गुरुवार, 17 नवंबर 2016

बच्चे पढाई मे तेज कैसे बने ।

बच्चे कल का भविष्य होते है और हर माता पिता चाहते है की उनके बच्चे पढे आगे बढे एवं पढ लिखकर बडे आदमी बने । बच्चे पढाई मे तेज बने इसके लिए बच्चो और  उनके अभिभावकों को कुछ बातो पर  अमल करना जरूरी है ।जैसे _

  • बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूरी तरह से बिकसित हो जाने के बाद ही उन्हें पढाना शुरू करना चाहिए । कुछ माता पिता अपने बच्चो को कम  आयू मे ही पढाना शुरू कर देते है जिससे बच्चे आगे जा कर पढाई मे कमजोर पड जाते है ।
  • बृम्ही बूटी _ बृम्ही आयूर्वेद मे दिमाग बढाने की सबसे उत्तम औषधि मानी जाती है ।इसका स्वाद कडवा होता है इसलिए इसे दूध मे मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों का दिमाग तेज हो जाता है ।
  • बच्चो को बार बार पढने के लिए नही कहना चाहिए । क्योंकि बार बार यह बात दोहराने से इस  आदेश का अशर कम हो जाता है और फिर बच्चे सुनते ही नही है ' सोचते है की मम्मी तो वस  एसे ही चिल्लाती रहती है ।
  • बच्चों के सभी कामो का टाइम टेविल एक तख्ती पर लिख कर  उनके पढाई वाले कमरे की दीवार पर लगाना चाहिए ' जिसमे बच्चो के सुवह  उठने से रात सोने तक के सभी कामो का समय फिक्स होना चाहिए ।जैसे _ सुवह 6 बजे सोकर  उठना ' और 7बजे तक पढना ' 7 से 7:30 तक चाय नास्ता ' आधे घंटे खेलना '8 से 9 बजे तक कोचिग ' 9 से 10 बजे तक खाना नहाना 10बजे स्कूल जाना । फिर शाम 4 बजे स्कूल से आने के बाद 5 बजे तक खेलना '5 से 6बजे तक होम वर्क करना ' 6 से 7 बजे तक पूजा मे भाग लेना ' 7 से 8 बजे तक खाना पीना '8 से10 बजे तक टीवी देखना और 10 बजे सोना ।इस तरह की समय सारणी के अनुसार बच्चे अपने सभी काम  उत्साह के साथ समय पर करते है और पढाई मे आगे रहते है ।
  • सुवह नीद से जागते ही बिस्तर मे ही पढाई करने से पढाई मे मन भी लगता है और  अध्ययन की हुई बाते याद भी रहती है क्योंकि इस समय दिमाग ताजा रहता है ।यही समय पढाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है ।
  • बार बार पढकर रटटू तोते की तरह रटने को पढाई नही कहा जाता । पढाई करने का मतलव होता है की किसी भी पाठ को एक या दोबार ध्यान से पढकर समझ लेना और फिर  उसे हमेशा याद नही रखना पडता वल्की अच्छी तरह से समझ मे आ जाने के बाद वह पाठ हमेशा याद रहता है ।
  • बच्चो को कभी भी शीर्ष आशन नही करना चाहिए और नाही लेटकर पढना चाहिए एसा करने से दिमाग कमजोर होता है ।
  • बच्चों को हमेशा एकांत  और साफ स्थान पर  आसन याने दरी बगेराह बिछाकर  उसपर बैठकर ही पढना चाहिए।नंगी जमीन पर बैठकर पढने से सारी पढाई जमीन मे चली जाती है एसा हमारे अध्यापको का कहना था ।
  • बच्चे अपने पढाई वाले स्थान पर बुद्धि की देवी माता सरस्वती का चित्र लगाकर रखे और नहाने के बाद सुवह हाथ जोडकर माता से ज्ञान का वर मागे । सरस्वती के भंडार की बडी अपूरम बात 'ज्यो ज्यो खरचे त्यो त्यो बढे बिन खरचे घट जाए ।💁👵👬💃📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📒📑📓📕📖📰📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕📰📖📒📑📓📕

बुधवार, 9 नवंबर 2016

हजार पॉच सौ के नोट बंद ।

भ्रष्टाचार ' काला धन  और जाली नोटो की रोकथाम  करने के लिए भारत सरकार ने 9 नवंबर 2016 से देश मे हजार  और पॉच सौ के नोट का चलन बंद कर दिया है । पर फिर भी सरकारी अस्पताल ' दबा की दुकान ' किराना दुकान ' पेट्रोल पंप '  पर  एवं रेल टिकट ' सरकारी बस टिकट ' हबाई जहाज टिकट आदि कुछ स्थानो पर 11 नवंबर की आधी रात तक  इन नोटो का उपयोग हो सकेगा । इसके बाद हजार  और पॉच सौ के नोट बैको और पोस्ट अॉफिसो मे 30 दिसंबर 2016 तक जमा होगे । जो लोग किन्ही कारणो से 30 दिसंबर तक  अपने हजार पॉच सौ के पुराने नोट बैक मे जमा नहीं कर पाएगे उनहे फिर  अपने परिचय पत्र दिखाकर बैक मे पुराने नोट जमा करने का अंतिम समय मार्च2017 तक दिया गया है ।पर लेनदेन मे हजार  और पॉच सौ के नोट का उपयोग 9 नवंबर से ही कानूनी बद है ।

भ्रष्टाचार के मामले मे भारत दुनिया मे आज 76 वे नम्बर पर है । एवं भारत मे आज जाली नोटो का चलन  आधे से भी अधिक है । यह हजार पॉच सौ के जाली नोट भारत मे पडोसी मुल्क पकस्तान से आए है जिनहे घुसपेठियो ने भारत मे चलाया है । यह जाली नोट देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर रहे है । इन्हीं सब कारणो से भारत सरकार ने अपनी मुद्रा व्यवस्था मे सुधार करने के लिए देश मे हजार  और पॉच सौ के पुराने नोटो का चलन बंद कर दिया है । इनके स्थान पर नये रूप रंग के हजार ' दो हजार ' और पॉच सौ के नये नोट सरकार जल्द ही जारी करेगी ।
टालस्टाय का विचार _ टालस्टाय का मत था की दुनिया मे मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । क्योंकि सभी उपदृव की जड मुद्रा ही है । इस मत से गॉधीजी भी सहमत थे और वह चाहते थे की भारत मे भी पहले जैसी वस्तु विनियम बिधि लागू होना चाहिए । मुद्रा का चलन बंद होना चाहिए । पर काश  एसा करना संभव होता तो दुनिया स्वर्ग बन जाती ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

बेहरा बनने के लाभ ।

👂🚿 समाज मे कुछ होशियार लोग अपने कानो की विकलांगता का झूठा प्रमाण  पत्र डॉक्टरो से बनवा लेते है । क्योंकि डॉक्टर के पास कानो की विकलांगता पता करने का कोई कारगर  उपाय नही होता एसे मे वह मरीज के कानो मे एक  आवाज आने वली मशीन लगाकर मरीजों से ही पूछते है की कुछ सूनाई दे रहा है तो मरीज झूठ बोल देता है की नही कुछ नही सुनाई दे रहा है और डॉक्टर को मूर्ख बनाकर  उससे कान का विकलांग प्रमाण - पत्र बनवा लेते है ।यदि डॉक्टर को मरीज पर शक भी होता है तो उसे रिस्वत देकर भी डॉक्टर से यह प्रमाण पत्र बनवा लिया जाता है ।और फिर इस प्रमाण का उपयोग न्यायलय  और सरकारी योजनाओ का लाभ उठाने मे किया जाता है
समाज मे भी यह नकली बेहरे अपने बहरेपन का नाटक करके लोगो को खूब बेबक्कूफ बनाते है । यह  अपने फायदे की बाते तो सुन लेते है पर  अपने नुकसान की बाते अनसुनी करते है ।यदि इन बहरो पर किसी को शक भी होता है और वह पूछता है की आपको सुनाई देता है ' इस पर यह लोग कहते है की हॉ एक कान मे थोडा सुनाई देता है ।
इन नकली बहरो को असली बेहरा समझकर लोग  इनके सामने ही इनकी अच्छाई और बुराई की बातें करते है ।और यह बहरे इसका पूरा लाभ उठाते है जैसे _ निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाए ' बिन पानी बिन सावूना निरमल करें सुभाय '
इन नकली बहरो को अपने बेहरेपन के ढोग के कारण कभी कभी बडे राज़ की बाते भी पता चल जाती है जो बहुत लाभदायक होतीं है ।
🙉 बुरा मत सुनो 🙉

शनिवार, 5 नवंबर 2016

जंगल का भाग्य उदय ।

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🌳🌲🌴🌲पिछले दशकों मे जंगलों को बचाने के लिए भारत मे बहुत प्रयास किए गए ।यहाँ तक की चिप्पू आंदोलन तक चले जिनमे लोग पेड़ो को कटने से बचाने के लिए पैडो से चिपक जाते थे । पर  असफलता ही हाथ लगी और जंगल अधाधुंध कटते रहे ।क्योंकि उस समय ग्रामीण जन जंगलो पर ही निरभर होते थे  । उनके अधिकंश काम लकड़ी से ही पुरे होते थे ।
लकड़ी की काठी और काठी का घोडा _जैसे कृषि यंत्र हल ' बक्खर ' बैलगाडी ' आदि लकडी से ही बनते थे ।गाँव मे मकान भी लकडी से ही बनते थे ।फनीचर  और घर की बहुत सी वस्तुएं लकडी की ही उपयोग होतीं थी । मकानो के चारो तरफ  और खलिहानो की बागुड भी लकडी व कॉटेदार झाडियो से ही होतीं थी । चुल्हा जलाने मे भी लकडी का ही उपयोग होता था ।यहॉ तक की लोग दॉत साफ करने के लिए भी लकडी की दतून का उपयोग करते थे ।
बदलाव की बेला _अब गांव के जन जीवन मे भी समय के साथ बदलाव  आया है । अब कृषि के काम ट्रेक्टर से होते है । मकान पक्के बनने लगे है । बागुड की जगह तार फेंशिंग होने लगीं हैं ।लकडी के फर्नीचर और खिडकी दरवाजो एवं लकडी की सभी वस्तुओ की जगह  अब लोहे और प्लास्टिक के सामानो ने ले ली है ।लकडी के चुल्हो की जगह  अब गेस चुल्हे आ गए है । दतून की जगह  अब लोग बाबा रामदेव के मंजन से दॉत साफ कर रहे है ।
कागज  उधोग मे बॉस की लकडी की भारी खपत होती है जो अव कागज के घटते उपयोग के साथ बहुत घट जाएगी ।
जंगल मे मंगल _ दिन प्रति लकडी की घटती उपयोगिता को देखते हुए ' अव यह कहा जा सकता है की जंगलो के भाग्य उदय हो रहे है । और वह दिन दूर नही जब भारत के जंगल भी अफ्रीका के जंगलो की तरह घने होगें ' अब जंगल काटने वाले लक्कड चोर रहे और न ही लकडहारे बचे है । अव  एसा सुहावना समय है जंगलो के लिए जिसमे जंगल दिन दूने और रात चौगनी बढोत्री करेगे और जंगल मे मंगल होगा ।

बुधवार, 2 नवंबर 2016

मोवाइल सेट दस साल कैसे चलाए ।

🚪 मोवाइल फोन सेट 🚪
एक जमाना था जव सदेश भेजने के लिए कबूतर का उपयोग किया जाता था ।फिर वह दौर  आया जव संदेश पत्र डॉक से भेजे जाते थे ' डॉक से भेजे गए संदेश का जवाब आने मे दो सप्ताह तक का समय लगता था । आज हमारी खुशकिस्मती है कि अब हमारे हाथ मे विज्ञान ने मोवाइल नामक  एसा यंत्र दिया है जिससे हम दुनिया के किसी भी कोने मे रहने वाले अपने अजीज से सीधे बात कर सकते है । और परदेश मे बसने बाले अपने प्रियजनो को वीडियो कॉल करके प्रत्यक्ष देख सकते है । विज्ञान की देन ' मोवाइल ' मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ।
मोवाइल की कीमत_ आज बाजार मे 500 रू  मे भी मोवाइल मिल जाता है । पर  एक  अच्छा स्मार्ट मोवाइल फोन सेट बाजार मे 8 से 10 हजार रूपये के आसपास मिलता है । याने की एक आम  आदमी की महिने भर की कमाई के बराबर  एक नये मोवाइल की कीमत होती है ।
मोवाइल  आज हमारे जीवन का एक  अहम हिस्सा बन गया है और हर  आदमी का काम  इसके बिना नही चलता है ।पर  कोई भी मोवाइल सेट लापरवाही से चलाने पर  दो या चार महिने से जादा नहीं चलता और खराब हो जाता है फिर  उस सेट को कचडे मे ही फेंकना पडता है । नया मोवाइल लेने के लिए एक माह का वेतन खर्च करना पडता है ।
अगर मोवाइल फोन सेट का सही रखरखाव और  उसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो एक मोवाइल सेट दस साल से भी अधिक चलता है ।आइए जाने कैसे ?
1.पहली सावधानी मोवाइल जमीन या फर्स पर कभी भी नही गिनरा चाहिए ।
2.अपना मोवाइल कभी भी किसी दूशरे के हाथ मे नही देना चाहिए ।
3.बच्चों को गेट खेलने या छोटे बच्चों को गाना सुनाकर रोने से चुप करने के लिए भी मोवाइल देना उचित नही है ।
4.मोवाइल सेट नमी के प्रतिसंवेदनशील होता है इसलिए नम स्थान पर नही रखना चाहिए ' और ना गीले हाथो से मोवाइल पकडना चाहिए ।
5 अधिक गरम जगह जैसे खुली धूप  आदि गरम जगहो पर जादा देर तक मोवाइल रखा रहने पर  उसकी बैटरी फटने का डर होता है ।
6 मोवाइल की स्क्रीन हमेशा कार्टन के कपडे से ही साफ करना चाहिए इससे स्क्रीन पर खरौच नही पडते है ।
7 मोवाइल कभी भी रात भर या जरूरत से जादा समय तक चार्ज पर लगा नही छोडना चाहिए और ना कभी फुल चार्ज करना चाहिए 5% कम ही चार्ज करना चाहिए । बैटरी पूरी डिस चार्ज नही होने दे इससे पहले ही चार्ज पर लगाए । इन सावधानीयो से बैटरी लंबे समय तक चलतीं हैं ।
8 चार्ज पर लगा होने पर  नही चलाना चाहिए । वह गरम रहता है ' चलाने पर  और गरम हो जाता है ' जिससे उसकी कार्यक्षमता कम होती है ।
9. मोवाइल सेट मे खराबी आने पर उसकी कंपनी के रिपयरिंग सेंटर पर ही ठीक करवाना उचित होता है ।

" मोवाइल के प्रति सावधानी हटी ' की दुर्घटना घटी"

मंगलवार, 1 नवंबर 2016

कर्कस पत्नी को कैसे सहें ।

कोयल का रूप भले ही काला होता है पर  उसका कुहू कुहू का मीठा स्वर कर्णप्रिय होता है । वही कुछ सुन्दर रूप वाली औरतें होती है ' जिनका स्वभाव कर्कस होता है एसी औरतो का कर्कस स्वर सुनकर सामने बाले आदमी के माथे पर बल पड जाते है और दिमाग का पारा चढ जाता है ' कर्कस वाणी के बॉण सीने मे जहर मे बुझे बॉणो की तरह लगते है ।एसी नारीयो के बचन दूशरे लोग तो यह सोचकर सहन कर लेते है की _तुल्सी इस संसार मे तरह तरह के लोग है सबसे हिल मिल चलो नदी नाव का संजोग है । पर  उन लोगो का क्या हाल होता होगा जो लोग कर्कस  औरतों के पती होते है ' आखिर वह लोग  इन  औरतो के साथ कैसे जीवन जीते होगे ' शायद यही सोचकर की _ किसी को मुकम्ल जहाँ नहीं मिलता ' किसी को जमीं नही मिलती तो किसी को आसमां नही मिलता " ।
सुकरात की पत्नी_ सुकरात की पत्नी बहुत कर्कस स्वभाव की औरत थी । दिन भर मेंडक की तरह टर्राती ही रहती थी । सुकरात  उसकी बातो पर ध्यान ही नही देते थे । सुकरात से मिलने आने वाले कई लोगों ने सुकरात से कहा_की आप  अपनी पत्नी को कैसे सहते है ' आप  इसे छोड क्यों नही देते । इस बात पर सुकरात कहते थे की नही वह  उनका मनोरंजन है ।
लेखक की पत्नी _ एक लेखक की पत्नी ने उस लेखक की पांडूलिपी जानबूझ कर चुल्हे मे जला दी । इस बात पर  उस महान लेखक ने अपनी पत्नी से कुछ भी नही कहा और तुरंत  अपनी कलम कागज लेकर दूशरी लिपी तैयार करने मे जुट गया ' कुछ दिन की मेहनत के बाद  उस लेखक ने वही दूशरी पांडू लिपी तैयार कर ली ।इसके बाद वह पत्नी अपने किए पर बहुत पछताई और  उसने जीवन मे फिर कभी एसा ना करने की कशम भी खाई ' और लेखक के काम मे उसकी मदद भी करने लगी थी ।
हम  अपने समाज मे एसी कर्कम  पत्नीओ को भी देखते है वह जो भी बोलतीं है ऊँटपटाँग  और गाली गलोच के साथ ही बोलतीं है । जिस पर  उनके पती कहते है_अरी भागवान शुभ -शुभ बोल ।
एसी वांणी बोलिए मन का आपा खोए '
औरन को शीतल करें आपहु शीतल होए " _ रहीम 
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सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

बैंक 'स्विफ्ट कोड ' की पूरी जानकारी ।

स्विफ्ट कोड " क्या है ? इसे कैसे और कहाँ से प्राप्त के करें ? 
इस विषय की पूरी जानकारी नीचे दी जा रही है । 
बैक खाते का एक कोड होता है । IFSC कोड जिसके बारे मे सभी जानते है । यह कोड हर बैक ब्रांच का अलग होता है ।यह कोड  एक ही देश के अंदर एक बैक से दूशरी बैक के खाते मे रुपये भेजने के लिए उपयोग होता है । ifsc code का फुल फार्म ' इंडियन फाइनेंसियल सिस्टम ' है ।
स्विफ्ट कोड swift code : यह कोड  एक देश से दूशरे देश की बैको के खाते मे मुद्रा ट्रांस्फर करने के लिए उपयोगी होता है । पर भारत मे हर बैक ब्रांच का अपना स्विफ्ट कोड नही होता है ।बडी बडी बैको जैसे sbi आदि के एक प्रदेश मे दो या चार शहरो की बैंको के ही यह कोड होते है । कुछ बैक जैसे icici बैक  आदि के तो एक प्रदेश मे केवल  एक ही शहर का स्विफ्ट कोड होता है । किसी भी बैक का स्विफ्ट कोड  उस प्रदेश मे उस बैक की किसी भी शाखा के खाते मे विदेशी धन डलवाने के लिए उपयोग किया जा सकता है ।
स्विफ्ट कोड ' पता करना _ इंडिया मे विदेशी मुद्रा अपने बैक खाते मे ट्रांस्फर करवाने वालो को इस 'स्विफ्ट कोड ' नामक मुशीवत की जरूरत पडती है । खास कर  इंडियन ब्लॉगरों को अपने बैक खाते मे गूगल एडसेंस का पेमेट पाने के लिए यह कोड जरूरी होता है । अपनी बैक शाखा का स्विफ्ट कोड जानने के लिए उस बैक के टोल फ्री कस्टमर केयर पर कॉल करके पता किया जा सकता है । यदि यहाँ से भी समश्या का हल ना हो तो फिर गूगल देवता की शरण मे जाओ इंटरनेट पर  एसी बहुत साइट है जो इंडिया के ही नही पूरी दुनिया की बैकों के स्विफ्ट कोड  उपलब्ध करातीं है ।
बैंकों के स्विफ्ट कोड पता करने के लिए एक बहुत अच्छी वेबसाइट है जिस पर यह कोड खोजना बहुत सरल है । इस साइट का लिंक  और होम पेज का फोटो हम नीचे दे रहे है ' पर यह साइट खोलने से पहले इसके बारे मे समझ ले क्योंकि आखिर विदेशी मुद्रा पाने का सवाल है ।
www.ifscswiftcodes.com यह साइट खोले ' होम पेज अने पर उसमे उपर स्विफ्ट कोड पर क्लिक करें ' अब आपके सामने जो पेज होगा उसमे एक बॉक्स होगा जिसमे चार छोटे बॉक्स होगें । उनमे से पहले बॉक्स पर क्लिक करें 'अब आपके सामने कंटरी लिस्ट होगी जिसमे से आपको अपना देश चुन कर स्लेक्ट करना है इसी तरह दूशरे बॉक्स मे अपनी बैक का नाम चुने ' तीशरे बॉक्स मे अपना प्रदेश चुने ' अब अंतिम चोथे बॉक्स मे आपको सिटी चुनना है ।जव आप इस बॉक्स पर क्लिक करेगे तो आपके सामने एक लिस्ट होगी जिसमे कुछ शहरो के नाम होगे ' एक शहर का एक नाम भी हो सकता है ' जहाँ तक इस लिस्ट मे आपके शहर का नाम नही होगा जहाँ आपका बैंक खाता है ' पर आपको चिंता करने की जरूरत नही है । अपने शहर के पास बाले शहर के नाम पर क्लिक करे ' लिस्ट मे एक ही शरह का नाम हो तो उसी पर क्लिक करे ' अब आपके सामने उस सिटी की कुछ बैंक शाखाओ के नाम होगे 'जिनमें से किसी भी एक पर क्लिक करें । अब आपके सामने नीचे बाले बडे बॉक्स मे पहले नं पर उस शाखा का स्विफ्ट कोड लिखा आएगा और भी उस शाखा की पूरी जानकारी इसमे से यह स्विफ्ट कोड ' नोट करैं 'और उस कंटरी को भेजें जहाँ से आपका पैसा आने वाला है । एक प्रदेश मे आपनी बैंक की किसी भी शाखा का स्विफ्ट कोड अपने खाते के लिए उपयोग किया जा सकता है ।

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।