनी मर्जी से पूरे होस हवास से शराब छोडने का निर्णय लेता हूँ ' जिसके लिए मै अमुख सज्जन से यह दबा ले रहा हू ' इस दबा से कोई हानी होने पर  इसका जिम्मेदार मे खुद रहूगा । सज्जन के अनुसार वे यह लिखित प्रमाण  इसलिए लेते है ।क्योकि इस दबा का सबसे बडा दुशपरिणाम यह है की दबा खाने के बाद  एक साल तक यदि शराबी ने धोखे से भी शराब का एक भी घूट पी लिया तो उसकी मोत होना निश्चित है ।इसका भी झूठा प्रमाण  उन सज्जन के पास है कुछ शराबी जो अव  इस दुनिया मे नही है ' उनके बारे मे वह सज्जन कहते है की वे लोग  इस दबा का दुर  उपयोग करने के कारण ही मरे है । हालाकी यह सही नही है पर वे शराबी को पक्का यकीन दिलाने के लिए एसा कहते है ।अब  इसका परिणाम यह होता है की जो लोग दबा खाने के बाद मरने के डर से शराब छोड देते है ' उनकी शराब की लत छूट जाती है ।और  उनका नाम सज्जन की लिस्ट मे लिखा जाता है ।और जो लोग दबा पर विश्वास नही करते या मरने से नही डरते उनकी शराब नही छूटती उपर से उनका दस हजार का नुकसान हो जाता है । यह है इस दबा की पूरी सच्चाई ।
लडका पैदा होने की झूठी दबा की सच्चाई ।
मैने एक  एसे बाबा के बारे मे सुना है जो गर्भबती महिलाऔ को लडका पैदा होने की जडी देता है ।जिसे खाने पर केवल लडका ही पैदा होता है ।
इसकी पूरी हकीकत यह है की जिन महिलाऔ को बाबा की जडी खाने से लडके पैदा हो जाते है ' { इसमे दबा का कोई काम नही होता यह तो लडका ही पैदा होना था } पर बाबा के कहने पर लडका पैदा होने बाले लोग बाबा के गॉव जाकर वहाँ के मंदिर पर भंडार करते है जिससे बाबा की दबा का प्रचार प्रशार होता है ।
जिन  औरतों को बाबा की जडी खाने पर भी लडकी पैदा होती है वे बापस लोटकर ही नही आती जिससे की बाबा की जडी झूठी साबित हो और दुशरे लोगो को हकीकत का पता चले ' और यदि कभी कोई औरत बाबा के गाव लडकी पैदा होने की शिकायत ले कर  आती भी है तो बाबा उलटा उसी को दोश देते है की तुमने खाने पीने मे परहेज नही किया होगा या नियम से दबा नही ली होगी आदि ।और फिर बाबा कहता है की मै कोई भगवान थोडी ना हू ' मैने तो दबा दी थी अब  आगे उपर बाले की मर्जी ' और तुम्हारी किसमत है । एसा कहकर बाबा उन्हें चुपचाप बिदा कर देता है ।
{घर का जोगी ' जोगडा आन गॉव का शिद्ध " दूर के ढोल सुहावने }

बुधवार, 7 सितंबर 2016

नकली चॉदी का चूडा ।

मेरा भारत महान ' बहुत अधविश्वासी देश है । अंधविश्वासो को पालने पोसने मे श्रम बिरोधी ब्राह्मणों का बहुत बडा हाथ है ।क्योंकि इनके धंधे तो अंधबिश्वास पर ही कायम है । मुंशी प्रेमचंद्र की रचना " गोदान " के पात्र  और वह जन जीवन  आज भी भारत के गॉवो मे बसता है ।
भादो मास के शुक्ल पक्ष की सातवी तिथि को संतान सातें के दिन माताए अपनी संतान की लंबी आयु की मंगल कामना करती है और  उपवास रखतीं है । एवं संतान की रक्षा के लिए उन्हें  चॉदी के कडे पहनाए जाते है । इस चूडा प्रथा के चलते  गॉव दिहातो मे नकली चॉदी के चूडे धडल्ले से बिकते है ।चूडा बेचने वाले सोनी गॉवो मे फेरी लगाकर चूडे बैचते है ।और चूडे का बिल या रशीद आदि कुछ भी नही देते ' चूडा नकली होनेमके सवाल पर केवल यह मोखिक तर्क देते है कि यदि चूडा नकली निकला तो हम  इसी कीमत पर बापस ले लेगे  ।
बेचारी गॉव की अनपढ़ गवार भोली महिलाए एक  एक रूपया जोड कर रखतीं है ।और संतान के लिये उस जमा पूजीं को गवा देती है । नकली चॉदी के चूडे बेचने वाले ठग  उन्हें ठग कर ले जाते है । जव दो चार साल मे चूडे इकट्ठा होने पर  इनहे बैचने ले जाया  जाता है तब  इन चूडो की अशलियत सामने आती है की यह चूडे तो नकली है । लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिडियॉ चुग गई खेत ।

  " जाग री नारी भविष्य तेरा ही है "
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मंगलवार, 6 सितंबर 2016

पसाई धान की खेती ।

पसाई धान
धान की एक जाती है जो कुदरती रूप से बारिश के मोषम मे ताल तलैयो मे पानी मे उगती है । इसके चावल लाल रंग के होते है ।पसाई धान के चावलो का उपयोग सबसे जादा रिश्री पंचमी के दिन होता है । इस दिन महिलाए उपवास रखती है । एसी मान्यता है कि  इस  उपवास मे केवल पसाई धान के चावलो की खीर ही खाई जाती है ।
रिश्री पंचमी के दिन पसाई धान के चावलो की भारी मॉग होती है । यह चावल बाजार मे ढूडे नही मिलते ' और मिलते भी है तो मन के भाव 25 रूपये के 50g यानी 500 रूपये किलो के भाव पर मिलते है ।
पसाई धान की खेती_ यदि पसाई धान के बीजों को संग्रह करके इसकी खेती की जाए  तो यह  एक लाभदायक खेती शिद्ध हो सकती है ।
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सोमवार, 5 सितंबर 2016

ब्लॉग से कमाई कैसे करें ।

ब्लॉगिंग दुनिया का सबसे स्मार्ट वर्क है ।
ब्लॉक से कमाई के लिए ' सबसे पहले तो ब्लॉग इंग्लिश मै होना चाहिए ।जिससे दुनियाभर से पाठक ब्लॉग पर  आ सके । दुशरे यदि ब्लॉग हिंदी भाषा मे भी हो तो इसके लिए फिर ब्लॉगर के पास  अपने खुद के प्रोडेक्ट होना चाहिए । प्रोडेक्ट के एड  एडवर्ड की की सहायता से अपने ब्लॉग पर लगवा कर  उनकी बिक्री से अच्छा रूपया कमाया जा सकता है ।
यदि उपरोक्त दोनों उपाय ब्लॉगर नही अपना सके तो फिर एडसेंस के विज्ञापन ब्लॉग पर लगवा कर कमाई की जा सकती है ।इसके लिए कम से कम 30 ब्लॉग पोस्ट हो ' एवं ब्लॉग छह माह पुराना हो ' और ब्लॉग पर तीन हजार के लगभग  अॉडियंस हो तब  एडसेंस को एप्लीकेशन देकर ब्लॉग पर गूगल के एड लगते है ।इसके बाद सौ डालर पूरे होने पर गूगल पेंमैंट देता है ।
एडसेंस से ब्लॉगर को कमाई तो होती है पर बहुत कम जिस पर  आश्रित नही रहा जा सकता है ।क्योंकि सप्ताह भर मे एक या दो हिट मिलते है ' जिससे महिने भर मे ब्लॉगर की झोली मे चद डालर ही पडते है । ब्लॉगिंग बतोर  एक पार्ट टाईम काम है । 
हिंदी ब्लॉग से हर महिने 100 डॉलर कमाने के लिए ' किसी एसे विषय पर हर दिन पोस्ट लिखना चाहिए ' जिस विषय को पाठक गूगल पर सबसे जादा सर्च करते हो ' एबं लाखों की संख्या मे पाठक ब्लॉग पर  आते रहे । कमाई पाठकों पर डिपेंड करती है जितने जादा पाठक ब्लॉग पर  आएंगे तो उनमे से कुछ  एड पर भी क्लिक करेगें  और कमाई के अवसर बढेगे । यानी ब्लॉग पर जितने जादा पाठक  उतनी ही जादा कमाई ।
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शनिवार, 3 सितंबर 2016

हाथ की चक्की

मित्रो यह वही चक्की है जो लालभुजक्कड की समझ मे आई थी । और गॉव के रास्ते की धूल पर पडे निशानो के बारे मे गॉव बालो के पूछने पर लालभुजक्कड जी ने कहा था कि _ लालभुजक्कड बुझ के और न बूझे कोय' पैर मे चक्की बॉध के कोई हिरना कूदा होय ।
यह चक्की गवाह है मानव सभ्यता की इसने अनेक जमाने देखे होगे ' क ई  स्त्रियों ने इसे चलाते हुए गीत गाए होगे 'इसने अपने आटे से कितनो की भूख मिटाई होगी ।
पर  अब यह शंत  और मोन बैठी है घर के किसी सुनसान कोने मे और गवाही देती है अतीत की जो समय  गुजर गया है  ।

कुम्हार की चॉदी


सोमवार, 22 अगस्त 2016

धन संग्रहण का सच ।

धन संगृह के एक बहुत बडे सच का खुलासा ' क्या है ?
ओशो ने अपने उदबोधन मे संपत्ति इकट्ठा करने का  एक बडा सच  उजागर किया है । ओशो ने कहा है कि _ बिना चोरी और बेईमानी के संपत्ति इकट्ठी करना असंभव है ' यह कभी भी संभव नहीं रहा ' आज भी संभव नहीं है ।
{यह बात  ओशो की पुस्तक 'जीवन रहस्य ' के पेज नं 119 के पैरा 3 पर लिखित प्रमाण है ।}
हमें अपने समाज का गहराई से अबलोकन करने पर  उपरोक्त कथन सच सा पृतीत होता है । हम समाज मे देखत़े है कि झेठ ' चोर ' धोखेबाज  और बेईमान लोग धनी बन जाते है एवं ईमानदार कडी महनत से पसीना बहाकर भी ब मुसकिल दो जून की रोटी ही कमा पाता है ।और हमेशा निरधन ही रहता है ।

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शनिवार, 23 अप्रैल 2016

सबसे सस्ता नास्ता 'मुरमुरा ' !

                          Best fast food
मुरमुरा दुनिया का सबसे सस्ता सुपाच्य  आहार है । जो धर्मीक ' आध्यात्मिक ' शारीरिक ' आर्थीक ' आधूनिक ' आदि सभी दृष्टियो मे एक  उत्तम आहार माना जाता है ।
मुरमुरा परिचय _मुरमुरा ' परमल ' लाई ' आदि नामों से जाना जाता है ।यह धान का पापकोर्न होता है जो चावल का ही एक रूप है ।
मुरमुरा प्रशाद _सबसे शुद्ध शाश्रवत सात्विक प्रशाद लाई चिरोंजी का ही माना जाता है ।यह सबसे सस्ता होता है ।  एक Kg लाई और 100g चिरोजी के प्रशाद की कीमत लगभग 50₹ होती है ।जो 100 व्यक्तियो को वितरण करने के लिए पर्याप्त होता है ।
मुरमुरा का मीठा नास्ता ।
मुरमुरा का दस प्लेट मीठा नास्ता 25 रू मे तैयार हो जाता है । जिसका भार 250g होता है । इसे बनाने मे 200g  मुरमुरा '50g बूदी (नुक्ती) 10 विस्किट की जरूरत भर होती है । वस तैयार है मुरमुरे का मीठा नास्ता । हर प्लेट मे 25g  मुरमुरा और नुक्ती का मिश्रण डालकर ' प्लेट मे एक  एक विस्किट रखकर महमानो के सामने पेश कर दीजिए ।
 सेव परमल का नमकीन नास्ता ।
सेव परमल का नमकीन नास्ता भी 25 _30 रू मे 10 प्लेट नास्ता तैयार हो जाता है । इसे बनाने के लिए 200 परमल (मुरमुरा) मे 50g वेशन सेव मिलाए जाते है ।स्वाद अनुसार थोडा नमक  और मिर्ची पाउडर " एक प्याज के छोटे छोटे तुकडे " इस सभी सामग्री को आपस मे मिलाकर" उपर से एक नीबू काट कर  निचोड़ने के बाद तैयार हो जाता है ।परमल का नमकीन नास्ता ।
मुरमुरा के लड्डू ।
मुरमुरे के लाल ' हरे ' पीले लड्डू गली नुक्कड़ की छोटी दुकानों पर बिकते है । जिन्हें बच्चे खूब पसंद करते है और चाब से खाते है ।मुरमुरा के लड्डू घर पर भी बनाए जा सकते है ।इन्हें बनाना बहुत आसान है । लड्डू बनाने की बिधि _ 200gचीनी की चास्नी मे 10g मीठा रंग ' 50g खोपरा ' 750g मुरमुरा मिलाकर हाथ से लड्डू बनाए जाते है । इस  एक किलो मिश्रण से मध्यम आकर के लगभग 100 लड्डू तैयार हो जाते है ।जिन पर कुल 50_60 रूपये का खर्च बेठता है ।

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

मोबाइल बिल कैसे घटाए ?

मोबाइल आज हमारी जिंदगी का एक  अनिवार्य साधन है । हम लोगों से आमने सामने इतनी बात नहीं करते जितनी मोबाइल पर बात करते है । जिससे मोबाइल विल पर रह महिने भारी रकम खर्च होती है ।इस साल देश के सरकारी बजट मे भी मोबाइल बिल मैहगा कर दिया है ।
हम अपने मोबाइल खर्च मे कटौती करने के लिए  कुछ साधारण से उपायो पर  अमल करें ' तो यकीनन हम  अपने माशिक मोबाइल विल को घटाकर आधा कर सकते है ।
📱मोबाइल बिल कम करने के उपाय 📱

  1. अपने मोबाइल का सही उपयोग करें ' 
  2. रिंग करने वालों को रीटर्न काल न करें 'एसा करने से फिर यह लोग हर बार रिंग करके हमारी इस कमी का लाभ उठाते है ।
  3. महिने भर के लिए इकट्ठा मोबाइल रीचार्ज कराना सस्ता पडता है ।बार बार थोड़ा थोड़ा रीचार्ज कराना या रीचार्ज कूपन लेना मैंहगा पडता है ।
  4. अपनी मोबाइल कॉल सेटिंग मे कॉल समय सीमा 1मिनट सेट रखे 'मोबाइल पर मुख्य जरूरी खास बात 1मिनट मे ही पूरी हो जाती है ।
  5. किसी संस्था या कंपनी से बात करने के लिए उनके टोल फ्री नंबर पर ही बात करें ।
  6. किसी को कॉल करने पर यदि आवाज साफ न सुनाई दे तो तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट करें । फिर दुबारा कॉल करें ।
  7. दुशरों को अपना मोबाइल उपयोग के लिए देने से पहले यह जरूर कहै _ कृपया जल्दी करना ।
  8. अपने मोबाइल मे लॉक कोड डालकर रखे ' ताकि मोबाइल चार्ज पर लगा होने पर भी बिना अनुमति के कोई मोबाइल का उपयोग न कर सके ।
  9. अपने नंबर पर कॉलर रिंग टयून  आदि फ्जूल की सेवाएं बिलकुल बंद करें ' इनका शुल्क लगता है ।
  10. अपने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी से डिस्काउंट  अॉफर का लाभ लेने के लिए 'एक दो दिन अपने मोबाइल खाते मे जीरो बैलेंस रखे ।
  11. मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करने हेतु 'अपनी जरूरत के मुताबिक MB पेक लें ' क्योंकि इंटरनेट डाटा पेक की समय  अवधि बहुत कम होती है जो समाप्त होने पर पैसा फ्जूल ही जाता है ।
📲  जो सोबत है सो खोबत है ' जो जागत है सो पाबत है ।

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शनिवार, 9 अप्रैल 2016

धन का अभाव ' दुखद स्थिति ।

धन के अभाव मे मनुष्य की स्थिति एवं मानव व्यापार का इतिहासिक प्रमाण । राजा हरीशचंदृ की सच्ची कहानी ।
हरीशचंदृ अयोध्या का राजा था । जो महा दानी के नाम से प्रशिद्ध है । एक ऋषि ने छल से हरशचंदृ का सारा राज्य दान मे ले लिया और हरीशचंदृ के ऊपर कुछ धन का कर्ज भी मढ दिया ।
इस स्थिति मे हरीशचंदृ को अपना राज्य छोडकर ' अपनी पत्नी और बच्चे के साथ काशी जाना पडा । एवं ऋषि का बाकी धन का कर्ज चुकाने के लिए ' काशी के बाजार मे अपनी पत्नी तारा को बैच दिया ' जिस  आदमी ने तारा को खरीदा था वह  आदमी हरीशचंदृ के पुत्र को भी अपने साथ यह कहते हुए ले गया कि बछडा गाय के साथ ही जाता है ।पत्नी एवं बच्चे को बैचने के बाद भी जव कर्ज चुकता नही हुआ तो फिर हरीशचंदृ ने अपने आप को भी एक सूदृ के हाथो बैच कर ऋषि का रिण चुकाया । जिस आदमी ने हरीशचंदृ को खरीदा था वह आदमी काशी के मरघट का मालिक था ।और उसी मरघट मे हरीशचंदृ शव जलने का काम करता था । अपने मालिक के आदेश पर शव जलाने का कर वसूली करता था ।
इतिहास से अगर शिक्षा और प्रेरणा ही लेना है तो यह शिक्षा लो कि _एसी स्थिति होती है मनुष्य की धन के अभाव मे जहाँ एक राजा अपने पत्नी बच्चों को बैचने पर मजबूर हो गया 'और एक सूदृ का दास बन गया ।
{पुराने समय मे मानव व्यापार होता था ' आदमीऔ की मंडियॉ लगती थी 'जहाँ दास खरीदे बैचे जाते थे । राम राज्य मे भी दास खरीने बैचने की कुप्रथा थी }
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दुकान के ग्राहक कैसे बढाए ?

                           दुकान  ' सॉप   ' स्टोर
अपना खुद का स्वरोजगार ' एवं सबसे सुकून का काम दुकानदारी ही है ।इसलिए जयदातर लोग दुकान का काम करना पसंद करते है । बैठे बैठे कमाना हर किसी को पसंद होता है । पर इसके लिए दुकान स्थापित करना ही काफी नही है ।बाजार की प्रतियोगता मे दुकान का संचालन मायने रखता है ।जो ग्राहकों पर निर्भर है ।
ग्राहक  बढाने के उपाय ।


  • दुकान की सजावट मे कोई कमी नही होना चाहिए ' एसा होने पर ग्राहको पर नाकारात्मक असर पडता है '
  • जिस सेवा संबंधी उत्पादो की दुकान है ' उस सेवा से संवंधित सभी उत्पाद दुकान पर उपलब्ध होना जरूरी है ।
  • ऊची क्वालिटी के ही प्रोडक्ट सॉप पर रखना चाहिए ' 
  • उत्पाद नही ' विश्वास बिकता है ।अतः दुकान के प्रति ग्राहको का भरोसा बढाए ।
  • उचित दाम MRP रेट पर ही वस्तुएं बैचे ।
  • दुकान पर आने वाले हर नए अगनतुक का लोंग या पानी से स्वागत करे '
  • ग्राहकों की छोटी मोटी सहायता करें ' जैसे पता वताना या कोई जानकारी देना आदि ।
  • त्योहारों पर अपने ग्राहको को कलेंडर आदि उपहार दे ।
स्टोर पर आने वाले हर नए उपभोक्ता पर अपने मधुर व्वहार से कुछ एसा जादू करें की वह हमेशा के लिए आपका पक्का  ग्राहक बन जाए ।👌
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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

धनदाता कुवेर ।

मनुष्य शरीर की प्रवृति सुख की है ।इसलिए हर मनुष्य सुख खोजता है ।सुख सुविधा के साधन जुटाने हेतु संसार के हर  आदमी को धन की जरूरत है ।बिना धन के जीना पशुओं के समान है ।
बाबा कर्मयोगी का भोगी उपदेश
राधा रानी तपस्थली मथुरा यूपी के बाबा कर्मयोगी का उपदेश  आम कथा कथित साधु संतों से बिल्कुल बिपरीत है । बाबा का उपदेश कुछ  इस प्रकार है कि _ भोगी बनो ' लोभी हो जाओ ' जब तुम्हारा मन भोगों से भर जाएगा तो त्याग अपने आप हो जाएगा 'करना नही पडेगा । इसलिए धन पाने का उपाय करो ' कर्म, करो ' कर्म के बिना धन पाना असंभव है । कर्म करने के बाद भी धन का अभाव हो तो इसका उपाय बाबा बताते है कि _धन चाहने वाले ध्यान दे ' धन का देवता कुवेर है ' कुवेर देव के अलावा आपको अन्य कोई देवता धन नहीं दे सकता क्योंकि हर देवता का अपना अपना अलग  अलग कार्य क्षेत्र है ।
अतः धन पाने के लिए अपने घर पर भगवान कुवेर की फोटो एवं कुवेर यंत्र स्थापित करें । श्री शिद्ध कुवेर यंत्र एवं कुवेर देव का फोटो निशुल्क मगाने हेतु ' बाबा के आश्रम मे संपर्क करें 09266366000 पर ।
बाबा की ओर से कुवेर फोटो एवं शिद्ध यंत्र बिल्कुल मुफ्त दिया जाता है । यदि फिर भी कोई व्यक्ति कुछ दान देना ही चाहे तो फिर सवा किलो हवन सामग्री दान कर सकता है ।यह हवन सामग्री यंत्रों की शिद्धी करण क्रिया मे आहूती करने मे उपयोग होती है ।
{धन का देवता एवं खजाने का मालिक भगवान कुवेर है }

बुधवार, 30 मार्च 2016

किसान सुविधा ' एप एक वरदान ।

किसान सुविधा ' एप्लीकेशन
भारत के किसनो  के लिए भारत सरकार का एक वरदान ' किसान सुविधा 'एप है ।इस  एप को PM मोदी ने 27 मार्च2016 को लान्च किया है ।इस  एप मे किसानो के लिए हर तरह की कृषि संबंधी जानकारी अॉनलाइन  उपलब्ध होगी ।यह  एप किसानो के लिए एक बहुत बडी उपलब्धि है ।
किसान सुविधा ' एप 7.26MBका है ।जिसे इंटरनेट पर  एप स्टोर  से मुफ्त मे डाउनलोड किया जा सकता है ।यह  एप हिंदी एवं इंग्लिश दोनो भाषाओं मे है ।इसे चलाना भी बिलकुल सरल है ।
किसान सुविधा ' एप भारत सरकार के कृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण विभाग संचालित किया गया है ।


बचत कैसे करें ' राज़ की बातें !

समाज मे अक्सर यह देखा जाता है की लोगों की आय मे बढोत्री होने के साथ ही उनके खर्च भी बढते जाते है । और बचत के नाम पर  एक पैसा भी नहीं बचता ।एवं लोगों का कहना होता है कि पता ही नही चलता सारा पैसा कहाँ चला जाता है ।इस स्थित मे तो आदमी कमाते कमाते मर ही जाएगा परंतु कभी भी बचत नहीं कर पाएगा । क्योंकि कमाई के चक्कर मे वह कभी समय निकाल कर फुरसत मे बैठ कर यह नही सोचता कि आखिर उसका रूपया कहाँ और कैसे खर्च होता है ।अगर  आदमी इस सवाल का सही उत्तर खोज ले तो उसे बचत का राज़ पता चल जाएगा ।
बचत का राज़
हमारी सबसे बडी चूक या गलती यह है कि हम  अपनी हर छोटी बडी जरूरत को तुरंत पैसे से पूरा करते है । हम  अपनी सभी जरूरतों की पूर्ती के लिए एक मात्र धन का विकल्प अपनाते है । जबकि जरूरत पूरी करने के लिए धन के अलावा भी हमारे पास  अन्य कई विकल्प होते है ' पर वे जरूरत के समय हमारे दिमाग मे इसलिए नही आते क्योंकि  हमें अपनी जरूरत तुरंत पैसे से पूरा करने की पुरानी आदत होती है ।
बचत के दो गुप्त उपाय !
[1] जरूरत महसूस होने पर विचार करें 'और जरूरत को पहचाने की क्या सच मे यह जरूरी जरूरत है या फिर केवल मन की चाहत है ।यदि चाहत है तो नकार दे ' जरूरी जरूरत है तब पूरी करें ।
[2] असली एवं नकली जरूरत की पहचान करने के लिए ' जरूरत आने पर  उसे तुरंत पूरी न करे । कुछ देर रुके ' इस  अंतराल मे नकली जरूरत या चाहत  अपने आप ही समाप्त हो जाएगी । असली जरूरत दुबारा पैदा होगी और पूरी न होने पर बार बार पैदा होगी ।

  • बबत के स्वर्णिम सूत्र GOLDEN TIPS .
  • जरूरत पडने पर  उसे मुफ्त मे पूरा करने का रह संभव विकल्प सोचे ।
  • किसी वस्तु की जरूरत पडने पर सोचें कि क्या हम यह वस्तु खरीदने के वजाए खुद बना सकते है ' यदि हाँ तब काम चल जाएगा ।
  • किसी चीज की जरूरत होने पर  उसकी जगह किसी दुशरी चीज से काम चल सके तो चलाए ।
  • कोई जरूरत का सामान जरूरत के समय खराब पाया जाने पर  उसे बदलने के बजाए ठीक करने का उपाय करें ।
  • कोई काम अटक जाने पर दोस्त' रिस्तेदार ' या परिवार के सदस्यों की सहायता से काम चलाए ।
  • जरूरत पडने पर सोचें कि क्या यह वस्तु या सेवा किराए पर लेना उचित होगा । यदि कम समय की जरूरत है तो किराए से काम चलाए ।
  • क्या यह जरूरी वस्तु सेकिंड हेन्ड खरीदना सही होगा 'यदि हाँ तो खरीदें ।
  • जरूरत को किसी अन  उपयोगी वस्तु के बदले मे पूरा किया जा सके 'तो इसमें कोई बुराई नहीं ।
उपरोक्त विकल्पो के अलावा भी जरूरतें पूरी करने के अन्य कई विकल्प हो सकते है ' जिन्हें जरूरत के समय  अमल मे लाने से जरूरत पूरी होने के 90% चान्स होते है । यदि फिर भी जरूरत पूरी न हो तब  अंतिम विकल्प के रूप मे पैसे का उपयोग जरूरत पूरी करने के लिए करना ही उचित होता है ।
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शुक्रवार, 25 मार्च 2016

सब्जी के खर्च की पूरी बचत ।

सब्जियों पर होने वाले खर्च की पूर बचत कैसे करें ।
बडे बूढे बताते है कि आज से 60_70 साल पहले भारत के गांवो मे साख सब्जियों का व्यापार नहीं चलता था ।सब्जी जैसी साधारण चीज़ को व्यापार की वस्तु ही नही समझा जाता था । उस समय गाँव दिहातो मे न तो कोई सब्जियां बैचता था और न कोई खरीदता था । इसका मतलब यह नही है कि उस जमाने मे लोग सब्जियां नही खाते थे ' वल्कि उस समय  आज से जादा पोषक सब्जियां भरपूर खाईं जातीं थी 'और मुफ्त मे उपलब्ध होतीं थीं । उस जमाने मे गाँव के लोग अपनी जरूरत के लिए साख सब्जियां खुद ही पैदा करते थे ।गाँव के हर घर मे कुछ न कुछ सब्जी जरूर लगी होती थी ' किसी घर के आँगन के कोने मे सेम या तुरई की बेल होती थी तो किसी घर के पिछवाडे बेंगन के पौधे लगे होते थे ।एवं गाँव के चौराहों के किनारे सहजन के सार्वजनिक पैड होते थे । इस तरह गाँव के लोग आपस मे एक दुशरे पडोसी से मुफ्त मे सब्जियों का आदान प्रदान करके काम चलाते थे । सब्जियों की सिंचाई घर के स्नान घर के पानी से होती थी । केवल गरमी के मौसम मे थोड़ी सी सब्जी की परेशानी होती थी । तव  अरहर ' मूग ' मसूर ' आदि की दालों से ही काम चलाते थे ।
सब्जी एक एसी चीज है जिसका उपयोग हर घर मे रोज होता है ' दिन मे दो बार सुबह और शाम ।अगर  आदमी दिन मे दो बार सब्जियां खरीदेगा तब  उसकी आधी कमाई तो सब्जियां खरीदने पर ही खर्च हो जाएगी । उपर से एकाध घंटे समय भी खराब होगा । इकट्ठा सब्जियां खरीद कर रखने से सब्जियां खराब हो जाती है ।
दुशरे बाजारू सब्जियां रसायनो के उपयोग से पैदा होतीं हैं । यहाँ तक की कददूदार सब्जियों के फलों को दबा के इंइंजेक्शन लगाकर जल्दी बढाया जाता है , जो न खाने मे स्वादिष्ट लगते है और न स्वास्थ्य बर्धक होते ।एसी केमिकल युक्त सब्जियां खाने से बीमारियां पैदा होती है ' जिनके इलाज पर भी भारी रूपये खर्च होते है ।
सयय ' शरीर' एवं धन की पूरी पूरी बचत के साथ रोजाना हरी ताजी साख भाजी  मुफ्त मे पाने का सबसे अच्छा विकल्प यह है कि अपनी जरूरत के हिसाब से सब्जियां घर पर ही पैदा की जाए । यह काम बिल्कुल आशान है 'सब्जियों के बीज भी आसानी से बहुत ही कम कीमत मे मिलते है जिन्हें खरीद कर घर के स्नान घर के पास लगाए जा सकते है ।जगह न होने पर भी सब्जियों के पौधे गमलो मे लगाए जा सकते है । सहजन के पेड़ भी घर के पास खाली जमीन पर लगाए जा सकते है ' सहजन  एक  एसा औषधीय पेड़ है जिसके तने ' पत्ते ' फूल ' फल्लियां सभी सब्जी बनाने के काम  आते है । जो स्वादिष्ट होने के साथ ही गुणकारी भी होते है ।
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शनिवार, 19 मार्च 2016

जल्दी अमीर कैसे बने ।

आप अमीर बनना चहते है तो सबसे पहले तो आप अपने मन से जल्दी अमीर बनने का विचार ही निकाल दे ' और रातों रात अमीर बनाने का प्रयास  न करें । अमीर होने के लिए धीरज रखना चाहिए । हर काम  अपने एक सही समय पर ही पूरा होता है । जैसे आपने खेत मे फसल बोया है तो वह  अपने सही समय पर ही पकेगी । कहते है न कि धीरज का फल मीठा होता है ।
अमीर तो सभी बनना चाहते है ' लेकिन कर्म और मेहनत कोई नही करना चाहता । जबकि मरे बिना स्वर्ग पाना असंभव है । कर्म किए बिना इस संसार मे इश्वर या देवता एवं कोई भी शक्ति धन नही दे सकती । इसलिये मेहनत और लगन से काम करते रहना चाहिए ।

अमीर बनाने के बुनियादी उसूल ।

  • हमें अपना ध्यान उन चीजों पर लगाना चाहिए  'जिन्हें हम पाना चाहते है  उन चीजों पर नही जिन्हें हम नहीं पाना चाहते ।
  • सुबह जल्दी उठते हुए समय से पहले काम शुरू करना चाहिए ' जव दुनिया सो रही हो ।क्योंकि दाना उन्हीं पंछीऔ को मिलता है जो पहले पहुचते है ।
  • अपनी रोजाना की कमाई का चौथा हिस्सा बचाकर ' उसे एसी जगह लगाए जहाँ से धन बढकर लौटे ' यह बिल्कुल पक्का हो ।
  • पतंजलि आयुर्वेद LTD की सफलता का राज़ ' बाबा रामदेव के अनुसार _ गुणवत्ता ' धीरज 'निरंतरता ही है ।
  • अमीर बनने के विषय पर विस्तार से जानने के लिएameerbane.blogspot.in लिंक पर जाए ।
  • मे सबकुछ जानता हू ' यही अहंकार अमीर बनने की राह मे सबसे बडी रूकावट है । इसलिए इस  अहंकार को त्याग कर हमेशा सीखते हुए अपने काम मे नया पन लाते रहना चाहिए ।
  • अच्छे अमीर लोगों  के आचरण एवं उनके काम करने के तरीको से सीखना चाहिए ।
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रविवार, 13 मार्च 2016

डिजिटल प्रोडक्ट एन्ड डिजिटल विज़नस ।

आज  इस डिजिटल युग मे जहाँ हर काम अॉनलाइन हो रहे है । तब फिर डिजिटल विज़नस करना ही आज  सबसे अच्छा होगा । डिजिटल का अर्थ है की न कोई सीमा और न कोई बंधन दुनिया के किसी भी कोने मे बैठा ग्राहक डिजिटल उत्पाद को एक सेकंड मे खरीद कर  अॉनलाइन पेमेंट भी कर सकता है ।
डिजिटल प्रोडक्ट ।
सबसे वेस्ट प्रोडक्ट डिजिटल प्रोडक्ट ही है । इन उत्पादों की सबसे बडी खूबी यह है कि इन्हे एक बार बनाने के बाद  असंख्य लोगों को बेंचा जा सकता    है और फिर भी यह  उत्पाद हजारों साल तक खत्म नहीं होते । एवं व्यवस्थापक की अनुमति के बिना कोई इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है और ना चुरा सकता है । इन मे सडने गलने या जंग लगने का भी खतरा नही होता । डिजिटल उत्पादों का एक  और बडा फायदा यह है की इन्हे कंप्यूटर की मदद से सॉफ्टवेयर दुवारा कंट्रोल करके ग्राहक के पास उत्पाद होने पर भी इसमें बदलाव किया जा सकता है ।
बहुत से एसे डिजिटल उत्पाद है जिन्हें कोई भी कंप्यूटर की जानकारी रखने बाला आदमी आसानी से बना सकता है । जैसे_ फोटो ' आडियो ' विडियो ' गेम ' एप्स ' वेबसाइट ' ई_बुक आदि ।
डिजिटल विज़नस 
डिजिटल सामान या सेवाओं का व्यापार विकसित करना आज वल्ड वाइड वेब और गूगल की वजह से बहुत आसान है ।डिजिटल उत्पाद बनाने एवं इन्हे अॉनलाइन बेचने का व्यापार आज भारत मे शुरुआती दोर मे है । अब डिजिटल इंडिया आने के बाद इसके विस्तार की अपार संभावना है । इसलिये आज  इस क्षेत्र मे पेर जमाने का अच्छा अवसर है ।
आज बहुत से थोडी सी सूझबूझ बाले लोग  अपने अपने विडियो बनाकर यु -टयुव पर  अपलोड करके कमाई कर रहे है ।
💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻💻      यदि आप  इंटरनेट पर  अपनी वेबसाइट या मुफ्त ब्लॉग बनाना चाहते है ' तो आप  इस विषय मे जानकारी लेने या सहायता के लिए हमसे संपर्क कर सकते है 📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲📲      +09752066004 .पर seetamni@Gmail. com
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शनिवार, 12 मार्च 2016

योगिक खेती से धरती उगलेगी सोना ।

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भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने बीसवीं सदी के आरंभ मे पेड पौधों की संवेदनशीलता को प्रमाणित किया था । जगदीश चंद्र बसु के अनुसार पैड पौधे सुख ' दुख 'दर्द 'डर ' खुशी आदि संवेदनाओ को मानव एवं पशुओं जितना ही महसूस करते है । इस सत्य को भारत के रिशि मुनियों ने दुआपुर युग मे ही जान लिया था । तभी से पेड़ पौधों सम्मान देने के लिए । पेड़ पौधों की पूजा अर्चना की प्रथा का आरंभ हुआ जो आज भी बरकरार है । आज भी तुलसी बट पीपल आदि पेड़ पौधों की पूजा होती है ।
योगिक खेती क्या है ?
शाश्रवत योगिक खेती की इस नई पद्धति की खोज 'प्रजापिता बृहम्कुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय संस्था ने की है ।
बिधि_बीजों को बोने से पहले एक कमरे मे रखकर किसान को वहाँ बैठकर  ध्यान लगना होता है ' एवं ध्यान के माध्यम से ईश्वर की उर्जा को बीज मे भरने का उपाय किया जाता है । फिर इन बीजों को हस्ते गाते हुए खुशी खुशी खेत मे बो दिया जाता है । इसके बाद पौधे कुछ बडे होने पर महिलाएं गीत गाते हुए पौधों की निदाई गुराई करतीं  है एवं पौधों पर अपने बच्चों की तरह प्यार दुलार लुटाती है ।
किसान रोज सुबह सुबह खेत मे लोभान या धूप आथवा गूगल  जलाकर सुगंध फैलाते है । और फसल पर अपनी प्रेम भरी नजर डालते है ।अतः खेत मे घूम फिरकर पौधों पर हाथ फेरते हुए पौधों को प्यार बाँटते है । खेतों मे मधुर कर्णप्रिय संगीत वजाया जाता है । इन सभी क्रिया कलापो के दुवारा  भावना एवं ध्वनि तरंगों से पौधों पर साकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव  डाला जाता है । जिससे परिणाम स्वरूप पौधे प्रसन्न होकर खूब फूलते फलते है । और किसान को भरपूर पैदावार देते है 

नोट_ उपरोक्त लेख कोई मजाक नही है ।योगिक खेती के अनेक प्रयोग हुए है । जिनके परिणाम से अब यह प्रमाणित हो चुका है कि योगिक खेती से पैदावार बढने की बात सोलह  आना सत्य है ।🍇🍅🍇🍅🍆🍇🍆🍅🍇🍆🍅🍇🍆🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱
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शुक्रवार, 11 मार्च 2016

नौकरों से काम लेने का तरीका ।

नौकर घरेलू हो या अॉफिस कार्यालय मे काम करने बाले सरकारी नौकर  इनसे अच्छा काम कराने के लिए मालिक को इनसे मधुर संबंध रखना चाहिए ।एवं प्यार भरा व्वहार करना चाहिए ।और हमेश खुश रखना चाहिए ।नौकर से कोई गलती अथवा नुक्सान होने पर भी कटू बचन बोलने की जगह प्यार से समझाना ही उचित है । क्योंकि आखिर यह लोग भी तो हमारी ही तरह  इंसान है और गलतियां इंसान से ही होती है ।

नौकर जब तक कम को अपना समझकर नही करेगा तब तक काम बेहतर नही हो सकता है ।इसलिये नौकरौ को अपने पन का एहसास देना जरूरी है ।नौकर को डरा धमाका कर काम कराने का तरीका हानिकारक हो सकता है ।एसा करने से नौकर मालिक के खिलाफ हो सकता है और  उसके दिमाग मे टेंशन पैदा होता है जिससे रचनात्मक काम करने की छमता कम होती है । फिर वह समय पास करने या केबल रोज कमाने के लिए ही काम करता है। यानी आय जाए मालिक का पेमेंट से काम ।      💃💁
बही दुशरी तरफ नौकर पर  आँख बंद करके यकीन भी नही करना चाहिए ।आखिर नौकर तो नौकर ही होता है । क्या पता कब लालच मे आकर गडबड कर दे ।मीडिया मे एसी अपराधी घटनाएं देखने सुन्ने मे आती है जिनमें घर के नौकर का ही काम होता है ।आब  आप सोचते होगे यह क्या पहेली है नौकर को अपना भी समझो और उस पर यकीन भी मत करो ।यही तो है नौकर से काम लेने का फंडा आइए इसे हम  एक  उदाहरण से समझते है ।
उदाहरण_ एक नौकर ने अपने मालिक से पूछा - सेठजी आप मुझ पर यकीन नही करते ।
मालिक बोला -अरे पगले कैसी बात कर रहा है अगर हमे तुझ पर भरोसा न होता तो हम तुझे घर की चाँबियो के साथ ही तिजोरी की चाँबी क्यों देते ? यह सुनकर नौकर ने कहा - तो फिर यह चाबी तिजोरी मे लगती क्यों नही है !

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धन की तीन गतियाँ ।

~~~~मानव की पृबृति सुख की है ।धन सुख का ही रूप है ।धन स्वामी का सच्चा सेवक है ।इसलिये संसार मे प्राय: सभी धन चाहते है । और जीवन भर धन संगृह करते रहते है । एसे लोग जीवन जीते नही है अपितु जीने की तैयारी ही करते रहते है ।इनके विचार या सपने कुछ  एसे होते है कि अभी क्या जीना ' जब तक सभी कलो का इंतजाम पूरा न हो जाए । फिर सुख चेन से जीवन जिएगें ।यह पूर्णिमा का सपना सजोए रहते है जो कभी किसी का पूरा नही हुआ ।सिकंदर का भी नही । तो फिर हम  आप की औकात ही क्या है ।
धन बुरा नही है ' धन से अच्छा इस दुनिया मे कुछ भी नहीं है । जो कथा कथित लोग  धन को छोडने या दान करने की सलाह देते है ।और भोले भाले लोगो को गुमराह करके सुदामा और हरीशचंदृ बनाने को कहते है । वे खुद धन के लोभी होते है ।
दौलत कमाना अच्छी बात है ।आखिर आदमी जीवन मे धन नही कमाएगा तो और करेगा भी क्या? जीवन का कुछ न कुछ मकसद तो होना ही चाहिए ।पर हर काम की एक सीमा होती है ।एवं अति हर चीज़ की बुरी होती है । व्यक्ति यह भूल जाता है । धन तो समुद्र के खारे पानी को पीने जैसा है ' जितना पियो उतनी ही जादा प्यास बढती है ।
धन की अधिकता होने पर धन का सदुपयोग होना बहुत जरूरी है वरना धन  अपने आप ही समाप्त होने लगता है ।धन की तीन प्रमुख्य गति होतीं है ।
पहली दान _  धन की पहली सबसे उत्तम गति दान है । दान का अर्थ है दुसरो को उपयोग के लिए धन देना । दान करने से धन घटता नही है अपितु दुगना चौगना होकर वापस आता है बसर्ते सुपात्र को ही दान दिया गया हो ।
दुशरी भोग_ धन की दुशरी मध्यम गति है भोग । धन का उपयोग अपने सुख सुविधा या एस  आराम के लिए करना और जिदगी को भरपूर सुख से जीना ।
तीसरी नाश_ धन की तीसरी गति होती है नाश जो सबसे नीच है । धन गतिशील होने के कारण  उपरोक्त दोनो गति से रास्ता न मिलने पर स्यम ही नष्ट होने का रास्ता खोज लेता है ।
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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

करोडपति भिखारी !

यह एक एसे भिखारी का किस्सा है ' जिसके पास करोड़ों की धन संपत्ति होते हुए भी वह भीख मॉगता है । इस भिखारी के पास  अपना खुद का एक  अलीशान होटल भी है 'जिसका यह मेनेजर भी है । पर  इस  आदमी का भीख मॉगने का उसूल है । वह प्रतिदिन सुबह एक बार किसी न किसी व्यक्ति से भीख जरूर मागता है ।उसकी इस हरकत से होटल के सभी कर्मचारी नफरत करते है । और कहते है कि सर  आप  इस होटल के मेनेजर है ' और  आपको भीख मॉगने मे शर्म नही आती " यह सुनकर मेनेजर मुस्कुराते हुये कहता है _ की वह  एक जमाने मे भिखारी ही था ' और वह  अपने उस दिन को भूलना नही चाहता ' एवं उसे हमेशा धन की अहमियत का अहसास रहे । इसलिए वह दिन एक बार भीख जरूर मॉगता है । उसका कहना है की मे आज जो कुछ भी हू ' अपने इसी उसूल की वजह से हू ।
अब जब भिखारीयो की बात चल ही रही है तो एक  और लखपति भिखारी का वाकया सुनो _ पुरानी बात है किसी मंदिर के दरवाजे पर बैठकर  एक भिखारी भीख मगता था । जब वह भिखारी मरा तो लोगों ने उसका संस्कार कर दिया । और  उसके सामान को एक बॉस मे लटका कर फेकने के लिए ले जाने लगे ' तभी उस सामना मे से कुछ सिक्के गिरे ' जिनहे देखकर बॉस को जोर से हिला दिया गया तो उस भिखारी के सामान से और सिक्के बरसने लगे ' इसके बाद लोगों ने उस  सामान को बारीकी से देखा तो उसमे कुछ नोट भी निकले । जव  इन सभी नोट एवं सिक्कों की गिनती हुई तब पता चला की यह एक लाख  के लगभग थे ।जिनहे सरकारी खजाने मे जमा कराया गया था ।
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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

बिजनेस जमीन का सदा लाभदायक ।

समय के साथ ही बढता है 'धरती का मोल !
संसार की सभी वस्तुओं मे ' जमीन एक  एसी अचल संपत्ति है । जिसका भाव हमेशा बढता ही रहता है । क्योंकि जमीन का क्षेत्रफल स्थायी है ' जिसे माग के अनुसार बढाया नहीं जा सकता है ।जनसंख्या की लगातार वृद्धि होने के साथ ही उपयोग के लिए जमीन कम पडना सोभाविक है । और जिसके कारण जमीन की माग हमेशा बरकरार रहती है । चाहे आवास  के लिए हो या खेती के लिए या फिर कारखाने लगाने के लिए जमीन की माग हो । और भूमि का मूल्य हमेशा बढता ही रहता है ।
जमीन के कारोबार मे हमेशा लाभ !
जमीन के गणित को समझने वाले व्यापारी जमीनो के व्यापार मे हमेशा ही खूब मुनाफा कमाते है । एसे व्यापारी नगरों या महानगरों से कुछ दूरी पर बंजर जमीने सस्ते रेट पर खरीदते है । एवं कुछ साल बाद जमीन का भाव बढने पर यह लोग  जमीन को आवास के लिए तुकडो मे बेचते है । लेकिन  जमीन खरीदने से पहले यह लोग उस नगर की जनसंख्या वृद्धि आदि के अॉकडो से यह  अॉकलन कर लेते है कि कितने साल मे शहर इस जमीन की दूरी तय कर लेगा और  उस समय  इस जमीन का अनुमति भाव क्या होगा । यानी की मनी चौगनी होगी की आठ गुनी । 
जमीन के दलाल मालामाल ।
जमीन के व्यापार मे क्रेता बिक्रेता को आपस मे मिलाकर जमीनो का सौदा करवाने वाले लोकल दलाल भी खूव कमाई करते है । यह लोग जमीन का सोदा कराने पर दोनो पक्षों से कुछ प्रतिशत कमीशन लेते है । यह धंधा आज  एक  अधिक लाभ कमाने बाले धंधे के रूप मे उभरा है ।  क्योंकि इसमें जादा कुछ लागत मेहनत नहीं है ।इसके लिए वस  इतना करना होता है कि शहरों और गॉवो मे संपर्क स्थापित करना होता है 'वह भी घर बैठे मोबाइल पर ।इसके बाद तो महिने भर मे एकाध करोड़ों का सौदा मिल ही जाता है । जिसमें दोनो पार्टी से 2% कमीशन मिलने पर भी चार लाख रूपया माशिक कमाई है ।
पर जमीन के कृय बिकृय मे पंजीकृत दलाल का ही सहयोग लेना उचित होता है । क्योंकि रजिस्टर्ड दलाल अधिक विश्वसनीय होता है ।
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रविवार, 14 फ़रवरी 2016

व्यापार मे लाभदायक प्रकृतिक वस्तुएं ।

प्राकृतिक वस्तुओं को पैदा होने मे समय लगता है । एवं कुछ कुदरती वस्तुओं की पैदावार सीमित है ।जिसके कारण  इन वस्तुओं का हमशा अभाव ही बना रहता है ।अर्थशास्त्र के नियम अनुसार _जिन वस्तुओं का अभाव होता है ' उन वस्तुओं की मांग अधिक होती है । एवं वस्तु का भाव ( मूल्य) भी ऊचा रहता है ।
प्राकृतिक वस्तुओं के व्यापार मे सबसे बडी सुविधा यह है 'कि इन वस्तुओं के बाजार मे प्रतिस्पर्धा बहुत कम है ।जवकी मानव निर्मित वस्तुओं का उत्पादन  उपयोग की तुलना मे अधिक होने से बाजार मे बहुत स्पर्धा है । क्योंकि जो असली वस्तु कुदरती रूप से छह माह मे तैयार होती है ' वही कृत्रिम वस्तु इंडस्ट्री मे रसायनो और मशीनों से 24 घंटे मे तैयार हो जाती है । मानव निर्मित वस्तुएं पैदा करना सरल हो गया है । बेचना कुछ कठिन हो गया ।
अॉकडो के मुताबिक वर्तमान मे नेचुरल  उत्पादो की तरफ  उपभोक्ताओं का रूझान दिन प्रति वढ रहा है ।रसायन मुक्त खाद्यान्न आदि की माग वढ रही है ।
व्यापार मे लाभदायक कुछ प्राकृतिक वस्तुएं जैसे _
दुर्लभ जडी बूटी ' मेवा ' दूध ' शहद ' रेशम ' चमडा ' फूल ' फल ' बीज ' मशरूम ' जेविक खाद ' आदि
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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

बेबी उत्पादो पर अधिक मुनाफा ।

बेबी उत्पादो का करोवार  अधिक लाभदायक है । क्योंकि बच्चों की उपयोगी वस्तुएं बनाना और बेचना अन्य वस्तुओं की तुलना मे काफी सरल होता है । साथ ही इनके व्यापार मे लाभ भी अधिक होता है ।

बच्चों के लिए वस्तुएं खरीदने मे मॉ -बाप भी कंजूसी नहीं करते ' और  अपने बच्चों की खुशी के लिए दिल खोलकर धन खर्च करते है ।कभी कभी बाजार मे बच्चे दूकान पर किसी खिलोने को लेने की जिद पर  अड जाते है ' तो फिर मम्मी पापा को हर हाल मे वह खिलोना खरीदना ही पडता है । चाहे दुकानदार कितना ही मेहगा क्यों न दे ।

बच्चों की उपयोगी चीजें इनके जन्म दिन आदि पर  उपहार मे देने के लिए भी लोग  अधिक खरीदते है ।बच्चों के बर्थ डे पर तो खिलोनो और बेबी सूट का अंवार सा ला जाता है ।
व्यापार के लिए लाभदायक बच्चों की वस्तुएं ।

  • खाने पीने की चीजे _ आइसक्रीम ' पापकॉर्न ' टॉफियॉ ' चॉकलेट ' ।
  • बच्चों के कपड़े _ बेबी सूट ' फ्राक ' टी सर्ट ' हगीस ' टोपी ।
  • डिजिटल आइटम _ गेम ' कार्टून वीडियो ' ।
  • फुटवेयर _  जूता  ' चप्पल ' ।
  • स्कूल सामग्री _ स्कूल वेग ' लंच बाक्स ' पेन बाक्स ।
  • अन्य वस्तुएं _ टूथ ब्रुश ' झूला ' छोटी साइकिल ' आदि ।
  • खिलोने _ गुडिया ' कारे ' झुनझुने ' गेंद ' पशु पक्षी के नमूना ' आदि ।
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बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

गरीबी मिटाने का ' बृहम् अस्त्र ' ।

गरीब आदमी चाहे तो वह मात्र छह महिने मे अपने घर परिवार की निर्धनता मिटा सकता है । इसका विकल्प है 'मुद्रा पंजी ' जिसके अधार पर  अमल करते हुए चल कर ' व्यक्ति गरीबी से छुटकारा ले कर  अमीरी की राह पर  अगे बड सकता है ।और धन संपंन होकर खुशहाल जीवनशैली जी सकता है ।

अब  आप कहेगे कि आखिर यह ' मुद्रा पंजी ' है क्या ! 
इसे समझने के लिए हम नीचे इसका प्रारूप उदाहरण के लिए दे रहे है ।जिसके आधार पर कोई भी अपने घर की मुद्रा पंजी बना सकता है ।
                            मुद्रा  पंजी 
मासिक आय व्यय का ब्यौरा ।
पहला महिना

  1. सट्टा ' गॉजा ' तम्बाकू '  चाय ' शराब ' आदि पर खर्च = 2000₹  
  2. यत्रा ' रिस्तेदारी ' त्योहार ' जेवर ' दान ' आदि पर खर्च =2000₹
  3. भोजन ' कपडा ' मकान ' पढाई ' बीमारी ' आदि पर खर्च =6000₹
  4. कुल मसिक खर्च =10000₹
  5. कुल मासिक आय=8000₹
  6. कुल मासिक कर्ज =2000₹=10000₹ ।
दुशरा महिना

  1. सट्टा _______________आदि पर गैर जरूरी खर्च=×
  2. यात्रा________________आदि पर शौक ' चाहते पर खर्च =×
  3. भोजन 'कपडे ' मकान ' पढाई आदि पर अनिवार्य जरूरत खर्च=6000₹
  4. कर्ज  चुकाने पर खर्च =2000₹
  5. कुल मासिक आय =8000₹  आय व्यय बराबर ।
तीसरा महिना

  1. गैर जरूरी खर्च ××××××× ।
  2. शौक चाहते खर्च ×××××× ।
  3. अनिवार्य जरूरत खर्च = 6000₹
  4. कुल मासिक आय =8000₹
  5. कुल मासिक बचत =2000₹
चौथा महिना

  1. अनिवार्य जरूरतों पर खर्च =6000₹
  2. कुल मासिक  आय =8000₹
  3. कुल मासिक बचत =2000+2000 पिछले माह =4000₹ बचत ।
पॉचवा महिना

  1. अनिवार्य जरूरतों पर खर्च=5000₹
  2. धंधे पर खर्च =7000₹
  3. खर्च ' बचत ' आय ' व्यय सब बराबर ।
छटा महिना 

  1. यात्रा 'त्योहार आदि पर खर्च=1000₹
  2. अनिवार्य जरूरतों पर खर्च=6000₹
  3. कुल मासिक आय =10000₹ दस हजार रू ।
कुल मासिक बचत=3000₹ । 
कुछ इस तरह से व्यक्ति अपने जीवन मे खुशहाली ला सकता है ।लेकिन  उसे हर हाल मै उपरोक्त 'मुद्रा पंजी ' को अपने जीवन मे अपनाना जरूरी है ।
आप हमें ईमेल भी कर सकते है seetamni@gmail. com पर ।
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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

उत्पाद बिक्री के सफल उपाय ।

तकनीकी विकास के साथ ही सरकारी सहयोग से आज  उधोग लगाना एवं उत्पाद तैयार करना बहुत सरल हो गया है । लेकिन उत्पाद को बेचने का काम बहुत टेडी खीर है । क्योंकि आज बाजार मे इतना कंप्टीशन है 'जिसके चलते नये उत्पाद बाजार मे चलाना बहुत कठिन होता है । बाजार मे दस  अनार एक बीमार वाली स्थित है ।
प्रोडक्ट सेलिंग के {successful}  टिप्स ।
  • मुफ्त का मोखिक विज्ञापन ।
उच्चतम गुणवत्ता के उत्पाद का उपयोग करने के बाद उपभोक्ता स्वयं ही दूशरो से 'उत्पाद के गुणों की चर्चा करते है । इस तरह 'क्वालिटी प्रोडक्ट' का मुफ्त मे ही विज्ञापन हो जाता है ।
  • चेन सिस्टम से उत्पाद बिक्री ।
जंजीर श्रंखला से ग्राहक जोड़कर वस्तु बेचने की स्कीम बहुत कारगर है । जिसमें ग्राहको को दो नये ग्राहक जोडने पर कुछ उपहार देने की ब्यवस्था रखी जाती है ।इस स्कीम से उत्पाद या सेवा के ग्राहक बहुत तेजी से शाखाओं की तरह बढते है ।
  • गेरंटी के साथ उत्पाद बिक्री ।
 बिक्रेता की पक्की लिखित गेरंटी वारंटी के साथ वस्तुएं खरीदना ग्राहक अधिक पसंद करता है ।क्योंकि वह वस्तु के साथ दिये गये भरोसे से संतुष्ट रहता है ।उदाहरण के लिए _ आज  एक 25 रू कीमत का वल्ब ' एक साल की गेरंटी के साथ 100रू मे धडल्ले से बिक रहा है ।
  • मुफ्त रिप्यरिंग की गेरंटी ' से उत्पाद बेचने का तरीका ।
इलेक्ट्रानिक यंत्र 'मशीनों आदि उत्पादो के साथ ग्राहकों को छह माह के अंदर यंत्र खराब होने की स्थित मे यंत्रों को फ्री मे ठीक करने की गेरंटी के साथ बेचा जाता है ।यह स्कीम बहुत सफल है । क्योंकि इस तरह बेचे गये उत्पादो मे जो गेरंटी समयावधि मे खराब होते है ' उन्हें सेवा प्रदाता फ्री मे ठीक करते है । पर यंत्रों मे लगने वाले पार्टो का भुगतान ग्राहक को ही चुकाना पडता है ।क्योंकि कंपनी की जवाबदारी केवल यंत्र ठीक करने की होती है ।
  • नामी ब्रांड से मिलता ' ब्रांड नेम 
नए उत्पाद को बाजार मे अपने पेर जमाने के लिए ' किसी नामी उत्पाद के नाम का सहारा लेकर  आगे बढना चाहिए ।
उदाहरण के लिए _ कुछ साल पहले  इंडिया मे दो क्रीमो  के ब्रांड बहुत लोकप्रिय रहे थे । एक ' रिंगकटर ' और दूशरा इजगॉड ' इन दोनों मे आपस मे बहुत कंप्टीशन था । दोनों ब्रांड के टीवी पर खूब एड  आते थे । इसी बीच एक 'रिंगॉड ' नामक क्रीम  आई और दोनो को पीछे छोड़ कर  आगे निकल गई ।
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शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

किराए पर ' खरीद की सुविधाएं ।

RENT TO CASH  किराए पर खरीद ।
किराए का इतिहास जाने तो सबसे पहले रेंट की शुरुआत इंग्लैंड में हुई थी ।इसके बाद किराए पर खरीद का चलन पूरी दुनिया मे होने लगा । यह  एक क्रय- बिक्रय- अनुबंध है । जिसे किराया या इंग्लिश मे रेंट कहा जाता है ।
किराए पर वस्तुएं खरीद के लाभ ।

  • गरीब आदमी भी मेहगीं सेवाओं का उपयोग किराए पर कर सकता है ।
  • जो लोग कीमती संपत्ति खरीदने मे असमर्थ होते है 'उन्हें मकान जमीन आदि किराए पर लेना आसान हो जाता है ।
  • किन्हीं सेवाओं ' वस्तुओं का उपयोग व्यक्ति बहुत कम समय के लिए ही करते है ।एसी स्थित मे उन वस्तुओं को किराए पर लेना ही उचित होता है ।
  • किराए पर संपत्ति लेने का सबसे बडा फायदा यह है कि अल्प पूजी से ही काम चल  जाता है एवं नगद मुद्रा भी बची रहती है ।
सबकुछ मिलता है किराए पर ।
आज भारत मे भी बहुत कुछ किराए पर मिलने लगा है । जो हमने कभी सोचा भी नहीं होगा 'जैसा कि आज भारत मे बच्चे पैदा करने के लिए भी कोख किराए पर मिलतीं है ।जिनका नौ महिने का किराया 50 हजार से एक लाख तक होता है ।विदेशी लोग भारतीय कोख किराए पर लेना जादा पसंद करते है । क्योंकि भारतीय नारीयॉ शराब सिगरेट नहीं पीती एवं शुध शाकाहारी होती है ।
रूपये ब्याज पर मिलने का मतलब रूपये किराए पर मिलना ही होता है ।
शादी विवाह मे उपयोग होने वाला हर सामान टेंट कुर्शी  बर्तन  आदि से लेकर दुल्हन के सभी सोने के गहने भी अब किराए पर मिल जाते है ।
कृषि कार्य मे आने बालें सभी यंत्र सीडल से लेकर ट्रकटर ' थ्रेशर ' हायरवेस्टर तक सब किराए पर  उपलब्ध है ।
यातायात के साधनों मे साइकिल ' वाइक ' कार ' बस'  ट्रक यहाँ तक की अब हेलीकॉप्टर भी किराए पर मिल रहे है ।
www.rent2cash.com यह एक इंडियन वेबसाइट है ।जो पूरे देश मे 80 प्रकार की वस्तुएं एवं सेवाएं लोगो को किराए पर उपलब्ध करा रहीं है ।यहाँ कलॉकार ' मकान दुकान ' फ्लैट ' गाड़ी बंगला ' मशीन ' कपडे ' आदि लगभग सभी कुछ किराए पर लिया दिया जाता है ।
एक  और जापान की बहुत फेंमस वेबसाइट www.rent-a-wife-Ottawa.com है । जहाँ पत्नी बच्चे ' मॉ बाप ' दोस्त यार ' नौकर चाकर यानी यहाँ पूरा परिवार ही किराए पर मिलता है ।

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शनिवार, 23 जनवरी 2016

खुल्ले रूपये का फायदा ।

भारत में बैंक अपने ग्राहको को हजार या पॉच सौ के नोटों मे ही पेमेंट करती  है ।एवं एटीएम मशीनों पर भी सौ से कम का नोट नहीं निकलता है ।और बाजार मे भी सिक्कों का अभाव महसूस होता है ।एसी स्थित मे आज छोटे लेनदेन व खरीदारी मे खुल्ले रूपयो को लेकर बहुत झंझट होती है ।
हजार ' पॉच सौ के बंधे नोटों के कारण निम्न परेशानियॉ होती है । जैसे _

  1. खरीददारी मे दुकानदार बाकी के छूट्टे रूपये बापस करने के स्थान पर टॉफियॉ या माचिस हाथ मे थमा देते है ।
  2. नोट छुट्टा कराने के लिए ' गैर जरूरी वस्तुए खरीदनी पडतीं है ।
  3. नोट के बदले मे फटे पुराने छूट्टे नोट लेना पडता है ।जिनमें से कुछ नोट बडी मुश्किल से चलते है । या चलते ही नहीं है ।बेकार पडे रहते है ।
  4. छोटी सेवाओं के बदले बडे नोट देने के बाद ' बाकि रूपये लेने के लिए इंतजार करना पडता है ।
  5. बंधे नोटों के कारण कभी हम बाकी के रूपये लेना ही भूल जाते है ।
  6. फुटकर रुपये न होने के कारण आटो ' रिक्शा ' टेक्सी वालों को किराए से जादा रूपये देना पडता है ।
  7. कभी कभी आटो रिक्शा बालों को खुल्ले पैसे ना होने की बजह से हजार या पॉच सौ का नोट देना पडता है ।और वे नोट लेकर रफूचक्कर हो जाते है ।और हमे दस बीस रूपये की जगह हजार पॉच सौ से हाथ धोना पडता है ।
  8. रेल टिकिट बुकिंग के बाद भी खुल्ले कुछ रूपये बापस ही नही मिलते ।
  9. पोस्ट अॉफिस  आदि जगहों पर यह सुन्ने मे आता है कि खुल्ला नहीं है ' खुल्ले रूपये लेकर  आऔ ' या 22 रू की जगह 25 रू देकर जाऔ  ।
पेट्रोल पंपो पर भी छुट्टे ना होने के बहाने दो चार रूपए जादा लिए जाते है ।
खुल्ले रूपयो की समश्या के समाधान के लिए " जरूरत के अनुसार बैंक से छुट्टे नोटों मे पेमेंट की मॉग करना चाहिए ।या जरूरत के हिसाब से पहले से ही किसी विशवसनिय व्यक्ति ' स्थान ' या दुकान से नोटों को छूट्टे कराकर पॉकेट या बैग मे रखना चाहिए । साथ ही एक ' दो और पॉच रूपये के कुछ सिक्के भी पास मे रखना जरूरी है । सिक्के रखने मे थोडी अडजन तो होती है पर  इससे जादा सहूलियत भी होती है । जब जितने रूपये देने की जरूरत हो 'उतने ही रूपये देने से बापस लेने का झंझट ही नही रहता । फुटकर रूपये पास होने से एक दो रू कम मे ही काम चल जाते है । खुल्ले रूपये देने से सामने बाला जादा खुश होता है और खुल्ले रू जादा भी लगते है । खुल्ले रूपये पास मे होने से समय के साथ ही धन की भी बचत होती है ।
लेकिन हजार पॉच सौ के बडे नोटों को रखने मे सुविधा होती है ।और  इनकी गिनती करना भी आसान है ।चोर  उचक्के भी नहीं जॉच पाते । इसलिए  हजार से उपर के बडे लाखो के लेनदेन मे और बडी खरीद फरोख्त के लिए ' हजार  पॉच सौ के बडे नोटों का उपयोग ही उचित होता है ।
जरूरत के अनुसार बडे या छोटे नोटों का उपयोग करना चाहिए ।
" जैसा काम ' बैसा दाम " देना ही उचित होता है ।
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गुरुवार, 21 जनवरी 2016

स्टार्ट अप ' इंडिया स्वरोजगार ।

स्टार्ट अप
भारत मे 16 जनवरी2016 को प्रधानमंत्री द्वारा इस स्टार्ट अप ' योजना की शुरूवात की गई है ।
स्टार्ट अप क्या है ।
स्टार्ट अप की शुरुआत होती है एक  आइडिया से ' जिसमें लोगों की किसी भी समश्या के समाधान का कोई तरीका या लोगों की जरूरत की कोई सेवा 'वस्तुओं का उधम  इस योजना के अंतर्गत स्थापित करने वालों को भारत सरकार बहुत सुविधाएं दे रही है । जैसे _

  • 10 हजार करोड़ रूपये का फंड बनाया जाएगा ।
  • स्टार्ट अप के लिए वेब पोर्टल और मोवाइल  एप होगे ।
  • पेटेंट फीस मे 80% की कटोती होगी ।
  • छोटे फार्म के जरिए ई _रजिस्ट्रेशन ।
  • 35 नए इन्क्यूवेशन सेंटर होगे  ।
  • सेल्फ सर्टीफिकेट  आधारित कंप्लायंस की व्यवस्था ।
  • सरकारी खरीद मे खास रियायत दी जाएगी ।
  • उधमियो को लोन की व्यवस्था रहेगी ।
उधमियो को 3 साल तक  इंकम टेक्स मे छूट दी जाएगी ।
कुल मिला कर  इस योजना मे युवा उधमियो के  लिए पैर जमाने के अच्छे अवसर उपलब्ध है ।इस योजना के सफल होने पर देश मे बेरोजगारी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी ।स्टार्ट अप ' मे रोजगार की अनंत संभावनाएं है ।
लेकिन इस योजना मे नए अविशकारो के विजनस  आइडिया को आधिक प्राथमिकता दी जाएगी ।

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शनिवार, 16 जनवरी 2016

फ्री सेवाओं का लाभ उठाए ।

FREE
फ्री डिश टीवी _ डीडी फ्री डिश प्रसार भारती की एक मुफ्त टेलीविजन सेवा है । जो अब पूरे भारत मे उपलब्ध है ।इस सेवा मे लगभग 70 चेनल स्थाई रूप से मुफ्त चलते है ।एवं 45 चेनल  अस्थायी है ।जो कभी कभी दिखाए जाते है ।

फ्री फोन सेवा  _ आज लगभग सभी बडे ब्रांडो ' संस्था ' बैंक ' रेलवे ' एरपोट ' होटल  आदि की टोल फ्री हेल्पलाइने है । यह फ्री नं .1800180____. से शुरू होते है । जिन पर किसी भी मोवाइल से कॉल करने का कोई शुल्क नहीं लगता है 

फ्री इंटरनेट _ अब भारती एरटेल दे रहा है ।50% फ्री नाईट डाटा पेक ' एवं फ्री इंटरनेट चलाने की कुछ ट्रिके भी है ' जिनसे सेटिंग करने पर  इंटरनेट फ्री चलाया जा सकता है ।

फ्री फेसबुक _  अब फेसबुक को फ्री करने की मुहीम भी छिडी हुई है । जिसके सफल होने की उम्मीद है ।इसके बाद फेसबुक भी फ्री अलाउड हो जाएगी ।

फ्री वाय फाई _  अब फ्री वाय फाई मिलने की भी संभावनाए दिख रही है ।एवं आने वाले समय मे वाय फाई की सेवा भी फ्री हो जाएगी ।

फ्री चिकित्सा _ भारत सरकार की बहुत सी चिकित्सा संवधी सेवाएं है ।जो नागरिको को मुफ्त मे उपलब्ध है जैसे एम्बुलेंस आदि । जिनका लाभ लिया जा सकता है ।
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गुरुवार, 14 जनवरी 2016

धन संपन्न परिवार बनाए ।

अधिकांश परिवारो मे यह होता है की परिवार का एक ही पुरुष सदस्य कमाता है ।और यही उस परिवार का एक मात्र आय का स्रोत होता है ।कुछ परिवारो का एक सदस्य सोलह घंटे तक काम करके कमाई करता है । फिर भी परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती है ।धन संग्रह का सवाल ही पैदा नही होता ।

आज के युग मे व्यक्ति या परिवारो की जरूरते अनंत है ।इसलिए आज एक व्यक्ति की कमाई से घर परिवार चलाना कठिन है ।जिसके लिए आज जरूरत इस बात की है ।की महिलाओं सहित घर के सभी व्यस्क सदस्य काम करें ' और कमाए ' एवं हर सदस्य के डवल  आय के स्रोत हो' यानी कि परिवार का हर सदस्य दो अलग अलग काम करके दुगना कमाए ' फिर तो कहना ही क्या ' सोने पे सुहागा ' हो जाए । और एसा करना संभव है । कुछ लोग एक दिन मे तीन काम करते देखे जाते है । जैसे _ डियूटी जाने से पहले एक घंटे पडोस के बच्चों को टयूसन पढाना ' फिर काम पर जाना ' फिर शाम को दो घंटे दुकान पर बैठना आदि । इस तरह से परिवार के सभी सदस्यो द्वारा कमाने से परिवार' दिन दूना रात चौगना '  आर्थिक विकास करता है । क्योंकि परिवार के जितने अधिक आय के स्रोत होगें परिवार उतना है अधिक विकास करेगा ।
एक समय था जब लोग नौकरी ' काम' धंधे ' चिराग लेकर ढूँढते थे । और  आज कामों का अंबार लगा है ।हर क्षेत्र मे  कामों के ढेरों अवसर पैदा हो रहे है । आज काम करने वाले लोग नही मिलते ।
महिलाओं के लिए भी आज हर क्षेत्र मे काम के अवसर उपलब्ध है । महिला चाहे  तो घर बैठे किए जा सकने वाले हजारों प्रकार के काम है । जिनमें से महिलाएं कोई भी अपना मन पसंद काम चुन कर ' घर बैठे कमा सकतीं हैं ।

दुनिया के विकसित देशों मे परिवारो का यह  आलम है की बच्चे स्कूल जाते है और  उनके दोनों माँ बाप काम पर जाते है ।घर पर कोई नहीं रहता ।खाने पीने के मामले मे ' दो मिनिट मे तैयार होने वाली कॉपी ' फास्ट फूड ' रेडीमेड खाना ' और मौसमी फलों का अधिक उपयोग किया जाता है । संडे के दिन ही पूरे सप्ताह का खाना बना कर रेफ्रिजरेटर मे रख दिया जाता है ' और सप्ताह भर  इसी भोजन से काम चलता है । इस तरह से रोज सुबह शाम खाना बनाने के झंझट से मुक्ति मिलने के साथ ही समय की भी बचत होती है ।
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मंगलवार, 12 जनवरी 2016

घरेलू बजट के फायदे ।

बजट किसे कहते है ।
किसी भी देश' संस्था ' ब्यक्ति ' परिवार ' के धन के आय व्यय की सूची को बजट कहा जाता है ।परिवार की आय के दायरे मे संतुलित खर्च करने का सही तरीका बजट होता है ।एवं धन का सही प्रबंधन बजट होता है ।
घरेलू बजट के लाभ ।

  • बजट हमे अपने धन पर नियंत्रण रखने की शक्ति देता है ।
  • बजट कर्ज मे डूबने से बचाव करता है ।
  • परिवार की सभी जरूरते पूरी करता है ।
  • बजट मे खर्च करने से फ्जूलखरची नही होती ।
  • बजट बचत मे भी सहायक होता है ।
बजट मे थोक वस्तुएं खरीद से समाज मे प्रतिस्ठा बढती है ।
घर परिवार का बजट बनाने का सही तरीका ।
बजट का काम घर के मुखिया दुवारा किया जाता है । इसके लिए घर मे एक " बजट डायरी" होना चहिए ।जिसमें घर के सभी सदस्य माह की पहली तारीख से तीस तारीख तक ' अपनी जरूरते एक सूची मे नोट करते जाए ' जव जिस सदस्य को जो जरूरत महसूस हो वह  उसे सूची मे नोट करे । फिर माह के अंत मे तीस तारीख को 'मुखिया इस सूची मे घर के सभी जरूरी खर्च लिखे । जैसे_ खाने पीने की खाद्यान्न का खर्च ' बिजली विल ' बच्चों की स्कूल फीस ' मोवाइल विल ' गाडी पेट्रोल खर्च ' रसोई गैस ' लोन किस्त आदि ।इसके बाद देनिक दूध खर्च' जेब खर्च ' साप्ताहिक सबजी खर्च ' अचानक बीमारी खर्च ' आदि लिखा जाए जो नगद राशी मे रखा जाना है । फिर कुछ कम जरूरी खर्च लिखे जैसे पिकनिक खर्च आदि । माचिस ' सुई तक के छोटे खर्च भी बजट लिस्ट मे लिखे जाने चाहिए  
अब लिस्ट के सभी खरचो का टोटल किया जाता है । उदाहरण के लिए लिस्ट का टोटल 22000रू आता है और परिवार की कुल मासिक आय है 20000 रू ।तो अब हम लिस्ट से कुछ कम जरूरी खर्चे हटा देते है ।और फिरसे लिस्ट का टोटल करने पर भी खर्च बजट के भीतर नही आता ' तो अब हम जरूरी वस्तुओं की मात्रा कुछ कम कर देते है । पर खाद्य पदार्थ की कटौती भूल कर भी न करें । इस तरह खर्च को खींच तान कर 18000रू पर लाना उचित होगा ।जिसमें 2000रू बचत के रूप मे शेष बचाना जरूरी है । कुछ इस तरह से बनाया जाता है परिवार का मासिक खर्च बजट ' जिसमें विशेष कर  इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि परिवार की कुल आय से कम रूपये मे ही परिवार की सभी जरूरतों को पूरा किया जाए ' और कुछ रकम शेष भी बचाई जाए ।
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बगैर "बजट " बनाए खर्च करने के बारे मे हम जादा बिस्तार  से तो नहीं लिख रहे हम  इसका मतलब संछिप्त मे बता रहे है ।जो कुछ  एसा है ' की अंधे पीसे और कुत्ते खाए ' समझदारो को इशारा काफी है ।
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सोमवार, 11 जनवरी 2016

अविवाहितों ने पाईं बडी सफलताए !

खजुराहो का प्राचीन मंदिर काम कलॉ कृतियों के लिए विश्व प्रशिध है इस मंदिर की दीवारों पर संभोग करते हुए स्त्री पुरषो की कृतियॉ बिभिन्न मुद्राऔ मे स्थापित है । इस मंदिर को देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक खजुराहो पहुचते है ।पर यह बात बहुत कम लोग जानते है ' की इस तरह के अशलील मंदिर का निर्माण क्यों करवाया है ' इसके पीछे पुराने राजाओं का क्या उद्देश्य रहा होगा । इसका पता लगाने के लिए एक व्यक्ति ने रिसर्च किया है । जिसमें यह परिणाम निकल कर सामने आया है कि हजारों साल पहले अधिकार जनसमुदाय बृहम्चारी जीवन की ओर जा रहा था । लोग धीरे धीरे काम क्रिया से बिमुख होते जा रहे थे ।और समाज की यह स्थित उस समय  एक चिंता का था ।इसलिये उस समय के राजाओं ने जनता को सेक्स की तरफ प्रेरित करने एवं" योन शिक्षा " देने के उद्देश्य से खजुराहो मे इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।
पर आज समाज मे अश्लीलता की स्थित पुराने समय की अपेक्षा बिपरीत है । जिसमें प्रशार माध्यमों का दोष है । समाज मे बढता हुआ अश्लीलता का असर  आज का चिंता का विषय है ।इसलिये आज की युवा पीढी को आज  उलटा पाठ पढाने की जरूरत है ' जो सही है कि बृहम्चारी जीवन ही स्वतंत्र एवं उत्तम जीवन है ।
आदमी की सफलता की राह मे आने वाली सबसे बडी अडचन  उसका अपना परिवार होता है । हम किसी से भी पूछे ' तो वह सफलता मे अने वाला सबसे बडा रोडा अपने परिवार को ही मानता है । आज तक के मानव  इतिहास मे जितने भी लोगो ने बडी सफलताए हासिल की है । उनमें 50% के लगभग लोग  अविवाहित है । और जो इनमें शादीशुदा लोग है  वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पर खरे नही उतरे ।
दुनिया मे कुछ देश एसे है ।जहाँ शादी विवाह जैसी प्रथा को जादा अहमियत नहीं दी जाती है ।वहाँ अधिकार स्त्री पुरुष स्वतंत्र रहकर ही जीवन जीना जादा पसंद करते है ।यहाँ युवक युवतियों मे मित्रता के संवंध जादा होते है ।और सही मयने मे यही जीवन है ।
पर भारत जैसे देशों मे हर स्त्री पुरुष को विवाह के बंधन मे बंधना या मॉ बाप  ओर समाज द्वारा बांधने की जो पुरानी सामाजिक ब्यवस्था है ।उसे अब समय के साथ बदलना चाहिए ।शादी विवाह करना या ना करना यह ब्यक्ति का निजी मामला है ।20 साल का होने पर युवाऔ को स्वतंत्रता होती है । कि वह जब चाहे जिससे चाहे शादी करे ' और न चाहे तो क्वारे रहकर ही स्वतंत्र जीवन का लुफ्त  उठाए ।

स्कूल के दिनों मे मुझसे मेरा एक मित्र कहा करता था ।की आदमी को दूध पीने के लिए भैंस पालना जरूरी नहीं है ।क्योंकि बाजार मे दूध मिलता है ।जिसे खरीदो और पियो 'इसके लिए भैस पालने की झंझट मे फसना महज  एक पागलपन है ।
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Seetamni@gmail. com
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।