मनुष्य के जीवन का राज़ यह है की मनुष्य खुद ही अपने जीवन का निर्माता और भाग्य विधाता है ।वह अपने जीवन की जैसी कल्पना करता है उसका जीवन वैसा ही बन जाता है ।रहष्य यह है की कल्पना ही सबकुछ है ।ब्यक्ति की जैसी कल्पना या सोच होती है वह परिणाम रूप मे साकार होती है यह कुदरत का नियम है । संसार की सभी वस्तुएं कल्पना के ही रूप है । किसी विचारक का कथन है की इंसान का दिमाग जिन चीजो को सोच सकता है ' इंसान उन्हें पा भी सकता है ।पुराणो मे कल्पबृक्ष की कथा है ' कामधेनु की कथा है ' अलादीन का चिराग कहानी है ।वैसे तो यह कहानियॉ काल्पनिक है । पर यह कहानीयाँ कल्पना की शक्ति को समझाने के लिए गढी गई थी । जैसे देवी देवता ' आत्मा परमात्मा ' ईश्वर आदि से सच्चे मन से पूरे विश्वास के साथ जो भी मागो वह मिलता है यह सच है । पर विश्वास पैदा नही होता क्योंकि देवी देवता आत्मा परमात्मा जिन्न कामधेनु कल्पबृक्ष ईश्वर आदि यह सब नाम उसी असीम शक्ति के है जिसे हम वृम्हाण कहते है । जो विसाल है और आखड है । उसे यह छोटे छोटे नाम रूप देने से वह खडित होता है और आदमी इसमे भ्रमित होता है ।
आदमी की कल्पना वृम्हाण को प्रभावित करती है फिर इसकी प्रतिक्रिया होती है ।और वृम्हाण कल्पना को साकार कर परिणाम रूप मे उसके स्रोत पर वापस लोटा देता है । एक बार जीसस ने अपने साथियो से कहा था की तुमहे पक्का भरोषा हो जाय की वह सामने का कहाड उडकर यहाँ आ जाएगा । तो सच मे ही वह पहाड उडकर यहाँ आ जाएगा ।
यही तो चमत्कार है कल्पना का । इस रहष्य को रॉन्डा बर्न की पुस्तक ' दा सीक्रेट ' मे विस्तार पूर्बक बताया गया है । इस किताब का हिन्दी अनुवाद भी हुआ है ।
संसार का रहष्य !
उमा कहहू मे अनुभव अपना ' सत हरी भजन जगत सब सपना ।
अर्थात : शिव शिवा से अपने अनुभव की बात कहते है की उमा यह सारा जगत एक सपना है । स्वप्न सपना सोच विचार यह सव कल्पना के ही रूप है । संसार की सभी वस्तुए कल्पना के ही साकार रूप है ।मनुष्यों का अपना व्यक्तित्व भी उनकी अपनी कल्पना का ही परिणाम है । अलवर आइंस्टीन के मुताविक पदार्थ भी विचार का ही रूप है ।
इस विषय मे किसी ने बहुत खूव कहा है _
सोच बदलो तो सितारे वदल जाएगे '
नज़र वदलो तो नजा़रे बदल जाएगे । यह सच है और यही राज़ है ।
आदमी की कल्पना वृम्हाण को प्रभावित करती है फिर इसकी प्रतिक्रिया होती है ।और वृम्हाण कल्पना को साकार कर परिणाम रूप मे उसके स्रोत पर वापस लोटा देता है । एक बार जीसस ने अपने साथियो से कहा था की तुमहे पक्का भरोषा हो जाय की वह सामने का कहाड उडकर यहाँ आ जाएगा । तो सच मे ही वह पहाड उडकर यहाँ आ जाएगा ।
यही तो चमत्कार है कल्पना का । इस रहष्य को रॉन्डा बर्न की पुस्तक ' दा सीक्रेट ' मे विस्तार पूर्बक बताया गया है । इस किताब का हिन्दी अनुवाद भी हुआ है ।
संसार का रहष्य !
उमा कहहू मे अनुभव अपना ' सत हरी भजन जगत सब सपना ।
अर्थात : शिव शिवा से अपने अनुभव की बात कहते है की उमा यह सारा जगत एक सपना है । स्वप्न सपना सोच विचार यह सव कल्पना के ही रूप है । संसार की सभी वस्तुए कल्पना के ही साकार रूप है ।मनुष्यों का अपना व्यक्तित्व भी उनकी अपनी कल्पना का ही परिणाम है । अलवर आइंस्टीन के मुताविक पदार्थ भी विचार का ही रूप है ।
इस विषय मे किसी ने बहुत खूव कहा है _
सोच बदलो तो सितारे वदल जाएगे '