सोमवार, 12 दिसंबर 2016

नए सामुदायिक रेडियो स्टेशनो को 90% अनुदान ।

केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 10 दिसंबर 2016 को ' नए सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोलने बालो को बडे अनुदान की घोसणा की है ।जिसमे पूर्व उत्तर प्रदेशो के लिए 90% एवं अन्य प्रदेशो मे 75% अनुदान सरकार देगी ।
सामुदायिक रेडियो क्या है ।
सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी मे 'कम्यूनिटि रेडियो ' कहा जाता है ।यह रेडियो सेवा आकाशवाणी ' एवं एफएम चैनल के बाद तीसरे नं की रेडियो सेवा है । सामुदायिक रेडियो के प्रशारण का दायरा सीमित होता है । सामुदायिक रेडियो की स्थापना लाभ कमाना नही है ।वल्कि सामुदायिक रेडियो शिक्षा और ज्ञान देने पर  आधारित होते है ।सामुदायिक रेडियो एसे समुदाय और संस्थाओ के दुवारा संचालित होते है जो जनहित मे कार्य करते है ।जैसे शिक्षण संस्थान ' स्यंम सेवी संगठन 'कृषि विज्ञान केंद्र आदि जो कृषि स्वास्थ्य शिक्षा आदि जन कल्याण के लिए काम करते है ।
सामुदायिक रेडियो का आरंभ ।
अमेरिका मे सामुदायिक रेडियो का आरंभ 1940 मे हुआ ।और ब्रटेन मे इसकी शुरूवात 1960 मे हुई ।
भारत मे पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन 1995 मे खुला था । जिसे चिन्नईं के अन्ना विश्वविधालय ने शुरू किया था । आज भारत मे लगभग 150 सामुदायिक रेडिये स्टेशन है ।
अपना सामुदायिक रडियो स्टेशन कैसे शुरू करै ।
देश के गांव कस्बे मे कोई भी संगठन संस्था जो यूनियन एक्ट के तहत रजिस्टर हो वह  अपना सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोल सकती है । इसके लिए सूचना एवं प्रशारण मंत्रालय लाइसेंस देता है । सामुदायिक रेडियो शुरू करने के लिए संवंधित मंत्रालय को अॉनलाइन  आवेदन भी किया जा सकता है । इसका आवेदन शुल्क 2500₹ है । आवेदन पर विचार करने के बाद सूचना एवं प्रशारण मंत्रालय सामुदाय को लाइसेंस देता है । इसके बाद सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना की कम से कम लागत दो लाख  आती है । इसमे पुराने उपकरण भी लगाए जा सकते है । अब तो सरकार  इस पर 90% तक  अनुदान दे रही है तो समुदाय का केवल 50 हजार तक ही खर्च होगा ।  यह रेडियो स्टेशन स्थापित करने के लिए अधिक स्थान की भी जरूरत नही पडती इसे एक कमरे से ही संचालित किया जा सकता है । इसमे एनटीना का विशेष महत्व होता है । यह  एनटीना 15 से 30 मीटर तक  ऊचा लगता है । सामुदायाक रेडियो स्टेशन मे 100बाट के ट्रास्मीटर से लेकर 250बाट तक के ट्रास्मीटर लगाने की अनुमति होती है । जो 15 किलोमीटर के दायरे तक प्रशारण देता है ।
सामुदायिक रेडियो से कार्यक्रम प्रशारण की अनुमति ।
सामुदायिक रेडियो पर प्रशारित किये जाने वाले कार्यक्रम स्थानीय भाषा मे समुदाय या संस्था ही तैयार करती है । जो सूचना ' शिक्षा 'ज्ञान पर  आधारित होते है । इसमे स्थानीय लोककलॉ और स्थानीय लोगो की रूचि के अनुसार मनोरंजन के कार्यक्रम भी देने की अनुमति होती है । एक घंटे के कार्यक्रम मे पॉच मिनट विज्ञापन भी दिये जा सकते है । पर प्रायोजित कार्यक्रम देने की अनुमति नही होती और ना समाचार दिये जा सकते है । पर  अव सूचना एवं प्रशारण मत्रालय दूरर्दशन ' आकाशवाणी ' एवं प्रिंट मिडिया के लिए नई नीति बनाने पर विचार कर रहा है । जिसमे सभी संचार माध्यमो मे सुधार के साथ सुविधाए भी दी जाएगी ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।