में जब भी कभी सुनता हू प्रेम के कहीं '
तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी '
तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी '
तब नाइका मे तुम नजर आती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी '
तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना '
मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे ।
मे पत्थर था तुम कंचन हो पर फिर भी अभी '
पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे ।
मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह '
फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।
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तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी '
तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी '
तब नाइका मे तुम नजर आती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी '
तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना '
मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे ।
मे पत्थर था तुम कंचन हो पर फिर भी अभी '
पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे ।
मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह '
फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।
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