सारी दुनिया के संपूर्ण ज्ञान सार यह है कि _ भोजन मुफ्त मे नही मिलता " इसलिए मनुष्य को अपने जीवन मे कुछ न कुछ काम धंधा करना अनिवार्य होता है ।
कर्म प्रधान विश्व कर राखा' जो जस करे सो तस फल चाखा ।
अर्थात - संसार मे कर्म ही सबसे बडा माना गया है । जो आदमी जैसा काम करता है ' उसे उसका बैसा ही फल मिलता है ।
काम का फल नही छुटता फल मिलना तो अटल है । क्योकि कर्म से फल बधा होता है । इस संसार मे सबकुछ है 'परंतू बिना करम किए कुछ भी पाना असंभव है ।
एक बिचारक ने कहा है _ आदमी का दिमाग जिन चीजों को सोच सकता है ' आदमी उन चीजों को पा भी सकता है ।
" अपना हाथ जगन्नाथ "
युवक को अपने 18 साल का होने पर अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लेना चाहिए । कि उसे अपने जीवन मे क्या करना है । अपनी रुचि और इक्छा के अनुसार मनपसंद काम धंधे का चुनाव करना उचित होता है । जिसमे मॉता पिता को भी अपने युवा बच्चों के उपर काम के विषय मे अपना निर्णय नही थोपना चाहिए । कि उनहे डॉ बनाना है या पायलट बनाना है । क्योंकि इसके दुष्परिणाम सामने आते है । कुछ मॉ बाप बच्चों को अपने आदेश से काम धंधा करवाते है । जिससे युवा अपने रूचि बाले काम धंधे न कर पाने से कुठित होकर हिसक प्रवृति के बन जाते है । उदाहरण के लिए हिटलर अपने बच्चन मे चित्रकार बनना चाहता था पर उसके मॉ बाप ने उसे नही बनने दिया । फिर बडा होकर हिटलर ने जो किया उसे दुनिया जानती है । विश्व युद्ध ।
आज की युवा पीढ़ी आलसी स्वभाव की है जो शारीरिक श्रम के काम करना कम पसंद करती है । आराम के या दिमाग से काम करना अधिक पसंद करती है । जिसमे आज की शिक्षा का दोष है । कुछ युवा अपनी शिक्षा पूरी करने के उपरांत यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद अपने जीवन का लक्ष्य बनाते है और फिर कामकाज करना आरंभ करते है ।
और कुछ युवा एसे निठल्ले होते है जो कुछ भी काम धंधा नही करते और अपने बाप की कमाई पर ही रंगरलियॉ मनाते रहते है । एसे युवा अपनी शादी होने के कुछ दिन बाद ही लाइन पर आते है एवं फिर अॉखे खुलने पर ही काम धंधे का मार्ग अपनाते है । जो जादा सफल नही बन पाते । क्योंकि यह लोग बाढ आने के बाद नदी पार करना शुरू करते है जिसमें बहने के चान्स जादा रहते है । पार लगने के बहूत कम ।
दुनिया मे कुछ लोग एसे भी होते है जो मुफ्त मे कडी मेहनत का काम करना भी पसंद करते है ।
उदाहरण : मुझे बाजार मे लोहे की दुकान पर एक 70 साल का बूढा मिला जो मुफ्त मे लोहा उठाने का काम करता था । और वह रिटायर्ड पुलिस अॉफीसर था जो समय पास करने और शरीर की कसरत के लिए यह काम करता था ।
सोना उठाने का काम होता तो भी ठीक था ' पर लोहे का काम ' और एक धन संपन पुलिस आधिकारी ' वह भी मुफ्त मे ' है न अचरज की बात ' पर दुनिया मे पागलो की कमी नही है मित्रों एक ढुडो हजार मिलते है ।
Seetamni@gmail. com
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