खजुराहो का प्राचीन मंदिर काम कलॉ कृतियों के लिए विश्व प्रशिध है इस मंदिर की दीवारों पर संभोग करते हुए स्त्री पुरषो की कृतियॉ बिभिन्न मुद्राऔ मे स्थापित है । इस मंदिर को देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक खजुराहो पहुचते है ।पर यह बात बहुत कम लोग जानते है ' की इस तरह के अशलील मंदिर का निर्माण क्यों करवाया है ' इसके पीछे पुराने राजाओं का क्या उद्देश्य रहा होगा । इसका पता लगाने के लिए एक व्यक्ति ने रिसर्च किया है । जिसमें यह परिणाम निकल कर सामने आया है कि हजारों साल पहले अधिकार जनसमुदाय बृहम्चारी जीवन की ओर जा रहा था । लोग धीरे धीरे काम क्रिया से बिमुख होते जा रहे थे ।और समाज की यह स्थित उस समय एक चिंता का था ।इसलिये उस समय के राजाओं ने जनता को सेक्स की तरफ प्रेरित करने एवं" योन शिक्षा " देने के उद्देश्य से खजुराहो मे इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।
पर आज समाज मे अश्लीलता की स्थित पुराने समय की अपेक्षा बिपरीत है । जिसमें प्रशार माध्यमों का दोष है । समाज मे बढता हुआ अश्लीलता का असर आज का चिंता का विषय है ।इसलिये आज की युवा पीढी को आज उलटा पाठ पढाने की जरूरत है ' जो सही है कि बृहम्चारी जीवन ही स्वतंत्र एवं उत्तम जीवन है ।
आदमी की सफलता की राह मे आने वाली सबसे बडी अडचन उसका अपना परिवार होता है । हम किसी से भी पूछे ' तो वह सफलता मे अने वाला सबसे बडा रोडा अपने परिवार को ही मानता है । आज तक के मानव इतिहास मे जितने भी लोगो ने बडी सफलताए हासिल की है । उनमें 50% के लगभग लोग अविवाहित है । और जो इनमें शादीशुदा लोग है वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पर खरे नही उतरे ।
दुनिया मे कुछ देश एसे है ।जहाँ शादी विवाह जैसी प्रथा को जादा अहमियत नहीं दी जाती है ।वहाँ अधिकार स्त्री पुरुष स्वतंत्र रहकर ही जीवन जीना जादा पसंद करते है ।यहाँ युवक युवतियों मे मित्रता के संवंध जादा होते है ।और सही मयने मे यही जीवन है ।
पर भारत जैसे देशों मे हर स्त्री पुरुष को विवाह के बंधन मे बंधना या मॉ बाप ओर समाज द्वारा बांधने की जो पुरानी सामाजिक ब्यवस्था है ।उसे अब समय के साथ बदलना चाहिए ।शादी विवाह करना या ना करना यह ब्यक्ति का निजी मामला है ।20 साल का होने पर युवाऔ को स्वतंत्रता होती है । कि वह जब चाहे जिससे चाहे शादी करे ' और न चाहे तो क्वारे रहकर ही स्वतंत्र जीवन का लुफ्त उठाए ।
स्कूल के दिनों मे मुझसे मेरा एक मित्र कहा करता था ।की आदमी को दूध पीने के लिए भैंस पालना जरूरी नहीं है ।क्योंकि बाजार मे दूध मिलता है ।जिसे खरीदो और पियो 'इसके लिए भैस पालने की झंझट मे फसना महज एक पागलपन है ।
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पर आज समाज मे अश्लीलता की स्थित पुराने समय की अपेक्षा बिपरीत है । जिसमें प्रशार माध्यमों का दोष है । समाज मे बढता हुआ अश्लीलता का असर आज का चिंता का विषय है ।इसलिये आज की युवा पीढी को आज उलटा पाठ पढाने की जरूरत है ' जो सही है कि बृहम्चारी जीवन ही स्वतंत्र एवं उत्तम जीवन है ।
आदमी की सफलता की राह मे आने वाली सबसे बडी अडचन उसका अपना परिवार होता है । हम किसी से भी पूछे ' तो वह सफलता मे अने वाला सबसे बडा रोडा अपने परिवार को ही मानता है । आज तक के मानव इतिहास मे जितने भी लोगो ने बडी सफलताए हासिल की है । उनमें 50% के लगभग लोग अविवाहित है । और जो इनमें शादीशुदा लोग है वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पर खरे नही उतरे ।
दुनिया मे कुछ देश एसे है ।जहाँ शादी विवाह जैसी प्रथा को जादा अहमियत नहीं दी जाती है ।वहाँ अधिकार स्त्री पुरुष स्वतंत्र रहकर ही जीवन जीना जादा पसंद करते है ।यहाँ युवक युवतियों मे मित्रता के संवंध जादा होते है ।और सही मयने मे यही जीवन है ।
पर भारत जैसे देशों मे हर स्त्री पुरुष को विवाह के बंधन मे बंधना या मॉ बाप ओर समाज द्वारा बांधने की जो पुरानी सामाजिक ब्यवस्था है ।उसे अब समय के साथ बदलना चाहिए ।शादी विवाह करना या ना करना यह ब्यक्ति का निजी मामला है ।20 साल का होने पर युवाऔ को स्वतंत्रता होती है । कि वह जब चाहे जिससे चाहे शादी करे ' और न चाहे तो क्वारे रहकर ही स्वतंत्र जीवन का लुफ्त उठाए ।
स्कूल के दिनों मे मुझसे मेरा एक मित्र कहा करता था ।की आदमी को दूध पीने के लिए भैंस पालना जरूरी नहीं है ।क्योंकि बाजार मे दूध मिलता है ।जिसे खरीदो और पियो 'इसके लिए भैस पालने की झंझट मे फसना महज एक पागलपन है ।
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Seetamni@gmail. com
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