शनिवार, 3 सितंबर 2016

हाथ की चक्की

मित्रो यह वही चक्की है जो लालभुजक्कड की समझ मे आई थी । और गॉव के रास्ते की धूल पर पडे निशानो के बारे मे गॉव बालो के पूछने पर लालभुजक्कड जी ने कहा था कि _ लालभुजक्कड बुझ के और न बूझे कोय' पैर मे चक्की बॉध के कोई हिरना कूदा होय ।
यह चक्की गवाह है मानव सभ्यता की इसने अनेक जमाने देखे होगे ' क ई  स्त्रियों ने इसे चलाते हुए गीत गाए होगे 'इसने अपने आटे से कितनो की भूख मिटाई होगी ।
पर  अब यह शंत  और मोन बैठी है घर के किसी सुनसान कोने मे और गवाही देती है अतीत की जो समय  गुजर गया है  ।

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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।