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द श ह र । र । व ण
रावण जैसा महामानव वलबान और बुद्धीमान पुरुष कोई दुशरा पैदा नही हूआ ।और शायद आगे होग भी नही ।रावण उस युग का सर्व संपन्न राजा था । उसके पास सोने का महल और वायूयान (पुष्पक )था ।उस समय रावण ने लंका मे जो विकाश किया उसके निशान आज भी श्रीलंका मे है ।वहा एक भव्य मंदिर है शिव का जो रावण ने ही बनबाया था । महापंडित रावण राजनीती मे भी बहुत निपुण था ।रावण एक वीर योद्धा था वीरो की यही पहचान है की वह झुकते नही है भले ही टूट जाए । रावण ने 'रावण सहिता 'नामक ग्रंथ की रचना की थी जो आज भी है ।रावण भविष्य ज्ञाता भी था जो उसके साथ हुआ वह सब उसने पहले ही जान लिया था ।पर उसके पास राम से युद्ध करने के अलावा और कोई विकल्प नही था अगर रावण अन्य कोई विकल्प अपनाता तो आज भारत मे दशहरा नही मनाया जाता । बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा राम के साथ रावण की भी याद दिलाता है ।रावण भले ही बुराई का पात्र है । पर उसके बिना रामायण अधूरी है । रावण गलत नही था वह अलग था ।
दशहरा का मतलव है दस + सहरे यानी की दस सिर ' पर इसका यह मतलव नही है की रावण के दस शिर थे ।नही इसका अर्थ है की दस बुद्धिमान आदमीयों के बराबर ज्ञान रावण के एक ही सिर मे था ।यह दस सिर वाले रावण के चित्र यही समझाने के लिए उदाहरण है ।पर लोगो ने लकीर का फकीर बना दिया । हाँ यह हो सकता है की रावण मायावी था और उसने कभी एकाध बार माया से अपना दस सिर बाला रूप बनाया होगा । पर वास्तविक सिर तो रावण का एक ही था ।
पर यह सच है की रावण का शरीर बहुत विशाल था ।एसा होना सोभाविक है । क्योंकि उस युग मे मनुष्यों के शरीर भी पूरे विकशित होते थे 'उस समय के इतिहास मे कही कही यह प्रमाण मिलते है की उस युग मे लोग 20 फिट तक लवे कद को होते थे ।और फिर रावण तो माशाहारी था तो उसका शरीर तो विशाल होगा ही । उस युग मे मनुष्यों की आयू भी बहुत लंबी होती थी हजार साल तक भी आदमी जीता था । पर आज तक अमर कोई भी नही हुआ रावण भी नही । जो पैदा होता है उसका मरना भी पक्का होता है ।
द श ह र । र । व ण
रावण जैसा महामानव वलबान और बुद्धीमान पुरुष कोई दुशरा पैदा नही हूआ ।और शायद आगे होग भी नही ।रावण उस युग का सर्व संपन्न राजा था । उसके पास सोने का महल और वायूयान (पुष्पक )था ।उस समय रावण ने लंका मे जो विकाश किया उसके निशान आज भी श्रीलंका मे है ।वहा एक भव्य मंदिर है शिव का जो रावण ने ही बनबाया था । महापंडित रावण राजनीती मे भी बहुत निपुण था ।रावण एक वीर योद्धा था वीरो की यही पहचान है की वह झुकते नही है भले ही टूट जाए । रावण ने 'रावण सहिता 'नामक ग्रंथ की रचना की थी जो आज भी है ।रावण भविष्य ज्ञाता भी था जो उसके साथ हुआ वह सब उसने पहले ही जान लिया था ।पर उसके पास राम से युद्ध करने के अलावा और कोई विकल्प नही था अगर रावण अन्य कोई विकल्प अपनाता तो आज भारत मे दशहरा नही मनाया जाता । बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार दशहरा राम के साथ रावण की भी याद दिलाता है ।रावण भले ही बुराई का पात्र है । पर उसके बिना रामायण अधूरी है । रावण गलत नही था वह अलग था ।
दशहरा का मतलव है दस + सहरे यानी की दस सिर ' पर इसका यह मतलव नही है की रावण के दस शिर थे ।नही इसका अर्थ है की दस बुद्धिमान आदमीयों के बराबर ज्ञान रावण के एक ही सिर मे था ।यह दस सिर वाले रावण के चित्र यही समझाने के लिए उदाहरण है ।पर लोगो ने लकीर का फकीर बना दिया । हाँ यह हो सकता है की रावण मायावी था और उसने कभी एकाध बार माया से अपना दस सिर बाला रूप बनाया होगा । पर वास्तविक सिर तो रावण का एक ही था ।
पर यह सच है की रावण का शरीर बहुत विशाल था ।एसा होना सोभाविक है । क्योंकि उस युग मे मनुष्यों के शरीर भी पूरे विकशित होते थे 'उस समय के इतिहास मे कही कही यह प्रमाण मिलते है की उस युग मे लोग 20 फिट तक लवे कद को होते थे ।और फिर रावण तो माशाहारी था तो उसका शरीर तो विशाल होगा ही । उस युग मे मनुष्यों की आयू भी बहुत लंबी होती थी हजार साल तक भी आदमी जीता था । पर आज तक अमर कोई भी नही हुआ रावण भी नही । जो पैदा होता है उसका मरना भी पक्का होता है ।
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