धन संगृह के एक बहुत बडे सच का खुलासा ' क्या है ?
ओशो ने अपने उदबोधन मे संपत्ति इकट्ठा करने का एक बडा सच उजागर किया है । ओशो ने कहा है कि _ बिना चोरी और बेईमानी के संपत्ति इकट्ठी करना असंभव है ' यह कभी भी संभव नहीं रहा ' आज भी संभव नहीं है ।
{यह बात ओशो की पुस्तक 'जीवन रहस्य ' के पेज नं 119 के पैरा 3 पर लिखित प्रमाण है ।}
हमें अपने समाज का गहराई से अबलोकन करने पर उपरोक्त कथन सच सा पृतीत होता है । हम समाज मे देखत़े है कि झेठ ' चोर ' धोखेबाज और बेईमान लोग धनी बन जाते है एवं ईमानदार कडी महनत से पसीना बहाकर भी ब मुसकिल दो जून की रोटी ही कमा पाता है ।और हमेशा निरधन ही रहता है ।
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Seetamni@Gmail. com
ओशो ने अपने उदबोधन मे संपत्ति इकट्ठा करने का एक बडा सच उजागर किया है । ओशो ने कहा है कि _ बिना चोरी और बेईमानी के संपत्ति इकट्ठी करना असंभव है ' यह कभी भी संभव नहीं रहा ' आज भी संभव नहीं है ।
{यह बात ओशो की पुस्तक 'जीवन रहस्य ' के पेज नं 119 के पैरा 3 पर लिखित प्रमाण है ।}
हमें अपने समाज का गहराई से अबलोकन करने पर उपरोक्त कथन सच सा पृतीत होता है । हम समाज मे देखत़े है कि झेठ ' चोर ' धोखेबाज और बेईमान लोग धनी बन जाते है एवं ईमानदार कडी महनत से पसीना बहाकर भी ब मुसकिल दो जून की रोटी ही कमा पाता है ।और हमेशा निरधन ही रहता है ।
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