दुनिया मे सफलता सभी चाहते है । पर बहुत कम लोग ही सफल होते है बाकी असफल रहते है आखिर एसा क्यों होता है ? इसका उत्तर पाने और सफलता की चाबी ढूंढने के लिए ' सफलता और असफलता पर दुनिया मे बहुत शोध हुआ है । जिसके परिणाम मे जो बात निकल कर सामने आई वह यह है की कुछ उसुलो को बार बार अमल मे लाने का नतीजा ही सफलता होती है । वे उसूल एवं गुर सूत्र है जैसे _ कडी मेहनत ' लगन ' गहरी इच्छा ' निरंतरता ' हर आदमी को खुश न करना ' साकारात्मक नजरिया और अवसर की पहचान आदि ।
अवसर की पहचान
किसी भी काम का योग बनाने मे समय और मेहनत लगती है ।पर कभी कभी कुदरती योग बनता है ।जो किसी काम को पूरा करने का स्वर्णिम अवसर होता है । हमे उस अवसर को पहचान कर उसका लाभ लेने की जरूरत होती है । कभी कभी अवसर बाधा के रूप मे भी आते है । हमारे पास अवसर को पहचानने की नजर होनी चाहिए ' विचारको के अनुसार हर समस्या अपने साथ कोई ना कोई अवसर जरूर लाती है । अवसर समस्या के बराबर या उससे बडा छोटा भी हो सकता है । एक बात और हर दूशरा अवसर ठीक पहले अवसर जैसा कभी नही आता भले ही वह पहले अवसर से और भी बेहतर क्यों ना हो पर बिलकुल पहले अवसर जैसा नही हो सकता है ।
कार्यो मे सहायक और बाधक कारक ।
हम हर काम तुरंत पूरा करना चाहते है पर एसा नही होता है । क्योंकि काम पूरा करने के लिए कुछ कारको का योग होना जरूरी होता है । जब तक उस काम से सवंधित कारक अनुकूल नही होगे तव तक वह काम पूरा करना असंभव होता है । इन कारको मे पहले कारक हम खुद होते है इसके बाद दूशरा व्यक्ति ' वस्तुए ' रूपये ' मोषम ' और समय है ।
कामो मे बाधक उपरोक्त छह कारको मे से पॉच कारको के अन्य विकल्प अपनाकर काम चलाया जा सकता है । पर समय एक एसा कारक है । जिसका इंतज़ार करने के अलावा और कोई विकल्प नही होता है ।
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अवसर की पहचान
किसी भी काम का योग बनाने मे समय और मेहनत लगती है ।पर कभी कभी कुदरती योग बनता है ।जो किसी काम को पूरा करने का स्वर्णिम अवसर होता है । हमे उस अवसर को पहचान कर उसका लाभ लेने की जरूरत होती है । कभी कभी अवसर बाधा के रूप मे भी आते है । हमारे पास अवसर को पहचानने की नजर होनी चाहिए ' विचारको के अनुसार हर समस्या अपने साथ कोई ना कोई अवसर जरूर लाती है । अवसर समस्या के बराबर या उससे बडा छोटा भी हो सकता है । एक बात और हर दूशरा अवसर ठीक पहले अवसर जैसा कभी नही आता भले ही वह पहले अवसर से और भी बेहतर क्यों ना हो पर बिलकुल पहले अवसर जैसा नही हो सकता है ।
कार्यो मे सहायक और बाधक कारक ।
हम हर काम तुरंत पूरा करना चाहते है पर एसा नही होता है । क्योंकि काम पूरा करने के लिए कुछ कारको का योग होना जरूरी होता है । जब तक उस काम से सवंधित कारक अनुकूल नही होगे तव तक वह काम पूरा करना असंभव होता है । इन कारको मे पहले कारक हम खुद होते है इसके बाद दूशरा व्यक्ति ' वस्तुए ' रूपये ' मोषम ' और समय है ।
कामो मे बाधक उपरोक्त छह कारको मे से पॉच कारको के अन्य विकल्प अपनाकर काम चलाया जा सकता है । पर समय एक एसा कारक है । जिसका इंतज़ार करने के अलावा और कोई विकल्प नही होता है ।
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