मंगलवार, 5 जनवरी 2016

चारोली की खेती ।

चारोली _ चार' पयाल ' नामक पेड के पके फलों की गुठली से निकलने वाली गिरी चारोली होती है । चारोली एक कीमती मेवा है ।जिसका बाजार मूल्य 1000 रू किलो होता है । चार के पेड़ भारत के जंगलों मे प्राकृतिक रूप से पाये जाते है । जो मध्यप्रदेश के जंगलों मे सबसे अधिक पाए जाते है । पर  अब  इनकी संख्या घटती जा रही है । 
चारोली की बढती मॉग को देखते हूए ' देश मे कही-कही चारोली की खेती के प्रयास किए जा रहे है ।जो सफल हो रहे है । भविष्य मे चारोली की खेती एक लाभ के धंधे के रूप मे उभर कर प्रकाश मे आएगी ।
चरोली की खेती करने के लिए ' सबसे पहले पैधे तैयार करना होता है ।इस बिधि मे चार पेड के पके फलो की गुठलीयो को हल्की ठोकर से थोड़ी -थोडी चटकाने के उपरांत इनहे जून माह के अंत मे पहली बारिश के बाद जमीन मे दबा दिया जाता है । जो बारिश मे उग जाती है ।( यह प्रयोग किया जा चुका है जो सफल रहा ) एक साल बाद  इन पौधों को खेतों मे रोपण कर दिया जाता है ।जो पॉच -छह साल बाद  उत्पादन देने लगते है । पहले साल  उत्पादन कम होता है । पर जैसे जैसे पेड़ बढते जाते है बैसी उत्पादन मे बढोत्री होती जाती है । चार  एक बहू बर्षीय जंगली पेड़ है । जो साल मे एक बार गरमीयो के मोसम मे आम के साथ ही फलता फूलता है । एक विकसित चार के पेड़ मे 10 से25 किलो तक गुठलियॉ निकलती है ' यह गुच्छो मे फलता है । इसके पके फल भी बहुत ही स्वादिष्ट होते है ,। यहाँ शायद यह कहना उचित होगा कि_ चार के चार और गिरी का व्यापार ' ।
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शनिवार, 2 जनवरी 2016

भविष्य मे भारत की तस्वीर ।


भाभविष्य
भविष्य  को जानना य भविष्य की बात बताया जाना 'यह कोई देविक चमत्कार नही है ।यह एक गणित है ।जिसके दुआरा बर्तमान स्थित का अवलोकन करके उसका भावी फरिणाम निकाला जाता है । लेकिन यह सवाल पुरी तरह से सही हल होना चाहिए । हजारों साल पहले विचारको ने वह घटनाएं गृंथो मे लिख दी थी 'जो आज प्रत्यक्ष समाज मे घटित हो रही है ।

मानव समाज मे किसी भी नये बदलाव का चलन पहले उच्च वर्ग मे दिखता है ।फिर मध्यम वर्ग मे 'निम्न वर्ग के लोग सबसे आखरी मे  बदलाव को अपना पाते है । जब तक वह फेशन खत्म ही हो जाता है ।

बुद्धिमान ब्यक्ति वह माना जाता है । जो अपने विचार से भविष्य मे आने वाले बदलाव की कल्पना पहले ही कर लेता है । और उसी के अनुसार योजना बना कर तैयार रहता है ' जब समाज मे वह वदलाव की स्थित आ जाती है ' तब एसे लोग समय के साथ चलने लगते है । यही बुद्धिमान लोग बदलाव का पूरा लाभ एवं लुफ्त उठाते है ।
सन 2025 तक भरत मे होने वाले संभावित बदलाव कुछ इस प्रकार हो सकते है।
(1) भारत के गॉव और शहरों के रहन सयन मे कोई अंतर नही रहेगा ।हर परिवार के पास अपना बंगला नुमा पक्का मकान होगा जो टायलेट' बिजली' पानी आदि बुनियादी सुख सुविधाओं से पूर्ण होगा ।

(2) हर घर मे गैस चुल्हे का उपयोग होगा ।एवं रोटी मेकर का उपयोग किया जाएगा ।
(3)  सर्वाधिक परिवारो के पास आवागमन के साधन के रूप मे वाइक के स्थान पर कार आ जाएगी ।

(4) घरो मे टी वी के स्थान पर लेपटाप कंप्यूटर होगे । जिन पर इंटरनेट का उपयोग एक आम बात हो जाएगा ।
(5) सडको पर बडे हेवी वाहन जैसे क्रेन ' बोरिंग मशीन' हायरबेस्टर' खुदाई मशीन' बडे ट्रक'  अधिक दिखाई देगें ।
(6) खेती कृषि के कामों मे रिमोट कंट्रोल से चलने वाले ट्रेकटर एवं कीटनाशक दबा छिडकाव यंत्र भी रिमोट से चलने वाले होगें ।
(7)दैनिक उपयोग की वस्तुओं मे प्लास्टिक की वस्तुएं सबसे जादा होगीं और खादय पदार्थ मे फास्ट फूड का अधिक स्तमाल होगा ।
(8) बच्चों की पढाई के वस्ते का बोझ बिलकुल कम होगा ' टेक्स्ट बुक की जगह पर डिजिटल बुक्स आ जाएगी ।
दुनियां मे आम आदमी के लिए छोटे हेलीकॉप्टर अलाऊड हो सकते है । जिन्हें कोई भी कार की तरह खरीद कर आसमान की सैर कर सकेगा ।
और आने वाले समय मे मंगल या किसी अन्य गृह पर जीवन संभव होना निस्चित है ।
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सोमवार, 28 दिसंबर 2015

सोना बनाने की तकनीक ।

सोना
इस जगत मे मनुष्य के लिए कुछ भी करना संभव है ।भारत प्राचीन काल से ही खोज के मामले मे विश्व मे आगे रहा है । जव भारत को सोने की चिडिया कहा जाता था उस समय भारत मे अटूट सोना था।आज भी भारत मे सोने के खजाने है ।पर  इतना सोना भारत मे आया कहॉ से होगा ।जरूर उस समय भारत मे सोना बनाने की कृतिम तकनीके विकसित रही होगी ।जिनसे सोना बनाया जाता होगा ।
सोना बनाने की प्राकृतिक बिधि -इस बिधि की जानकारी कुछ  इस प्रकार मिलती है कि सोना मिट्टी या सुन्हरी रेत' जो कही कही जमीन पर पाई जाती है ' जिसमे सोने के कण होते है ।एसी रेत या मिटटी से प्रक्रियाओं के दुआरा सोने के कण  अलग करके सोना बनाया जाता है । टनो मिटटी साफ करने पर  एकाध तोला सोना बनता है ।
दूशरी सताब्दी मे जन्मे रसायनाचार्य नागार्जुन रचित पुस्तक 'रसरत्नाकर' मे रसायनो के प्रयोग से धातुओं को दूसरी धातुओं मे बदलने की बिधियॉ बताई गई है । जिनमें बिभिन्न धातुओं को सोना' चॉदी' रजत' मे बदलने का भी उल्लेख मिलता है । कुछ  और ग्रंथो मे भी सोना बनाने संबंधी जानकारीयॉ मिलतीं है ।लेकिन पुरानी संस्कृत भाषा मे श्लोक होने से शब्दों का सही सही अर्थ निकाना कठिन है । मोटे अर्थ मे सोना बनाने की आधी अधूरी कुछ  इस प्रकार मिलती है ।जिसमें_ पारा ' गंधक ' और किन्हीं रसायन को आग मे तपाया जाता है ।और पारे को ठोस करने की कोशिश की जाती है ' जिसमे रसायन पारे को उडने से रोकते है और गंधक पारे को आपना पीला रंग देता है ।
वैज्ञानिकों दुआरा भी एसी पुष्टि की जाती है कि रसायनो के प्रयोग से धातुओं मे परिबर्तन करना संभव है ।जो भी हो पर यह कृयाए काफी कठिन और जटिल होती है ' जिनहे करने मे पूरा जीवन भी गुजर सकता है । और कूछ लोगो के बारे मे एसे प्रमाण भी मिलते है जिन्होंने सोना बनाने के चक्कर मे अपना पूरा जीवन ही खपा दिया फिर भी सफल नही हुए ।





पुराने लेखों मे पारस पत्थर का भी उल्लेख मिलता है ।कि इस पत्थर से लोहे को सोने मे बदला जाता है ।पर यह पत्थर क्या होता है कैसा होता है । इस विषय मे स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती ' कोई कहता है कि हिमालय मे पाया जाने वाला सफेद पत्थर ही पारस होता है ।पारस शब्द पारद यनि पारा से बना है ।इसलिए 'पारस पत्थर' पारे का ही ठोस रूप होना चाहिए ।

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बुधवार, 23 दिसंबर 2015

खरीददारी की सावधानीयॉ ।

बाजार मे खरीदारी करते समय ग्राहको को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखते हुए ' बस्तुए खरीदना चाहिए ।जो ग्राहक के हित मे है और  उसे हानी से बचातीं है ।
  • आज बाजार मे लोकल नकली बस्तुए ' दुकानदारो दुआरा अधिक बैची जाती है ।क्योंकि इन पर  अधिक मुनाफा मिलता है ।इसलिये वस्तु के पेकिट पर निर्माता कंपनी का पूरा पता देखकर ही वस्तुए खरीदना चाहिए । निर्माता कंपनी के आधे अधूरे पते बाली वस्तुएं लोकल और नकली होती है ।
  • वस्तु के बजन की मात्रा पर संदेह होने पर ' वस्तु को तुलना चाहिए ।फिर भी संतुष्ट न होने पर बस्तू को घर पर तोल कर देखना चाहिए ।कम होने पर सिकायत करना चाहिए ।
  • एम.आर.पी. रेट से कुछ कम मूल्य पर ही वस्तुएं खरीदना चाहिए।क्योंकि वस्तुओं को MRP Rs. से कम रेट पर ही बैचने का नियम है ।
  • वस्तुओं के पेकिट पर  अंकित वस्तु की उत्पादन तिथि और समाप्ति तिथि देखकर ही बस्तुए खरीदना चाहिए ।खास कर दबाए खरीदते समय  इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • खुल्ली बस्तुए ' जैसे- अनाज' दाले ' शक्कर ' चावला आदि जो पेकिंग मे नहीं आती । इन चीजों मे मिलावट की संभावना होती है । अतः ग्राहक को खुल्ली वस्तु की जॉच करनी चाहिए ' की  उसमे मिलावट तो नही है ।
  • दुकानदार से वस्तुओं का पक्का विल जरूर लेना चाहिए । पक्के विल मे दुकान के नाम पते के साथ टिन नं ' विल नं ' प्रिंट रहता है । सादे कागज़ एवं लेटर पैड बाला विल नकली विल माना जाता है ।
  • कुछ वस्तुओं के साथ कंपनीयॉ डिस्काउंट या उपहार देती है । जिसे दुकानदार छुपा लेते है । ग्राहक को दुकानदार से इसकी मॉग करना चाहिए ।यह  उसका अधिकार है ।
  • खरीदारी के उपरांत विल के टोटल  और बस्तुऔ  की संख्या की जॉच करना भी बहुत जरूरी है । कभी -कभी विल के टोटल मे गलती निकलती है और कभी कोई वस्तु भी विल मे जादा जुड जाती है । एसा गलती से या जानबूझ कर भी दुकानदार दुआरा किया जाता है ।
  • अपनी गाड़ी में डीजल पैटोल भरवाते समय  ग्राहक को मीटर की रीडिंग पर नजर रखते हुए रीडिंग की शुरूवात  और  अंत देखते रहना चाहिए । कभी कभी टेंक के कर्मचारी ग्रहक को चकमा देकर  उसे ठग लेते है ।
  • रसोई गैस सिलेंडर लेते समय ग्राहक को यह जरूर देखना चाहिए कि सिलेंडर कहीं लीक तो नही है । सिलेंडर लीक होने पर  उसे तुरंत बदलना चाहिए ।
           
         उपभोक्ताओं को अॉनलाइन सिकायत करने हेतु www.core.nic
.in पर लॉगिन करना चाहिए ।

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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

अमीर किसान की कहानी ।

रसएक गॉव मे  एक किसान रहता था । उसके पास चार बीघा जमीन थी ।जिस पर वह खेती करता था ।सूखी जमीन होने से वह साल मे एक ही बरसात की फसल  उगा पाता था ।और वह गरीबी दुखहाली मे अपना जीवन यापन करता था ।यही हाल  उसके पडोसी किसानो का था ।
इस किसान ने अपने खेत के कोने मे एक तालाव बनवाया '' और फिर खेत मे पानी की व्यवस्था होने पर वह  उसी खेत मे एक साल मे चार फसलें लेने लगा ।एवं तालाव का पानी पडोसी किसानों को भी बेचने लगा । इसके बाद  इस किसान ने तालाब मे मछलियों को पालने का काम भी शुरू कर दिया। इसके साथ ही उसने पशु पालन के रूप मे कुछ भैंसै भी खरीद ली ' जो खेत का खरपत्वार खाती और तालाब का पानी पीकर मस्त रहती ।किसान इनका दूध बेचता ।इनके गोबर को खाद के रूप मे खेत मे डालने से फसल भी अच्छी पेदावार देती । अब  अकेला किसान इतने काम करने मे अपने आप को असमर्थ महसूस करने लगा ।इसलिए उसने अपना गॉव का मकान बैच कर ' खेत पर ही घर बना लिया ।और  अपने परिवार सहित खेत पर ही रहने लगा ।अब  उसके परिवार के लोग भी कामों मे उसका हाथ बटाने लगे ।अब  इस किसान ने खेत मे तालाब के पास कुछ जगह पर सब्जियां उगाने का काम भी आरंभ कर दिया । जिससे घर का सबजी का खर्च चलने के साथ ' सब्जियों के बिकृय से आय भी होती ।
अब  इस किसान के सामने सबसे बडी परेशानी यह थी की वह मवेशियो से खेती की रक्षा कैसे करे । और फिर  उसने अपने खेत की चारो मेंडो पर फलदार पेड़ लगाए ' दो साल बाद पेड कुछ बडे होने पर ' पेडो के सहारे खेत के चारो ओर कॉटेदार तार खींच दिया । अब किसान को खेत की सुरक्षा के साथ ही पेडो के फलों से भी अतिरिक्त आय होने लगी ।और  अब  इस किसान ने खेती के साथ होने बाले सभी सहायक धंधे आरंभ कर लिए । अब यह किसान दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करने लगा ।और देखते ही देखते कुछ ही बर्षो मे एक  अमीर आदमी बन गया ।


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गुरुवार, 17 दिसंबर 2015

जागरूकता से खरीददारी ।धन बचत ।

मित्रो हमारी आय का बहुत बडा हिस्सा बस्तुओ की खरीद पर व्याय होता है ।जैसे _खादय समान 'कपडे 'बतृन' वाहन 'आदि और न जाने क्या -क्या ।आज हमारी हर छोटी बडी जरूरत का सामान बाजार मे उपलब्ध है। जब हमे जिस वस्तू की जरूरत होती है 'हम  उस वस्तू को तुरंत बाजार से खरीद लाते है ।और  उसका उपयोग करने के बाद  अगले दिन  उस वस्तू को भूल जाते है ।क्योकि वह वस्तू दूसरे दिन हमारी नजर मे पुरानी हो जाती है ।
पर क्या आपने कभी यह  आकलन किया है ।कि हम जो वस्तुए खरीदते है ।उनका हम  पूर  उपयोग  भी कर पाते है 'या नही ।  क्या हमारे पैसे का सही स्तमाल हुआ या नही ।
यह जानने के लिज  आप एक लिस्ट बनाए । माह की एक तारीख से तीस तारीख तक हर रोज  आपके घर मे जो भी वस्तू  खरीद कर लाई जाए उसे आप  इस लिस्ट मे नोट करते जाए ।अब  एक महिने बाद  आप  इस लिस्ट को जँचे 'आप पाएगे कि उन वस्तुओ मे से लगभग 50% वस्तुए बेकार सावित हुई 'जिनका आप पूरा उपयोग नही कर पाए । आपका पैसा पानी मे गया । इस लिस्ट मे बेकार पाई पाई गई वस्तूओ मे अधिक वस्तुए वह होगी ' जो बच्चो के दुआरा या महिलाओ के दुआरा खरीदी गई थी । क्योकि महिलाए और बच्चे खरीद फरोखत मे कच्चे होते है ।उनहे पैसे की अहमियत पता नही होती है'  क्योकि वह कमाते नही है ।इस बात को समदने के लिए 'आपने वह कहानी जरूर ही पढी होगी _एक बाप  अपने बेटे को एक रुपया देकर 'उससे कहता हे -जा इसे कुए मे फेक  आ 'बेटा फेक  आता है 'फिर बाप कहता है 'एक रुपया कमा कर लाओ 'तब बेटा अपनी मँ से एक रुपया ला कर बाप से कहता है-मे यह ले आया ।बाप फिर बेटे से कहता है -जा इसे कुए मे फेक  आ । बेटा एसा ही करता है ।दुशरे दिन बाप पत्नी को मायके भेज देता है ।और फिर बेटे से कहता है -आज तुम दो रुपये कमा कर लाओ नही तो शाम को तुमहे खना नही मिलेगा और पटाई होगी । आज बेटा सचमुच दो रुपये कमा कर ले आता है और  अपने बाप को दिखाता है ।बाप फिर कहता है -कुए मे फेक  आ 'लेकिन बेटा इस बार  एसा नही करता 'और बाप से कहता है -यह दो रुपये कमाने मे मेरी कमर टूट गई और  आप कुए मे फिकवा रहे है । नही   फेकूगा ।यह सुनकर बाप खुश होत है 'और बेटे को साबासी देता है ।
सॉपिंग के टिप्स
(1) बच्चो व महिलाओ के साथ  जा कर खरीददारी कराए ।
(2)M R P  से भी कम रेट पर वस्तुए खरीदे ।
(3)  गारंटी वारंटी के साथ वस्तू का पक्का विल दुकनदार से लेना न भूले ।
(4)अपनी पसंद से सामान खरीदे 'दुकानदार की न माने 'वह कहेगा_हय सामान  उससे भी बढिया है 'घटिया हो तो बापस कर जाना 'क्या हमने आपको कभी घटिया माल दिया नही न ।घर की बात है  आदि कहकर वह  आपको उल्लू बना देगा ।
(5) चतुराई से मोल भाव करे ।सबसे पहले वस्तू पसंद करे 'फिर कीमत पूछे 'दुकनदार रेट बताएग 'दुवारा पूछे _सही सही  बताईए या फिक्स बताए 'वह  आप से कहेगा आच्छा कितना दोगे 'पर  अभी आप  अपनी बात न बताए 'बरना ठगा जाएगे'' अब वह दुबारा कुछ कम रेट वताएगा ।अब  आपकी बारी है उसके बताए रेट से आधा कीमत लगा कर खडे हो जाए और फिर  आखरी कीमत लगा कर चलते बने । अब दुकनदार  असलियत पर आ जाएगा ।
(6) आज  अॉनलाइन सॉपिंग लाभ का सोदा है। घर बैठे सामान खरीदना 'और डिजिटल मनी से पेमेंट करना इसमे समय  और धन की बचत होती है। पर पूरी जनकारी लेने के बाद ।
(7)मोल करे तलबार का पडी रहन दे म्यान _यनी पेकिट की चमक दमक नही अपितू वस्तू की गुणबत्ता देखे ।
(8) कपडा खरीदने के लिये सबसे करगर रम बाण टिप्स_जब सुबह दुकनदार  अगरबत्ती लगा कर दुकान पर बेठे' ' तभी आप पहले गाहक बन कर पहुचे 'और कपडा पसंद करे 'फिर कीमत पूछे ' जबाव सुनकर 'कहे महगी है हम नही ले पाएगे और बापस  आने लगे । तब वह  आपसे कहेगा 'आप पहले गाहक है आप भगबान है । बोनी न बिगाडे ।और  आपको 100% सच रेट बताएगा' और खरीद रेट से केवल 10 या 5 रुपये ही जादा लेगा  ।
अजी दुकानदार को छोडो 'झूठ का धंधा करने बाले बकील भी सुबह  अपने पहले क्लाइट से एक बार सच  जरुर बोलते है । इनके अपने उसूल होते है ।जिनका हमे लाभ  उठाना चाहिए ।
जय सुभ_लाभ ।
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सबसे मेहगे मेवा की खोज ।

एक भारतीय दुर्लभ मेवा ।
उच्च कोटि के भारतीय मिष्ठानो मे प्रयोग किया जाने वाला एक बिशेष प्रकार का मेवा होता है ।जो महगे स्वीटस  आइटम एवं आइसक्रीम आदि मे सिर्फ आधा तुकडा ही देखने को मिल्ता है । यह मेवा दिखने मे भूरे रंग का ' कॉटे जैसा होता है । इसका स्वाद कसेला होता है । इसे मिठाई यो मे देखकर ब्यक्ति  आश्चर्य मे पड जाते है और सोचते है ।आखिर यह है क्या चीज फिर सोचते है । शायद कोई विदेशी बहुत मेहगा मेवा होगा ।और लोगो को भ्रमित करने के लिए ही इस मेवे का उपयोग मिष्ठानो मे किया जाता है । यह मेवा स्वाद मे भले ही कसेला होता है । पर  इसमे औषधीय गुण भी होते है ।
आम तोर पर व्यापारी इस मेवे को ऊची किस्म का ' चिलगोजा ' बताते है । पर यह चिलगोजा नही होता है ' क्योंकि चिलगोजा चीड के पेड के फल की गिरी को कहते है जो  आकार मे इससे मोटी एवं पूरी साबुत बिजी होती है ।
यह विशेष प्रकार का नया मेवा  है ' इसका बाजार भाव 2000रू प्रति किलो के लगभग होता है ।दरशल यह मेवा कुछ  और नहीं वल्कि अर्जुन के पेड के फल की गिरी है ।यह पेड भारत मे बिहार एवं मध्य प्रदेश मे नदियों और नालों के किनारे सबसे जादा पाया जाने वाला पेड है । जो 15 प्रजातियों मे पाया जाता है । इस पेड का बीज बहुत ही मजबूत होता है जिससे गिरी निकालना बहुत कठिन कार्य होता है । इसलिए इसे काटने पर गिरी भी साथ मे कट जाती है । काटने के आलावा गिरी निकालने का कोई उपाय नही होता है । यह काम काफी कठिन और जटिल होता है । एक फल मे एक ही गिरी पाई जाती है । अधिकंश फल खाली निकलते है जिनहे काटने की मेहनत बेकार ही जाती है । इन्ही सब कारणों से इस मेवा का उत्पादन कम होता है  एवं माग जादा' इसलिए यह मेवा मेहगा होता है । अगर भबिश्य मे  इस बीज से गिरी निकाने की कोई नई तरकीब निकाल ली जाएगी । तभी यह बहूमुल्य मेवा प्रचलन एवं प्रकाश मे आएगा ।

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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।