शनिवार, 23 जनवरी 2016

खुल्ले रूपये का फायदा ।

भारत में बैंक अपने ग्राहको को हजार या पॉच सौ के नोटों मे ही पेमेंट करती  है ।एवं एटीएम मशीनों पर भी सौ से कम का नोट नहीं निकलता है ।और बाजार मे भी सिक्कों का अभाव महसूस होता है ।एसी स्थित मे आज छोटे लेनदेन व खरीदारी मे खुल्ले रूपयो को लेकर बहुत झंझट होती है ।
हजार ' पॉच सौ के बंधे नोटों के कारण निम्न परेशानियॉ होती है । जैसे _

  1. खरीददारी मे दुकानदार बाकी के छूट्टे रूपये बापस करने के स्थान पर टॉफियॉ या माचिस हाथ मे थमा देते है ।
  2. नोट छुट्टा कराने के लिए ' गैर जरूरी वस्तुए खरीदनी पडतीं है ।
  3. नोट के बदले मे फटे पुराने छूट्टे नोट लेना पडता है ।जिनमें से कुछ नोट बडी मुश्किल से चलते है । या चलते ही नहीं है ।बेकार पडे रहते है ।
  4. छोटी सेवाओं के बदले बडे नोट देने के बाद ' बाकि रूपये लेने के लिए इंतजार करना पडता है ।
  5. बंधे नोटों के कारण कभी हम बाकी के रूपये लेना ही भूल जाते है ।
  6. फुटकर रुपये न होने के कारण आटो ' रिक्शा ' टेक्सी वालों को किराए से जादा रूपये देना पडता है ।
  7. कभी कभी आटो रिक्शा बालों को खुल्ले पैसे ना होने की बजह से हजार या पॉच सौ का नोट देना पडता है ।और वे नोट लेकर रफूचक्कर हो जाते है ।और हमे दस बीस रूपये की जगह हजार पॉच सौ से हाथ धोना पडता है ।
  8. रेल टिकिट बुकिंग के बाद भी खुल्ले कुछ रूपये बापस ही नही मिलते ।
  9. पोस्ट अॉफिस  आदि जगहों पर यह सुन्ने मे आता है कि खुल्ला नहीं है ' खुल्ले रूपये लेकर  आऔ ' या 22 रू की जगह 25 रू देकर जाऔ  ।
पेट्रोल पंपो पर भी छुट्टे ना होने के बहाने दो चार रूपए जादा लिए जाते है ।
खुल्ले रूपयो की समश्या के समाधान के लिए " जरूरत के अनुसार बैंक से छुट्टे नोटों मे पेमेंट की मॉग करना चाहिए ।या जरूरत के हिसाब से पहले से ही किसी विशवसनिय व्यक्ति ' स्थान ' या दुकान से नोटों को छूट्टे कराकर पॉकेट या बैग मे रखना चाहिए । साथ ही एक ' दो और पॉच रूपये के कुछ सिक्के भी पास मे रखना जरूरी है । सिक्के रखने मे थोडी अडजन तो होती है पर  इससे जादा सहूलियत भी होती है । जब जितने रूपये देने की जरूरत हो 'उतने ही रूपये देने से बापस लेने का झंझट ही नही रहता । फुटकर रूपये पास होने से एक दो रू कम मे ही काम चल जाते है । खुल्ले रूपये देने से सामने बाला जादा खुश होता है और खुल्ले रू जादा भी लगते है । खुल्ले रूपये पास मे होने से समय के साथ ही धन की भी बचत होती है ।
लेकिन हजार पॉच सौ के बडे नोटों को रखने मे सुविधा होती है ।और  इनकी गिनती करना भी आसान है ।चोर  उचक्के भी नहीं जॉच पाते । इसलिए  हजार से उपर के बडे लाखो के लेनदेन मे और बडी खरीद फरोख्त के लिए ' हजार  पॉच सौ के बडे नोटों का उपयोग ही उचित होता है ।
जरूरत के अनुसार बडे या छोटे नोटों का उपयोग करना चाहिए ।
" जैसा काम ' बैसा दाम " देना ही उचित होता है ।
_______________________\\\\\\\_____________\\\\\\\\________

Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~__

गुरुवार, 21 जनवरी 2016

स्टार्ट अप ' इंडिया स्वरोजगार ।

स्टार्ट अप
भारत मे 16 जनवरी2016 को प्रधानमंत्री द्वारा इस स्टार्ट अप ' योजना की शुरूवात की गई है ।
स्टार्ट अप क्या है ।
स्टार्ट अप की शुरुआत होती है एक  आइडिया से ' जिसमें लोगों की किसी भी समश्या के समाधान का कोई तरीका या लोगों की जरूरत की कोई सेवा 'वस्तुओं का उधम  इस योजना के अंतर्गत स्थापित करने वालों को भारत सरकार बहुत सुविधाएं दे रही है । जैसे _

  • 10 हजार करोड़ रूपये का फंड बनाया जाएगा ।
  • स्टार्ट अप के लिए वेब पोर्टल और मोवाइल  एप होगे ।
  • पेटेंट फीस मे 80% की कटोती होगी ।
  • छोटे फार्म के जरिए ई _रजिस्ट्रेशन ।
  • 35 नए इन्क्यूवेशन सेंटर होगे  ।
  • सेल्फ सर्टीफिकेट  आधारित कंप्लायंस की व्यवस्था ।
  • सरकारी खरीद मे खास रियायत दी जाएगी ।
  • उधमियो को लोन की व्यवस्था रहेगी ।
उधमियो को 3 साल तक  इंकम टेक्स मे छूट दी जाएगी ।
कुल मिला कर  इस योजना मे युवा उधमियो के  लिए पैर जमाने के अच्छे अवसर उपलब्ध है ।इस योजना के सफल होने पर देश मे बेरोजगारी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी ।स्टार्ट अप ' मे रोजगार की अनंत संभावनाएं है ।
लेकिन इस योजना मे नए अविशकारो के विजनस  आइडिया को आधिक प्राथमिकता दी जाएगी ।

Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शनिवार, 16 जनवरी 2016

फ्री सेवाओं का लाभ उठाए ।

FREE
फ्री डिश टीवी _ डीडी फ्री डिश प्रसार भारती की एक मुफ्त टेलीविजन सेवा है । जो अब पूरे भारत मे उपलब्ध है ।इस सेवा मे लगभग 70 चेनल स्थाई रूप से मुफ्त चलते है ।एवं 45 चेनल  अस्थायी है ।जो कभी कभी दिखाए जाते है ।

फ्री फोन सेवा  _ आज लगभग सभी बडे ब्रांडो ' संस्था ' बैंक ' रेलवे ' एरपोट ' होटल  आदि की टोल फ्री हेल्पलाइने है । यह फ्री नं .1800180____. से शुरू होते है । जिन पर किसी भी मोवाइल से कॉल करने का कोई शुल्क नहीं लगता है 

फ्री इंटरनेट _ अब भारती एरटेल दे रहा है ।50% फ्री नाईट डाटा पेक ' एवं फ्री इंटरनेट चलाने की कुछ ट्रिके भी है ' जिनसे सेटिंग करने पर  इंटरनेट फ्री चलाया जा सकता है ।

फ्री फेसबुक _  अब फेसबुक को फ्री करने की मुहीम भी छिडी हुई है । जिसके सफल होने की उम्मीद है ।इसके बाद फेसबुक भी फ्री अलाउड हो जाएगी ।

फ्री वाय फाई _  अब फ्री वाय फाई मिलने की भी संभावनाए दिख रही है ।एवं आने वाले समय मे वाय फाई की सेवा भी फ्री हो जाएगी ।

फ्री चिकित्सा _ भारत सरकार की बहुत सी चिकित्सा संवधी सेवाएं है ।जो नागरिको को मुफ्त मे उपलब्ध है जैसे एम्बुलेंस आदि । जिनका लाभ लिया जा सकता है ।
________________\\\\\__________--__--_______________\_________________\\\

Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

गुरुवार, 14 जनवरी 2016

धन संपन्न परिवार बनाए ।

अधिकांश परिवारो मे यह होता है की परिवार का एक ही पुरुष सदस्य कमाता है ।और यही उस परिवार का एक मात्र आय का स्रोत होता है ।कुछ परिवारो का एक सदस्य सोलह घंटे तक काम करके कमाई करता है । फिर भी परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती है ।धन संग्रह का सवाल ही पैदा नही होता ।

आज के युग मे व्यक्ति या परिवारो की जरूरते अनंत है ।इसलिए आज एक व्यक्ति की कमाई से घर परिवार चलाना कठिन है ।जिसके लिए आज जरूरत इस बात की है ।की महिलाओं सहित घर के सभी व्यस्क सदस्य काम करें ' और कमाए ' एवं हर सदस्य के डवल  आय के स्रोत हो' यानी कि परिवार का हर सदस्य दो अलग अलग काम करके दुगना कमाए ' फिर तो कहना ही क्या ' सोने पे सुहागा ' हो जाए । और एसा करना संभव है । कुछ लोग एक दिन मे तीन काम करते देखे जाते है । जैसे _ डियूटी जाने से पहले एक घंटे पडोस के बच्चों को टयूसन पढाना ' फिर काम पर जाना ' फिर शाम को दो घंटे दुकान पर बैठना आदि । इस तरह से परिवार के सभी सदस्यो द्वारा कमाने से परिवार' दिन दूना रात चौगना '  आर्थिक विकास करता है । क्योंकि परिवार के जितने अधिक आय के स्रोत होगें परिवार उतना है अधिक विकास करेगा ।
एक समय था जब लोग नौकरी ' काम' धंधे ' चिराग लेकर ढूँढते थे । और  आज कामों का अंबार लगा है ।हर क्षेत्र मे  कामों के ढेरों अवसर पैदा हो रहे है । आज काम करने वाले लोग नही मिलते ।
महिलाओं के लिए भी आज हर क्षेत्र मे काम के अवसर उपलब्ध है । महिला चाहे  तो घर बैठे किए जा सकने वाले हजारों प्रकार के काम है । जिनमें से महिलाएं कोई भी अपना मन पसंद काम चुन कर ' घर बैठे कमा सकतीं हैं ।

दुनिया के विकसित देशों मे परिवारो का यह  आलम है की बच्चे स्कूल जाते है और  उनके दोनों माँ बाप काम पर जाते है ।घर पर कोई नहीं रहता ।खाने पीने के मामले मे ' दो मिनिट मे तैयार होने वाली कॉपी ' फास्ट फूड ' रेडीमेड खाना ' और मौसमी फलों का अधिक उपयोग किया जाता है । संडे के दिन ही पूरे सप्ताह का खाना बना कर रेफ्रिजरेटर मे रख दिया जाता है ' और सप्ताह भर  इसी भोजन से काम चलता है । इस तरह से रोज सुबह शाम खाना बनाने के झंझट से मुक्ति मिलने के साथ ही समय की भी बचत होती है ।
__________________________________\\\\\\\\\\_________________

Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मंगलवार, 12 जनवरी 2016

घरेलू बजट के फायदे ।

बजट किसे कहते है ।
किसी भी देश' संस्था ' ब्यक्ति ' परिवार ' के धन के आय व्यय की सूची को बजट कहा जाता है ।परिवार की आय के दायरे मे संतुलित खर्च करने का सही तरीका बजट होता है ।एवं धन का सही प्रबंधन बजट होता है ।
घरेलू बजट के लाभ ।

  • बजट हमे अपने धन पर नियंत्रण रखने की शक्ति देता है ।
  • बजट कर्ज मे डूबने से बचाव करता है ।
  • परिवार की सभी जरूरते पूरी करता है ।
  • बजट मे खर्च करने से फ्जूलखरची नही होती ।
  • बजट बचत मे भी सहायक होता है ।
बजट मे थोक वस्तुएं खरीद से समाज मे प्रतिस्ठा बढती है ।
घर परिवार का बजट बनाने का सही तरीका ।
बजट का काम घर के मुखिया दुवारा किया जाता है । इसके लिए घर मे एक " बजट डायरी" होना चहिए ।जिसमें घर के सभी सदस्य माह की पहली तारीख से तीस तारीख तक ' अपनी जरूरते एक सूची मे नोट करते जाए ' जव जिस सदस्य को जो जरूरत महसूस हो वह  उसे सूची मे नोट करे । फिर माह के अंत मे तीस तारीख को 'मुखिया इस सूची मे घर के सभी जरूरी खर्च लिखे । जैसे_ खाने पीने की खाद्यान्न का खर्च ' बिजली विल ' बच्चों की स्कूल फीस ' मोवाइल विल ' गाडी पेट्रोल खर्च ' रसोई गैस ' लोन किस्त आदि ।इसके बाद देनिक दूध खर्च' जेब खर्च ' साप्ताहिक सबजी खर्च ' अचानक बीमारी खर्च ' आदि लिखा जाए जो नगद राशी मे रखा जाना है । फिर कुछ कम जरूरी खर्च लिखे जैसे पिकनिक खर्च आदि । माचिस ' सुई तक के छोटे खर्च भी बजट लिस्ट मे लिखे जाने चाहिए  
अब लिस्ट के सभी खरचो का टोटल किया जाता है । उदाहरण के लिए लिस्ट का टोटल 22000रू आता है और परिवार की कुल मासिक आय है 20000 रू ।तो अब हम लिस्ट से कुछ कम जरूरी खर्चे हटा देते है ।और फिरसे लिस्ट का टोटल करने पर भी खर्च बजट के भीतर नही आता ' तो अब हम जरूरी वस्तुओं की मात्रा कुछ कम कर देते है । पर खाद्य पदार्थ की कटौती भूल कर भी न करें । इस तरह खर्च को खींच तान कर 18000रू पर लाना उचित होगा ।जिसमें 2000रू बचत के रूप मे शेष बचाना जरूरी है । कुछ इस तरह से बनाया जाता है परिवार का मासिक खर्च बजट ' जिसमें विशेष कर  इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि परिवार की कुल आय से कम रूपये मे ही परिवार की सभी जरूरतों को पूरा किया जाए ' और कुछ रकम शेष भी बचाई जाए ।
____________________________________\\\\\___________________
बगैर "बजट " बनाए खर्च करने के बारे मे हम जादा बिस्तार  से तो नहीं लिख रहे हम  इसका मतलब संछिप्त मे बता रहे है ।जो कुछ  एसा है ' की अंधे पीसे और कुत्ते खाए ' समझदारो को इशारा काफी है ।
                                                            यह लेख  आपको कैसा लगा कृपया अपनी राय  अवश्य दे । हमारा ई-मेल seetamni@gmail. com है ।

सोमवार, 11 जनवरी 2016

अविवाहितों ने पाईं बडी सफलताए !

खजुराहो का प्राचीन मंदिर काम कलॉ कृतियों के लिए विश्व प्रशिध है इस मंदिर की दीवारों पर संभोग करते हुए स्त्री पुरषो की कृतियॉ बिभिन्न मुद्राऔ मे स्थापित है । इस मंदिर को देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक खजुराहो पहुचते है ।पर यह बात बहुत कम लोग जानते है ' की इस तरह के अशलील मंदिर का निर्माण क्यों करवाया है ' इसके पीछे पुराने राजाओं का क्या उद्देश्य रहा होगा । इसका पता लगाने के लिए एक व्यक्ति ने रिसर्च किया है । जिसमें यह परिणाम निकल कर सामने आया है कि हजारों साल पहले अधिकार जनसमुदाय बृहम्चारी जीवन की ओर जा रहा था । लोग धीरे धीरे काम क्रिया से बिमुख होते जा रहे थे ।और समाज की यह स्थित उस समय  एक चिंता का था ।इसलिये उस समय के राजाओं ने जनता को सेक्स की तरफ प्रेरित करने एवं" योन शिक्षा " देने के उद्देश्य से खजुराहो मे इस मंदिर का निर्माण करवाया था ।
पर आज समाज मे अश्लीलता की स्थित पुराने समय की अपेक्षा बिपरीत है । जिसमें प्रशार माध्यमों का दोष है । समाज मे बढता हुआ अश्लीलता का असर  आज का चिंता का विषय है ।इसलिये आज की युवा पीढी को आज  उलटा पाठ पढाने की जरूरत है ' जो सही है कि बृहम्चारी जीवन ही स्वतंत्र एवं उत्तम जीवन है ।
आदमी की सफलता की राह मे आने वाली सबसे बडी अडचन  उसका अपना परिवार होता है । हम किसी से भी पूछे ' तो वह सफलता मे अने वाला सबसे बडा रोडा अपने परिवार को ही मानता है । आज तक के मानव  इतिहास मे जितने भी लोगो ने बडी सफलताए हासिल की है । उनमें 50% के लगभग लोग  अविवाहित है । और जो इनमें शादीशुदा लोग है  वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पर खरे नही उतरे ।
दुनिया मे कुछ देश एसे है ।जहाँ शादी विवाह जैसी प्रथा को जादा अहमियत नहीं दी जाती है ।वहाँ अधिकार स्त्री पुरुष स्वतंत्र रहकर ही जीवन जीना जादा पसंद करते है ।यहाँ युवक युवतियों मे मित्रता के संवंध जादा होते है ।और सही मयने मे यही जीवन है ।
पर भारत जैसे देशों मे हर स्त्री पुरुष को विवाह के बंधन मे बंधना या मॉ बाप  ओर समाज द्वारा बांधने की जो पुरानी सामाजिक ब्यवस्था है ।उसे अब समय के साथ बदलना चाहिए ।शादी विवाह करना या ना करना यह ब्यक्ति का निजी मामला है ।20 साल का होने पर युवाऔ को स्वतंत्रता होती है । कि वह जब चाहे जिससे चाहे शादी करे ' और न चाहे तो क्वारे रहकर ही स्वतंत्र जीवन का लुफ्त  उठाए ।

स्कूल के दिनों मे मुझसे मेरा एक मित्र कहा करता था ।की आदमी को दूध पीने के लिए भैंस पालना जरूरी नहीं है ।क्योंकि बाजार मे दूध मिलता है ।जिसे खरीदो और पियो 'इसके लिए भैस पालने की झंझट मे फसना महज  एक पागलपन है ।
                              __________________\\\___________________\\\

Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~



बुधवार, 6 जनवरी 2016

फलते फूलते धार्मीक धंधे ।

हिन्दुस्तान मे धर्म संवंधी विजनस  अधिक सफल होते है ।धर्म की आड मे किया जाने वाला धंधा 90% सफल रहता है ।अगर हम टीवी धारावाहिको की बात करे तो रामायण' महाभारत ' या अन्य पोराणिक कथाओं पर  आधारित धारावाहिक जिनमें देवी देवताऔ की कहानी होती है । एसे शीरियल भारत मे सबसे जादा लोकप्रिय होते है ।और धर्म संवंधी धारावाहिक बनाने वाले निर्माता खूब कमाई करते है ।
हनुमान यंत्र को ही देख लीजिए ।दस बीस रूपये की धातु से बना यंत्र हजारों रूपये मे धडल्ले से बेचा जा रहा है । एक साधारण बाबा जो धर्म के सहारे आज  एक सफल उधोगपती बन गया है । पिछले महिनो सुरखियो मे रही राधा देवी को ही ले लिजिए ' एक साधारण गॉव की महिला कहॉ से कहॉ पहुँच गई थी धर्म के सहारे । इस देश मे लोग धर्म के नाम पर वोट मॉगकर जीत जाते है और राजनेता बन जाते है । एक मामूली भिखारी तक धर्म के नाम से खूब कमा लेता है । धर्म की छाप लागाकर  मिट्टी ' पत्थर भी ऊचे दाम पर बिक जाता है । कुल मिलाकर धर्म के नाम पर लुटते है लोग ' जो लूट सके वह लूटे '  भाई यह भी एक विजनस है । 
Seetamni@gmail. com
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।