मित्रो यह वही चक्की है जो लालभुजक्कड की समझ मे आई थी । और गॉव के रास्ते की धूल पर पडे निशानो के बारे मे गॉव बालो के पूछने पर लालभुजक्कड जी ने कहा था कि _ लालभुजक्कड बुझ के और न बूझे कोय' पैर मे चक्की बॉध के कोई हिरना कूदा होय ।
यह चक्की गवाह है मानव सभ्यता की इसने अनेक जमाने देखे होगे ' क ई स्त्रियों ने इसे चलाते हुए गीत गाए होगे 'इसने अपने आटे से कितनो की भूख मिटाई होगी ।
पर अब यह शंत और मोन बैठी है घर के किसी सुनसान कोने मे और गवाही देती है अतीत की जो समय गुजर गया है ।
यह चक्की गवाह है मानव सभ्यता की इसने अनेक जमाने देखे होगे ' क ई स्त्रियों ने इसे चलाते हुए गीत गाए होगे 'इसने अपने आटे से कितनो की भूख मिटाई होगी ।
पर अब यह शंत और मोन बैठी है घर के किसी सुनसान कोने मे और गवाही देती है अतीत की जो समय गुजर गया है ।
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