🌞🌝🌞 सूरज हूँ ज़िन्दगी की रम़क छोड जाऊँगा ' मै डूब भी गया तो शफ़क छोड जाऊँगा " _इकवाल साजिद_
गुरुवार, 14 सितंबर 2017
सुपरहिट गाने ।
मंगलवार, 12 सितंबर 2017
बीमार पर रिस्तेदारों की मार ।
हमारे समाज मे ब्यक्ति का बीमार होना किसी गुनाह से कम नही है ! क्योंकि हमारा समाज इसकी कडी सजा देता .है । आइए जाने कैसे ।
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह उसे देखने जरूर आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार आदमी की तबियत और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है तो समझो हमारा समाज उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
💉💊💉💊💉💊⛄⛄🗿
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह उसे देखने जरूर आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार आदमी की तबियत और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है तो समझो हमारा समाज उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
💉💊💉💊💉💊⛄⛄🗿
रविवार, 16 जुलाई 2017
बोलो तो बात बने ।
चुप रहने से कुछ ना होगा ।
बोलो तो बात बने ।
मन की बात जुवा पर ना लाने कुछ ना होगा ।
मुह खोलो तो कुछ पता चले ।
अंजाम के डर से खामोस रहो तो कुछ ना होगा ।
हिम्मत से बोलो तो अंजाम मिले ।
बोलने से पहले ही मत सोचो जबाव न होगा ।
बोलकर तो देखो जबाव हॉ मिले ।
बोलने कीआजादी है बात कहना गुनाह न होगा ।
कोइ न सुने तो भी कहने मे हमारा क्या लगे ।
बात आज ही आभी कहो कल कहने से क्या होगा ।
पता नही कल कैसी हवा चले ।
हक के मसले मे खामोसी से कुछ न होगा ।
आवाज उठाओ तो हक मिले ।
अनजान ठिकाना पुछने सकुचाने से कुछ न होगा ।
पता पूछो तो मंजिल मिले ।
मेरे लिखने से कुछ ना होगा ।
तुम पढो समझो तो बात बने ।
बोलो तो बात बने ।
मन की बात जुवा पर ना लाने कुछ ना होगा ।
मुह खोलो तो कुछ पता चले ।
अंजाम के डर से खामोस रहो तो कुछ ना होगा ।
हिम्मत से बोलो तो अंजाम मिले ।
बोलने से पहले ही मत सोचो जबाव न होगा ।
बोलकर तो देखो जबाव हॉ मिले ।
बोलने कीआजादी है बात कहना गुनाह न होगा ।
कोइ न सुने तो भी कहने मे हमारा क्या लगे ।
बात आज ही आभी कहो कल कहने से क्या होगा ।
पता नही कल कैसी हवा चले ।
हक के मसले मे खामोसी से कुछ न होगा ।
आवाज उठाओ तो हक मिले ।
अनजान ठिकाना पुछने सकुचाने से कुछ न होगा ।
पता पूछो तो मंजिल मिले ।
मेरे लिखने से कुछ ना होगा ।
शनिवार, 1 जुलाई 2017
जीएटी भारत कीअर्थव्यवस्धा सुधार
सोमवार, 19 जून 2017
कपडा कागज बैग बनाने का अवसर ।
भारत का दिल मध्य प्रदेश अब पोलेथिन पन्नी के प्रदूषण से साफ हो रहा है । 24 मई2017 से मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पन्नी के उपयोग पर रोक लगा दी है ।पन्नी का उपयोग करने बालो पर र्जुमाना लगेगा ।पन्नी की जगह कागज और कपडे के बैग उपयोग करने की सलाह दी जा रही है । अब पूरे भारत मे पन्नी का चलन बंद होने की पूरी संभावना है क्योंकि पोलेथीन पन्नी का प्रदूषण अब चरम सीमा पर है । मध्यप्रदेश मे अब कागज और कपडे के बैग की माँग बढने बाली है । यह समय कागज और कपडे के बैग बनाने का उधोग लगाने का सुन्हरा अवसर है ।
👜 कपडा बैग बनाने का गृह उधोग बहुत कम लागत से स्थापित किया जा सकता है ।बस इसके लिए एक सिलाई मशीन जाहिए और सस्ते कपडे के थान ' लटठा और नेट के कपडे सस्ते पढते है । नेट का कपडा थोक मे कटनी से खरीदने पर सस्ता पढता है क्योंकि यहॉ नेट का कपडा बनता है । कपडे के बैग बनाने मे जादा झंझट भी नही है । इसकी मार्केटिग करना भी आसान होगा हर दुकानदार को इसकी जरूत पडेगी आखिर ग्राहक को किसी ना किसी थेले मे रखकर ही तो सामान देना होगा । कपडे की पोटली मे बॉधकर तो सामान दिया नही जा सकता है ' किराना बाले ' कपडे की दुकान ' सब्जी बाले सभी को कपडे के बैग रखना पढेगा अपने ग्राहको की सेवा के लिए ।
गुरुवार, 15 जून 2017
कंचन तेरी याद में ।
में जब भी कभी सुनता हू प्रेम के कहीं '
तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी '
तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी '
तब नाइका मे तुम नजर आती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी '
तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना '
मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे ।
मे पत्थर था तुम कंचन हो पर फिर भी अभी '
पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे ।
मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह '
फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।
💟💙💟💙💟💙💟💙💟💙💟💙💟💙💟💙💟💙
तव में खो जाता हू ' कचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी पढता हू कोई प्रेम कहानी '
तव कल्पना मे तुम दिखती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी देखता हू कोई फिल्म कभी '
तब नाइका मे तुम नजर आती हो ' कंचन तेरी याद मे ।
में उदास होकर कभी जाता हू मंदिर कभी '
तब राधा के रूप मे तुम्हे पाता हू ' कंचन तेरी याद मे ।
में जब भी कभी सोता हू तो देखता हू तेरा ही सपना '
मुझे हर बक्त तेरी फिक्र है ' कंचन तेरी याद मे ।
मे पत्थर था तुम कंचन हो पर फिर भी अभी '
पानी मे बन गया हू ' कचन तेरी याद मे ।
मे जानता हू की तुम भी बधी हो जमाने की जंजीर से मेरी ही तरह '
फिर भी तुम्हें पाने के लिए क्यो मे पागल हू ' कंचन तेरी याद मे ।
प्रधानमंत्री आवास योजना -ग्रामीण
🏠प्रधानमंत्री आवाज योजना _ग्रामीण " संछिप्त परिचय ।
इंदिरा आवास योजना को 2016 से प्रधानमत्री आवास योजना मे पुनः गठित किया गया है ।इस योजना के तहत भारत वासियो को जो टूटे फूटे और कच्चे मकानो मे रहते है उन्हें 2022 तक पक्के मकान बनवाने का लक्ष्य है । इस योजना से बनने वाले कमान का आकार 25 वर्ग मीटर होता है ।इस इकाई की लागत सहायता राशी 1.20 लाख एवं 1.30 लाख है ।हितग्राही कुछ बडा मकान बनाना चाहे तो उसे 70 हजार रू लोन भी मिल सकता है । इसके आलावा हितग्राही मनरेगा से 90\95 दिन की मजदूरी पाने का भी हकदार है ।मकान के साथ शोचालय बनाने पर 12 हजार रू की राशी अलग से मिलने का नियम है । साथ ही अन्य योजनाऔ के तालमेल से पेयजल व्यवस्था ' बिजली कनेक्शन ' गैस चुल्हा आदि भी मकान के साथ मुहैया कराने का प्रयास है ।
इस योजना मे 2011 की जनगणना के आधार पर हितग्राहियो का चयन किया जा रहा है ।हितग्राही अपने ब्लॉक से स्वीकृती आदेश पा सकता है या pmyg की बेवसाइट से भी डाउनलोड कर सकता है ।लाभार्थी को स्वीकृती आदेश मिलने के 15 दिन के भीतर 40 हजार रू की पहली किस्त मिलने का नियम है 'स्वीकृति मिलने की तारीख से 12 महिने के भीतर मकान निर्माण का काम पूरा होना चाहिए ।
ग्राम पंचायत स्तर पर 'ग्राम रोजगार सहायक ' टैग होता है जो हितग्राही को मकान बनाने जानकारी देने के साथ ही उसकी सहायता करता है ।
इस योजन के लाभार्थियों के चयन का आधार s e c cटिन नं है । जो स्वीकृति आदेश पर लिखा होता है ।इस डाटावेश को अन्य कार्यक्रमो मे भी उपयोग किया जाता है ।इस विशेष योजन केतहत निर्धारित किये गए लाभार्थी वह परिवार है जिन्हें स्थाई सूची मे शामिल किया गया है ।इस योजना मे ई- सेवा प्रदायगी की दो प्रणालियॉ है । पहली आवास साफ्ट और दूशरी आवास एप्प है ।
इंदिरा आवास योजना को 2016 से प्रधानमत्री आवास योजना मे पुनः गठित किया गया है ।इस योजना के तहत भारत वासियो को जो टूटे फूटे और कच्चे मकानो मे रहते है उन्हें 2022 तक पक्के मकान बनवाने का लक्ष्य है । इस योजना से बनने वाले कमान का आकार 25 वर्ग मीटर होता है ।इस इकाई की लागत सहायता राशी 1.20 लाख एवं 1.30 लाख है ।हितग्राही कुछ बडा मकान बनाना चाहे तो उसे 70 हजार रू लोन भी मिल सकता है । इसके आलावा हितग्राही मनरेगा से 90\95 दिन की मजदूरी पाने का भी हकदार है ।मकान के साथ शोचालय बनाने पर 12 हजार रू की राशी अलग से मिलने का नियम है । साथ ही अन्य योजनाऔ के तालमेल से पेयजल व्यवस्था ' बिजली कनेक्शन ' गैस चुल्हा आदि भी मकान के साथ मुहैया कराने का प्रयास है ।
इस योजना मे 2011 की जनगणना के आधार पर हितग्राहियो का चयन किया जा रहा है ।हितग्राही अपने ब्लॉक से स्वीकृती आदेश पा सकता है या pmyg की बेवसाइट से भी डाउनलोड कर सकता है ।लाभार्थी को स्वीकृती आदेश मिलने के 15 दिन के भीतर 40 हजार रू की पहली किस्त मिलने का नियम है 'स्वीकृति मिलने की तारीख से 12 महिने के भीतर मकान निर्माण का काम पूरा होना चाहिए ।
ग्राम पंचायत स्तर पर 'ग्राम रोजगार सहायक ' टैग होता है जो हितग्राही को मकान बनाने जानकारी देने के साथ ही उसकी सहायता करता है ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा
आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है। इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।
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जहाँ सुमति तहाँ संपति नाना । मित्रों महाँ कवी तुलसी की कविता की उपरोक्त पंक्ती बिलकुल सोला आने सच है । क्योकि मित्रो एकता का ...
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बुंदेलखंडी लोकगीत संम्राट देशराज पटेरिया का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के गॉव 'तिटानी ' मे हुआ । वह अपनी यूवा अवस्था से ही अप...