🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌿🌾🌽🌽यह बात तो प्रमाणित है कि पेड पौधे सजीव होते है । माना की पौधों मे मनुष्य जितनी प्रकट आत्म नही होती फिर भी पौधे संवेदनशील होते है । इसका जीता जागता उदाहरण लाजवंती का पौधा है जो हाथ लगाने पर डर कर अपनी पत्तियों को सिकोड लेता है ।
भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने बीसवीं सदी के आरंभ मे पेड पौधों की संवेदनशीलता को प्रमाणित किया था । जगदीश चंद्र बसु के अनुसार पैड पौधे सुख ' दुख 'दर्द 'डर ' खुशी आदि संवेदनाओ को मानव एवं पशुओं जितना ही महसूस करते है । इस सत्य को भारत के रिशि मुनियों ने दुआपुर युग मे ही जान लिया था । तभी से पेड़ पौधों सम्मान देने के लिए । पेड़ पौधों की पूजा अर्चना की प्रथा का आरंभ हुआ जो आज भी बरकरार है । आज भी तुलसी बट पीपल आदि पेड़ पौधों की पूजा होती है ।
योगिक खेती क्या है ?
शाश्रवत योगिक खेती की इस नई पद्धति की खोज 'प्रजापिता बृहम्कुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय संस्था ने की है ।
बिधि_बीजों को बोने से पहले एक कमरे मे रखकर किसान को वहाँ बैठकर ध्यान लगना होता है ' एवं ध्यान के माध्यम से ईश्वर की उर्जा को बीज मे भरने का उपाय किया जाता है । फिर इन बीजों को हस्ते गाते हुए खुशी खुशी खेत मे बो दिया जाता है । इसके बाद पौधे कुछ बडे होने पर महिलाएं गीत गाते हुए पौधों की निदाई गुराई करतीं है एवं पौधों पर अपने बच्चों की तरह प्यार दुलार लुटाती है ।
किसान रोज सुबह सुबह खेत मे लोभान या धूप आथवा गूगल जलाकर सुगंध फैलाते है । और फसल पर अपनी प्रेम भरी नजर डालते है ।अतः खेत मे घूम फिरकर पौधों पर हाथ फेरते हुए पौधों को प्यार बाँटते है । खेतों मे मधुर कर्णप्रिय संगीत वजाया जाता है । इन सभी क्रिया कलापो के दुवारा भावना एवं ध्वनि तरंगों से पौधों पर साकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव डाला जाता है । जिससे परिणाम स्वरूप पौधे प्रसन्न होकर खूब फूलते फलते है । और किसान को भरपूर पैदावार देते है
नोट_ उपरोक्त लेख कोई मजाक नही है ।योगिक खेती के अनेक प्रयोग हुए है । जिनके परिणाम से अब यह प्रमाणित हो चुका है कि योगिक खेती से पैदावार बढने की बात सोलह आना सत्य है ।🍇🍅🍇🍅🍆🍇🍆🍅🍇🍆🍅🍇🍆🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱
Seetamni@Gmail. com
***********************************************
भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने बीसवीं सदी के आरंभ मे पेड पौधों की संवेदनशीलता को प्रमाणित किया था । जगदीश चंद्र बसु के अनुसार पैड पौधे सुख ' दुख 'दर्द 'डर ' खुशी आदि संवेदनाओ को मानव एवं पशुओं जितना ही महसूस करते है । इस सत्य को भारत के रिशि मुनियों ने दुआपुर युग मे ही जान लिया था । तभी से पेड़ पौधों सम्मान देने के लिए । पेड़ पौधों की पूजा अर्चना की प्रथा का आरंभ हुआ जो आज भी बरकरार है । आज भी तुलसी बट पीपल आदि पेड़ पौधों की पूजा होती है ।
योगिक खेती क्या है ?
शाश्रवत योगिक खेती की इस नई पद्धति की खोज 'प्रजापिता बृहम्कुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय संस्था ने की है ।
बिधि_बीजों को बोने से पहले एक कमरे मे रखकर किसान को वहाँ बैठकर ध्यान लगना होता है ' एवं ध्यान के माध्यम से ईश्वर की उर्जा को बीज मे भरने का उपाय किया जाता है । फिर इन बीजों को हस्ते गाते हुए खुशी खुशी खेत मे बो दिया जाता है । इसके बाद पौधे कुछ बडे होने पर महिलाएं गीत गाते हुए पौधों की निदाई गुराई करतीं है एवं पौधों पर अपने बच्चों की तरह प्यार दुलार लुटाती है ।
किसान रोज सुबह सुबह खेत मे लोभान या धूप आथवा गूगल जलाकर सुगंध फैलाते है । और फसल पर अपनी प्रेम भरी नजर डालते है ।अतः खेत मे घूम फिरकर पौधों पर हाथ फेरते हुए पौधों को प्यार बाँटते है । खेतों मे मधुर कर्णप्रिय संगीत वजाया जाता है । इन सभी क्रिया कलापो के दुवारा भावना एवं ध्वनि तरंगों से पौधों पर साकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव डाला जाता है । जिससे परिणाम स्वरूप पौधे प्रसन्न होकर खूब फूलते फलते है । और किसान को भरपूर पैदावार देते है
नोट_ उपरोक्त लेख कोई मजाक नही है ।योगिक खेती के अनेक प्रयोग हुए है । जिनके परिणाम से अब यह प्रमाणित हो चुका है कि योगिक खेती से पैदावार बढने की बात सोलह आना सत्य है ।🍇🍅🍇🍅🍆🍇🍆🍅🍇🍆🍅🍇🍆🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱🍁🌱
Seetamni@Gmail. com
***********************************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें