ओशो के अनुशार _आप जानकर हेरान होगे की जिन लोगो के पास पैसा नही है 'वह तो बेचारा बिचार ही नही कर सकता । दुनिया मे जिनके पास सुबिधा है वे ही बिचार कर सकते है ।मेरी दृष्टी यह नही हे की पूंजीपती कुछ बुरा आदमी है ।
या मजदूर कोई बहुत अच्छा आदमी है । कि शोषित हो जाना कोई गुण है । और शोषक हो जाना कोई दुरगुण है'
यह मे नही कहता हू ।
मेरा कुल मानना इतना है कि समाज की एक ब्यबस्था है 'इस ब्यबस्था मे एक आदमी धन को इक्टठा कर लिया है ।
निस्चित ही वह ज्यादा कुशल है' ज्यादा होशियार है । वह समाथ की सारी की सारी बेईमानी ओर सारी ब्यबस्था का पूरा उपयोग कर रहा है ।
जो शोषित है जिसमे' वह कोई बहुत गुणबान है 'एसी बात नही है । उसको भी अगर इतनी ही बुद्धी और इतनी ही शोषण की कलॉ सब समझ मे आ जाए तो वह भी कल इसकी जगह बेठ जाएगा ।
इसमे कोई आदमी -आदमी मे फरक नही है ।
Seetamni@gmail. com
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या मजदूर कोई बहुत अच्छा आदमी है । कि शोषित हो जाना कोई गुण है । और शोषक हो जाना कोई दुरगुण है'
यह मे नही कहता हू ।
मेरा कुल मानना इतना है कि समाज की एक ब्यबस्था है 'इस ब्यबस्था मे एक आदमी धन को इक्टठा कर लिया है ।
निस्चित ही वह ज्यादा कुशल है' ज्यादा होशियार है । वह समाथ की सारी की सारी बेईमानी ओर सारी ब्यबस्था का पूरा उपयोग कर रहा है ।
जो शोषित है जिसमे' वह कोई बहुत गुणबान है 'एसी बात नही है । उसको भी अगर इतनी ही बुद्धी और इतनी ही शोषण की कलॉ सब समझ मे आ जाए तो वह भी कल इसकी जगह बेठ जाएगा ।
इसमे कोई आदमी -आदमी मे फरक नही है ।
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