गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

सबसे मेहगे मेवा की खोज ।

एक भारतीय दुर्लभ मेवा ।
उच्च कोटि के भारतीय मिष्ठानो मे प्रयोग किया जाने वाला एक बिशेष प्रकार का मेवा होता है ।जो महगे स्वीटस  आइटम एवं आइसक्रीम आदि मे सिर्फ आधा तुकडा ही देखने को मिल्ता है । यह मेवा दिखने मे भूरे रंग का ' कॉटे जैसा होता है । इसका स्वाद कसेला होता है । इसे मिठाई यो मे देखकर ब्यक्ति  आश्चर्य मे पड जाते है और सोचते है ।आखिर यह है क्या चीज फिर सोचते है । शायद कोई विदेशी बहुत मेहगा मेवा होगा ।और लोगो को भ्रमित करने के लिए ही इस मेवे का उपयोग मिष्ठानो मे किया जाता है । यह मेवा स्वाद मे भले ही कसेला होता है । पर  इसमे औषधीय गुण भी होते है ।
आम तोर पर व्यापारी इस मेवे को ऊची किस्म का ' चिलगोजा ' बताते है । पर यह चिलगोजा नही होता है ' क्योंकि चिलगोजा चीड के पेड के फल की गिरी को कहते है जो  आकार मे इससे मोटी एवं पूरी साबुत बिजी होती है ।
यह विशेष प्रकार का नया मेवा  है ' इसका बाजार भाव 2000रू प्रति किलो के लगभग होता है ।दरशल यह मेवा कुछ  और नहीं वल्कि अर्जुन के पेड के फल की गिरी है ।यह पेड भारत मे बिहार एवं मध्य प्रदेश मे नदियों और नालों के किनारे सबसे जादा पाया जाने वाला पेड है । जो 15 प्रजातियों मे पाया जाता है । इस पेड का बीज बहुत ही मजबूत होता है जिससे गिरी निकालना बहुत कठिन कार्य होता है । इसलिए इसे काटने पर गिरी भी साथ मे कट जाती है । काटने के आलावा गिरी निकालने का कोई उपाय नही होता है । यह काम काफी कठिन और जटिल होता है । एक फल मे एक ही गिरी पाई जाती है । अधिकंश फल खाली निकलते है जिनहे काटने की मेहनत बेकार ही जाती है । इन्ही सब कारणों से इस मेवा का उत्पादन कम होता है  एवं माग जादा' इसलिए यह मेवा मेहगा होता है । अगर भबिश्य मे  इस बीज से गिरी निकाने की कोई नई तरकीब निकाल ली जाएगी । तभी यह बहूमुल्य मेवा प्रचलन एवं प्रकाश मे आएगा ।

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