बुधवार, 19 अक्तूबर 2016

ग्रामीण भारत की तस्वीर ।

गांव की माटी की सुगंध _ मिट्टी  की दीवार के उपर लकड़ी और बॉस के जाल का छप्पर जिसके उपर मिट्टी के पक्के कवेलूओ की कतारो से बने मकानों का समूह गांव होता है । खडिया मिट्टी से पुते घर ' गोवर से लिपे अॉगन के कोने मै तुलसी का पौधा सोभायमान होता है । गांव की गलियों  चौवारो पर खेलते हुए बच्चे चिडियो से  चहचहाते है । सुवह सुवह  गांव के पनघट पर पानी भरती हुई स्त्रिया रंग बिरंगी साडियो मे तितलियो के झुंड के समान दिखती है ।
🍚 खान पान _  मिट्टी के चुल्हो पर लकडी की आग मे पकी रोटियां और गोवर के उवलो के अंगारे पर सिकी बाटियो के स्वाद का तो कहना ही क्या वस खाते ही जाओ । त्योहार पर बनाने वाली गांव की मिठाईयां बहुत मीठी होती है ' इनमे शक्कर ही शक्कर होती है । गांव के लोग चाय भी बहुत मीठी पीते है ' इतना मीठा खाने पर भी वे सुगर की बीमारी का शिकार नही होते क्योंकि वह श्रम का काम करतू है जिससे चीनी हजम हो जाती है ।
धर्मिकता_ गांव के लोग बहुत धार्मिक  प्रवृती के होते है । एक दुशरे से मिलते हुए राम _ राम  कहते हुए  देखे जाते है । कुछ गांवो मे सुवह राम नाम की प्रभात फेरिया निकलती है । मंगलवार  और शनिवार की रात गांव के मंदिर पर भजन कीर्तन होते है ।
☕ स्वागत _ गांव मे महमान को आज भी भगवान समझा जाता है ' उसका स्वागत चाय ' पान ' सुपाडी के साथ किया जाता है । महमानो कै भोजन मे खीर पूडी खिलाईं जातीं हैं ।

शहरों की चकाचौंध  और शोरगुल से दूर शांत दिहाती दुनिया  की ताजी हवा आदि । गाव के जन जीवन का लुफ्त कुछ निराला ही है । जो स्वाद जीभ चखती है उसे कान सुनकर  अनुभव नही कर सकते ' जो जीता है गांव की जन्नत का जीवन वही जानता है ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।