नवदूर्गा के आते ही ध्वनि प्रदूषण तेज हो जाता है ।जो दस दिन तक लोगों की रातों की नीद हराम करता है । हर झाँकी पर लाऊडस्पीकर लगे होते है जिन पर दिन रात भनन के रिकॉर्ड बजते है ।जिनसे निकलने वाली तेज ध्वनि तरंगों के कारण लोगों का ध्यान भटकता है 'विचार विषय का शोध नही कर पाता ' जिससे लोगों को काम काज के निर्णय लेने मे कठिनाई होती है । लोगों को आपसी संवाद मे भी बाधा महसूस होती है । झॉकियो पर लगे माइक की तेज आवाज से बच्चों की पढाई भी बहुत प्रभावित होती है । कुछ दुर्गा झॉकी पर तो बडे बडे डी जे साऊड बजते है ' जिनसे निकलने बाली तेज आवाज कान फोडती है । इस आवाज का असर नवजात बच्चों के कान पर बहुत घातक हो सकता है ।
रवरात्र मे होने वाले ध्वनि शोरगुल के बिरोध मे आवाज उठाने पर स्थानिय दुर्गा उत्सव समीतियॉ चढ बेठती है ' उनका कहना होता है की हमारी आस्था पर ठेस पहुचाई जा रही है ।
पर धर्म की आड मे रात दिन लगातार तेज आवाज मे माइक बजाने की मनमानी सरासर गलत है । इस विषय पर कडे नियम कानून लागू होने की जरूरत है । नियम अनुसार रह झॉकी पर सुवह शाम एक एक घंटे पूजा आरती के समय पर ही माइक बजना एलाऊड होना चाहिए । सही मायने मे वही धार्मिक कार्यक्रम सही होता है जिससे दूशरो को असुबिधा नही होना चाहिए ।
🌹🌹 "जय दुर्गे ' जय अम्बे "🌹🌹
रवरात्र मे होने वाले ध्वनि शोरगुल के बिरोध मे आवाज उठाने पर स्थानिय दुर्गा उत्सव समीतियॉ चढ बेठती है ' उनका कहना होता है की हमारी आस्था पर ठेस पहुचाई जा रही है ।
पर धर्म की आड मे रात दिन लगातार तेज आवाज मे माइक बजाने की मनमानी सरासर गलत है । इस विषय पर कडे नियम कानून लागू होने की जरूरत है । नियम अनुसार रह झॉकी पर सुवह शाम एक एक घंटे पूजा आरती के समय पर ही माइक बजना एलाऊड होना चाहिए । सही मायने मे वही धार्मिक कार्यक्रम सही होता है जिससे दूशरो को असुबिधा नही होना चाहिए ।
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