दोस्तो आप बिचार करे तो आप अवश्य ही यह केलकूलेशन कर सकते हे'की हमारी मेहनत की कमाई का बहुत बडा भाग हमरे परिवार पर {बीमारी के दोरान}उनके ईलाज पर खरच हो जाता है। दोस्तो अगर हम इसी पैसे की बचत करले और बिमारियो से बचने के विकल्प खोजले तो हमे 100बरस की आयू एवं लाखो रुपये की बचत का अवशर मिल सकता है।
देखिए अगर आप हर साल बिमारी के खर्च का दस हजार रूपया बचाएगे तब सो बरस में10लाख यू ही वच जाएगे।
दोस्तो मे धन कमाने से आधिक धन बचाने पर गोर करता हू। आप विश्वास नही मानेगे' मेरा अपना परिवार का खर्च बीमारी या इलाज दबाईयो आदि के नाम पर जिरो है। केसे आईए जाने_लोग धन कमाने के जुनून मे अपनी शेहत पर ध्यान नही देते और उसे ख़ देते है। और फिर बापस अपनी शेहत पाने के चक्कर मे अपना कमाया हुआ रुपया भी खो बैठते है
[1]स्वास्थ ही पैसा है।
दोस्तो आपने अंग्रेजी की हय कहावत तो सुनी होगी 'हेल्थ इज़ दा बैल्थ' जो बिल्कुल सही है। दोस्तो यह मे आपने मन से नही लिख रहा हू। यह हमारे विचारको का मानना है। आज तक के इतिहास मैं आयूरबेद के दो ही बिख्यात रिशी हुए है। महारिशी चरक जिन्होने 'चरक सहिता 'नामक 'ग्ंथ लिखा है। दूसरे रिशी है। पतंजलि । एक वार महारिशी चहक से उनके शिष्यो ने पूछा था की गुरूदेव स्वस्थ का रहष्य क्या है। तब उनहोने बताया था ।की स्वस्थ का राज़ श्रम है। और मेइरे बिचार से अमीरी का राज़ भी श्रम ही है।
देखिए अगर आप हर साल बिमारी के खर्च का दस हजार रूपया बचाएगे तब सो बरस में10लाख यू ही वच जाएगे।
दोस्तो मे धन कमाने से आधिक धन बचाने पर गोर करता हू। आप विश्वास नही मानेगे' मेरा अपना परिवार का खर्च बीमारी या इलाज दबाईयो आदि के नाम पर जिरो है। केसे आईए जाने_लोग धन कमाने के जुनून मे अपनी शेहत पर ध्यान नही देते और उसे ख़ देते है। और फिर बापस अपनी शेहत पाने के चक्कर मे अपना कमाया हुआ रुपया भी खो बैठते है
[1]स्वास्थ ही पैसा है।
दोस्तो आपने अंग्रेजी की हय कहावत तो सुनी होगी 'हेल्थ इज़ दा बैल्थ' जो बिल्कुल सही है। दोस्तो यह मे आपने मन से नही लिख रहा हू। यह हमारे विचारको का मानना है। आज तक के इतिहास मैं आयूरबेद के दो ही बिख्यात रिशी हुए है। महारिशी चरक जिन्होने 'चरक सहिता 'नामक 'ग्ंथ लिखा है। दूसरे रिशी है। पतंजलि । एक वार महारिशी चहक से उनके शिष्यो ने पूछा था की गुरूदेव स्वस्थ का रहष्य क्या है। तब उनहोने बताया था ।की स्वस्थ का राज़ श्रम है। और मेइरे बिचार से अमीरी का राज़ भी श्रम ही है।
[2] जहं स्वछता है वहं लक्ष्मी है। ब्यक्यी को अपने अलावा अपने पूरे परिवेश को साफ सुथरा रखना चाहिए ।क्योकि जहं स्वछता होती है । वहं ईश्वर होता है 'और जहं ईश्वर होता है वहं धन की कमी नही रहती है आपने देखा होगा मंदिरो और अस्पताल आदि जैसी जगहो पर जहं सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है ।वहं कितना पैसा आता है ।
[3] न शामुक्त रहे 'धनवान बने । दोस्तो एक सरबे के आनुशार नशा करने बाले लोग शराव सिडरेट 'तम्बाकू आदि मादक पदारथो की खरीद पर अपने पूरे जीवन मे इतना रुपया उडा देते हे जितना कि एक बिशाल भवन बनाने मे खरच होता है । अब आप केल्कूलेशन करके देख सकते है। दोस्तो मादक बस्तूओ के सेवन से आदमी की 4 कीमती चीजे नष्ट होती है। जेसे _समय 'शरीर 'धन' इज्जत ।दोस्तो नशीली चीजो के सेवन के वगेर भी हमारा जीवन खुशहाल चलता है। तुलसीदास ने रामायण मे लिखा हे कि व्यशनी आदमी के पास कभी धन नही रह सकता है आपने भी एसे अनेक ल़ोग देखे होगे जो खूब पैसा कमाते है पर पेसा आते ही वे उसे शराव आदि पर पानी की तरह बहा देते हे और जीवन भर कंगाल बने रहते है। दोस्तो आगर आप भी आमीर बनना चाहते हे तो आपक़ इन बात़ो को अपने जीवन मे अमल मे लाना ही होगा ।यही अमीर बनने के गुर -सूत्र है । शुभ लाभ ।
Seetamni@gmail. com
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