आज इंटरनेट के दौर में ऑनलाइन खरीददारी करने का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है ।इसकी कुछ विशेषताएं हैं जैसे कि घर बैठे उत्पाद पसंद करना और घर बैठे ही वस्तुओं को प्राप्त करना 'लेकिन ऑनलाइन खरीदारी में उत्पाद ऑफलाइन खरीददारी की अपेक्षा कुछ महंगे मिलते हैं ।मेरी जानकारी के अनुसार एमेजॉन फ्लिपकार्ट द ऑनलाइन वेबसाइटों पर खरीददारी करना बहुत महंगा है ।मेरी नजर में भारत में ऑनलाइन खरीददारी करने के लिए सबसे अच्छा ऑनलाइन स्टोर बिगली का है ।इस स्टोर पर हर तरह के कपड़ों के साथ अन्य प्रोडक्ट्स भी बहुत कम कीमत पर ऑनलाइन बेचे जाते हैं भोलसेल रेट परइसका शिपिंग चार्ज भी बहुत कम है sell.bigly.io
🌞🌝🌞 सूरज हूँ ज़िन्दगी की रम़क छोड जाऊँगा ' मै डूब भी गया तो शफ़क छोड जाऊँगा " _इकवाल साजिद_
बुधवार, 7 अगस्त 2019
शनिवार, 27 जनवरी 2018
रबर बलून विजनस 500₹ से शुरू ।
गुव्वारे 🎈💃
रबर बलून से तो सभी परिचित है जिनहे फुग्गा और गुब्बारा भी कहा जाता है । हम सभी ने अपने बचपन मे जरूर गुब्बारे खेले होगे ।गुब्बारे बच्चो की पसंद होते है ।
गुब्बारे बैचने का का काम सबसे कम लागत मेहनत का काम है । आदमी इस काम को मात्र500 रूपए की लागत से शुरू कर सकता है ।इसे करने के लिए दो चार छोटी छोटी वस्तुओं की जरूरत होती है जो कही भी स्थानीय बाजार मे आसानी से मिल जाती है ।वह है _ डंडे 2 ' हवा हेंड पंप ' गुब्बारे का पेकिट ' गुब्बारा केप पेकिट ' मेटे धागा की रोल ' बस इस काम मे इनही की जरूरत होती है ।
कैसे करै ।
ऊपर बताए गए सामान को बाजार से खीदे जो 500₹ की कघीमत मे पूरा मिल जाएगा । इसे अपने घर पर लाए और घर बैठकर दोनो डंडो को T आकार का बनाए फिर फुग्गे पंप से फुला फुला कर उनके मुह पर प्लास्टिक की केप लगाते जाए और फुग्गो को धागे से बॉधकर T डंडे पर लटकते जाए जब डंडे पर फुग्गो का झुड बन जाए तो समझे आपकी दुकान तैयार है । अब अपनी दुकान लेकर फुग्गे बैचने के लिए चल दे ।अगर साइकिल की सुविधा हो तो और वहतर होगा । क्योंकि गुब्बारे बेचने का काम फेरी लगाकर किया जाता है और साइकिल से पैदल की अपेक्षा जादा दूर तक फैरी लगार गुब्बारे बैचे जा सकते है और अधिक गुब्बारे बैचे जा सकते है । 10₹ का एक फुग्गा बिकता है दिन भर मे सौ फुग्गे तक बिक जाते है कभी कभी यह बात एक फेरी बाले ने हमे बताई जो गुब्बारे बेच रहा था ।
यह लेख पढते समय आप यही सोच रहे होगे की यह काम छोटा है नही जी हमारी सोच छोटी होती है । आज कुछ एसे उधोगपती है जिन्होंने अपना काम गुब्बारे बैचने से शुरू किया था और आज कहॉ से कहॉ पहुँच गए ।
रबर बलून से तो सभी परिचित है जिनहे फुग्गा और गुब्बारा भी कहा जाता है । हम सभी ने अपने बचपन मे जरूर गुब्बारे खेले होगे ।गुब्बारे बच्चो की पसंद होते है ।
गुब्बारे बैचने का का काम सबसे कम लागत मेहनत का काम है । आदमी इस काम को मात्र500 रूपए की लागत से शुरू कर सकता है ।इसे करने के लिए दो चार छोटी छोटी वस्तुओं की जरूरत होती है जो कही भी स्थानीय बाजार मे आसानी से मिल जाती है ।वह है _ डंडे 2 ' हवा हेंड पंप ' गुब्बारे का पेकिट ' गुब्बारा केप पेकिट ' मेटे धागा की रोल ' बस इस काम मे इनही की जरूरत होती है ।
कैसे करै ।
ऊपर बताए गए सामान को बाजार से खीदे जो 500₹ की कघीमत मे पूरा मिल जाएगा । इसे अपने घर पर लाए और घर बैठकर दोनो डंडो को T आकार का बनाए फिर फुग्गे पंप से फुला फुला कर उनके मुह पर प्लास्टिक की केप लगाते जाए और फुग्गो को धागे से बॉधकर T डंडे पर लटकते जाए जब डंडे पर फुग्गो का झुड बन जाए तो समझे आपकी दुकान तैयार है । अब अपनी दुकान लेकर फुग्गे बैचने के लिए चल दे ।अगर साइकिल की सुविधा हो तो और वहतर होगा । क्योंकि गुब्बारे बेचने का काम फेरी लगाकर किया जाता है और साइकिल से पैदल की अपेक्षा जादा दूर तक फैरी लगार गुब्बारे बैचे जा सकते है और अधिक गुब्बारे बैचे जा सकते है । 10₹ का एक फुग्गा बिकता है दिन भर मे सौ फुग्गे तक बिक जाते है कभी कभी यह बात एक फेरी बाले ने हमे बताई जो गुब्बारे बेच रहा था ।
गुरुवार, 25 जनवरी 2018
फिल्म 'पदमावत ' पर सुन्हरी धूप ।
संजय लीला भंसाली की फिल्म पदमावती का निर्माण 2016 मे शुरू हूआ । जनवरी 2017 मे जयपुर मे फिल्म की शूटिंग के दोरान सेट पर ' राजपूत करणी सेना ' ने हय कहते हुए फिल्म का बिरोध किया की इस फिल्म मे राजपूत रानी पदमावती के इतिहास को तोड मरोड कर पेश किया जा रहा है जो राजपूतो का अपमान है ।तभी से यह फिल्म विबादो मे आ गई । इस फिल्म की कहानी चित्तोड की रानी पदमावती पर आधारित है । जिसे रोमांचक ढंग से पेश किया गया है । रानी पदमावती की भूमिका मे आभिनेत्री दीपिका पादुकोण है जो रानी के रूप मे खूव जच रही है ।
इस फिल्म पर रोक लगाने के लिए सुप्रिम कोर्ट मे भी याचिका दायर की गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया । आखिरकार फिल्म पदमावती घनघोर बिरोध के बाबजूद भी पदमावत के नाम से 24 जनवरी 2018 को रिलीज हुई इस दिन भी देश भर के अलग अलग कोनो मे पदमाव का विरोध हुआ तोडफोड की खबरे भी आई ।
पर अब जल्द ही पदमावत के उपर से संकट के बादल छटेगे और फिल्म पदमावत पर सुन्हरी धूप पडेगी । क्योंकि फिल्म विबादित होने के कारण मीडिया मे सुर्खियो मे रही और लोगो की चरचा का विषय बनी इसलिए इस फिल्म का मुफ्त मे खुब प्रचार हुआ । अब हर कोई इस फिल्म को देखना चाहता है की आखिर इसमे एसा क्या है जिसकी वजह से इतना हंगामा हुआ । यह फिल्म खूव कमाई करेगी ।
सन 2001 मे आई फिल्म गदर जिसमे हिंदुस्तान पाकिस्तान का बटवारा दिखाया गया था ।इस फिल्म के कुछ सीनो पर मुसलमानो ने आपत्ति जताई थी और पदमावत की तरह ही हंगामा हुआ था पर क्या हुआ । यह फिल्म खूब चली लोगो ने इसे देखना पसंद किया ।
अब निर्माता संजय सिह राजपूत की फिल्म गदर2 आने बाली है यह फिल्म आतंकवाद पर आधारित है । अभी सेंसर बोर्ड ने पदमावत के बिरोध से डर कर फिल्म गदर 2 को अटका रखा है और हरी झंडी देने से इनकार कर दिया है ।
इस फिल्म पर रोक लगाने के लिए सुप्रिम कोर्ट मे भी याचिका दायर की गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया । आखिरकार फिल्म पदमावती घनघोर बिरोध के बाबजूद भी पदमावत के नाम से 24 जनवरी 2018 को रिलीज हुई इस दिन भी देश भर के अलग अलग कोनो मे पदमाव का विरोध हुआ तोडफोड की खबरे भी आई ।
पर अब जल्द ही पदमावत के उपर से संकट के बादल छटेगे और फिल्म पदमावत पर सुन्हरी धूप पडेगी । क्योंकि फिल्म विबादित होने के कारण मीडिया मे सुर्खियो मे रही और लोगो की चरचा का विषय बनी इसलिए इस फिल्म का मुफ्त मे खुब प्रचार हुआ । अब हर कोई इस फिल्म को देखना चाहता है की आखिर इसमे एसा क्या है जिसकी वजह से इतना हंगामा हुआ । यह फिल्म खूव कमाई करेगी ।
सन 2001 मे आई फिल्म गदर जिसमे हिंदुस्तान पाकिस्तान का बटवारा दिखाया गया था ।इस फिल्म के कुछ सीनो पर मुसलमानो ने आपत्ति जताई थी और पदमावत की तरह ही हंगामा हुआ था पर क्या हुआ । यह फिल्म खूब चली लोगो ने इसे देखना पसंद किया ।
बुधवार, 24 जनवरी 2018
कमाई करने के सरल तरीके ।
इस संसार मे हर आदमी को अपनी जरूरते पूरी करने के लिए मेहनत करनी पडती है । आदमी को जीवन जीने के लिए कुछ ना कुछ काम धंधा करना जरूरी होता ।जिन लोगो को धन एवं सभी सुख सुविधाए विरासत मे अपने बाप दादा से मिलती है उन्हें भी कुछ कम पर मेहनत तो जरूर करनी पडती । इस संसार मे मुफ्त मे कुछ नही मिलता हर चीज की कीमत चुकानी पडती है चाहे वह किसी भी रूप मे चुकाई जाए ।
आदमी अपनी जिंदगी चलाने के लिए दो तरह से मेहनत करते है एक शारीरिक श्रम और दूशरा दिमागी मेहनत ' अकुशल आदमी अपना जीवन यापन करने के लिए शारीरिक मेहनत मजबूरी मे करता है जिसे हम मजदूरी कहते है । या अपने जीवन का सुनहरा समय किसी को मासिक किस्तो मे बैच देता है जिसे हम नोकरी करना कहते है । शारीरिक श्रम के काम से आदमी इतनी ही कमाई कर पाता है जिससे उसकी बुनियादी जरूरते रोटी कपडा और मकान ही बामुशकिल पूरी हो पाती है ।
स्मार्ट बर्क _दिमागी मेहनत करना सब पसंद करते है पर जानकारी की कमी के कारण सभी लोक यह नही कर पाते ' जिन लोगो ने जीवन के शुरुआती दिनो मे मेहनत से पढाई लिखाई करके कमाई का हुनर सीखा होता है वही लोग स्मार्टवर्क करने मे सफल होते है । उदाहरण के लिए _ पुराने जमाने मे एक राजा का लडका पालकी मे बैठकर स्कूल जाता था एक दिन रास्ते मे उससे कहारो ने पूछा _तुम क्या पढते हो और इस पढाई से क्या फायदा होगा ? तो राजकुर ने कहा की मे हय सब तुम्हें नही बताऊगा क्योंकि अगर तुम यह सब सीख जाओगो ' तो आज मे तुम्हारे उपर सवार हू कल तुम मेरे उपर सवार हो जाओगे ' यही राज़ है ।
दिमागी मेहनत की ताकत शारीरिक शक्ति से कई गुना अधिक होती है । दिमागी मेहनत से बडे बडे कारोबार होते है जिनमे हजारो लाखो लोग काम करते है । दिमाग की मेहनत के बल पर लोग जरूरत से अधिक धन कमाकर बगलों मे रहते है और हबाई यात्राए करते है उनके पास सभी सुख सुविधाए .होती है वह संपन्न जीवन जीते है धरती पर ही स्वर्ग का आनंद उठाते है अपसराओ जैसी नारीओ के साथ नित्य करते है और चेन की बंसी बजाते है । क्योकी उनके पास कमाई करने का हुनर होता है जिससे रूपये उनके पीछे भागते है ।
कमाई _ जेब मे रूपये आना कमाई होता है । कमाई करने के अनगिनत तरीके है भीख मागना भी कमाई करने का एक तरीका है । पर मित्रो मे तुम्हें स्मार्ट तरीको के बारे मे बताने जा रहा हू ।
1.कमाई का पहला सूत्र है लोभ ' लोभ हर आदमी का पहला स्वभाविक गुण होता है । अपने प्रति या अपनी वस्तु के प्रति दुशरो मे लोभ पैदा करना और उनहे लुभाकर कमाई करना कमाई का सबसे सरल उपाय है ।उदाहरण के लिए ईनामी लॉटरी का व्यापार तो लोभ की ही बुनियाद पर खडा हुआ .है ।
2.कमाई का दूशरा उसूल है डर लोग डर के मारे धन छोड देते है सोचते है जब हम ही नही रहेगे तो फिरर यह धन बेकार है । इसीलिए तो हास्पिटिलो मे रूपया बाढ की तरह आता है ।डॉक्टरो की हाथ छूने की फीस हजार रूपया होती है । दो ग्राम की राई के दाने बराबर दबा की गोली और बूद भर दबा हजारों रूपयो तक की मिलती है ।यही तो है अधिक कमाई बाले क्षेत्र जहाँ धन की गंगा बहती है ।
3.कमाई का सबसे लाभदायक जरिया है उधोग.उधोग लगाना अमीर बनने का रास्ता है ।उधोगो मो हजालरो लोग काम करते है या हजार लोगो की ताकत का काम एक ही मशीन करती है हजार लोगो की मेहनत का अगर सो सो रूपया भी मालिक को महिने मे मिलता है तो मालिक बैठे बैठे लाख रूपया कमा लेता है ।बूद बूद से ही तो समंदर भरता है ।दुनिया मे जब भी आमीर लोगो का चुनाव होता है तो उस सूची मे सबसे जादा नाम उधोगपतीयो के होते है ।
4.कमाई का चौथा मबसे लाभदायक जरिया है मेरी नजर मे भवन निर्माण का कार्यक्षेत्र दुनिया मे जब भी कोई आदमी धन संपन्न होता है और उसके पास जरूरत से अधिक धन जमा होता है तो एसे लोग अधिकतर अलीशान भवन बनबाने मे अपना धन खर्च करते है ।या बना बनाया बगला खरीदते है । इसीलिए तो बिल्डर सबसे जादा अमीर होते है । साधारण से मकान बनाने बाले कारीगर कुछ ही साल मे अपना खुद का बगला बना लेते है । भवन निर्माण मे लगने वाले मटेरियल के बिक्रेता भी खूब कमाई करते है ।भवन निर्माण का कार्यक्षेत्र भी लाभदायक क्षेत्र है ।
आदमी अपनी जिंदगी चलाने के लिए दो तरह से मेहनत करते है एक शारीरिक श्रम और दूशरा दिमागी मेहनत ' अकुशल आदमी अपना जीवन यापन करने के लिए शारीरिक मेहनत मजबूरी मे करता है जिसे हम मजदूरी कहते है । या अपने जीवन का सुनहरा समय किसी को मासिक किस्तो मे बैच देता है जिसे हम नोकरी करना कहते है । शारीरिक श्रम के काम से आदमी इतनी ही कमाई कर पाता है जिससे उसकी बुनियादी जरूरते रोटी कपडा और मकान ही बामुशकिल पूरी हो पाती है ।
स्मार्ट बर्क _दिमागी मेहनत करना सब पसंद करते है पर जानकारी की कमी के कारण सभी लोक यह नही कर पाते ' जिन लोगो ने जीवन के शुरुआती दिनो मे मेहनत से पढाई लिखाई करके कमाई का हुनर सीखा होता है वही लोग स्मार्टवर्क करने मे सफल होते है । उदाहरण के लिए _ पुराने जमाने मे एक राजा का लडका पालकी मे बैठकर स्कूल जाता था एक दिन रास्ते मे उससे कहारो ने पूछा _तुम क्या पढते हो और इस पढाई से क्या फायदा होगा ? तो राजकुर ने कहा की मे हय सब तुम्हें नही बताऊगा क्योंकि अगर तुम यह सब सीख जाओगो ' तो आज मे तुम्हारे उपर सवार हू कल तुम मेरे उपर सवार हो जाओगे ' यही राज़ है ।
दिमागी मेहनत की ताकत शारीरिक शक्ति से कई गुना अधिक होती है । दिमागी मेहनत से बडे बडे कारोबार होते है जिनमे हजारो लाखो लोग काम करते है । दिमाग की मेहनत के बल पर लोग जरूरत से अधिक धन कमाकर बगलों मे रहते है और हबाई यात्राए करते है उनके पास सभी सुख सुविधाए .होती है वह संपन्न जीवन जीते है धरती पर ही स्वर्ग का आनंद उठाते है अपसराओ जैसी नारीओ के साथ नित्य करते है और चेन की बंसी बजाते है । क्योकी उनके पास कमाई करने का हुनर होता है जिससे रूपये उनके पीछे भागते है ।
कमाई _ जेब मे रूपये आना कमाई होता है । कमाई करने के अनगिनत तरीके है भीख मागना भी कमाई करने का एक तरीका है । पर मित्रो मे तुम्हें स्मार्ट तरीको के बारे मे बताने जा रहा हू ।
1.कमाई का पहला सूत्र है लोभ ' लोभ हर आदमी का पहला स्वभाविक गुण होता है । अपने प्रति या अपनी वस्तु के प्रति दुशरो मे लोभ पैदा करना और उनहे लुभाकर कमाई करना कमाई का सबसे सरल उपाय है ।उदाहरण के लिए ईनामी लॉटरी का व्यापार तो लोभ की ही बुनियाद पर खडा हुआ .है ।
2.कमाई का दूशरा उसूल है डर लोग डर के मारे धन छोड देते है सोचते है जब हम ही नही रहेगे तो फिरर यह धन बेकार है । इसीलिए तो हास्पिटिलो मे रूपया बाढ की तरह आता है ।डॉक्टरो की हाथ छूने की फीस हजार रूपया होती है । दो ग्राम की राई के दाने बराबर दबा की गोली और बूद भर दबा हजारों रूपयो तक की मिलती है ।यही तो है अधिक कमाई बाले क्षेत्र जहाँ धन की गंगा बहती है ।
3.कमाई का सबसे लाभदायक जरिया है उधोग.उधोग लगाना अमीर बनने का रास्ता है ।उधोगो मो हजालरो लोग काम करते है या हजार लोगो की ताकत का काम एक ही मशीन करती है हजार लोगो की मेहनत का अगर सो सो रूपया भी मालिक को महिने मे मिलता है तो मालिक बैठे बैठे लाख रूपया कमा लेता है ।बूद बूद से ही तो समंदर भरता है ।दुनिया मे जब भी आमीर लोगो का चुनाव होता है तो उस सूची मे सबसे जादा नाम उधोगपतीयो के होते है ।
रविवार, 17 सितंबर 2017
नाम बडे और दर्शन छोटे ।
गुरुवार, 14 सितंबर 2017
सुपरहिट गाने ।
मंगलवार, 12 सितंबर 2017
बीमार पर रिस्तेदारों की मार ।
हमारे समाज मे ब्यक्ति का बीमार होना किसी गुनाह से कम नही है ! क्योंकि हमारा समाज इसकी कडी सजा देता .है । आइए जाने कैसे ।
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह उसे देखने जरूर आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार आदमी की तबियत और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है तो समझो हमारा समाज उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
💉💊💉💊💉💊⛄⛄🗿
जब भी कोई बीमार होता है तो सबसे पहले तो डॉक्टर उसकी बीमारी को बढा चढा कर बताता है और मरीज को वा उसके परिवार बालो को डरा कर खूब पैसा खीचता है । पहला नुकसान तो ब्यक्ति का काम पर न जाने का होता है बीमारी के कारण ' दुशरा नुकसान इलाज पर रूपए खर्च होने का होता है । तीशरा परिवार का एक सदस्य और काम पर नही जा पाता वह मरीज की सेवा मे रहता है । चौथा नुकसान बीमार आदमी को देखने आने बाले करते .है दोस्त यार नाते रिस्तेदार बीमार आदमी को देखने आते है । क्योंकि पता नही फिर वह देखने को मिलेगा या नही । मरीज के घर की औरते मरीज को देखने आने वाले महमानो के चाय नास्ते मे ही लगी रहती है । भारत के दिहाती इलाको मे अगर किसी को साधारण बुखार भी आ जाता है और इसकी भनक रिस्तेदारो को लग जाती है तो वह उसे देखने जरूर आते है आखिर रिस्तेदार होते किस लिए है सुख दुख मे साथ रहने के लिए ही ना । बीमार आदमी को आराम की जरूरत होती है पर दर्शनाथियो की भीड बीमार आदमी की तबियत और खराब करती है ।
यहाँ तक तो ठीक ही है पर आगर कोई आदमी लंबी बीमारी के बाद मर जाता .है तो समझो हमारा समाज उसके परिवार का तो दिवाला ही निकाल देता है । मृत आत्मा की शंती के लिए पूजा पाठ बृहम्मणो को दान दक्षिणा देना । गंगा मे हड्डियों को बहाओ वहाँ पंडितों से लुटो । इसके बाद मृत्यू भोज का आयोजन करो और भी न जाने क्या क्य ठटकरम करना पडता है मरने बाले के परिवार को । अब मरने बाले आदमी का परिवार घर की जमा पूंजी तो पहले ही इलाज पर खरच कर चुका होता है । मृत्यू भोज के लिए बैक तो लोन देते नही है इसलिए साहूकार से ही कर्ज लेकर मृत्यु भोज कराया जाता है ।नाते रिस्तेदार तो मिठाईयॉ पूडी रायता खाकर मुह पोछ कर आपने अपने घर को चले जाते है और मरने बाला भी स्वर्ग का बासी हो जाता है । पर उसका परिवार जीते जी नरक मे पड जाता है । हाय रे रीती रिवाज समाज तुम्हारा बोझा आखिर कब तक और कहॉ तक ढोएगा । इस डिजिटल युग मे तो तुम्हें मिट ही जाना चाहिए । आब तो पीछा छोडो ।
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चूना उघोग, कम लागत, आधिक मुनाफा
आज भारत मे 75 पैरेंट लोग पान में जो चुना खाते है। इस चूने को बनाना और इस तरह की डिब्बी में भरकर बेचने वाले लोग भारी मुनाफा कमाई करते है।
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बुंदेलखंडी लोकगीत संम्राट देशराज पटेरिया का जन्म मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के गॉव 'तिटानी ' मे हुआ । वह अपनी यूवा अवस्था से ही अप...
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जहाँ सुमति तहाँ संपति नाना । मित्रों महाँ कवी तुलसी की कविता की उपरोक्त पंक्ती बिलकुल सोला आने सच है । क्योकि मित्रो एकता का ...