यह सूचना क्रांति का युग है जहाँ हर तरह की जानकारियॉ सहज सुलभ है । पर आदमी की पहली जरूरत रोजगार है ।और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण विषय की शिक्षा का ही देश मे अभाव है । जिसके कारण देश मे बेरोजगारी की समस्या है ।
समाचार पत्र- समाचार पत्र देश मे पतझड के पत्तों की तरह रोज छपते है । पर इनमें रोजगार से संवंधित संमंग्री बहुत कम होती है । और रोजगार विषय पर आधारित एक पत्र को छोडकर कोई दूशरा समाजार पत्र नही छपता है ।
पत्रिकाए- प्रिंट मीडिया मे लगभग सभी विषयो पर पत्रिकाए है । लेकिन उधोग धंधे पर कोई पत्रिका नजर नही आती ।
रेडियो - रेडियो स्टेशनो पर भी रोजगारो से संवंधित कार्यक्रम नाम के लिए ही प्रशारित होते है ।रेडियो पर भी रोजगार विषय पर आधारित अलग से कोई स्टेशन नही है ।
टीवी -प्रशार भारती की टीवी सेवा के सो से भी अधिक टीवी चेनल है जो देश के कोने कोने तक पहुचकर अपना प्रशारण देते है। पर रोजगार विषय का कोई भी टीवी चेनल नही है ।
इंटरनेट -इटरनेट पर तो हर विषय की जानकारियो का खजाना है । लेकिन हर आदमी की पहुँच इंटरनेट तक नही है ।
फिल्म - फिल्में मनोरंजंन के साथ ही शिक्षा काभी एक अच्छा माध्यम होती है । पर फिल्मों से भी काले धंधो की ही शिक्षा जादा मिलती है जिससे युवा काले धंधो की तरफ अकृशित होते है ।
स्कूल - स्कूलो मे भी रोजगार उनमुखी शिक्षा नही दी जाती । प्रथमिक शिक्षा के पाठयक्रम मे रोजगार की शिक्षा से संवंधित कोई भी पाठ या अध्यक्ष शामिल नही है ।जवकी रोजगार का एक विषय अलग से होने की जरूरत है ।
सरकार- भारत सरकार की कुछ योजनाए है जिनके तहत रोजगार संवंधी प्रशिक्षण देने की व्यावस्था है । पर यह योजनाए भी जमीनी स्तर पर खरी नही उतरती और गांव के लोगो तक इनका लाभ नही पहुंच पाता और लोग इससे वंचित रहते है । उधोग धंधे के लिए सरकार की तरफ से लोन की व्यवस्था है ।पर इसका परिणाम यह होता है की लोग सरकारी रिण लेकर उधोग स्थापित करते है और फूल है जाते है । इसलिए धंधे के लिए रूपए से जादा जरूरी होती है शिक्षा उस काम का सही ज्ञान उसकी पूरी जानकारी । तभी उधोग धंधा सफल होता है ।
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समाचार पत्र- समाचार पत्र देश मे पतझड के पत्तों की तरह रोज छपते है । पर इनमें रोजगार से संवंधित संमंग्री बहुत कम होती है । और रोजगार विषय पर आधारित एक पत्र को छोडकर कोई दूशरा समाजार पत्र नही छपता है ।
पत्रिकाए- प्रिंट मीडिया मे लगभग सभी विषयो पर पत्रिकाए है । लेकिन उधोग धंधे पर कोई पत्रिका नजर नही आती ।
रेडियो - रेडियो स्टेशनो पर भी रोजगारो से संवंधित कार्यक्रम नाम के लिए ही प्रशारित होते है ।रेडियो पर भी रोजगार विषय पर आधारित अलग से कोई स्टेशन नही है ।
टीवी -प्रशार भारती की टीवी सेवा के सो से भी अधिक टीवी चेनल है जो देश के कोने कोने तक पहुचकर अपना प्रशारण देते है। पर रोजगार विषय का कोई भी टीवी चेनल नही है ।
इंटरनेट -इटरनेट पर तो हर विषय की जानकारियो का खजाना है । लेकिन हर आदमी की पहुँच इंटरनेट तक नही है ।
फिल्म - फिल्में मनोरंजंन के साथ ही शिक्षा काभी एक अच्छा माध्यम होती है । पर फिल्मों से भी काले धंधो की ही शिक्षा जादा मिलती है जिससे युवा काले धंधो की तरफ अकृशित होते है ।
स्कूल - स्कूलो मे भी रोजगार उनमुखी शिक्षा नही दी जाती । प्रथमिक शिक्षा के पाठयक्रम मे रोजगार की शिक्षा से संवंधित कोई भी पाठ या अध्यक्ष शामिल नही है ।जवकी रोजगार का एक विषय अलग से होने की जरूरत है ।
सरकार- भारत सरकार की कुछ योजनाए है जिनके तहत रोजगार संवंधी प्रशिक्षण देने की व्यावस्था है । पर यह योजनाए भी जमीनी स्तर पर खरी नही उतरती और गांव के लोगो तक इनका लाभ नही पहुंच पाता और लोग इससे वंचित रहते है । उधोग धंधे के लिए सरकार की तरफ से लोन की व्यवस्था है ।पर इसका परिणाम यह होता है की लोग सरकारी रिण लेकर उधोग स्थापित करते है और फूल है जाते है । इसलिए धंधे के लिए रूपए से जादा जरूरी होती है शिक्षा उस काम का सही ज्ञान उसकी पूरी जानकारी । तभी उधोग धंधा सफल होता है ।
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