बुधवार, 21 सितंबर 2016

उज्जैन की छटा मे लगे चार चाँद ।

उज्जैन शहर भारत का सबसे पुराना एतिहासिक शहर है । इसका पुराना नाम 'उजेनी ' था ।भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ सांदीप मुनी से विध्या अधयन किया था । यह स्थान आज भी है जो सांदीपनी आश्रम के नाम से जाना जाता है ।

उज्जैन शहर का रामायण मे भी उल्लेख है ।कागभुशुण्डि गरूड संवाद ' मे कागभुशुण्डि गरुड को 27कल्प पहले के अपने एक जन्म की कथा सुनाते हु कहते है की _ उस समय के कलयुग मे मेरा जन्म अवध मे हुआ था । जव  अवध मे अकाल पडा तो मे 'उजेनी नगरी चलागया और वहाँ मेने कुछ संपत्ति पाई ।फिर मे वही रहकर शिव भक्ति करने लागा ।
इस संवाद से पता चलता है की उज्जैन कितने कल्प पुराना शहर है ।
उज्जैन अभी भी सुनदर शहर है । पर  अब  अति सुन्दर हो जाएगा । हाल ही मे सरकार के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट जारी की है । जिसमे  मध्य प्रदेश को दो शहर शामिल है । उन्मे से एक  उज्जैन भी है ।  और  अब  जब  उज्जैन स्मार्ट सिटी बन जाएगा तो उसकी छटा मे चार चाँद लग जाएगे ।
उज्जैन के एक राजा हुए थे । बिकृमादित्य ' उन्होंने ही बिकृम संवत सन चलाया था । राजा बिक्रम  आदित्य का सिहासन  आज भी मोजूद है जो अब क्षति ग्रहस्त है ।
महाकाल ' की नगरी उज्जैन का महाकालेश्वर मदिर भगवान शिव के बारह ज्योत्रिलिंगो मे से एक है ।इसलिए यहाँ हर बारह बरष बाद सिंहस्थ मेला लगता है ।उज्जैन मे सबसे जादा शिव के मंदिर है ।यहाँ की क्षिप्रा नदी भी पावन नदियों मे से एक है ।
उज्जैन ने अतीत की अनेक मानव सभ्यताओ को अपने मे जिया है ।यह शहर साक्षी है मानव के सबसे पुराने इतिहास का ' इसने समय के कितने उतार चढाव देखे होगे 'कभी उज्जैन शहर भी दिल्ली जैसा विशाल और विकसित शहर रहा होगा ।सुन्दर भी होगा ।अब फिर समय चक्र उज्जैन को  एक सुन्दर शहर के रूप मे बनाकर भविष्य मे ला रहा है ।

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

चोकीगढ के किले मे 'पारसमणी' है !

चोकीगढ का किला _यह किला मध्य प्रदेश के रायसेन जिले मे भोपाल जवलपूर राजमार्ग पर बाडी के 'बारना डेम ' मे एक पहाड़ पर बना है । कले पर जाने के लिए कोई सुगम रास्ता नही है । यह पहाड़ तीन तरफ से पानी मे घिरा है । केवल पूरव दिशा से किले के पहाड़ पर  एक पगडंडी जाती है । जो जंगल से होकर जाती है और यहाँ जंगली जानवरो का खतरा भी होता है । इसलिए इस किले पर बहुत कम लोग ही जाते है ।और यह किला सुनसान बीराने मे होने के कारण गुमनाम है । किले पर कोई पर्यटक नही जाते ' यहाँ केवल खोजी ' लोभी लोग ही जाते है ।
पर अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस किले को पर्यटन स्थल बनाने का निश्चय किया है ' और किले पर जाने के लिए रोड बनाने का भी आस्वासन दिया है । अब जल्दी ही चोकीगढ का किला प्रकाश मे आने बाला है ।
किले का इतिहास _यह किला सोलहवी सदी के आसपास का बना है ।यहाँ गोड बंश के राजा राज करते थे ।इस राज घराने के लोग  आज भी मोजूद है । टीकमशाह  और रज्जाक शाह दो भाई है जो सेमरी गाँव मे रहते है ।वह बताते है की देश गुलाम होने के बाद इस भाग पर भोपाल रियासत के नबाव का शासन था । यह नबाव  अभिनेता शेफ  अली खान के पूर्वज थे ।
पारसमणी_यहाँ का राजा किसानों सेकर के रूप मे लोहा लेता था 'जिसे वह सोने मे बदल लेता था ।क्योंकि उसके पास पारसमणी जो थी ।एक हमले के दोरान जब किले पर दुश्मन ने कब्ज़ा कर लिया ' तब यहाँ की रानी उस पारसमणी को लेकर बाउडी मे कुद कर मर गई । यह बाउडी किले के मुख्य दरवाजे के नीचे है । इसे माँनागन कहते है ।बताया जाता है की आज भी इसी माँनागन बाउडी मे है पारसमणी ।
जिसे ढुडने के लिए नबावी शासन मे नबाव ने इस बाउडी पर पानी खाली करने के लिए बडे बडे वाटर पंप रखवाए थे ।यह पंप आठ दिन तक लगातार चले पर बाउडी का पानी खत्म नही हुआ ' और बाउडी से विशालकाय सर्प बाहर निकलने लगे जिनहे देखकर नबाव के आदमी पंप चलते छोडकर भाग खडे हुए । और नबाव मणी खोजने मे सफल नही हो पाया ।
चोकीगढ के किले के तहखाने मे खजाना '
किले के तलघरे मे खजाना होने की बात भी कही जाती है । जो लोग  इस किले के तहखाने मे होकर  आए है वह बताते है की बहा भीतर कुछ नरकंकाल पडे है ।वहाँ भीतर  एक कक्ष भी है जिसका रहष्मय दरबाजा है ।इस कक्ष भे हमेशा उजाला रहता है ।और  इस तहखाने मे बडी भूलभुलाईया है जिससे इसमे भीतर जाने के बाद खजाना तो छोडो बाहर निकलना कठिन होता है ।और यहाँ बडा भयानक लगता है । इसी तहखाने के बंद कमरे मे खजाना होने की बात स्थानीय लोग बताते है ।
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सोमवार, 19 सितंबर 2016

अभिनेता ऋषिकपूर अवार्ड से सम्मानित हुए ।

प्रेम कुदरत के दुवारा मनुषय को दिया गया अनुपम  उपहार है । प्रेम की घटना हर मनुष्य के साथ घटती है । प्रेम  आत्म की प्यास है । प्रेम के बिना संसार सूना है । प्रेम मय जीवन स्वर्ग के समान है ।
अभिनेता ऋषि कपूर को मिला ' जयांटस  इंटरनेशनल  अवार्ड '
 भारतिय फिल्म जगत मे प्रेम  आधारित विषयों पर बनी  फिलमो मे कपूर परिवार के कलाकारो का पुराने समय से बहुत योगदान रहा है । पर पिछली सरकारो ने  कपूर परिवार को अबतक किसी अवार्ड से पुरूषकृत नही किया था । कपूर परिवार के सम्मान को लेकर  ऋषि कपूर मे पिछली सरकारों के प्रति कुन्ठा थी ।और  इसी वजह से उन्होंने एक बार यह वयान दिया था की _ सरकारी इमारते क्या किसी के बॉप की है जो उनके नाम राजनेताओ के नाम पर रखे है ।
पर  अब  इस बात की कमी को वर्तमान सरकार ने  पूरा कर दिया । कल मीडिया मे ऋषि कपूर को अवार्ड से सम्मानित होने का समाचार  आने पर ऋषि कपूर के चाहने बालो मे भी खुशी की लहर दोड  गई ।

कपूर घराना पहले पाक वाले हिस्से मे रहता था ।बटवारे के बाद कपूर परिवार माया नगरी मुम्बई मे आ कर बस गया ।
प्रमुख्य कपूर अभिनेता ।
कपूर परिवार के मुख्य अभिनेता अभिनेत्रियो मे ' राजकपूर ' शशिकपूर ' शम्मी कपूर ' दादा मुनि ' अनिलकपूर ' शक्तिकपूर ' ऋषिकपूर ' रणबीर कपूर ' करिश्मा कपूर ' करीना कपूर आदि के नाम मुख्य है ।
ऋषि कपूर अभनीत सुपरहिट फिल्मे है ।
बाबी ' चाँदनी ' नागिन ' बंजारन ' 'बडे घर की बेटी ' प्रेम रोग ' हिना ' आदि ।इन फिल्मों मे ऋषि कपूर का अभियान बहुत सराहनिय रहा है ।
कपूर परिवार के अभिनेताओ की सबसे बडी विषेसता यह रही की ' किसी भी कपूर अभिनेता ने अपने अभिनय की प्रशिद्धी का उपयोग राजनीती मे नही किया ।
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शनिवार, 17 सितंबर 2016

पित्रो को पानी देने का बिधान ।

हिंदू परंपरा मे क्वॉर मास के कृष्ण पक्ष का पखवाडा पित्रो को सर्मपित है ।यह पाख कडवे दिनों के रूप मे याद किया जाता है ।इस पाख मे हिंदू धर्म के लोग  अपने पुरखो को नदी नालो मे जाकर स्नान करते हुए जल  अर्पण करते है ' और  घर पर पुरखो के नाम से काग 'कुत्तो को खीर पकवान खिलाते है ।
यह सब देखकर मेरे मन मे प्रश्न  उठता है कि सावन भादो की भारी बरसा के बाद भी पुरखे प्यासे कैसे रह जाते है ' शायद वे संतान के हाथ का ही पानी पीते हो । या फिर यह पित्र पाख  उन लोगो के लिए हो जो लोग  अपने जिंदा मॉ बाप की सेबा नही कर पाते और  उनके मॉ बाप भूखे प्यासे ही मर जाते है ।जिसका पश्चाताप करने के लिए लोग  इस पाख मे अपने पुरखो को खिलाते पिलाते है । और  अपनी आत्मा को संती देते है ।
हिंदू सस्कृति मे आदमी की मृत्यु के बाद  उसकी आत्म की शंती के इतने बिधान है कि यदि सभी बिधानो को नियम  अनुसार दान पुन्य भोज से पूरा किया जाय तो उस परिवार की सारी जमापूजी और पेत्रिक संपत्ति मरने वाले के उपर ही ही खर्च हो जाएगी ।
आदमी के अंतिम संस्कार के बाद ' गंगा मे अस्थि बिसर्जन ' मृत्यु भोज '  छहमासी भोज ' श्राद  आदि ।
मृत्यु भोज
मैने सुना है की एक मृत्यु भोज के दोरान जव लोग पाडाल मे भोजन कर रहे थे उसी समय मरने बाला आदमी प्रकट हो गया और लोगो से पूछने लगा भाई कैसी बनी है मिठाई रायता स्वादिष्ट है या नही ' यह देख सुनकर लोग भूत भूत चिल्लाकर भागने लगे और देखते ही देखते पंडाल खाली हो गया । और फिर वह  आदमी भी गायव हो गया ।
आत्म की शंती के बिधानो की सच्चाई ।
जीवन  एक जलते हुए दिये के समान है ।जिसमे शरीर दिया है और  आत्म ज्योति है । आदमी के मरने के बाद मिट्टी का दिया जमीन पर ही पडा रह जाता है और ज्योति रूपी आत्मा आकाश मे बिलीन हो जाती है । मृत्यु के बाद  अंतिम संस्कार का बिधान तो सर्व मान्य है । इसके बाद मृत आत्मा की शंति के लिए किये जाने बाले सभी कर्मकांड व्यर्थ है । क्योंकि इनका कुछ भी असर मृत आत्मा पर नही होता  । यह सब तो पंडित पुरोहितो ने झूठा प्रपंच रचा है ' यह  एक सडियंत्र है  जिसमे लोगो को मूर्ख बनाकर  उनसे दान पुन्य भोज  आदि करवाकर  उनहे लूटा जाता है ' और  उनकी धन संपत्ति बरबाद कराई जाती है । 
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शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी ।

अब आएगे उपभोक्ताओं के अच्छे दिन ।
पिछले सप्ताह भारत सरकार ने अधिसूचना जारी की है जिसमे बताया गया है कि अब जल्दी ही सरकार एक  एसा कानून ला रही है ।जिसमे सरकार तय करेगी वस्तुओं की कीमत ' जिसमे खुदरा बाजार की वस्तुएं सरकार के निस्चित किये गरे रेट पर ही बिकेगी ' और MRP रेट खत्म हो जाएगा ।इस नियम के लागू होने पर कोई भी कंपनी ' व्यापारी ' अथवा दुकानदार  इस नियम का उलंघन करेगा तो उसे पॉच हजार रूपये का जुर्माना देना होगा ।इस कानून के आने से देश मे कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर लगाम लगेगी ।एवं महगाई कम होगी ।
आज बाजार मे यह हो रहा है की खुल्ली वस्तुएं जैसे खादय वस्तुएं दाले अदि वस्तुओं के मुल्य की तुलना मे ' कंपनियों की पेकिंग वाली ब्रांडेड वस्तुऔ के MRP रेट 40% तक  अधिक पाए जा रहे है । खुल्ली और पेकिंग बाली वस्तुओं के रेट मे भारी अंतर को देखते हुए ' सरकार का यह कदम सराहनिय है ।जो उपभोक्ताओं के हितो मे है ।अंदाजा यह लगता है की यह कानून GST के लागू होने से पहले ही लागू होगा ।
दुनिया की आर्थिक प्रणालीयॉ ।
संसार के अलग  अलग देशो मे तीन तरह की अर्थव्यवस्थाऔ का चलन है ।
समाजवाद_ इस व्यवस्था मे संपूर्ण संसाधनो पर सरकार का नियंत्रण और स्वामित्व होता है ।
पूजीवाद _ इस व्यवस्था मे देश के उत्पत्ती के साधनो पर व्यक्तियो का मलिकाना हक होता है । जैसे अमरीका मे पूजीवादी अर्थव्यवस्था अपनाई जा रही है ।
मिश्रित अर्थव्यावस्था _ इस  अर्थिक व्यवस्था मे  देश के ससाधनो पर सरकार  और व्यक्ति दोनो का मिलाजुला स्वामित्व होता है । भारत देश मे यही व्यवस्था अपनाई गई है ।
इसमे मुल्य तंत्र के संचालन को सरकार जनता के हितो के लिए ' अपनी कीमत नीति के तहत नियंत्रित करती है । इस व्यवस्था मे मुल्य तंत्र एक सीमा तक ही क्रियाशील रहता है ।
सीतामनी ए जीमेल डॉट कॉम

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

झूठी दबा का कमाल ।

झूठी दबाओ के चमत्कार देखिए ।
एक बार डॉक्टरों ने एक ही बीमारी के सौ रोगियों पर  एक प्रयोग किया ।50 रोगियो को सही दबा दी गई और 50 रोगियो को रंगीन पानी दिया गया ।इस बारे मे रोगियो को कुछ भी पता नही था की किसको क्या दिया गया है ।इस प्रयोग का आश्चर्य जनक परिणाम यह सामने आया कि जितने रोगी दबा से ठीक हूए ' उतने ही रोगी सादे रंगीन पानी से ठीक हुए ।
शराब छुडाने की झूठी दबा ।
एक सज्जन है जो शराब छूडाने गेरंटेड दबाई देते है ।इसकी फीस वे दस हजार रूपये लेते है ।क्योकि दबा 100% फायदेमंद है ।इसके सबूत के तोर पर  उन सज्जन के पास एक लिस्ट है जिसमे दबा से ठीक होने बालो के नाम पते मोजूद है । लेकिन दबा देने से पहले वह सज्जन शराबी से लिखवाकर यह पकका प्रमाण लेते है की मे अपनी मर्जी से पूरे होस हवास से शराब छोडने का निर्णय लेता हूँ ' जिसके लिए मै अमुख सज्जन से यह दबा ले रहा हू ' इस दबा से कोई हानी होने पर  इसका जिम्मेदार मे खुद रहूगा । सज्जन के अनुसार वे यह लिखित प्रमाण  इसलिए लेते है ।क्योकि इस दबा का सबसे बडा दुशपरिणाम यह है की दबा खाने के बाद  एक साल तक यदि शराबी ने धोखे से भी शराब का एक भी घूट पी लिया तो उसकी मोत होना निश्चित है ।इसका भी झूठा प्रमाण  उन सज्जन के पास है कुछ शराबी जो अव  इस दुनिया मे नही है ' उनके बारे मे वह सज्जन कहते है की वे लोग  इस दबा का दुर  उपयोग करने के कारण ही मरे है । हालाकी यह सही नही है पर वे शराबी को पक्का यकीन दिलाने के लिए एसा कहते है ।अब  इसका परिणाम यह होता है की जो लोग दबा खाने के बाद मरने के डर से शराब छोड देते है ' उनकी शराब की लत छूट जाती है ।और  उनका नाम सज्जन की लिस्ट मे लिखा जाता है ।और जो लोग दबा पर विश्वास नही करते या मरने से नही डरते उनकी शराब नही छूटती उपर से उनका दस हजार का नुकसान हो जाता है । यह है इस दबा की पूरी सच्चाई ।
लडका पैदा होने की झूठी दबा की सच्चाई ।
मैने एक  एसे बाबा के बारे मे सुना है जो गर्भबती महिलाऔ को लडका पैदा होने की जडी देता है ।जिसे खाने पर केवल लडका ही पैदा होता है ।
इसकी पूरी हकीकत यह है की जिन महिलाऔ को बाबा की जडी खाने से लडके पैदा हो जाते है ' { इसमे दबा का कोई काम नही होता यह तो लडका ही पैदा होना था } पर बाबा के कहने पर लडका पैदा होने बाले लोग बाबा के गॉव जाकर वहाँ के मंदिर पर भंडार करते है जिससे बाबा की दबा का प्रचार प्रशार होता है ।
जिन  औरतों को बाबा की जडी खाने पर भी लडकी पैदा होती है वे बापस लोटकर ही नही आती जिससे की बाबा की जडी झूठी साबित हो और दुशरे लोगो को हकीकत का पता चले ' और यदि कभी कोई औरत बाबा के गाव लडकी पैदा होने की शिकायत ले कर  आती भी है तो बाबा उलटा उसी को दोश देते है की तुमने खाने पीने मे परहेज नही किया होगा या नियम से दबा नही ली होगी आदि ।और फिर बाबा कहता है की मै कोई भगवान थोडी ना हू ' मैने तो दबा दी थी अब  आगे उपर बाले की मर्जी ' और तुम्हारी किसमत है । एसा कहकर बाबा उन्हें चुपचाप बिदा कर देता है ।
{घर का जोगी ' जोगडा आन गॉव का शिद्ध " दूर के ढोल सुहावने }

बुधवार, 7 सितंबर 2016

नकली चॉदी का चूडा ।

मेरा भारत महान ' बहुत अधविश्वासी देश है । अंधविश्वासो को पालने पोसने मे श्रम बिरोधी ब्राह्मणों का बहुत बडा हाथ है ।क्योंकि इनके धंधे तो अंधबिश्वास पर ही कायम है । मुंशी प्रेमचंद्र की रचना " गोदान " के पात्र  और वह जन जीवन  आज भी भारत के गॉवो मे बसता है ।
भादो मास के शुक्ल पक्ष की सातवी तिथि को संतान सातें के दिन माताए अपनी संतान की लंबी आयु की मंगल कामना करती है और  उपवास रखतीं है । एवं संतान की रक्षा के लिए उन्हें  चॉदी के कडे पहनाए जाते है । इस चूडा प्रथा के चलते  गॉव दिहातो मे नकली चॉदी के चूडे धडल्ले से बिकते है ।चूडा बेचने वाले सोनी गॉवो मे फेरी लगाकर चूडे बैचते है ।और चूडे का बिल या रशीद आदि कुछ भी नही देते ' चूडा नकली होनेमके सवाल पर केवल यह मोखिक तर्क देते है कि यदि चूडा नकली निकला तो हम  इसी कीमत पर बापस ले लेगे  ।
बेचारी गॉव की अनपढ़ गवार भोली महिलाए एक  एक रूपया जोड कर रखतीं है ।और संतान के लिये उस जमा पूजीं को गवा देती है । नकली चॉदी के चूडे बेचने वाले ठग  उन्हें ठग कर ले जाते है । जव दो चार साल मे चूडे इकट्ठा होने पर  इनहे बैचने ले जाया  जाता है तब  इन चूडो की अशलियत सामने आती है की यह चूडे तो नकली है । लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिडियॉ चुग गई खेत ।

  " जाग री नारी भविष्य तेरा ही है "
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।