बुधवार, 30 मार्च 2016

बचत कैसे करें ' राज़ की बातें !

समाज मे अक्सर यह देखा जाता है की लोगों की आय मे बढोत्री होने के साथ ही उनके खर्च भी बढते जाते है । और बचत के नाम पर  एक पैसा भी नहीं बचता ।एवं लोगों का कहना होता है कि पता ही नही चलता सारा पैसा कहाँ चला जाता है ।इस स्थित मे तो आदमी कमाते कमाते मर ही जाएगा परंतु कभी भी बचत नहीं कर पाएगा । क्योंकि कमाई के चक्कर मे वह कभी समय निकाल कर फुरसत मे बैठ कर यह नही सोचता कि आखिर उसका रूपया कहाँ और कैसे खर्च होता है ।अगर  आदमी इस सवाल का सही उत्तर खोज ले तो उसे बचत का राज़ पता चल जाएगा ।
बचत का राज़
हमारी सबसे बडी चूक या गलती यह है कि हम  अपनी हर छोटी बडी जरूरत को तुरंत पैसे से पूरा करते है । हम  अपनी सभी जरूरतों की पूर्ती के लिए एक मात्र धन का विकल्प अपनाते है । जबकि जरूरत पूरी करने के लिए धन के अलावा भी हमारे पास  अन्य कई विकल्प होते है ' पर वे जरूरत के समय हमारे दिमाग मे इसलिए नही आते क्योंकि  हमें अपनी जरूरत तुरंत पैसे से पूरा करने की पुरानी आदत होती है ।
बचत के दो गुप्त उपाय !
[1] जरूरत महसूस होने पर विचार करें 'और जरूरत को पहचाने की क्या सच मे यह जरूरी जरूरत है या फिर केवल मन की चाहत है ।यदि चाहत है तो नकार दे ' जरूरी जरूरत है तब पूरी करें ।
[2] असली एवं नकली जरूरत की पहचान करने के लिए ' जरूरत आने पर  उसे तुरंत पूरी न करे । कुछ देर रुके ' इस  अंतराल मे नकली जरूरत या चाहत  अपने आप ही समाप्त हो जाएगी । असली जरूरत दुबारा पैदा होगी और पूरी न होने पर बार बार पैदा होगी ।

  • बबत के स्वर्णिम सूत्र GOLDEN TIPS .
  • जरूरत पडने पर  उसे मुफ्त मे पूरा करने का रह संभव विकल्प सोचे ।
  • किसी वस्तु की जरूरत पडने पर सोचें कि क्या हम यह वस्तु खरीदने के वजाए खुद बना सकते है ' यदि हाँ तब काम चल जाएगा ।
  • किसी चीज की जरूरत होने पर  उसकी जगह किसी दुशरी चीज से काम चल सके तो चलाए ।
  • कोई जरूरत का सामान जरूरत के समय खराब पाया जाने पर  उसे बदलने के बजाए ठीक करने का उपाय करें ।
  • कोई काम अटक जाने पर दोस्त' रिस्तेदार ' या परिवार के सदस्यों की सहायता से काम चलाए ।
  • जरूरत पडने पर सोचें कि क्या यह वस्तु या सेवा किराए पर लेना उचित होगा । यदि कम समय की जरूरत है तो किराए से काम चलाए ।
  • क्या यह जरूरी वस्तु सेकिंड हेन्ड खरीदना सही होगा 'यदि हाँ तो खरीदें ।
  • जरूरत को किसी अन  उपयोगी वस्तु के बदले मे पूरा किया जा सके 'तो इसमें कोई बुराई नहीं ।
उपरोक्त विकल्पो के अलावा भी जरूरतें पूरी करने के अन्य कई विकल्प हो सकते है ' जिन्हें जरूरत के समय  अमल मे लाने से जरूरत पूरी होने के 90% चान्स होते है । यदि फिर भी जरूरत पूरी न हो तब  अंतिम विकल्प के रूप मे पैसे का उपयोग जरूरत पूरी करने के लिए करना ही उचित होता है ।
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