सोमवार, 23 जनवरी 2017

यह मेरे भारत की पहचान ।

जिसके नाम ' आर्यवर्त ' इंडिया ' भारत और हिन्दुस्तान "
यह मेरे भारत की पहचान "

जिसकी भाषा हिंदी ' धर्म हिंदू ' सागर हिंद और  नाम हिन्दुस्तान "
 यह मेरे भारत की पहचान "

जहाँ के भगवन ' राम ' कृष्ण ' महावीर    ओर बुध भगवान "
 हय मेरे भारत की पहचान "

जहाँ थे जन्मे ' वाली ' रावण ' भीम  और महावली हनुमान "
यह मेरे भारत की पहचान "

जिसके दानी ' कर्ण ' हरीश्रचंद्र 'राजा वली ओर मोरतधव्ज का महादान "
 यह मेरे भारत की पहचान "

यहॉ के उत्सव ' होली ' दिवाली 'दशहरा और रक्षाबंधान "
यह मेरे भारत की पहचान "

जिसकी बुलंदी ' कुतुम्बमीनार ' ताजमहल 'अजता और लालकिले सी शान "
यह मेरे भारत की पहचान "

जिसके अंग ' सिर श्रीनगर 'नाक नागपुर ' दिल दिल्ली और मुम्बई मेरी जान "
यह मेरे भारत की पहचान "

जिसका चिन्ह ' मोर 'शेर 'कमल का फूल  और तिरंगा निसान " 
यह मेरे भारत की पहचान "
🌷🚜🌷⛺🎌💗👳जय किसान👳

गुरुवार, 19 जनवरी 2017

सिनेमा और टीवी इतिहास के सुन्हरे पल ।

केमरा का सबसे पहला आविष्कार इराकी बैज्ञानिक 'इब्न  अल हुजैन ' ने सन 1015 से1021 के बीच किया था । इसके बाद केमरा विकास करते करते आज हर मोवाइल फोन सेट मे आने लगा है ।
भारत मे सिनेमा का आरंभ ।
1886 मे भारत मे सिनेमा की शुरूवात हुई ।जब बंबई के एक हॉटल मे ल्यूमेरे ब्रर्दस ने कुछ चलचित्रो का प्रदर्शन किया था । दादा सहिव फालके ने पहली मूक फिल्म 'राजा हरिश्रचंद्र' बनाई । जिसे 1913 मे दिखाया गया था । इसके बाद भारत मे मूक फिल्मे बनने का चलन  आरंभ हुआ । 1930 मे भरत मे पहली बोलती फिल्म ' आलम  आरा ' बनी जो उरदू भाषा मे थी इसे 1930 मे दिखाया गया था । आलम  आरा का निर्देशन  अर्देशिर  इरानी ने किया था । 1937 मे रिलीज हुई भारत की पहली रंगीन फिल्म ' किसान कन्या ' इस फिल्म के निर्माता अर्देशिर  इरानी थे । किसान कन्या हिंदी भाषा मे पहली रंगीन मूवी थी । इसके बाद बहुत सी फिल्मे बनी ।
शोले _15 अगस्त 1975 मे भारत की सबसे सुपर हिट फिल्म शोले आई । इस फिल्म के निर्माता निर्देशक जे पी शिप्पी और  उनके पिता रमेश शिप्पी थे । इस फिल्म ने सफलता की बुलंदी को छुआ । शोले के मुख्य आदाकारो मे अमिताभ बच्चन ' जया भादडी (जया बच्चन) धर्मेद्र' हैमामालनी ' अमजद खान थे । इन कलाकारो का अभियान इस फिल्म मे हकीकत के करीब है । शोले दुनिया की सबसे अधिक देखी गई फिल्म बनी । हय फिल्म उस समय भोपाल के एक सिनेमाघर मे तीन साल तक चलाई गई ।और देखने बालो ने इसे बार बार देखा । शोले फिल्म ने खूब दोलत  और शोहरत कमाई ।
भारत मे टेलीविजन [टीवी] का आरंभ ।
भारत मे1959 को पहलीबार टीवी का प्रशारण  आरंभ हुआ ।1984 मे डीडी मेट्रो चैनल शुरू हुआ ।इसी सन मे पहला टीवी सीरियल हमलोग  टीवी पर दिखाया गया ।इसके बाद' खानदान' इधर  उधर ' आदि टीवी धाराबाहिक टीबी पर  आने लगे थे । फिर भी टेलीविजन टीवी का नाम बहुत कम लोग ही जानते थे । बीमारी का नाम टीवी लोगो ने जरूर सुना था ।पर देखने वाली टीवी को नही देखा था ।
रामायण धाराबाहिक - 25 जनवरी 1987 को निर्माता निर्देशक रामानंद सागर का लोकप्रिय धाराबाहिक रामायण पहली बार दिखाया गया । जिसे देखकर लोग दिवाने होए ।घर घर मे इसकी चर्चा होने लगी ।यह सीरियल रविवार के दिन सुवह 30 मिनिट टीवी पर दिखाया जाता था । इस धारावाहिक के प्रशारण के समय भारत की जिंदगी थम जाती थी लोग  अपने काम छोडकर  इसे जरूर देखते थे । इस धारावाहिक के चलते गॉव गॉव मे टीवी पहुंच गया । उस समय गॉव के बडे किसानो के एक दो घरो मे ही टीवी सेट होता था । रविवार के दिन सुवह 9.30 बजे सारा गॉव  एक टीवी के सामने जमा होकर रामायण देखता था ।उस समय गॉवो मे बिजली नही थी फिर भी लोग ट्रेक्टर की बैटरी से टीवी चलाकर यह धारावाहिक जरूर देखते थे । यह ब्लेक व्हाइट टीवी का जमाना था । रामानंद सागर का यह धारावाहिक टीवी के इतिहास मे सबसे अधिक देखा जाने वाला सीरियल रहा ।इसमे राम की भुमिका अरुण गोविल ने निभाइ थी और सीता के रूप मे दीपिका थीं ।
महाभारत " बी आर चोपडा के लोकप्रिय धारावाहिक रामायण का प्रशारण टीवी पर सन 1988 से आरंभ हुआ । जो 1990 तक चला । यह सीरियल भी रामायण की तरह ही लोकप्रिय रहा । महाभारत सीरियल ने गॉवो के घर घर मे टीवी पहुचा दिया । इसी दोरान टीवी सेटो की धडल्ले से बिक्री हुई । टीवी सेटो के निर्माता और बिक्रेताऔ ने अटूट मुनाफा कमाया और  अमीर बन गए ।
चंद्रकाँता _नीरजा गुलेरी का लोकप्रिया धारावाहिक टीवी पर पहली बार 4 मार्च1994 को दिखाया गया था । इस समय भारत के गॉवो मे बिजली और रगीन टीवी का आगमन हो गया था ।देवकीनंदन खत्री के प्रशिध  उपन्यास पर  आधारित धारावाहिक चंद्रकांता  भी टीवी के इतिहास मे एक लोकप्रिय सीरियल रहा है । यह धारावाहिक 1996 तक टीवी के राष्ट्रीय चैनल पर दिखाया गया । इस सीरियल की मुख्य भूमिका मे अरवाज खान थे । इस धारावाहिक की कहानी राजकुमारी चंद्रकांता और  एक राजकुमार की प्रेम कथा पर  आधारित है । जो पुरानी होकर भी बहुत सुहानी लगती है ।
शोले का विडियो ।
रामायण का विडियो ।महाभारत का दृश्यचंद्रकांता की कहानी
महाभारत का दृश्य

रविवार, 15 जनवरी 2017

सफलता की चाबी ।

दुनिया मे सफलता सभी चाहते है । पर बहुत कम लोग ही सफल होते है बाकी असफल रहते है आखिर एसा क्यों होता है ? इसका उत्तर पाने और सफलता की चाबी ढूंढने के लिए ' सफलता और  असफलता पर दुनिया मे बहुत शोध हुआ है । जिसके परिणाम मे जो बात निकल कर सामने आई वह यह है की कुछ उसुलो को बार बार  अमल मे लाने का नतीजा ही सफलता होती है । वे उसूल  एवं गुर सूत्र है जैसे _ कडी मेहनत ' लगन ' गहरी इच्छा ' निरंतरता ' हर  आदमी को खुश न करना ' साकारात्मक नजरिया और  अवसर की पहचान  आदि ।
अवसर की पहचान
किसी भी काम का योग बनाने मे समय  और मेहनत लगती है ।पर कभी कभी  कुदरती योग बनता है ।जो किसी काम को पूरा करने का स्वर्णिम  अवसर होता है । हमे उस  अवसर को पहचान कर  उसका लाभ लेने की जरूरत होती है ।  कभी कभी अवसर बाधा के रूप मे भी आते है । हमारे पास  अवसर को पहचानने की नजर होनी चाहिए ' विचारको के अनुसार हर समस्या अपने साथ कोई ना कोई अवसर जरूर लाती है । अवसर समस्या के बराबर या उससे बडा छोटा भी हो सकता है । एक बात  और हर दूशरा अवसर ठीक पहले अवसर जैसा कभी नही आता भले ही वह पहले अवसर से और भी बेहतर क्यों ना हो पर बिलकुल पहले अवसर जैसा नही हो सकता है ।
कार्यो मे सहायक और बाधक कारक ।
हम हर काम तुरंत पूरा करना चाहते है पर  एसा नही होता है । क्योंकि काम पूरा करने के लिए कुछ कारको का योग होना जरूरी होता है । जब तक  उस काम से सवंधित कारक  अनुकूल नही होगे तव तक वह काम पूरा करना असंभव होता है । इन कारको मे पहले कारक हम खुद होते है इसके बाद दूशरा व्यक्ति ' वस्तुए ' रूपये ' मोषम ' और समय है ।
कामो मे बाधक  उपरोक्त छह कारको मे से पॉच कारको के अन्य विकल्प  अपनाकर काम चलाया जा सकता है । पर समय  एक  एसा कारक है । जिसका इंतज़ार करने के अलावा और कोई विकल्प नही होता है ।
⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚⌚

बुधवार, 11 जनवरी 2017

एक पनहारी लगे बडी प्यारी ।

एक पनहारी लगे बडी प्यारी ' जब पनघट पे आए जाए ।

हाथ मे गगरा कमर से कसेंडी चिपकाए
घर से निकले पनहारी पनघट को जाए ' एक पनहारी____

गेरो को देख मुह पर परदा गिराए
अपने प्रेमी को मुखडा दिखाए ' एक पनहारी ________

कुआ बावडी की रोंनक बढाए
नल नदिया के भाग्य जगाए ' एक पनहारी ______

 राह मे मनचले मसखा लगाए
कभी पवन पल्लू उडाए ' एक पनहारी ________

 जब पनहारी घडा सिर पर  ऊठाए
भरा घडा सीने से लग लग जाए ' एक पनहारी_____

 कुए पर बरतन नहलाए
प्यासे पथिको को पानी पिलाए 'एक पनहारी _______

कलश सिर पर रखे डगर मे खडी दिखाए
पनहारी सखिन संग घंटों तक बतियाए ' एक पनहारी लगे बडी प्यारी जब पनघप पे आए जाए ।
🍯🍯🍯🎎🎎👙👙👙💗💙💚💋👱👰👸👰👱👸👩👩👩

रविवार, 1 जनवरी 2017

सबकुछ नया नया है ।

🎇 नया दिवस है नया माह है नया साल है '
हर पल नया नया है ' सबकुछ नया नया है ।

🌙नए तारे है नया चॉद है नया रवि है ' 
हर पल नया नया है '-----------------------

🌳नए पौधे है नई लता है नए पेड है ' 
हर पल नया नया है '-----------------

🌸 नई कलियॉ है नए फूल है नया पराग है ।
हर पल नया नया है '--_-_____-----------

🚣 नया नीर है नई हवा है नई धूप है 
हर पल नया नया है '------------------

🌃 नई जमी है नया गगन है नया अंतरिक्ष है ।
हर पल नया नया है '-----___----------------

🌄 नई शाम है नई रात है नई सुबह है '
हर पल नया नया है ' सबकुछ नया नया है ।
💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏💏

शनिवार, 31 दिसंबर 2016

असली और नकली गॉधी परिवार ।

महात्मा गांधी के परिवार के बारे मे बहुत कम लोग जानते है ।अभी भी कुछ ग्रामीण जन तो यह समझते है की महात्मा गांधी की कोई संतान ही नही थी । और कुछ लोग जिनकी पहुच  इंटरनेट तक नही है वे इंदरा गांधी को ही बापू की पुत्री समझते है ।
मोहनदास गाधी का असली परिवार ।
महात्मा गांधी यानी मोहनदास गांधी की पत्नी कस्तूरवा गांधी थी । और  उनके चार पुत्र थे 'हरीलाल गांधी ' रामदास गांधी ' देवदास गांधी 'और मणिलाल गांधी । हरीलाल महात्मा गांधी के बडे बेटे थे । जो इतिहास मे बदनाम है ।कहा जाता है की हरीलाल गाधी शराबी थे । विकीपेडिया पर हरीलाल गांधी का फोटो है जिसे देखकर यह  अंदाजा लगता है की यह  अदमी नशे मे है ।  हरीलाल  इंग्लैंड जाना चाहते थे उच्च शिक्षा के लिए और बापू की तरह ही बकील बनना चाहते थे ' पर बापू ने उन्हें एसा करने से रोका था । जिससे हरीलाल कुंठित होकर बापू के कट्टर बिरोधी हो गए । बापू भी हरीलाल को अपना पुत्र नही मानते थे । बापू ने एक पत्र मे लिखा था की हरीलाल तुम मुझे सच वताओ क्या तुम  अभी भी शराव  और व्यभिचार मे लिप्त हो यदि एसा है तो मे चाहता हू की तुम मर जाओ । हरीलाल गांधी ने भी किसी पत्र मे लिखा था " जिसे लोग राष्टपिता मानते है वेहतर होता यदि वह मेरा पिता ना होता "  हरीलाल गांधी के चरित्रहीन होने और बापू बिरोधी होने के कारण ही असली गांधी परिवार को इतिहास मे संमानपूर्ण स्थान नही मिला । और  उनके पुत्र राजनीती मे भी नही आए ।बापू के पुत्र तो अब  इस संसार मे नही रहे पर बापू के नाती पोतो मे लगभग 50 सदस्य  अभी मोजूद है ।जिनमें से अधिकार गांधी परिवार के लोग विदेशों मे है बाकि भारत के बिभिन्न शहरो मे रहते है । बापू के परिवार के सबसे जादा पहचाने जाने वाले व्यक्ति बापू के सुपुत्र तुषार गांधी है जो कभी कभी टीवी पर  आते है । तुषार गांधी मुंबई मे रहते है ।
महात्मा गांधी के परिवार के बारे मे विस्तार से पढने के लिए navbhrattimes.indiatimes.comपर जाए ।
नकली गांधी परिवार का खुलासा ।
नकली गांधी परिवार के जन्मदाता पं जवाहर लाल नेहरू थे । जिनहोने यह राजनितिक षडयंत्र रचा था । पं नेहरु की पुत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू थी जिसने फ़िरोज खान से शादी की थी और शादी के बाद  उनका नाम मेमुना बेगम हो गया था ।परंतु पं नेहरू ने अपने दामाद  और बेटी को गांधी उपनाम का जामा पहना दिया । यह नेहरु की ही चालवाजी थी भारतवासीओ को उल्लू बनाने के लिए । इस षडयंत्र के तहत भारतियो को गुमराह करके नेहरु के बाद  इंदिरा इंदिरा गांधी बनकर भारत की प्रधानमंत्री रही । उनके बाद  उनके बेटे रोबेर्तों  राजीव गांधी बनकर भारत के प्रधानमंत्री बने । इसके बाद  राजीव की पत्नी 'एंटोनिया माईनो ' जो एक  इटालियन  इसाई है । सोनिया गांधी बनकर भारत की जनता को वेबकूफ बनाया । अव रॉल राहूल गाधी बनकर लोगो को गुमराह कर रहे है । इस परिवार के सदस्यों ने गांधीजी के  उपनाम गांधी का भरपूर लाभ  उठाया और बहुत लंबे समय तक भारत पर राज किया । और भारत के लोगो को खूब  उल्लू बनाया है । विकाश के नाम पर  अपनी ही बिल्डिग  उची की है ।
नकली गांधी परिवार  एवं नेहरू के षडयंत्र के बारे मे विस्तार से जानने के लिए ' सुदेश शर्मा के फेसबुक पेज m.facebook.com पर जाए ।

गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

MP के पूर्व CM सुंदरलाल पटवा का निधन ।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को दिल का दौरा पडने से बुधवार 28 दिसंबर 2016 को उनका निधन हो गया वह 92 साल के थे ।
सुंदरलाल पटवा का जन्म 11 नवंबर 1924 मे मंदसौर जिले के कुकडेश्वर गांव मे हुआ था । 1942 मे पटवा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडे थे । इसके बाद वह संघ प्रचारक रहे । फिर वह दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने ' 1998 में पहली बार  एवं 1990 से 1992 तक दो साल वह दुशरी बार मुख्यमंत्री रहे । 1997 मे सुंदरलाल पटवा दो साल  अटलविहारी की सरकार मे मंत्री पद पर रहे । बीसवीं सदी मे अटलविहारी के समकालीन नेताओं मे सुंदरलाल पटवा BJP के बहुत प्रभावशाली नेताओं मे से एक थे ।
सुंदरलाल पटवा ने मध्य प्रदेश मे अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बहुत विकास के कार्य करवाए । भोजपुर बिधानसभा क्षेत्र मे आनेवाले गोंड आदिवासीओ के साडे बारह गांव जो अति पिछडे थे उन्हें पटवा ने गोद लिए और  इन गांवो मे स्कूल वनवाए 'पक्की सडक बनवाई और  इन गांवों को विकाश की धारा से जोडा पटवा के योगदान से यह जंगली गांव प्रकाश मे आए । सुंदरलाल पटवा को साडे बारह गांव की जनता कभी भूल नही पाएगी ।

चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा

  आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है।  इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।