वीरंगना रानी अवंतीबाई
प्रथम आजादी की लडाई की वीरंगना रानी अवंतीबाई लोधी ' रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गाबती की श्रेणी मे आती है ।पर उन्हें बहुत कम लोग ही जानते है । इसका कारण है की अवंती रानी को इतिहास मे संमान नही मिला ।लेकिन पिछ्ले दशको मे खोजी लेखको ने इतिहास के बिखरे पन्नों से रानी अवंतीबाई लोधी का इतिहास इकट्ठा किया और रानी को समाज के सामने प्रकाशित किया है । मध्य प्रदेश के जवलपुर आदि शहरो मे स्मारक के रूप मे रानी अवंतीबाई की प्रतिमाए स्थापित हुई है । भरतिय डॉक विभाग ने भी सन 2001 मे रानी अवंतीबाई लोधी के नाम पर डाक टिकिट जारी किया था । मध्य प्रदेश् के शिक्षा पाठय क्रम मे भी रानी अवंतीबाई लोधी पर पाठ जोडागया है ।
रानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 1831 मे मध्य प्रदेश के सिवनी जिले मे मनकेडी गाव के जमीदार जुझार सिह के घर हुआ था । उनका विवाह रामगढ (मडला ) रियासत के राजकुमार बिक्रम सिंह के साथ हुआ था । जव बिक्रम सिंह राजा बने तो वह धार्मिक प्रवृती के होने के कारण अपना समय पूजा पाठ मे अधिक लगाते थे एसी स्थित मे रानी ही राज्य सभालतीं थी उनके दो पुत्र थे ।
सन1952 मे अंग्रेजो ने. कोर्ट अॉफ अवर्डस ' कानून के तहत राजा बिक्रम को पागल और बच्चों को नाबालिग घोसित कर रामगढ रियासत पर अधिकार करने लगे जिसका रानी ने बिरोध किया ।1954 के आसपास राजा विक्रम की स्वभाविकमृत्यू हो गई ।
सन 1858 मे अग्रेजो ने युद्ध करके रामगढ का किला पर कब्जा कर लिया ।रानी अवंतीबाई ने पढोसी राजाओ के पास शरण ले ली और जमीदारो एवं पढोसी राजाओ के साथ मिलकर अंग्रेजो के बिरुध 'देवहागढ' युध किया । इस युद्ध मे रानी अपनी तलवार से अंत तक अंग्रेजो को काटती रही ।रानी घोडे पर बैठकर लड रही थी ।यह युद्ध एक पखवाडा चला पर रानी ने हार नही मानी जव रानी के पास गिने चुने सेनिक ही बचे तब रानी ने समझ लिया कि अब जरूर अंग्रेज उसे बंदी बना लेगे । इससे पहले की रानी को दुश्मन बंदी बनाते ' रानी अवंतीबाई ने अपनी ही तलवार से वीर गती पा ली ।
मध्य प्रदेश के मंडला मे नारायणगंज के पास रानी अवंतीबाई लोधी का किला आज भी है । जो रामगढ का किला के नाम से जाना जाता है । उस समय रामगढ रियासत का विस्तार अमरकंटक तक था । अब इस राज का बहुत सा भाग नर्मदा नदी पर बने बरगी बॉध के पानी मे डूव जाता है ।
मध्य प्रदेश सरकार इस किले को पर्यटन स्थल का स्थान बनाकर बहुत सी बिदेशी मुद्रा कमा सकती है । क्योंकि इस किले के पास बरगी डेम का पानी होने से इस किले की सुंदता को चार चॉद लग जाएगे ।
प्रथम आजादी की लडाई की वीरंगना रानी अवंतीबाई लोधी ' रानी लक्ष्मीबाई और रानी दुर्गाबती की श्रेणी मे आती है ।पर उन्हें बहुत कम लोग ही जानते है । इसका कारण है की अवंती रानी को इतिहास मे संमान नही मिला ।लेकिन पिछ्ले दशको मे खोजी लेखको ने इतिहास के बिखरे पन्नों से रानी अवंतीबाई लोधी का इतिहास इकट्ठा किया और रानी को समाज के सामने प्रकाशित किया है । मध्य प्रदेश के जवलपुर आदि शहरो मे स्मारक के रूप मे रानी अवंतीबाई की प्रतिमाए स्थापित हुई है । भरतिय डॉक विभाग ने भी सन 2001 मे रानी अवंतीबाई लोधी के नाम पर डाक टिकिट जारी किया था । मध्य प्रदेश् के शिक्षा पाठय क्रम मे भी रानी अवंतीबाई लोधी पर पाठ जोडागया है ।
रानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 1831 मे मध्य प्रदेश के सिवनी जिले मे मनकेडी गाव के जमीदार जुझार सिह के घर हुआ था । उनका विवाह रामगढ (मडला ) रियासत के राजकुमार बिक्रम सिंह के साथ हुआ था । जव बिक्रम सिंह राजा बने तो वह धार्मिक प्रवृती के होने के कारण अपना समय पूजा पाठ मे अधिक लगाते थे एसी स्थित मे रानी ही राज्य सभालतीं थी उनके दो पुत्र थे ।
सन1952 मे अंग्रेजो ने. कोर्ट अॉफ अवर्डस ' कानून के तहत राजा बिक्रम को पागल और बच्चों को नाबालिग घोसित कर रामगढ रियासत पर अधिकार करने लगे जिसका रानी ने बिरोध किया ।1954 के आसपास राजा विक्रम की स्वभाविकमृत्यू हो गई ।
सन 1858 मे अग्रेजो ने युद्ध करके रामगढ का किला पर कब्जा कर लिया ।रानी अवंतीबाई ने पढोसी राजाओ के पास शरण ले ली और जमीदारो एवं पढोसी राजाओ के साथ मिलकर अंग्रेजो के बिरुध 'देवहागढ' युध किया । इस युद्ध मे रानी अपनी तलवार से अंत तक अंग्रेजो को काटती रही ।रानी घोडे पर बैठकर लड रही थी ।यह युद्ध एक पखवाडा चला पर रानी ने हार नही मानी जव रानी के पास गिने चुने सेनिक ही बचे तब रानी ने समझ लिया कि अब जरूर अंग्रेज उसे बंदी बना लेगे । इससे पहले की रानी को दुश्मन बंदी बनाते ' रानी अवंतीबाई ने अपनी ही तलवार से वीर गती पा ली ।
मध्य प्रदेश के मंडला मे नारायणगंज के पास रानी अवंतीबाई लोधी का किला आज भी है । जो रामगढ का किला के नाम से जाना जाता है । उस समय रामगढ रियासत का विस्तार अमरकंटक तक था । अब इस राज का बहुत सा भाग नर्मदा नदी पर बने बरगी बॉध के पानी मे डूव जाता है ।
मध्य प्रदेश सरकार इस किले को पर्यटन स्थल का स्थान बनाकर बहुत सी बिदेशी मुद्रा कमा सकती है । क्योंकि इस किले के पास बरगी डेम का पानी होने से इस किले की सुंदता को चार चॉद लग जाएगे ।
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