फरवरी महिने मे बेर का सीजन आते ही ही बेरी के झाडो पर पके हुए बेर लद जाते है ।और बेर के पके हुए फलो की झडी लग जाती है ।गॉव दिहात मे बेरो के झाडो के नीचे पके हुए खट्टे मीठे बेर के फल बिछे रहते है और लोग इन फलो को अपने पैरो तले कुचलते हुए इनके उपर से निकल जाते है पर यह लोग इनकी कीमत नही समझते है ।अगर इन बेरो को बच्चों से रोज बिनवा कर इकट्ठा कर लिया जाए और इनहे धूप मे सुखालिया जाए ।और फिर अॉफ सीजन मे शहर के किसी बेरो के खरीददा को बेचा जाय तो यह बेर 20 रू किलो तक बिकते है । क्योकि अॉफ सीजन मे लोग बेरो को उवाल कर खाना बहुत पसंद करते है । एक बेर के झाड से 50 से 200 किलो तक बेर पूरे सीजन मे मिलते है ।जिस ग्रामीण जन के पास पास बेरी के दो चार झाड हो वह एक सीजन मे बेर से 10_15 हजार रुपय सहज की कमा सकता है । और बेर उसकी आय का एक छोटा ही सही पर जरिया बन सकता है । तो फिर देर किस बात की करे बेर इकट्ठे ।
अगर बेर के झाड न भी हो तो इनहे बाजार से बडे आकार के बेर खरीद कर खाए और इनकी गुठली इकटठी रख ले और बारिश शुरू होने के बाद जुलाई मे इन बीजो को माकान के पास की खाली जगह पर जमीन मे एक इच निचे गाड दे ।इसके बाद तो यह बगेर देखभाल के ही हो जाते है और दो साल मे फल देने लगते है । बाजार मे बडे आकार के बेर के फल 50 रू किलो तक ताजे पके बिकते देखे जाते है ।
कहीं कहीं पर तो एप्पल बेर की खेती हो रही है यह बेर सेव के आकार का होता है और इसमे गुठली नही होती है । अन ऊपजाऊ और सूखी जमीन पर बेर की खेती लाभदायक सावित हो सकती है क्योंकि बेर के पेड को जादा पानी की जरूरत नही होती । बेर ही नही किसी भी छोटी पत्ती बाले कॉटेदार पेड पौधों को बहुत कम पानी की जरूतत पडती है ।और इतना पानी यह पौधे हवा ओस से खीच लेते है । तभी तो सूखे रेगिस्तान मे कॉटेदार पौधे हरे भरे रहते है ।
तो है ना बेरी के बेर आय के ढेर '🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒
अगर बेर के झाड न भी हो तो इनहे बाजार से बडे आकार के बेर खरीद कर खाए और इनकी गुठली इकटठी रख ले और बारिश शुरू होने के बाद जुलाई मे इन बीजो को माकान के पास की खाली जगह पर जमीन मे एक इच निचे गाड दे ।इसके बाद तो यह बगेर देखभाल के ही हो जाते है और दो साल मे फल देने लगते है । बाजार मे बडे आकार के बेर के फल 50 रू किलो तक ताजे पके बिकते देखे जाते है ।
कहीं कहीं पर तो एप्पल बेर की खेती हो रही है यह बेर सेव के आकार का होता है और इसमे गुठली नही होती है । अन ऊपजाऊ और सूखी जमीन पर बेर की खेती लाभदायक सावित हो सकती है क्योंकि बेर के पेड को जादा पानी की जरूरत नही होती । बेर ही नही किसी भी छोटी पत्ती बाले कॉटेदार पेड पौधों को बहुत कम पानी की जरूतत पडती है ।और इतना पानी यह पौधे हवा ओस से खीच लेते है । तभी तो सूखे रेगिस्तान मे कॉटेदार पौधे हरे भरे रहते है ।
तो है ना बेरी के बेर आय के ढेर '🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒