काश अगर मे दर्पण होता ' सबको मेरा सर्मपण होता ।
मेरा कोई रंग न होता ' मेरा कोई रूप न होता
मे एक खाली चोखटा होता । काश अगर____
बाजार मे दुकान पर बिकता 'मकान मे दीवार पर लगता
कोरा काँच का तुकडा होता 'काश अगर ________
सुंदरी देखतीं मुझमे अपनी सूरत 'मे देखता उनमे अपनी मूरत
एसा खुशनशीव होता । काश अगर ______________
मुझमे अपना चहरा देखता हर सक्श ' मे खीचता उनका अक्श
एसा नक्शा नफीज़ होता ।काश अगर ________________
सुहागिन के श्रृंगार का 'दुल्हन के उपहार का
मे सत्रहाबा सामान होता । काश अगर ____________
भले बुरे सब मुखडे देखता ओर दिखाता ' काले गोरे मे भेद न करता
सच्चाई का सवूत होता । काश अगर_____________
ठोकर से टूटकर तुकडो मे बिखर जाता ' फिर भी सूरत पूरी दिखलाता
बदले का कोई भाव ना होता । काश अगर मे दर्पण होता ।
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मेरा कोई रंग न होता ' मेरा कोई रूप न होता
मे एक खाली चोखटा होता । काश अगर____
बाजार मे दुकान पर बिकता 'मकान मे दीवार पर लगता
कोरा काँच का तुकडा होता 'काश अगर ________
सुंदरी देखतीं मुझमे अपनी सूरत 'मे देखता उनमे अपनी मूरत
एसा खुशनशीव होता । काश अगर ______________
मुझमे अपना चहरा देखता हर सक्श ' मे खीचता उनका अक्श
एसा नक्शा नफीज़ होता ।काश अगर ________________
सुहागिन के श्रृंगार का 'दुल्हन के उपहार का
मे सत्रहाबा सामान होता । काश अगर ____________
भले बुरे सब मुखडे देखता ओर दिखाता ' काले गोरे मे भेद न करता
सच्चाई का सवूत होता । काश अगर_____________
ठोकर से टूटकर तुकडो मे बिखर जाता ' फिर भी सूरत पूरी दिखलाता
बदले का कोई भाव ना होता । काश अगर मे दर्पण होता ।
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